यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं। If you want to provide any financial support for the videos of this channel, you may pay the desired amount at these details. Shri Bhagavatananda Guru Bank of Baroda Ratu Chatti Branch 54240100000958 IFSC - BARB0RATUCH (कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero) UPI - nagshakti.vishvarakshak@okaxis
ये शरीर के अभिमानी देवता ये मानने को तैयार क्यों नहीं होते कि निग्रहाचार्य किसी के विरोध में नहीं अपितु वेद शास्त्रादि का अनुसरण करने वालों के सदैव साथ हैं
श्रीमन्नारायण। नित्य वन्दनीय निग्रहाचार्य स्वनामधन्य श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। श्री राम जय राम जय राम जय जय राम श्री हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये ।
बिल्कुल 💯💯 सही जो अपनी जाति पर गर्व करता है ,वह कभी भी धर्मांतरण नहीं कर सकता.💯💯💯💯💯 गजब सही सत्य तर्क दिए हैं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏सभी को अपने वर्ण पर गर्व करना चाहिए.
यहापर हम एक बात कहना चाहेंगे हम हिंदूओं को किसी शास्रोचित बात पर अथवा किसी वक्ता के अद्भुत रहस्य को प्रकट करनेवाले वक्तव्य पर मलेच्छों द्वारा प्रचलित ताली ना बजाकर साधो, साधो ऐसा कहना चाहिए, ऐसी छोटी-छोटी बातों मे ही परिवर्तन लाऐंगे और अन्यों को भी प्रेरित करेंगे तभी शनैः-शनैः हम सभी लोग धर्मनिष्ठ बनते जाऐंगे, अस्तु। श्रीमन्निग्रहाचार्यजी साधो-साधो। 🙏
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। स्वाहा धर्माय स्वाह धर्म: पित्रे ।। यजुर्वेद संहिता। सनातन दक्ष धर्म संस्कार प्रसार के लिए और पूर्वजो के लिए आहूतियां समर्पित हैं ।
निगम ही वेद हे, लेकिन अभी तो तंत्र की युग चल रहा हे। वेद को मानते नही होई, ब्रह्मण वेद बिस्मृत हो गए, सभी अपने ही उपासना पद्धति पालन कर रहे हे। वर्णाश्रम हे लेकिन ऊंची, नीची, जातपात वेद मे नही हे। पुरुषसुक्त ध्यानसे पैडनेस ओर समझनेसे कभी आपको जातपात नही दिखाई देगा। जय भास्कर ❤🙏
Jaya Shriman Narayan 🙏 Dharmdhwaj rakshak acharya charan ka sada mangal ho. Aap pujya shri ke ashram ka address prapt karna tha prabhu, aise shaashtrnisth deshik ke darshan karne hai 🙏
महाराज जी प्रणाम 🙏 भगवन,प्रयागराज में झूंसी में ,हंस भगवान की जन्म स्थली है जहां पर आज भी संध्यावट है,संकर्षण माधव है,हंस कूप है,हंस भगवान का पौराणिक मंदिर है,किंतु विगत दो वर्षों से एक धूर्त मनुष्य ने उस पर कब्जा कर लिया है,हम सभी ने बहुत प्रयास किया किंतु हम असमर्थ रहे क्योंकि हमारी संख्या कम है, हे भगवन आपसे विनती है कि आप इस विषय पर बोले जिससे जो शास्त्र निष्ट लोग है उनपर प्रभाव पड़े और वे सभी हमारे साथ मिलकर हंस तीर्थ क्षेत्र को मुक्त करा सके। मेरी विनती को कृपया स्वीकार करिए महाराज जी 🙏 जय हंस भगवान 🙏🚩💐🪷
स्वामी जी क्या तंत्र शास्त्र काम करते हैं मैं वेद और पुराण को प्रमाण मानता हूँ वेद के भाग व्यास भगवान ने किये और पुराण को लिखा पर तंत्र शास्त्र किसने लिखे और इन मंत्रों को किसने सिद्ध किया जय श्रीराम 🚩
If possible, please do not put background music in the videos, its distracting and hard on ears. Nighracharya ji's vaani is musical enough to ears. Thanks for considering this request.
चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय। चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। हरएक महिला स्त्री मुख समान ब्रह्माणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैश्याणी हैं। लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण/ब्राह्मणी है, दूसरे सुरक्षक चौकीदार क्षत्रिय/क्षत्राणी है, तीसरे उत्पादक निर्माता शूद्राण/ शूद्राणी है और चौथे वितरक वैश्य/ वैश्याणी हैं तथा पांचवे जन चारवर्णो कर्मो विभागो में वेतनमान पर कार्यरत दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन हैं। यही पंचजन्य चतुरवर्णिय व्यवस्था जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय है।
Acharya chanakya ke time bhi puran the.. sayad chankaya niti me puran ki baat hai.. Mandir ki baat hai murti puja ki bhi baat hai... Purane purane acharya puran ko astitwa ko swikar kiya... Puran Sanatan dharm ko ang hai.. Kaise koi usko Sanatan vedic dharm se alag kar sakta hai. Aaj kuch nich puran ko praman nhi mante avedic mante hai.. Kitne nich hai..
@@rudraadityamandal6126 bhagwan ka avtar Adharmio ka naash krne k liye hota hai bhai Chaitanya mahaprabhu k samya Tughalaq vansh ka shasan tha lekin unka anth Chaitanya mahaprabhu me nahi kia Wo ek bade bakt ho skte hai lekin bhagwan nhi Issi tarah Harivansh ko Radhavallabh Waley Krishna ki bansuri ka avtar batate hai jisko koi pramaan nhi Asaram ,Kripalu jaiso ko bhi unke bhakt krishna ka avtar bolte hai
@@suyashdubey2423 अरे महा पापी अधर्मी नीच तुझे शास्त्रो पर विश्वास नही?? जाकर पद्म पुराण पढ़ ले उसमे चैतन्य महाप्रभु के अवतार के बारे मे दिया है!!! यदि तु शास्त्र नही मानता तो तु पक्का मिश्रित वीर्य से उत्पन्न है DNA की जांच करवा!!! आज तुम चैतन्य महाप्रभु को बोल रहे हो कल भगवान् रामानुज, परसो रामानंद फिर शंकराचार्य तक को अवतार नही मानोगे!! दुर्थ तेरे बोलने से नही होगा शास्त्र प्रमाण है भगवान् शंकराचार्य भी अवतार नही बोलने मे देरी नही लगाओगे तुम दुर्थ
आचार्य जी, अगर कोई नास्तिक है परंतु धर्म के बारे में कुछ भी बुरा नहीं बोल रहा है या किसी धार्मिक को परेशान नहीं कर रहा है और समाज में नास्तिकवाद को नहीं फैला रहा है तो भी उसका वध कर देना चाहिए?
@@SwamiNigrahacharya Swamiji I have one naastik friend who admits that Ishwar may exist or may not. Also, he sometimes goes to temples and offers Pranaam to Bhagwaan but at night when he is scared he speaks Hanuman Chalisa. Doglaapan 😂
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने ! इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें। अध्यापक/ धर्माचार्य को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए। पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें। 1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि - 1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) + 2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) + 3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) + 4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) । इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक - ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
प्रणाम स्वामी जी 🙏 आपने कथा में कहा था कि महाराज परिक्षित कलि को मार सकते थे। किंतु कलि तो समय का एक अंग(युग) है। उसका नाश कैसे संभव है। कृपया प्रश्न इग्नोर मत करना। 🙏 नारायण 🙏
परीक्षित जी समय को मारने का तात्पर्य (मारते दंड देते तो) कलयुग भी सतयुग आदि तृ युगीय का आचरण करने लगता जिसमें यज्ञ तप आदि करने का विधान था (जिसमें समय अधिक लगता)पर कलयुग में भगवन्नाम मात्र से कल्याण होना जान उसका नास नहीं किया
मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं । जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं? यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए। वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए। चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
@बहुश्रुत10 शिक्षित विद्वान मानव जनों! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रियां समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य में कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। इन सबको भी समान अवसर उपलब्ध है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए। कर्मधारी वर्ण वाला कैसे? जानें - चार कर्म शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण। चारवर्ण कर्म में ब्रह्म वर्ण ( ज्ञान शिक्षण वैद्यन संगीत कर्म करने वाले जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण अध्यापक होते हैं , क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय होते हैं, शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण होते हैं और वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य होते हैं। महिला भी अध्यापिका ही ब्राह्मणी, सुरक्षिका ही क्षत्राणी, उत्पादिका निर्माता ही शूद्राणी और वितरिका ट्रांसपोर्टर व्यापारी ही वैश्याणी होती हैं। यह समान अवसर महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा ने सबजन को उपलब्ध कराया है। हरएक मानव जन को खुद की सोच सुधार करनी चाहिए। चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष भी प्रमाण उपलब्ध है। पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है। बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस ज्ञान भरी पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ा कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करना कराना उचित सोच वाला कार्य है और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना उचित सोच कदम है। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्।। ॐ ।।
Maharaj ji bhkatmal ktha me kabir das ji sri prhalad ji ke avtar hi parntu bhavisy puran me ve purv janam me ye adit ke putr the es par aapka ka kya vichar marg darsan kare 🙏🙏🙏🙏🙏
*मो को कहां ढूंढ़े रे वंदे मैं तो हुं विश्वास में* *परमात्मा बच्चे बच्चियों को जन्म लेने के पहले मां के गर्भ के रुप में, जन्म लेते ही माता पिता परिवार समाज राष्ट्र के रुप में प्राप्त होता है* *जो परमात्मा के इन रूपों में विश्वास नहीं करता वह अधम अहंकारी पृथ्वी पर राक्षस समान है* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
@@harkunwarsingroul5194 *कथा कहानी लिखने वाले व्याख्या करने वाले कॉमेंटेटर को लोग गुरु धर्माचार्य कथावाचक बोलते हैं* *अपने परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारी धर्म है और जो जिस योग्य हैं उनकी उस योग्य यथोचित देखभाल रखरखाव व्यवस्था करना कर्म है* *आस्था स्वार्थ परक होता है जब तक जो मेरे मनोनुकूल है तब तक उसके प्रति आस्था है जहां वह मेरे मन के विपरीत हुआ उसके प्रति आस्था अनास्था में बदल जाता है* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
*कथा कहानी लिखने वाले व्याख्या करने वाले कॉमेंटेटर को लोग गुरु धर्माचार्य कथावाचक बोलते हैं* *अपने परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारी धर्म है और जो जिस योग्य हैं उनकी उस योग्य यथोचित देखभाल रखरखाव व्यवस्था करना कर्म है* *आस्था स्वार्थ परक होता है जब तक जो मेरे मनोनुकूल है तब तक उसके प्रति आस्था है जहां वह मेरे मन के विपरीत हुआ उसके प्रति आस्था अनास्था में बदल जाता है* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
Jis mike pe aap bol rhe wo vigyaan ki den hai Jis mobile me aap upload kr rhe wo vigyaan ki deen hai Lekin aapke Puraan ne konsa vigyaan dia? Sirf farzi baatein gapod di aur khud ishwar ki bhartasna ki
Bhai tu vigyan vigyan kar rha.. Chal bhai vigyan ke adhar par bol.. Zaher pi kar atma hatya karna galat hai, Vigyan ke adhar par bolo c@#£ lekar mata se byvichar karna galat hai.. Vigyan ke adhar bolo nihatye ka hatya karna b@##kar karna galat kaise hai??? Har jagah vigyan ghuseda kar.. Har ek Kshetra vigyan ka nhi.. wase dharm aur adhytma jagah aapni jagah hai. Vigyan ka aapni jagah.. Jab itna vigyan ki agra gati nhi tha tab bhi insan jite the.. Bina dharm ke jiban ek pashuta hai..
शास्त्र का आधार धर्म होता है, धर्म का आधार शास्त्र नहीं,( शास्त्र से अर्थ श्रुति नहीं), अगर आप मानते है कि शास्त्रों में कोई मिलावट नहीं हुई सबकुछ वैसा का वैसा है जैसे कृष्ण द्वैपायन ने लिखा था या यह मानते है कि साईं पुराण भी वेदव्यास ने ही लिखा था तो इससे कुछ सिद्ध नहीं होता बस आप ये बोलना चाह रहे की आपके शास्त्रों के गंदगी मध्यकाल में नहीं बल्कि रचनाकार ने ही डाली है, अर्थात आप वेदव्यास आदि को ही दूषित करेंगे।
Sai puran farzi hai, dusri baat ki Puraano ke pramaan ko sabhi manya sampradaayo ke Acharyo ne swikaar kiya hai aur aap jaante hai ki ve Acharyagan vibhinn devi devta ke avtaar the Rahi baat purano me milaawat ki toh sochiye ki bhot se brahmano ke paas granth the, kya sab me milaawat karna sambhav tha!
@vedicarya7 moorkh tu hai kyuki itne pramaan ke baad bhi tujhe samajh nhi aata ki Jin acharyo ne purano ko satya maana Tu un sabko jhootha bol rha Tulsidas ne bhi purano ka zikr kiya hai ramcharitamanas me, tum toh unko bhi galat sabit krte ho
Maharaj ji ,Jab bhagwan Ajamil jaise dharmheen charitraheen k liye prakat ho skte hai toh apne hazaro bhakto k liye kyu prakat nahi huye jan Ghori,Ghaznavi,Abdali loot macha rhe they? Isse pata chalta hai puran shastra matra ek mithya hai logo ko moorkha banane ka
Hahaha, unke tapasya me dam tha uske liye prakat hua... Agr tapasya me sach me srdha bhakti nist hota to bhagban har kahi hote hue dikhta har kisi ko... Tumne bas mana hai bhagban ko puri tarah tan mann dhan se samarpan kiye hi nhi.. Agr karte yeh sabal ka astitwa hi nhi raheta
पता है आपकी शास्त्र निष्ठा। भगवान शंकराचार्य जी के बारे में मिथ्या प्रचार करके उनकी निंदा करते हो तुम की "रामानुजाचार्य से शास्त्रार्थ में हार गए" । शिव जी से द्वेष रखते हो तुम।
@@SwamiNigrahacharya भविष्य पुराण में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। बताओ कहां पर है। मैने पढ़ा तो पूरा प्रकरण ही अलग है। न वो शंकराचार्य कोई शंकराचार्य पदस्थ आचार्य हैं न रामानुजाचार्य वहां आदि शेष के अवतार।
@ParatikDod-we2ob हमने कब कहा कि अद्वैत पर आदिशंकराचार्य का शास्त्रार्थ रामानुजाचार्य से हुआ है ! ? हमने जिस सन्दर्भ और उद्देश्य से जो कथन दिया है, उसे समझे बिना इधर न आओ। मुझे शिवद्वेषी कहने से तुम्हारे स्तर का बोध होता है कि तुम मुझे कितना जानते हो
यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।
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Shri Bhagavatananda Guru
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(कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero)
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Acharya ji ,Vaishnavo dwara Akbar badshah ko Krishna bhakt k roop me Poojana bhaktnamawali me kitna uchit hai?
जगद्गुरु शंकराचार्य की जय।
धर्मराज निग्रहाचार्य की जय।
धर्मसम्राट करपात्रीजी की जय।
धर्ममूल वैदिक गोवंश की जय।
@@neelasingh9078 nizamo ki god me baithane wala Shankaracharya kabhi pujniya nhi ho skta
ये शरीर के अभिमानी देवता ये मानने को तैयार क्यों नहीं होते कि निग्रहाचार्य किसी के विरोध में नहीं अपितु वेद शास्त्रादि का अनुसरण करने वालों के सदैव साथ हैं
Kalikal ka prabhav hai
जगद्गुरु शंकराचार्य की जय।
धर्मराज निग्रहाचार्य की जय।
धर्मसम्राट करपात्रीजी की जय।
धर्ममूल वैदिक गोवंश की जय।
निग्रहचार्य जी आप सही हो, आपकी बातें सुन कर ढोंगियों का पता चल रहा है। जय हो।🙏🙏
श्रीमन्नारायण। नित्य वन्दनीय निग्रहाचार्य स्वनामधन्य श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। श्री राम जय राम जय राम जय जय राम श्री हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये ।
बिल्कुल 💯💯 सही जो अपनी जाति पर गर्व करता है ,वह कभी भी धर्मांतरण नहीं कर सकता.💯💯💯💯💯 गजब सही सत्य तर्क दिए हैं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏सभी को अपने वर्ण पर गर्व करना चाहिए.
"आनन्दित कर देते हो प्रिय
ऐसे प्रवचन सुना-सुनाकर;
एकमात्र अद्वितीय आप हो
सत्यनिष्ठ प्रखर अभय निडर"
🕉️ नर्मदे हर 🪷
श्री दुर्गा माधव गणेशाः पांतु
यहापर हम एक बात कहना चाहेंगे हम हिंदूओं को किसी शास्रोचित बात पर अथवा किसी वक्ता के अद्भुत रहस्य को प्रकट करनेवाले वक्तव्य पर मलेच्छों द्वारा प्रचलित ताली ना बजाकर साधो, साधो ऐसा कहना चाहिए, ऐसी छोटी-छोटी बातों मे ही परिवर्तन लाऐंगे और अन्यों को भी प्रेरित करेंगे तभी शनैः-शनैः हम सभी लोग धर्मनिष्ठ बनते जाऐंगे, अस्तु। श्रीमन्निग्रहाचार्यजी साधो-साधो। 🙏
गिरधर चाचा 😊😃 का उल्टा ही नियम होता है निग्रह आचार्य जी महाराज 😃 🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏🌹🙏🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🙏
🙏🏼🥰🪷 जय श्रीमन्नारायण 🪷🪷🪷 यह भगवति का ही अनुग्रह हैं, जो हम आपश्री को श्रवण कर पा रहें हैं । 🪷🥰🙏🏼
🙏🏼🪷 *श्रीचरणों में अनन्तानन्त प्रणाम* 🪷🙏🏼
Bahut Sundar Vachan
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय 🌹🙏🌷🙏🪷🙏🌼🙏🌻🙏🌹🪷🌷🏵️🌹🌺
लालिकेंद्रांतिके ब्रह्मलिंगात्मिके पंचक्रित्याकुले निष्कले निष्कुहे
धर्म वैतन्सिकध्वंसिनिदत्वसरे शीश पूज्ये सुभद्रे नमामो वयं...
अद्भुत, प्रभावोत्पादक, प्रेरणास्पद वक्तव्य है!
श्रीमन्नारायण गुरूजी 🙏🙏
Bahut Sundar pandit Ji ko pranam
थीरेंद्र-फिरेंद्र से सावधान रहो सनातन धर्मियों!
शंकराचार्य-निग्रहाचार्य सह रहो सनातन धर्मियों!
सत्य सनातन वैदिक आर्य धर्म की जय
जय श्रीनारायण
Guru dev ji ki Charon me koti koti naman 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
स्वाहा धर्माय स्वाह धर्म: पित्रे ।। यजुर्वेद संहिता।
सनातन दक्ष धर्म संस्कार प्रसार के लिए और पूर्वजो के लिए आहूतियां समर्पित हैं ।
सीता राम जी महाराज की जय
सनातन वैदिक आर्य हिन्दू धर्म की जय🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Title bilkul shi saar h🙏🏼
Maharaj ke charanome pranam
जय सनातन धर्म 🚩🙏
प्रणाम
Shashtang Pranam Guru Ji Har Mahadev Dharma Ki Jai Ho Adharm Ka Nash Ho Go Hatya Band Ho Vishva Ka Kalyan Ho
जय सीता राम 🚩 जय हनुमान जी महाराज की 🚩 हर हर महादेव 🚩हर हर गंगे 🚩गौ माता की जय 🚩🌟✨🙏
Shatvat dandvat Maharaj ji !!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏षाष्टांग
Dandvat
Jai Shree ManNarayan
Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🙏🙏🌹
सत्य कथन।
pranam guruji 🙏
Jai Shree ManNarayan
Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🙏
निगम ही वेद हे, लेकिन अभी तो तंत्र की युग चल रहा हे। वेद को मानते नही होई, ब्रह्मण वेद बिस्मृत हो गए, सभी अपने ही उपासना पद्धति पालन कर रहे हे। वर्णाश्रम हे लेकिन ऊंची, नीची, जातपात वेद मे नही हे। पुरुषसुक्त ध्यानसे पैडनेस ओर समझनेसे कभी आपको जातपात नही दिखाई देगा। जय भास्कर ❤🙏
Bhut bhut sukriya guru ji ❤
Jai Shree ManNarayan
Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Jay ho Aadarniy pranaam saty hai aapki sb baate or sabdo ka uchharan bhi sahi h
श्रीमन लक्ष्मी नारायण शास्त्रज्ञ स्वामी श्री निग्रहाचार्य श्री भागवतानंद गुरुदेव जी । ❤🎉😊
जय श्री राम निपुण अर्जुन ध्रुव जी
लगता है आप परम पूज्य श्री निग्रहाचार्य श्री भागवतानंद गुरु जी के परम पावन प्रवचन का परम आनंद ले रहे हैं 🙏
जी श्री @@himanshusrivastava8495जी, शत प्रतिशत सदैव २४*००७*३६५, आप ही के समान । श्रीमन लक्ष्मी नारायण, हर हर महादेव, नमष् चंडिकाय । ❤🎉😊
Mharaj ji
Aapka pravachan bilkul sastra samat h,@aapke jaise Mahatma bhut hi kam h, jo sastriy bat kre.
राधा कृष्ण
pranam poojya bhai ko...bahut hi ache vaktvya hai aapke..lakin aapki bat ko smjhna bhi har kisi ke bs ki bat kaha??
Jaya Shriman Narayan 🙏
Dharmdhwaj rakshak acharya charan ka sada mangal ho. Aap pujya shri ke ashram ka address prapt karna tha prabhu, aise shaashtrnisth deshik ke darshan karne hai 🙏
जितने कम लोग इस वीडियो को देख रहे हैं उसी से पता चल रहा है कि शास्त्र सम्मत ज्ञान से किसी को मतलब नहीं है केवल नाच गान वाले बाबा चाहिए
Ha, Jaya kishori aur dhirendra ko jin videos me expose kiya vha bhot se logo ne dekha tha aur Swamiji ko abuse kiya tha murkho ne
🙏🙏🙏
स्वामीजी "देवतायतनान्याशु" संस्कृत शब्दकोष में इस शब्द का क्या अर्थ है?🙏
pramad aur nirvad me kya bhed hai maharaj ji??
महाराज जी प्रणाम 🙏
भगवन,प्रयागराज में झूंसी में ,हंस भगवान की जन्म स्थली है जहां पर आज भी संध्यावट है,संकर्षण माधव है,हंस कूप है,हंस भगवान का पौराणिक मंदिर है,किंतु विगत दो वर्षों से एक धूर्त मनुष्य ने उस पर कब्जा कर लिया है,हम सभी ने बहुत प्रयास किया किंतु हम असमर्थ रहे क्योंकि हमारी संख्या कम है, हे भगवन आपसे विनती है कि आप इस विषय पर बोले जिससे जो शास्त्र निष्ट लोग है उनपर प्रभाव पड़े और वे सभी हमारे साथ मिलकर हंस तीर्थ क्षेत्र को मुक्त करा सके।
मेरी विनती को कृपया स्वीकार करिए महाराज जी 🙏
जय हंस भगवान 🙏🚩💐🪷
बुडलोजर बाबा 😂😂😂
दंडवत गुरुदेव 🙏🙏🚩
गुरुदेव आपकी यह कथा कौन से स्थान पर चल रही है गुरुदेव
Maharaj ji Luv Kush purv janm me kaun the aur kaise Shri Sita Ram ke santan banne ka saubhagya hua
Aaj kl nastikta ka prchln bhut teji se hi badhe ja rhe sch to ye h n kisi ko ved se mtlb n dahrm sastr se bolna sbko h
स्वामी जी क्या तंत्र शास्त्र काम करते हैं
मैं वेद और पुराण को प्रमाण मानता हूँ वेद के भाग व्यास भगवान ने किये और पुराण को लिखा पर तंत्र शास्त्र किसने लिखे और इन मंत्रों को किसने सिद्ध किया
जय श्रीराम 🚩
If possible, please do not put background music in the videos, its distracting and hard on ears. Nighracharya ji's vaani is musical enough to ears. Thanks for considering this request.
चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय।
चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। हरएक महिला स्त्री मुख समान ब्रह्माणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैश्याणी हैं।
लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण/ब्राह्मणी है, दूसरे सुरक्षक चौकीदार क्षत्रिय/क्षत्राणी है, तीसरे उत्पादक निर्माता शूद्राण/ शूद्राणी है और चौथे वितरक वैश्य/ वैश्याणी हैं तथा पांचवे जन चारवर्णो कर्मो विभागो में वेतनमान पर कार्यरत दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन हैं। यही पंचजन्य चतुरवर्णिय व्यवस्था जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय है।
Acharya chanakya ke time bhi puran the.. sayad chankaya niti me puran ki baat hai..
Mandir ki baat hai murti puja ki bhi baat hai...
Purane purane acharya puran ko astitwa ko swikar kiya...
Puran Sanatan dharm ko ang hai..
Kaise koi usko Sanatan vedic dharm se alag kar sakta hai.
Aaj kuch nich puran ko praman nhi mante avedic mante hai..
Kitne nich hai..
Guruji chaitanya mahaprabhu radha krishna ke yugal avatar hain iska varnan kiss puran mein hain ??
Fake hai bhai
Har sect apne guru ko bhagwan bana deta hai
@@suyashdubey2423 Nigrahacharya ji ne bhi unko bataya ak video mein bhagvan ka avatar lekin nigrahacharya to vaishnav nehi hain
@@rudraadityamandal6126 bhagwan ka avtar Adharmio ka naash krne k liye hota hai bhai
Chaitanya mahaprabhu k samya Tughalaq vansh ka shasan tha lekin unka anth Chaitanya mahaprabhu me nahi kia
Wo ek bade bakt ho skte hai lekin bhagwan nhi
Issi tarah Harivansh ko Radhavallabh Waley Krishna ki bansuri ka avtar batate hai jisko koi pramaan nhi
Asaram ,Kripalu jaiso ko bhi unke bhakt krishna ka avtar bolte hai
Tuu apna mukh bandh rakh. aaur asaram ke sath maahaprabhu ki tulna maat kaar@@suyashdubey2423
@@suyashdubey2423 अरे महा पापी अधर्मी नीच
तुझे शास्त्रो पर विश्वास नही??
जाकर पद्म पुराण पढ़ ले उसमे चैतन्य महाप्रभु के अवतार के बारे मे दिया है!!!
यदि तु शास्त्र नही मानता तो तु पक्का मिश्रित वीर्य से उत्पन्न है DNA की जांच करवा!!!
आज तुम चैतन्य महाप्रभु को बोल रहे हो कल भगवान् रामानुज, परसो रामानंद फिर शंकराचार्य तक को अवतार नही मानोगे!!
दुर्थ तेरे बोलने से नही होगा शास्त्र प्रमाण है
भगवान् शंकराचार्य भी अवतार नही बोलने मे देरी नही लगाओगे तुम दुर्थ
आचार्य जी, अगर कोई नास्तिक है परंतु धर्म के बारे में कुछ भी बुरा नहीं बोल रहा है या किसी धार्मिक को परेशान नहीं कर रहा है और समाज में नास्तिकवाद को नहीं फैला रहा है तो भी उसका वध कर देना चाहिए?
नहीं। उसका बहिष्कार करके उसकी संगति से दूर रहना चाहिए क्यूंकि आज न कल वो अपनी विकृति से संक्रमित करेगा ही।
@@SwamiNigrahacharya Swamiji I have one naastik friend who admits that Ishwar may exist or may not. Also, he sometimes goes to temples and offers Pranaam to Bhagwaan but at night when he is scared he speaks Hanuman Chalisa. Doglaapan 😂
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार।
धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने !
इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें।
अध्यापक/ धर्माचार्य को -
1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए ,
2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए,
3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए,
4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए,
5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए,
6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए,
7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए,
8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए,
9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए,
10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए,
11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए,
12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए,
13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए,
14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए,
15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए,
16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए ,
17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए,
18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए,
19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और
20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए।
इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए।
पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम -
ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं ।
साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें।
1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l
संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि -
1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) +
2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) +
3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) +
4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) ।
इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l
मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक -
ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
Guruji Mera gotra bhardwaj hai parantu me khastriya hoon to kya ved aur shaka same rehenge ya dusra hoga.
Bhardwaj brahmn gotra hai
@@harkunwarsingroul5194 jaruri nhi
@@Ktyicdbki jaruri hai,
@harkunwarsingroul5194 na Munna na
@@Ktyicdbki आपके कहने से थोड़ी होगा, जो सत्य है वो सत्य ही रहेगा
वैसे कौन से क्षत्रिय हो 🤨
क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर होती है इसलिए चेहरे में जीभ अंदर रखकर मूर्ती चित्र बनाकर सुधार करना चाहिए।
प्रणाम स्वामी जी 🙏
आपने कथा में कहा था कि महाराज परिक्षित कलि को मार सकते थे। किंतु कलि तो समय का एक अंग(युग) है। उसका नाश कैसे संभव है।
कृपया प्रश्न इग्नोर मत करना। 🙏
नारायण 🙏
परीक्षित जी समय को मारने का तात्पर्य (मारते दंड देते तो) कलयुग भी सतयुग आदि तृ युगीय का आचरण करने लगता जिसमें यज्ञ तप आदि करने का विधान था (जिसमें समय अधिक लगता)पर कलयुग में भगवन्नाम मात्र से कल्याण होना जान उसका नास नहीं किया
मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
Aap 2 january ko free hain sir
@बहुश्रुत10 शिक्षित विद्वान मानव जनों! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रियां समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य में कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। इन सबको भी समान अवसर उपलब्ध है।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए।
कर्मधारी वर्ण वाला कैसे? जानें -
चार कर्म शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण। चारवर्ण कर्म में ब्रह्म वर्ण ( ज्ञान शिक्षण वैद्यन संगीत कर्म करने वाले जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण अध्यापक होते हैं ,
क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय होते हैं,
शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण होते हैं और
वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य होते हैं। महिला भी अध्यापिका ही ब्राह्मणी, सुरक्षिका ही क्षत्राणी, उत्पादिका निर्माता ही शूद्राणी और वितरिका ट्रांसपोर्टर व्यापारी ही वैश्याणी होती हैं। यह समान अवसर महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा ने सबजन को उपलब्ध कराया है। हरएक मानव जन को खुद की सोच सुधार करनी चाहिए।
चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष भी प्रमाण उपलब्ध है।
पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस ज्ञान भरी पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ा कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करना कराना उचित सोच वाला कार्य है और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना उचित सोच कदम है।
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्।। ॐ ।।
Maharaj ji bhkatmal ktha me kabir das ji sri prhalad ji ke avtar hi parntu bhavisy puran me ve purv janam me ye adit ke putr the es par aapka ka kya vichar marg darsan kare 🙏🙏🙏🙏🙏
They r all fake sects
Kavir ko sanatan dharm se na jode.
Unhone kabhi khud ko sanatan dharmi nhi mana.
Unke bohut sare doha. Bramhan virodhi aur murti virodhi hai.
@@LordDajjal432 अरे भाई वो भगवान् रामानंद के 12 महा शिष्यो मे प्रमुख है??
आपको रामानंद saampraday नही दिखता?
@@suyashdubey2423 अगस्त संहिता, भविष्य पुराण, भक्त माल सब मे वर्णन है!!
@@harkunwarsingroul5194 teeno fake hai bhai
Bhavishya puraan jaise joker granth ko kon Manta hai😂
*मो को कहां ढूंढ़े रे वंदे मैं तो हुं विश्वास में*
*परमात्मा बच्चे बच्चियों को जन्म लेने के पहले मां के गर्भ के रुप में, जन्म लेते ही माता पिता परिवार समाज राष्ट्र के रुप में प्राप्त होता है*
*जो परमात्मा के इन रूपों में विश्वास नहीं करता वह अधम अहंकारी पृथ्वी पर राक्षस समान है*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
We believe this supermecy
!! लूट सके तो लूट ले हरि नाम की लूट
अंत समय पछताएगा जब प्राण जायेंगे छुट!!
@harkunwarsingroul5194 💯
हरि का ही हर रुप है
@@BAAGBIRENDRA-vc8km फिर नास्तिको वाला नपुंसक सिद्धांत व बात हर जगह spam करने की क्या जरूरत है!!
@@harkunwarsingroul5194
*कथा कहानी लिखने वाले व्याख्या करने वाले कॉमेंटेटर को लोग गुरु धर्माचार्य कथावाचक बोलते हैं*
*अपने परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारी धर्म है और जो जिस योग्य हैं उनकी उस योग्य यथोचित देखभाल रखरखाव व्यवस्था करना कर्म है*
*आस्था स्वार्थ परक होता है जब तक जो मेरे मनोनुकूल है तब तक उसके प्रति आस्था है जहां वह मेरे मन के विपरीत हुआ उसके प्रति आस्था अनास्था में बदल जाता है*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
*कथा कहानी लिखने वाले व्याख्या करने वाले कॉमेंटेटर को लोग गुरु धर्माचार्य कथावाचक बोलते हैं*
*अपने परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारी धर्म है और जो जिस योग्य हैं उनकी उस योग्य यथोचित देखभाल रखरखाव व्यवस्था करना कर्म है*
*आस्था स्वार्थ परक होता है जब तक जो मेरे मनोनुकूल है तब तक उसके प्रति आस्था है जहां वह मेरे मन के विपरीत हुआ उसके प्रति आस्था अनास्था में बदल जाता है*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
Jis mike pe aap bol rhe wo vigyaan ki den hai
Jis mobile me aap upload kr rhe wo vigyaan ki deen hai
Lekin aapke Puraan ne konsa vigyaan dia?
Sirf farzi baatein gapod di aur khud ishwar ki bhartasna ki
Lekin unhone jis Saadhana aur tapa ke dwaara Divya Vidha se Mleccraj ke vishay me gyaat kiya hai voh modern science ka gift nhi hai
इस दुनिया के बाहर की है क्या?
Aapne maa baap ki jaga puran ko maat rakh. Tera baap ko bol gadhe ki pichwara Marne ki karan tu jaysa gadha paida hyuya😂😂
Bhai tu vigyan vigyan kar rha..
Chal bhai vigyan ke adhar par bol..
Zaher pi kar atma hatya karna galat hai,
Vigyan ke adhar par bolo c@#£ lekar mata se byvichar karna galat hai..
Vigyan ke adhar bolo nihatye ka hatya karna b@##kar karna galat kaise hai???
Har jagah vigyan ghuseda kar..
Har ek Kshetra vigyan ka nhi.. wase dharm aur adhytma jagah aapni jagah hai.
Vigyan ka aapni jagah..
Jab itna vigyan ki agra gati nhi tha tab bhi insan jite the..
Bina dharm ke jiban ek pashuta hai..
@@LordDajjal432 or bhai vigyan bhi to vedo se nikla hai to vigyan bhi humara hi hai
शास्त्र का आधार धर्म होता है, धर्म का आधार शास्त्र नहीं,( शास्त्र से अर्थ श्रुति नहीं), अगर आप मानते है कि शास्त्रों में कोई मिलावट नहीं हुई सबकुछ वैसा का वैसा है जैसे कृष्ण द्वैपायन ने लिखा था या यह मानते है कि साईं पुराण भी वेदव्यास ने ही लिखा था तो इससे कुछ सिद्ध नहीं होता बस आप ये बोलना चाह रहे की आपके शास्त्रों के गंदगी मध्यकाल में नहीं बल्कि रचनाकार ने ही डाली है, अर्थात आप वेदव्यास आदि को ही दूषित करेंगे।
Sai puran farzi hai, dusri baat ki Puraano ke pramaan ko sabhi manya sampradaayo ke Acharyo ne swikaar kiya hai aur aap jaante hai ki ve Acharyagan vibhinn devi devta ke avtaar the
Rahi baat purano me milaawat ki toh sochiye ki bhot se brahmano ke paas granth the, kya sab me milaawat karna sambhav tha!
@Harsh-yo7ph kaise farzi hai udhar to likhrkha vedavyas ne likha hai 😭, are tum trads ko itni simple analogy samjh nahi aati?
@@vedicarya7 bhai ab koi murkh ved vyas ka naam sai ke sath jod de toh usme Sanaatani ki kya galti
@Harsh-yo7ph are moodh vyakti wahi to mai bhi kah rha hu ki vedavyas ne Mahabharatam aur brahmsutra likhe puran unke naam se jod de to ham kya kre
@vedicarya7 moorkh tu hai kyuki itne pramaan ke baad bhi tujhe samajh nhi aata ki Jin acharyo ne purano ko satya maana Tu un sabko jhootha bol rha
Tulsidas ne bhi purano ka zikr kiya hai ramcharitamanas me, tum toh unko bhi galat sabit krte ho
Maharaj ji ,Jab bhagwan Ajamil jaise dharmheen charitraheen k liye prakat ho skte hai toh apne hazaro bhakto k liye kyu prakat nahi huye jan Ghori,Ghaznavi,Abdali loot macha rhe they?
Isse pata chalta hai puran shastra matra ek mithya hai logo ko moorkha banane ka
मूर्खता का नाश करने का काम सबसे पहले अपने नाम से कर
@@gauribaba7613 kyu jawab nahi hai?😂
Jab invaders mathura , vrindavan ko loot rhe they,tab Bhagwan ka avtar kyu nhi hua?
@@suyashdubey2423 तू अपने नाम सुयश रखा हुआ है ये ही इसका प्रमाण है कि भगवान ने ही रक्षा की हुई है।
@@gauribaba7613 ye kya logic hua 😆
Hahaha, unke tapasya me dam tha uske liye prakat hua...
Agr tapasya me sach me srdha bhakti nist hota to bhagban har kahi hote hue dikhta har kisi ko...
Tumne bas mana hai bhagban ko puri tarah tan mann dhan se samarpan kiye hi nhi..
Agr karte yeh sabal ka astitwa hi nhi raheta
पता है आपकी शास्त्र निष्ठा। भगवान शंकराचार्य जी के बारे में मिथ्या प्रचार करके उनकी निंदा करते हो तुम की "रामानुजाचार्य से शास्त्रार्थ में हार गए" । शिव जी से द्वेष रखते हो तुम।
अरे अनपढ़ ! हमने अपने कथन के पीछे पुराण वाक्य का प्रमाण भी दिया है। कौन सा कथन किस प्रमाण और सन्दर्भ हेतु किस विषय में दिया है, उसे क्यों नहीं बताते ?
@@SwamiNigrahacharya भविष्य पुराण में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। बताओ कहां पर है। मैने पढ़ा तो पूरा प्रकरण ही अलग है। न वो शंकराचार्य कोई शंकराचार्य पदस्थ आचार्य हैं न रामानुजाचार्य वहां आदि शेष के अवतार।
@@SwamiNigrahacharya शैव मार्ग का कोई आचार्य जो वहां शिव परत्व पर शास्त्रार्थ कर रहे हैं। विषय अद्वैत पर भी नही है वहां
@ParatikDod-we2ob हमने कब कहा कि अद्वैत पर आदिशंकराचार्य का शास्त्रार्थ रामानुजाचार्य से हुआ है ! ? हमने जिस सन्दर्भ और उद्देश्य से जो कथन दिया है, उसे समझे बिना इधर न आओ। मुझे शिवद्वेषी कहने से तुम्हारे स्तर का बोध होता है कि तुम मुझे कितना जानते हो
Guruji, aap kabhi west bengal mee kolkata mee bhi aaiye. amna samna aapko dekhne mee bohot iccha hya. @@SwamiNigrahacharya
Jai.maharaj.har.har.mahadev
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🙏🌹🥀🙏🙏🌹🙏🌹🥀🥀🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏
Jai Shree ManNarayan
Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏
क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर होती है इसलिए चेहरे में जीभ अंदर रखकर मूर्ती चित्र बनाकर सुधार करना चाहिए।
क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर होती है इसलिए चेहरे में जीभ अंदर रखकर मूर्ती चित्र बनाकर सुधार करना चाहिए।