Uttrakhand गांव में कुवे की पूजा में नागराज देवता ने दिए दर्शन 🕉️🙏

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  • Опубликовано: 10 окт 2024
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    उत्तराखंड गढ़वाल मण्डल में ऐसा कोई जनपद नहीं जहां श्री कृष्ण के रूप में पूजे जाने वाले नागों के मंदिर न हों.अनेक वैष्णव मंदिर नागराजा मंदिर और नागराजा मंदिर वैष्णव मंदिर कहे गए जिसका कारण यह कि गढ़वाल में नागराजा एवं विष्णु या भगवान श्री कृष्ण को एक ही माना जाता है.नागों का प्रभाव शिव जी की पूजा के साथ भी रहा 🕉️
    गढ़वाल में नागों का सबसे बड़ा तीर्थ सेम -मुखेम है. साथ ही नागराजा के 65 से अधिक अन्य प्रधान मंदिर हैं. नागथात और नागटिब्बा में नाग पूजा संपन्न की जाती है. विरणेश्वर को समर्पित मंदिर दूधातोली की चौथानपट्टी में है. पांडुकेश्वर में शेषनाग पूजनीय हैं तो रथ गाँव में भीखलनाग. कुमोट में वनपुरनाग की मान्यता है तो तलवर में मंगलनाग. नीति घाटी में लोहियानाग, पौड़ी में नागदेव, दशौली में तक्षकनाग, नागपुर में वासुकीनाग तो जौनसार में बिमहणनाग के साथ ही वसीनाग, बढ़वानाग व उलहणनाग पूजनीय हैं. नागनाथ में पुष्करनाग पूजे जाते हैं. 🙏
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