मनुष्य जीवन मिला है सिर्फ मुक्ति के लिए और आप न सरीर हो न सरीर आपके लिए है , आप आत्मा हो और आपका मन काल का और मन मे आपके मैले विचार ही जन्म मरण का कारण है काम , क्रोध, लोभ इत्यादि । पहले काम वासना को बलपूवर्क मारना है , काम से ज्ञान ढका रहता है - गीता। ज्ञान यानी आत्म ज्ञान ( इसी ज्ञान सेे उपरन्तर आपको समस्त शास्त्र विहित कर्म करके आपकी मुक्ति होगी , विषय भोग में सोचना भी शास्त्र विरोध कर्म है ) (मन और इन्द्रियों को दमन करके ) और अपनी आत्मा को निरंतर प्रभु में रखना है और मन हो न हो वो आप जप, ध्यान , सेवा, गीता , रामायण इत्यादि करके ही कर सकते हैं । यही एक रास्ता है । ये मनुष्य योनि सिर्फ और सिर्फ निरंतर भक्ति करने के लिए मिला है इसके अलावा मनुष्य योनि का कोई महत्व नही है । मनुष्य कर्म की रचना करता है, अपने विवेक से कर्म करो, मन और इन्द्रयों के घाट से ऊपर उठो , समय की रचना ऐसे है कि ये समय आपको कर्म करने पर बाध्य करता है , मन हो न हो आपको निरंतर प्रभु का चिंतन , प्रभु का जप , सेवा , कर्तव्य कर्म करना है ।ruclips.net/video/uOIFy5pkRq4/видео.html ruclips.net/video/eGESC7xtROw/видео.html
Jis Hath Jore Kar Vakhay Soi/Nanak Utam Neach Na Hoi??? Jay Rub Eh Srishti Na Rachda? Na PAP Hunda/Na PUNN? Us De MOJE Sari DUNIYA De MUSIVAT??????????? Jis Lai BABAY LOGA NU BHATKANDAY NAI????
मनुष्य जीवन मिला है सिर्फ मुक्ति के लिए और आप न सरीर हो न सरीर आपके लिए है , आप आत्मा हो और आपका मन काल का और मन मे आपके मैले विचार ही जन्म मरण का कारण है काम , क्रोध, लोभ इत्यादि । पहले काम वासना को बलपूवर्क मारना है , काम से ज्ञान ढका रहता है - गीता। ज्ञान यानी आत्म ज्ञान ( इसी ज्ञान सेे उपरन्तर आपको समस्त शास्त्र विहित कर्म करके आपकी मुक्ति होगी , विषय भोग में सोचना भी शास्त्र विरोध कर्म है ) (मन और इन्द्रियों को दमन करके ) और अपनी आत्मा को निरंतर प्रभु में रखना है और मन हो न हो वो आप जप, ध्यान , सेवा, गीता , रामायण इत्यादि करके ही कर सकते हैं । यही एक रास्ता है । ये मनुष्य योनि सिर्फ और सिर्फ निरंतर भक्ति करने के लिए मिला है इसके अलावा मनुष्य योनि का कोई महत्व नही है । मनुष्य कर्म की रचना करता है, अपने विवेक से कर्म करो, मन और इन्द्रयों के घाट से ऊपर उठो , समय की रचना ऐसे है कि ये समय आपको कर्म करने पर बाध्य करता है , मन हो न हो आपको निरंतर प्रभु का चिंतन , प्रभु का जप , सेवा , कर्तव्य कर्म करना है ।ruclips.net/video/uOIFy5pkRq4/видео.html ruclips.net/video/eGESC7xtROw/видео.html
ਧੰਨ ਸੰਤ ਬਾਬਾ ਮਸਕੀਨ ਜੀ ਮਹਾਂਪੁਰਖ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ
Waheguru🙏🏼🌹 Waheguru🙏🏼 🌹Waheguru🙏🏼🌹 Waheguru🙏🏼🌹 Waheguru 🙏🏼🌹
Waheguru g katha japji sahib pauri ਸੁਣੀਐ ਸਰਾਂ ਗੁਣਾਂ ਕੇ ਗਾਹ
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ 🙏🙏🌹🌹
maskeen g place koe v nahe le sakata maskeen g best katha vichar no body else
Dhan maskeen ji
Waheguru ji kirpa karo ji
Wahe guru ji 🌹💕🙏🏻
Waheguru ji.......
waheguru ji
Maskeen ji aap nu sunke hor kise nu sunan di ichcha nhi rhi
Bilkul sat bachan🙏
Dhan gursikhy tary guru je
Suneye saraguna key gah japji sahib katha Waheguru ji
...... wahguru
Waheguru
ਵਾਹਿਗੁਰੂ
Raj Gill fyughhyyyb
WAHEGURUJI.
awesome
मनुष्य जीवन मिला है सिर्फ मुक्ति के लिए और आप न सरीर हो न सरीर आपके लिए है , आप आत्मा हो और आपका मन काल का और मन मे आपके मैले विचार ही जन्म मरण का कारण है काम , क्रोध, लोभ इत्यादि । पहले काम वासना को बलपूवर्क मारना है , काम से ज्ञान ढका रहता है - गीता। ज्ञान यानी आत्म ज्ञान ( इसी ज्ञान सेे उपरन्तर आपको समस्त शास्त्र विहित कर्म करके आपकी मुक्ति होगी , विषय भोग में सोचना भी शास्त्र विरोध कर्म है ) (मन और इन्द्रियों को दमन करके )
और अपनी आत्मा को निरंतर प्रभु में रखना है और मन हो न हो वो आप जप, ध्यान , सेवा, गीता , रामायण इत्यादि करके ही कर सकते हैं । यही एक रास्ता है ।
ये मनुष्य योनि सिर्फ और सिर्फ निरंतर भक्ति करने के लिए मिला है इसके अलावा मनुष्य योनि का कोई महत्व नही है ।
मनुष्य कर्म की रचना करता है, अपने विवेक से कर्म करो, मन और इन्द्रयों के घाट से ऊपर उठो , समय की रचना ऐसे है कि ये समय आपको कर्म करने पर बाध्य करता है , मन हो न हो आपको निरंतर प्रभु का चिंतन , प्रभु का जप , सेवा , कर्तव्य कर्म करना है ।ruclips.net/video/uOIFy5pkRq4/видео.html
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Wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl wahagurujl
Nice
40:00
Jis Hath Jore Kar Vakhay Soi/Nanak Utam Neach Na Hoi??? Jay Rub Eh Srishti Na Rachda? Na PAP Hunda/Na PUNN? Us De MOJE Sari DUNIYA De MUSIVAT???????????
Jis Lai BABAY LOGA NU
BHATKANDAY NAI????
Dhan Guru Nanak
Waheguru ji..
Waheguru
मनुष्य जीवन मिला है सिर्फ मुक्ति के लिए और आप न सरीर हो न सरीर आपके लिए है , आप आत्मा हो और आपका मन काल का और मन मे आपके मैले विचार ही जन्म मरण का कारण है काम , क्रोध, लोभ इत्यादि । पहले काम वासना को बलपूवर्क मारना है , काम से ज्ञान ढका रहता है - गीता। ज्ञान यानी आत्म ज्ञान ( इसी ज्ञान सेे उपरन्तर आपको समस्त शास्त्र विहित कर्म करके आपकी मुक्ति होगी , विषय भोग में सोचना भी शास्त्र विरोध कर्म है ) (मन और इन्द्रियों को दमन करके )
और अपनी आत्मा को निरंतर प्रभु में रखना है और मन हो न हो वो आप जप, ध्यान , सेवा, गीता , रामायण इत्यादि करके ही कर सकते हैं । यही एक रास्ता है ।
ये मनुष्य योनि सिर्फ और सिर्फ निरंतर भक्ति करने के लिए मिला है इसके अलावा मनुष्य योनि का कोई महत्व नही है ।
मनुष्य कर्म की रचना करता है, अपने विवेक से कर्म करो, मन और इन्द्रयों के घाट से ऊपर उठो , समय की रचना ऐसे है कि ये समय आपको कर्म करने पर बाध्य करता है , मन हो न हो आपको निरंतर प्रभु का चिंतन , प्रभु का जप , सेवा , कर्तव्य कर्म करना है ।ruclips.net/video/uOIFy5pkRq4/видео.html
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Exactly
awesome
Waheguru ji waheguru ji
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Waheguru jiiii
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Waheguruji
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