मेरी माता जी बचपन में अपनी बीडा के साथ यह गाना गेम सुनाती थी जब में बाद हुआ तो फ़ौज में अफ़सर बना और मुझे एक बार इस इलाक़े में जाने का मौक़ा मिला तो मे छाना बिल्लौरी जाए बिना ना रुक सका । यही पर लगा की इस घाटी में बहुत ही गर्मी पढ़ती थी और कोई भी लड़की इस घाटी में ब्याह नहीं करना जगती थी । जो मजा मुझे ७० साल पहले अपनी माँ के मुह से गाए इस गीत की धुन पर आता था वह शायद अब कही गुम हो गया है । अभी भी ज़िंदगी के आख़री padhao मैं भी आँखें भर जाति है। बदलाव शायद ज़िंदंगी का एक हिस्सा है। होस्ट ने बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया । नमन आपको ।
बारहमासा की टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद आप लोग बहुत ही सराहनीय काम कर रहे हैं आपका यह चैनल उत्तराखंड का लल्लनटॉप है मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं
उत्तराखंड के महान लोक गायक, गीतकार,संगीतकार, लेखक,निबंधकार,सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामीजी जे द्वारा लिखा और गाया हुआ ये गाना आजभी उत्तराखंड की लोकसस्कृति मै अपनी एक विशेष पहचान बनाये हुए है। नमन करते है उत्तराखंड के महान लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामीजी जी को।💐💐👏👏
Maine 36 varsh purv apni paltan mei pehli baar ye gaana suna tha. Chutti aaya toh iss ki dhun maa ko sunai toh maa ne bataya ki Nana ji bhi maa ke Bachpan mei ye gaana gate the. Bahut sundar prastuti Baramasa.
उत्तराखंडी संस्कृति कुमाऊनी बोली, भाषा में एक गीतकार के तौर पर शमशाद पिथौरागढ़ी का भी नाम आता है जिन्होंने अपनी कलम से कई सुपरहिट कुमाऊनी गीत दिए,जिसमे उत्तराखंड के हर एक बड़े गायक गायिकाओं ने अपनी आवाज दी। शमशाद के 16 गीतों में ज्यादातर गीत हिट हुए। बारामासा ऐसे लेखकों व कलाकारों को भी वीडियो या इंटरव्यू के जरिए आगे लाने का काम करें जी हमेशा बोली भाषा को आगे बढ़ा रहे हो।
आपकी गढवाली-कुमाऊँनी संस्कृति और उसकी ऐतिहासिकता पर जानकारी कबिले तारीफ है...वास्तव में लोकगीतों को तात्कालिक संदर्भ में समझना ही लोकगीतों के प्रति उचित दृष्टिकोण होगा ... श्रेष्ठ-सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद.
उदिता मैडम, आपने भी प्रकृति से बहुत सुंदर कंठ पाया है, साथ ही आपने जिस सुंदरता के साथ इस लोकगीत की प्रासंगिकता को तर्कपूर्ण ढंग से न्यायोचित ठहराया है वह भी प्रशंसनीय है।
बारामासा टीम द्वारा इस तरह के गानों के पीछे की कहानी की और उसके मर्म को बयां करना काफी सराहनीय प्रयास है। किंतु जो आपने "गोपाल बाबू गोस्वामी जी" ने गाने के बोल बदलकर इस गाने को जो अलग रूप दिया है उसे एक तरह से गलत नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस गाने के शब्दों में जो छाना बिलोरी गांव की एक नकारात्मक छवि (वहां की गर्मी) लोगों के बीच में प्रस्तुत हुई जिस कारण आसपास के गांव के लोग छाना बिलोरी में अपनी लड़की की शादी नहीं करवा रहे थे इस कारण "गोपाल बाबू गोस्वामी" ने छाना बिलोरी के लड़के (ज्वानों) की शादी नही हो पा रही थी तो इसलिए उन्होंने इस संदर्भ में गाने के नए बोलो का निर्माण किया।
बचपन में आकाशवाणी से इस गीत को सुनते हुए कल्पना करना कि छाना बिलौरी गांव कैसा होगा और कहां पर ........? फिर बाद में समझ में आया कि पूरा उत्तराखण्ड ही एक कामकाजी बेटी/महिला के लिए छाना बिलौरी ही है। हालांकि आज भी कामोवेश कामकाजी महिलाओं कि स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है ........... किन्तु अनेक प्रयोग के बावजूद 70 के दशक में बनी लोकधुन पर आधारित गीत ही ज्यादा लोकप्रिय लगता है। यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक और लोकप्रिय। आपने इसे सुन्दर तरीके से प्रस्तुति दी वह भी अनेक अनछुवे पहलुओं के साथ। धन्यवाद।
Great, I m extremely very much happy by seeing this type of content it's time to explore our ancient values and culture to increase value and traditional authenticity and establish them among society. great work baramasa
उदिता जी बहुत बढिया उल्लेखन किया आपने। लोग आप को सुनते हैं इस लिये लिख रहा हूँ। समय तब जरुर वैसा रहा होगा।आज भी हम कष्ट वाली जगह अपनी बेटियों की शादी करना नही चाहते हैं। समय के साथ बहुत कुछ प्रगती गाँव मे भी हुई पर सच्चाई वही है जो उस समय गाया गया है। आज भी हम गर्म जगह व कष्ट वाली जगह बेटियाँ ब्यहना पस्ंद नही करते हैं। बिना जी का बहुत बहुत आभार इस जीवन्त गीत के लिये।
बहुत सुंदर प्रसस्तुति, चैनल वालों को धन्यवाद। उन कलाकारों को नमन जिनकी यह रंगीन कलाकृति साठ साल के बाद भी अपनी अमिट छाप हमारे ऊपर बनाए हुए है। इन महान लोगों के कारण हमारा यह उत्तराखंड आज विश्व में अपनी छाप छोड़ रहा है। जय देव भूमी तुझे मेरा नमन
हमारे गायन कलाकारों का परिचय हमैं आपके द्वारा मिलता है ।आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर है ।हमारी परंपरा जिवंत होजाती है जो विलुप्ति के कगार पर थी।हमारी परंपरा को जन जन तक पहुंचाने का जो बीङा आपने उठाया है उसके लिये आपका कोटि-कोटि धन्यवाद ।व अपनी परंपरा के प्रति आभार ।
थन्यवाद, आपने नये जमाने के श्रोताओं को छाना विरोधी गीत का मर्म समझाया।पहाड़ मैं आज भी महिलाओं के कष्टों मैं कोई कमी नहीं आई है।ये उन नौजवान पहाड़ियों के लिए आवश्यक है जो पहाड़ी गीतों की धुन पर विना गीत का मतलब समझे थिरकते रहते हैं। पुराने जमाने में कई बार ससुराल के कष्टों से तंग आकर महिला ये आत्महत्या कर लेती थी। तब लोकगायक अपनी कल्पना के आधार पर घटना से पहले के हालात को गीतों में अभिव्यक्त करते थे
वाह मैडम बहुत अछे से आपने छाना बिलोरि गाने को गाया हे आपकी जो कहानी बताने की शेली हे बहुत ही लाजवाब हे और आपकी गायकी भी बहुत अछी हे बारामासा कार्यक्रम मुझे बहुत पसंद हे धन्याबाद आपका जो आप हमें हर कहानी से रूबरू करवाते हैं
जहां तक मुझे पता है स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने इस गीत को इसलिए गाया था कियुकि उस समय लोग अपनी बेटियों की शादी छाना बिलौरी गांव में नही कर रहे थे लोगो को ये लगने लगा था कि छाना बिलौरी में बहुत धूप लगती है बाकी आपकी और बाते सब सही है 🙏🙏
They'll never mention that the song is Kumaoni! They'll either name it garhwali or uttarakhandi! But when it come to garhwali songs or something related to garhwal it's always clearly mentioned garhwal not only that they make and name every Kumaoni thing as Garhwali
@@Anadi_Anant_Narayan good observation. They never mention Kumaon. Whenever something is related to kumaon they title it as Uttarakhandi or Pahadi etc... But when it comes to garhwal they clearly mention garhwal even they try to claim kumaoni folks & customs.
I hope Baramasa and many other channels that are taking the young generation back to our Kumaoni as well as Garwhali roots , prosper and continue to shine in our hearts & souls...🙏
waah bhut hi sundar prastutikaran aur sundar aur madhur awaaz.... ye series mujhe aur mere dewar ko bhut pasand hai aur udita ji b... aur script writer ji ko b khoob badhayi itni sundar script k liye....
बारामासा को सपोर्ट करें:
baramasa.in/subscribe/
Very nice description of mid 80 and prior period. Only a person who has lived it can feel it
मेरी माता जी बचपन में अपनी बीडा के साथ यह गाना गेम सुनाती थी जब में बाद हुआ तो फ़ौज में अफ़सर बना और मुझे एक बार इस इलाक़े में जाने का मौक़ा मिला तो मे छाना बिल्लौरी जाए बिना ना रुक सका । यही पर लगा की इस घाटी में बहुत ही गर्मी पढ़ती थी और कोई भी लड़की इस घाटी में ब्याह नहीं करना जगती थी । जो मजा मुझे ७० साल पहले अपनी माँ के मुह से गाए इस गीत की धुन पर आता था वह शायद अब कही गुम हो गया है । अभी भी ज़िंदगी के आख़री padhao मैं भी आँखें भर जाति है। बदलाव शायद ज़िंदंगी का एक हिस्सा है। होस्ट ने बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया । नमन आपको ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति, प्रशंसनीय प्रयास। पहाड़ की संस्कृति को जीवित रखने में आपका प्रयास प्रशंसनीय है। साधुवाद।
बारहमासा की टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद आप लोग बहुत ही सराहनीय काम कर रहे हैं आपका यह चैनल उत्तराखंड का लल्लनटॉप है मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं
Bro mujhe lallantop acha hai lekin baramasa ka content lallantop bahut jyada acha hai
Lallantop bol ke iss ke kam ko gali mat bhai ji jab lallanto jab naya naya ata tha tab achaa tha ab kise kam ka nhi rha woo bhai ji
उत्तराखंड के महान लोक गायक, गीतकार,संगीतकार, लेखक,निबंधकार,सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामीजी जे द्वारा लिखा और गाया हुआ ये गाना आजभी उत्तराखंड की लोकसस्कृति मै अपनी एक विशेष पहचान बनाये हुए है। नमन करते है उत्तराखंड के महान लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामीजी जी को।💐💐👏👏
Eye🙏👍 satya kha medam ji aapne eye gana ko ulta gays hai
आपको कुमाऊनी लोक संस्कृति की गहरी समझ है आपने लेखकों गायकों के मूल भाव एवं उद्देश्य को समझा है और बखूबी प्रस्तुत किया है आपको कोटि-कोटि धन्यवाद
Maine 36 varsh purv apni paltan mei pehli baar ye gaana suna tha. Chutti aaya toh iss ki dhun maa ko sunai toh maa ne bataya ki Nana ji bhi maa ke Bachpan mei ye gaana gate the. Bahut sundar prastuti Baramasa.
उत्तराखंडी संस्कृति कुमाऊनी बोली, भाषा में एक गीतकार के तौर पर शमशाद पिथौरागढ़ी का भी नाम आता है जिन्होंने अपनी कलम से कई सुपरहिट कुमाऊनी गीत दिए,जिसमे उत्तराखंड के हर एक बड़े गायक गायिकाओं ने अपनी आवाज दी। शमशाद के 16 गीतों में ज्यादातर गीत हिट हुए। बारामासा ऐसे लेखकों व कलाकारों को भी वीडियो या इंटरव्यू के जरिए आगे लाने का काम करें जी हमेशा बोली भाषा को आगे बढ़ा रहे हो।
Very old kumaoni song.... More than 8 decades.... Yani 80 saal se bhi purana.... 1963 mein Akashwani se sunaya tha....
बहुत ही खूब व्याख्या की है आपने इस गीत की,
मन मोह लेता है ये अपना उत्तराखण्ड का गीत।☺️
आपकी गढवाली-कुमाऊँनी संस्कृति और उसकी ऐतिहासिकता पर जानकारी कबिले तारीफ है...वास्तव में लोकगीतों को तात्कालिक संदर्भ में समझना ही लोकगीतों के प्रति उचित दृष्टिकोण होगा ... श्रेष्ठ-सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद.
आप जैसे महान हस्तियों के होने से ही हमें पहाड़ के इतिहास के बारे में पता चलता है आप की सानदार प्रस्तुति को सलाम ❤❤
उदिता मैडम, आपने भी प्रकृति से बहुत सुंदर कंठ पाया है, साथ ही आपने जिस सुंदरता के साथ इस लोकगीत की प्रासंगिकता को तर्कपूर्ण ढंग से न्यायोचित ठहराया है वह भी प्रशंसनीय है।
अत्यन्त सुन्दर एवम् प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण , धन्यवाद !
बारामासा टीम द्वारा इस तरह के गानों के पीछे की कहानी की और उसके मर्म को बयां करना काफी सराहनीय प्रयास है।
किंतु जो आपने "गोपाल बाबू गोस्वामी जी" ने गाने के बोल बदलकर इस गाने को जो अलग रूप दिया है उसे एक तरह से गलत नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस गाने के शब्दों में जो छाना बिलोरी गांव की एक नकारात्मक छवि (वहां की गर्मी) लोगों के बीच में प्रस्तुत हुई जिस कारण आसपास के गांव के लोग छाना बिलोरी में अपनी लड़की की शादी नहीं करवा रहे थे इस कारण "गोपाल बाबू गोस्वामी" ने छाना बिलोरी के लड़के (ज्वानों) की शादी नही हो पा रही थी तो इसलिए उन्होंने इस संदर्भ में गाने के नए बोलो का निर्माण किया।
Bahut badiya really good
आज जहां अधिकांश गांव पलायन कर चुके हैं वहीं थाना बिलोरी एकमात्र ऐसा गांव है जो अपने अस्तित्व को बनाए हैं और एक आवाद गांव है
आपको ‘झूमला देश‘ वाला गाना बनाना चाहिये । यह गाना आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से गाया है । मैंने ख़ुद यह गाना पहली बार सुना है ।
Sar eye🙏👍 bhi bhut purana gana hai🙏
बचपन में आकाशवाणी से इस गीत को सुनते हुए कल्पना करना कि छाना बिलौरी गांव कैसा होगा और कहां पर ........? फिर बाद में समझ में आया कि पूरा उत्तराखण्ड ही एक कामकाजी बेटी/महिला के लिए छाना बिलौरी ही है। हालांकि आज भी कामोवेश कामकाजी महिलाओं कि स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है ........... किन्तु अनेक प्रयोग के बावजूद 70 के दशक में बनी लोकधुन पर आधारित गीत ही ज्यादा लोकप्रिय लगता है। यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक और लोकप्रिय। आपने इसे सुन्दर तरीके से प्रस्तुति दी वह भी अनेक अनछुवे पहलुओं के साथ। धन्यवाद।
This is more than 60 years old song n very emotional song for all Kumaonis 🙏🙏
हृदय गदगद हो गया। मर्म को छूने वाली प्रस्तुति। Thanq.
उदिता !!! जितना सुन्दर आपका कोमल-कण्ठ (की गायिका हैं) है, उतनी ही सुन्दर आप तन-मन से हैं
पलायन से भागते पहाड़ ,को एक बार फिर पुरानी यादों में ले जाने के लिए धन्यवाद
इसका मतलब कब से समझने की कोशिश कर रहा था ,,, आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏❣️ आपकी आवाज बहुत सुरुली है 👌👌👌
बहुत अच्छी जानकारी।
Great, I m extremely very much happy by seeing this type of content it's time to explore our ancient values and culture to increase value and traditional authenticity and establish them among society.
great work baramasa
उदिता जी बहुत बढिया उल्लेखन किया आपने।
लोग आप को सुनते हैं इस लिये लिख रहा हूँ।
समय तब जरुर वैसा रहा होगा।आज भी हम कष्ट वाली जगह अपनी बेटियों की शादी करना नही चाहते हैं। समय के साथ बहुत कुछ प्रगती गाँव मे भी हुई पर सच्चाई वही है जो उस समय गाया गया है।
आज भी हम गर्म जगह व कष्ट वाली जगह बेटियाँ ब्यहना पस्ंद नही करते हैं।
बिना जी का बहुत बहुत आभार इस जीवन्त गीत के लिये।
बहुत सुंदर प्रसस्तुति, चैनल वालों को धन्यवाद। उन कलाकारों को नमन जिनकी यह रंगीन कलाकृति साठ साल के बाद भी अपनी अमिट छाप हमारे ऊपर बनाए हुए है। इन महान लोगों के कारण हमारा यह उत्तराखंड आज विश्व में अपनी छाप छोड़ रहा है। जय देव भूमी तुझे मेरा नमन
Hi
हमारे गायन कलाकारों का परिचय हमैं आपके द्वारा मिलता है ।आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर है ।हमारी परंपरा जिवंत होजाती है जो विलुप्ति के कगार पर थी।हमारी परंपरा को जन जन तक पहुंचाने का जो बीङा आपने उठाया है उसके लिये आपका कोटि-कोटि धन्यवाद ।व अपनी परंपरा के प्रति आभार ।
बहुत सुंदर पुरानी यादें ताजा हो गयी
थन्यवाद, आपने नये जमाने के श्रोताओं को छाना विरोधी गीत का मर्म समझाया।पहाड़ मैं आज भी महिलाओं के कष्टों मैं कोई कमी नहीं आई है।ये उन नौजवान पहाड़ियों के लिए आवश्यक है जो पहाड़ी गीतों की धुन पर विना गीत का मतलब समझे थिरकते रहते हैं। पुराने जमाने में कई बार ससुराल के कष्टों से तंग आकर महिला ये आत्महत्या कर लेती थी। तब लोकगायक अपनी कल्पना के आधार पर घटना से पहले के हालात को गीतों में अभिव्यक्त करते थे
उत्तराखंड हमारी देवभूमि Prouds to be sanatani hindu always jai shree ram 🕉🕉🚩🙏🙏🙏
आप के इस मेहनत को हम तक पहुंचने के लिए धन्यवाद
बहुत ही सुंदर मैं आपकी बातों से तो दिल भर आया
बहुत सराहनीय प्रयास किया है आपने । भविष्य में भी आप एक से एक गीतों का प्रसारण समय समय पर करते रहें ।
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं स्वीकार हो ।
वाह मैडम बहुत अछे से आपने छाना बिलोरि गाने को गाया हे आपकी जो कहानी बताने की शेली हे बहुत ही लाजवाब हे और आपकी गायकी भी बहुत अछी हे बारामासा कार्यक्रम मुझे बहुत पसंद हे धन्याबाद आपका जो आप हमें हर कहानी से रूबरू करवाते हैं
Bahut sundar prastuti kabhi kabhi yeh yaad aati hai 🙏🙏💐💐
बहुत भल छु कार्यक्रम
ऐसा प्रतीत होता है कितना कष्टदायक समय रहा होगा
शानदार कंटेंट के लिए बारामासा की टीम को दिल से हार्दिक धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद ❤️.... आपकी यह प्रस्तुति बहुत खूबसूरत हैं… इस शोध मे आपकी जो मेहनत और निष्ठा दिखाई निःसंदेह सराहनीय कदम है....
बीना तिवारी की आवाज सुनने को आज भी मन करता है । लेकिन अब सब कुछ गायब हो गयो।क्या इस सीरीज के कलैक्शन मिलेगा।
बहुत सुनदर विशलेषण । बहुत बहुत धन्यवाद ।।
हरे हर ।बचपन की यादें ताजे हो गयी 😊
सुन्दर प्रस्तुति, आपको साधुवाद।
एक भूले विसरे लोक गीत का इतना बेहतरीन विश्लेषण :इसके लिए आपने कितनी मेहनत की होगी
Love my Kumaon, proud to be Kumaoni ❣️
We are waiting for such a thing it's a gret heart touching movement for all uttarakhandi 🥺🥺🥺❤️❤️❤️❤️❤️
जय देवभूमि
जय उत्तराखंड
Excellent performance ❤ 👏 👌 Great work. 👌 👍
बारहमासा की पूरी टीम को बहुत बहुत धन्यावाद। सराहनीय कार्य 👍🏵🌹
I am from Australia.I like utterkhand culture.because, I am Nepali,but magnolian blood . Nepal has mix culture of rajasthan and Tibet.
Papon ko to bahut hi pasand hai ye gana...
Bahut bahut aabhar app ka
Beautifully Explained..❤️❤️❤️ Team-Baramasa 🙏🙏🙏
जहां तक मुझे पता है स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने इस गीत को इसलिए गाया था कियुकि उस समय लोग अपनी बेटियों की शादी छाना बिलौरी गांव में नही कर रहे थे लोगो को ये लगने लगा था कि छाना बिलौरी में बहुत धूप लगती है बाकी आपकी और बाते सब सही है 🙏🙏
Aap ki awaaz bahut sundar hai 🙏🙏💐
बहुत बहुत धन्यवाद हम आपके ऋणी रहेंगे ।।
Very khuder geet of kumaon first time this sad song was sung by Veena Tiwari in AIR
They'll never mention that the song is Kumaoni! They'll either name it garhwali or uttarakhandi! But when it come to garhwali songs or something related to garhwal it's always clearly mentioned garhwal not only that they make and name every Kumaoni thing as Garhwali
@@Anadi_Anant_Narayan good observation. They never mention Kumaon. Whenever something is related to kumaon they title it as Uttarakhandi or Pahadi etc... But when it comes to garhwal they clearly mention garhwal even they try to claim kumaoni folks & customs.
अति सुंदर प्रस्तुति प्रशंसनीय उज्जवल भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
बहुत बहुत बढ़िया❤❤❤❤❤
Greetings from United States. We have subscribed to your channel. Beautiful blog
Happy to hear this beautiful piece
Great job !
बहुत ही सराहनीय प्रयास
"है बाबा मैं क्वीली जाणु " भी एक ऐसा ही लोकगीत है
वाह मजा आ गया.... मेरे मनपसन्द गीत पर बात 😍😍😍😍 शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ❤️❤️
वाह बहुत ही सुंदर जानकारी आपके द्वारा
You 👍🙏are great aapne ekdm satya kha satya kadwa hota hai🙏 eye ganga ulta gaya hai
My mother use to sing this song and I also like this song...... Wonderful information about the song
Aap sahi hai ye tab ka samay par tha aaj ka sakay alag hai mujhe ye lokgeet bahut aacha lagta hai
Hn meri mummy bhi is gane ko bhut gati hai ,,, jhan diya boju krke ,,,, 🥰
Waow...hats off to baramasha team....you guys are doing amazing and hard work...god bless
Bahoot bdiya❤
Super yr mene pahle Etna nhi dekha tha
Bara Masa team you are doing excellent job. Keep it up👍
Baramasa teem ko bahut bahut dhnyabad
Kaise hote h wo log jo ye sab bhool jate h . Wo bachpan ke din...Rona aa jata h aaj bhi jab sochta hu un dino k baare me
आप अगर बीना तिवारी की आवाज भी सुनाते तो ज्यादज़ अच्छा लगता
Baramasa always touches very unique topics.thanks for sharing history of such a nice song.Folk music always touches hearts of people.❤
शानदार ,जबरदस्त ,जिंदाबाद
हमेशा की तरह❤️👏
very very sweet and Beautiful song wow 👍👍👍🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏
Papon को सुनके इस जगह पहुंचा हूं!!
Jai devbhoomi uttarakhand 🙏
Bahut sunder jankari..
Amazing information thanks im watching from Canada
😭😭yaad dila di bachpan ki..
Wah kya bol h dil ko chuu gye
बोहोत उत्तम
Bahut maja aaya video me ❤❤❤ cheejo ko sunke samajh ke ❤❤❤
One of the best channel, ever i seen dedicated to ancient hill culture of Uttrakhand
अति सुन्दर
बारामासा जिंदाबाद
However your efforts in mant fields since I am watching your videos really appreciated.
Kya baat hai . Bohot hi Sundar kaam❤
Buht buht dhanyabaad 🙏
बहुत सुंदर
Ati sundar 🙏🙏
बहुत सुन्दर 👍
भौत खूब
I hope Baramasa and many other channels that are taking the young generation back to our Kumaoni as well as Garwhali roots , prosper and continue to shine in our hearts & souls...🙏
waah bhut hi sundar prastutikaran aur sundar aur madhur awaaz.... ye series mujhe aur mere dewar ko bhut pasand hai aur udita ji b... aur script writer ji ko b khoob badhayi itni sundar script k liye....
Thank you बारामासा टीम. Hope you will continue this journey a long long. Such type of initiatives will give strength to our culture. God Bless you.
Barahmasa team ka bahut-2 dhanyawad 💐💐