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Swami Nigrahacharya (Shri Bhagavatananda Guru)
Индия
Добавлен 15 апр 2017
यह श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु का आधिकारिक यूट्यूब प्रवाह है। यहाँ उनके लेख, धार्मिक निर्णय, विचार एवं अनेक अवसरों पर दिए गये प्रवचनों का संग्रह भी उपलब्ध है | हम आपसे सम्पर्क करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं | यदि आपको किसी विषय में प्रश्न पूछना है, अथवा किसी विषय में कोई आपत्ति व्यक्त करनी है तो नीचे उपलब्ध विकल्पों का प्रयोग करके हमसे सम्पर्क करें |
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Official Representative and In-charge -
Brajesh Pandey / ब्रजेश पाण्डेय -
+919430399777
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**आपकी कॉल रिकॉर्ड एवं सार्वजनिक की जा सकती है। कृपया अति आवश्यक सूचना प्राप्त करने अथवा प्रदान करने हेतु ही सम्पर्क करें। अनावश्यक प्रशंसा, आशीर्वाद, सकाम भौतिक कृत्य आदि से सम्बन्धित वार्ता हेतु सेवा उपलब्ध नहीं है। प्रातः नौ से रात्रि सात बजे के मध्य ही फोन करें। निग्रहाचार्य जी से सीधे वार्तालाप हेतु हठ न करें क्योंकि सैकड़ों लोग यही चाहते हैं और उतना समय देना न सम्भव है और न आवश्यक है। उचित शैली और समय में शास्त्रीय जिज्ञासा हेतु सम्पर्क करने वालों का स्वागत है।
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Old Video | वर्णाश्रम व्यवस्था एवं जातिप्रथा पर स्वामी निग्रहाचार्य का लघु वक्तव्य | Nigrahacharya
Old Video Reuploaded
Original Dated - 19th March, 2023
वर्णाश्रम व्यवस्था एवं जातिप्रथा पर स्वामी निग्रहाचार्य का लघु वक्तव्य
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(कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero)
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Original Dated - 19th March, 2023
वर्णाश्रम व्यवस्था एवं जातिप्रथा पर स्वामी निग्रहाचार्य का लघु वक्तव्य
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भागवत माहात्म्य | प्रथम भाग | चरवा, कौशाम्बी | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru
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श्रीमद्भागवत माहात्म्य | प्रथम भाग | ग्राम ― चरवा, कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश | निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु | Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं। If you want to provide any financia...
जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं, वे शास्त्रीय विषयों पर बोलना बन्द करें और पहले ज्ञान अर्जित करें !
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आज का हिन्दू धर्म के अनुसार चलना नहीं चाहता, धर्म को ही अपने अनुसार चलाना चाहता है। जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं, वे शास्त्रीय विषयों पर बोलना बन्द करें और पहले ज्ञान अर्जित करें ! वर्णाश्रम के प्रति निष्ठा रखने वाला व्यक्ति ही धर्मान्तरण के विरुद्ध लड़ सकता है ― निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किस...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग बयासी, युद्धारम्भ - लङ्काकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - बयासी, युद्धारम्भ - लङ्काकाण्ड) स्थान - अखण्ड आश्रम, गुरसहायगंज, कन्नौज (उत्तर प्रदेश) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शुक्रवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते है...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - इक्यासी, अङ्गद रावण संवाद - लङ्काकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - इक्यासी, अङ्गद रावण संवाद - लङ्काकाण्ड) स्थान - अखण्ड आश्रम, गुरसहायगंज, कन्नौज (उत्तर प्रदेश) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शुक्रवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना ...
हिन्दू एकता की आड़ में "जाति पाति की विदाई" का नारा लगाने वाले मूर्ख को निग्रहाचार्य ने लगाई फट्कार
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"जाति पाति की करो विदाई" का नारा लगाने वाले मूर्खों को निग्रहाचार्य ने लगाई फट्कार ! कलियुग में निशाचरी प्रवृत्ति वाले धूर्त स्वयं तो शास्त्रज्ञान से हीन होंगे किन्तु स्वयं को सिद्ध महापुरुष बताकर लोगों को भ्रमित करेंगे एवं भीषण अव्यवस्था को जन्म देंगे। हिन्दू एकता यात्रा की आड़ में सनातन धर्म के मूल वर्णाश्रम पर आघात करने वाले धर्मगुरु नहीं, सन्त के वेश में घूमने वाले निशाचर हैं ― निग्रहाचार्य ...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - अस्सी, रावण की मन्त्रणा - लङ्काकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - अस्सी, रावण की मन्त्रणा - लङ्काकाण्ड) स्थान - अखण्ड आश्रम, गुरसहायगंज, कन्नौज (उत्तर प्रदेश) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शुक्रवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चा...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग उन्यासी, सेतुबन्धन - लङ्काकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - उन्यासी, सेतुबन्धन - लङ्काकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल दशमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (सोमवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप...
दम्भी ब्रह्महत्यारों की प्रतिष्ठा सर्कस के जोकर जितनी भी नहीं, जगद्गुरु क्या बनेंगे ? ― निग्रहाचार्य
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दम्भी ब्रह्महत्यारों की प्रतिष्ठा सर्कस के जोकर जितनी भी नहीं, जगद्गुरु क्या बनेंगे ? वेदमन्त्रों को बदलने की बात करने वाले, पुराणों को प्रक्षिप्त बोलने वाले मूर् ब्रह्महत्यारे हैं। ऐसे लोग प्रामाणिक वैष्णव धर्माचार्य नहीं, विष्णुहत्यारे हैं ― स्वामी निग्रहाचार्य Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित कर...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - अठहत्तर, समुद्र निग्रह - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - अठहत्तर, समुद्र निग्रह - सुन्दरकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल दशमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (सोमवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं ...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - सतहत्तर, विभीषण पर कृपा - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - सतहत्तर, विभीषण पर कृपा - सुन्दरकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल नवमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (रविवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग छिहत्तर, श्रीराम सैन्यप्रस्थान सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - छिहत्तर, श्रीराम सैन्यप्रस्थान - सुन्दरकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल अष्टमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शनिवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना ...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग पचहत्तर, लङ्का दहन सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - पचहत्तर, लङ्का दहन - सुन्दरकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल सप्तमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शुक्रवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं ...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग चौहत्तर, सीता संवाद सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा (भाग - चौहत्तर, सीता संवाद - सुन्दरकाण्ड) स्थान - रामानन्दीय मठ - मारुति धाम, देवघाट (छत्तीसगढ़) वक्ता - श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरुजी दिनाङ्क - कार्तिक शुक्ल सप्तमी, विक्रम सम्वत् - २०८१ (शुक्रवार) Like, Share, Subscribe www.shribhagavatananda.guru यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं...
Old Video | शूद्रों के मन्दिर प्रवेश की शास्त्रीय मर्यादा क्या है ? पाखण्डी गुरुओं से सावधान रहो !
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Old Video Reuploaded Original Dated - 8th May, 2023 धीरेन्द्र (अ)शास्त्री की मूर्खता का खण्डन कर दिया था बहुत पहले | सामाजिक सौहार्द्र के नाम पर धर्मशास्त्रों की मर्यादा को नष्ट करने वाले पाखण्डी गुरुओं से रहो सावधान | मन्दिरों में देवताओं की प्रतिमा का स्पर्श करने और शूद्रों के देवालय प्रवेश के विषय में धर्मशास्त्रों का क्या है निर्णय ? भगवान् विष्णु और स्वामी करपात्रीजी के प्रति दुर्वचन कहने ...
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - तिहत्तर, सीता रावण संवाद - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - तिहत्तर, सीता रावण संवाद - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग बहत्तर लङ्का प्रवेश सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग बहत्तर लङ्का प्रवेश सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - इकहत्तर, समुद्र लङ्घन - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - इकहत्तर, समुद्र लङ्घन - सुन्दरकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - सत्तर, सीताजी की खोज - किष्किन्धाकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - सत्तर, सीताजी की खोज - किष्किन्धाकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग उनहत्तर, बालिवध किष्किन्धाकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग उनहत्तर, बालिवध किष्किन्धाकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - अड़सठ, श्रीराम नारद संवाद - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - अड़सठ, श्रीराम नारद संवाद - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग सड़सठ, शबरी प्रकरण - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग सड़सठ, शबरी प्रकरण - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग छियासठ, सीताहरण अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Shri Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग छियासठ, सीताहरण अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Shri Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - पैंसठ, मारीच वध - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - पैंसठ, मारीच वध - अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
शबरी एवं रावण के विवाद पर अपने विरोधी की पोल खोल दी स्वामी निग्रहाचार्य ने | Expose by Nigrahacharya
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शबरी एवं रावण के विवाद पर अपने विरोधी की पोल खोल दी स्वामी निग्रहाचार्य ने | Expose by Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग चौसठ, शूर्पणखा प्रसङ्ग अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग चौसठ, शूर्पणखा प्रसङ्ग अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha Nigrahacharya
तुलसी विवाह की परम्परा शास्त्रीय है अथवा अशास्त्रीय ? निग्रहाचार्य जी | Nigrahacharya on Tulsi Vivah
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग तिरसठ, पञ्चवटी आगमन अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग तिरसठ, पञ्चवटी आगमन अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग बासठ, अत्रि प्रसङ्ग अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग बासठ, अत्रि प्रसङ्ग अरण्यकाण्ड | निग्रहाचार्य | Ram Katha | Nigrahacharya
श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - एकसठ, भरत चित्रकूट यात्रा - अयोध्याकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
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श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - एकसठ, भरत चित्रकूट यात्रा - अयोध्याकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya
Nothing absolutely nothing we can gain by these words maybe few of us will become more devoted to protect their dharm. But until we can have a kshatriy like Alexander or Genghis khan(evil to gain what is their) we will be in a constant state of decline.
🎉❤😅 Jay shree Ram Ramji
आप व्यवहारिकता पूरा कर लिया है या लिखे किताबों का ही वर्णन कर रहे हैं।निग्रहाचार्य जी।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमस्कार
Sant rampal ji mahraj ki jay ho
रावण के माल लगते हो!
जय गुरुदेव 🙏🚩
Title bilkul shi saar h🙏🏼
🙏🙏
Jay Jagannath guruji
मेरेसे इतना डरते हो की निरुत्तर हो गए तुम। भगवान शंकराचार्य के परंपरा के बारे में झूठ प्रलाप करते हो भविष्य पुराण के नाम पर। अगर हिम्मत है तो बताओ तुम्हारा कपोल कल्पित शंकराचार्य रामानुज शास्त्रार्थ कहां लिखा है।
😂😂 tuhh jake paddd
तू अपना दिमाग़ लगा अगर किसी शूद्र को ये कहाँ जाइ की तेरा काम सिर्फ ब्राह्मणों की सेवा करना है तो उसे अच्छा लगेगा ब्राह्मण वर्तमान समय मे सिर्फ जात का ब्राह्मण है काम का नही सबसे अधिक भ्रस्टाचारी सरकारी कर्मचारियों मे ब्राह्मण ही है. पहले सभी ब्राह्मणों को उपदेह दे की वो business यार सरकारी नौकरी छोड़ दे क्योंकि उसका काम ये नही है उसका काम है घर घर जाके भिक्षा लेना.. क्या ब्राह्मण ये काम कर रहा है तो फिर दूसरा वर्ण अपना काम क्यों करें???? हे कोई जवाब तेरे जहरीले बोल के लिए इलाज बहुत जरुरी है मुझे कभी कभी लगता है तू congress का कोई hidden agent है जो सनातन धर्म को तोड़ने का काम कर रहा है
Guruji “Bharat sevashram sangh" ke prathisthata swami pranavanand ji ke baremein apke kya vichar hain ??
राम राम
तू अपने दिमाग़ का इलाज करवा तेरे अंदर जहर भरा है.. तेरे जैसे पाखंडी और मतलबी असुर के कारण ही सनातन धर्म का पतन हुआ है. तुझे क्या लगता है अपनी जाति के लोग आपस मे mil जुल के रहते है.. सबके अंदर स्वार्थ भरा पड़ा है तू सुधर जा वरना तेरे सड़े हुए दिमाग़ का इलाज कोई न कोई करेगा...
Ab bas puri shankaracharya ji ki us bhavishya wani ke sach hone ka intezaar hai jisme approximately 1 lakh Dharm virodhi vyakti samapt ho jayege Narayan 🙏
जय श्री राम महाराज जी आप अपने एक पुराने वक्तव्य में कह रहे थे की आनंद भाष्य भागवताचार्य जी की कृति हैं उन्होंने धुआं लगाकर उसे पुराना जैसा बनाया और श्री रामानंदाचार्य जी की कृति बताया पर श्री रामानंद संप्रदाय के वैष्णव जन तो उसे श्री रामानंदाचार्य जी की ही कृति मानते हैं और यह जगत विदित भी हैं , तो इसपर आपका क्या कहना हैं ? कृपया बताए प्रभु 🙏 ।
इसपर हमें जो जो प्रमाण मिले हैं, वो अगले वर्ष सार्वजनिक करूंगा तब मचेगा हंगामा
बहुत - बहुत धन्यवाद महाराज जी हमारे प्रश्न का उत्तर देने के लिए 🙏।
guru ji jay sitaram
हर हर महादेव 🙏 श्रीमन् महामहिम विद्यामार्तंड स्वामी निग्रहाचार्य श्री श्रीभागवतानंद गुरु जी महाराज के चरणों में मेरा कोटिश: प्रणाम🙏 निग्रहाचार्य धर्माज्ञा लोके लोके प्रवर्धताम्🚩
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पूरी शंकराचर्या जी का आज का वक्तव्य के हिसाब से सिर्फ वर्ण है जाती नहीं वही गीता से भी समझ आता है , वर्ण स्वभाव से है , 18 - 42: शान्तिप्रियता, आत्मसंयम, तपस्या, पवित्रता, सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा, ज्ञान,विज्ञान तथा धार्मिकता - ये सारे स्वाभाविक गुण हैं, जिनके द्वारा ब्राह्मण कर्मकरते हैं | 18 - 43: वीरता, शक्ति, संकल्प, दक्षता, युद्ध में धैर्य, उदारता तथा नेतृत्व -ये क्षत्रियों के स्वाभाविक गुण हैं| 18 - 44: कृषि करना, गो रक्षा तथा व्यापार वैश्यों के स्वाभाविक कर्म हैं औरशूद्रों का कर्म श्रम तथा अन्यों की सेवा करना है | आज कल के व्यवसाय में बहुत हद तक इन तीनो के बीच का काम होता है , जैसे ज्ञान , नेतृत्व और सेवा करना ,
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता (सप्तशती)। और गीता में ही - उत्साद्यन्ते जातिधर्मा:। शंकराचार्य जी के कथन को या तो आप समझे नहीं या वे समझा न सके
Puri Shankaracharya ne aisa nahi kaha unhone Varn aur Jati dono ek hai aisa kaha
@@nilanjanchka ruclips.net/video/BtwkvEEyG8I/видео.htmlsi=bBbqi6WDM_sGhwmX वो तो जाति और वर्ण को एक बोल रहे है , जाति पांच हज़ार है और वर्ण 4,
@@SwamiNigrahacharya Gita 14 - 5: भौतिक प्रकृति तीन गुणों से युक्त है | ये हैं - सतो, रजो तथा तमोगुण | हे महाबाहु अर्जुन! जब शाश्र्वत जीव प्रकृति के संसर्ग में आता है, तो वह इन गुणों से बँध जाता है | 16 - 6: हे पृथापुत्र! इस संसार में सृजित प्राणी दो प्रकार के हैं - दैवी तथा आसुरी । मैं पहले ही विस्तार से तुम्हें दैवी गुण बतला चुका हूँ । अब मुझसे आसुरी गुणों के विषय में सुनो । 17 - 2: भगवान् ने कहा - देहधारी जीव द्वारा अर्जित गुणों के अनुसार उसकी श्रद्धा तीन प्रकार की हो सकती है - सतोगुणी, रजोगुणी अथवा तमोगुणी । अब इसके विषय में मुझसे सुनों । 18 - 42: शान्तिप्रियता, आत्मसंयम, तपस्या, पवित्रता, सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा, ज्ञान,विज्ञान तथा धार्मिकता - ये सारे स्वाभाविक गुण हैं, जिनके द्वारा ब्राह्मण कर्मकरते हैं | 18 - 43: वीरता, शक्ति, संकल्प, दक्षता, युद्ध में धैर्य, उदारता तथा नेतृत्व -ये क्षत्रियों के स्वाभाविक गुण हैं| 18 - 44: कृषि करना, गो रक्षा तथा व्यापार वैश्यों के स्वाभाविक कर्म हैं औरशूद्रों का कर्म श्रम तथा अन्यों की सेवा करना है | सनातन प्रकृति स्वभाव मनोविज्ञान को समझ के नियम बनाता है , नियम को मनुस्य के ऊपर नहीं थोपता
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय 🌹🪷🌷🌹🌺🪷🌷🏵️🙏🙏🙏🙏🪷🌹🌺🏵️🌻🌼
आचार्य जी प्रणाम 🙏 कृपया कोई ऐसा ग्रंथ अथवा पुस्तक का सुझाव दें जिसमे भगवान परशुराम से जुड़े स्तोत्र, कथाएँ, पूजा अर्चना इत्यादि सामग्री हो। पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏
गुरु जी मै उत्तराखण्ड से हूँ हमारे यहाँ लोग अक्सर सगोत्र विवाह कर रहे है केवल कास्ट अलग होती है गोत्र का विचार नहीं होता अधिकतर इसमे ब्राह्मण ही है क्या शास्त्र एक ही गोत्र मे विवाह की अनुमति देता है
Ab unki santane brahman nahi rahengi
Nahh so gotra bibah nahi kar shaktey
गुरु भगवान जी मेरा आपको नित्य प्रणाम है 🙏 गुरु भगवान एक प्रश्न पर कृपा करें - क्या सभी सत और अस्त शूद्रों को अपने रिश्तेदारों की मृत्यु अवसर पर दसवें दिन मुंडन करना चाहिए या ऐसा नियम केवल द्विजों के लिए ही है 🙏 कृपया करके आप ही मार्गदर्शन करें 🙏 जय श्री निग्रहाचार्य जी गुरु भगवान आपको दण्डवत प्रणाम है 🙏🙏🙏
कलियुग में सबका 10 दिन, यह भी एक नियम है
@@SwamiNigrahacharya जय गुरु महाराज स्वामी श्री निग्रहाचार्य जी महाराज 🙏 आप बहुत व्यस्तता के बावजूद भी अपने इस अधम दास पर उतर कमेन्ट करके कृपा कर देते हैं 🙏 मुझ पर ऐसी कृपा करें कि मुझे गुरु सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हो 🙏
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
जय 🚩🚩🚩🚩
गुरुजी विराट पुरुष से उत्पन होने वाले पहले ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र का क्या नाम था???? और किस काल में वे सब उत्पन हुए???
For this you can refer Vishnu puran, as I think
@Jainagwa which para ?? Page no.???
@Ktyicdbki para can not be conveyed as I do not exactly remember, but you can go through in a comprehensive way about creation of nature by GOD
श्री मन नरायण महाराज जी
जय गुरु देव चरण स्पर्श जय श्री सीताराम ❤❤
शत् शत् नमन
Guruji “Bharat sevashram sangh" ke prathisthata pranavananda ji maharaj ke baremein kya khayal hain apka ??
स्वामी जी आप ये बताईए कि जब ब्रहमा जी ने दस हजार वर्ष तक तपस्या की तब गुप्त रूप से उनके सामने चित्रगुप्त भगवान् प्रकट हुए । अब आप ये बताइए कि ब्रह्मा जी ने किसकी पूजा की ।जिसकी पूजा की वही चित्रगुप्त रूप में प्रकट हुए । ब्रह्मा जी ने उसी देव की तपस्या की जो उनसे श्रेष्ठ थे ।
जय श्रीनारायण
मेरे मोहल्ले में सिर्फ मेरी ही जाति के लोग है फिर भी एकता नहीं है|
ये आदमी दिमाग़ से पागल है और इसकी मानसिकता जहारीली है जो सनातन धर्म को तोड़ने का काम कर रही है
अगर दूसरी जाति तुमसे बराबरी करें तुमको लोगों को तकलीफ होती हैं। फिर क्यों जाते हो दूसरी जाति के पास भीख मांगने ? कार्यक्रम करा लो, सत्संग करा लो । जमीन दान कर दो। धन दान कर दो। पुण्य मिलेगा ऐसा वैसा बोल कर ठगते हो। तुम लोग दूसरों जातियों की कमाई पर आश्रित हो। तुम खुद परिश्रम ना करके धन नही कमाते हो। आलसी हो । परजीवी हो। दूसरी जाति के लोगों से दान लेने से पाप नहीं लगता है लेकिन व्यक्ति की जाति से तुम लोगों को तकलीफ है।
जी प्रणाम
Bahut Sundar pandit Ji ko pranam
Bahut Sundar Vachan
नमस्कार
थीरेंद्र-फिरेंद्र से सावधान रहो सनातन धर्मियों! शंकराचार्य-निग्रहाचार्य सह रहो सनातन धर्मियों!
Ye Srivastava pahle to ye sudhar kare apni mentality ko ki ye ahsas karana band karein ki beti ka baap hona gunah hai inhe kuch dino me ladkiyan reject karke dusre caste me shadi karenge ye muh dekhte rah jayenge
जगद्गुरु शंकराचार्य की जय। धर्मराज निग्रहाचार्य की जय। धर्मसम्राट करपात्रीजी की जय। धर्ममूल वैदिक गोवंश की जय।
Bahut Sundar Katha❤
श्रीमन लक्ष्मी नारायण शास्त्रज्ञ स्वामी श्री निग्रहाचार्य श्री भागवतानंद गुरुदेव जी, मेरे स्वर्गीय सगे ज्येष्ठ पिताश्री, स्वर्गारोहण दिनांक १४/०५/२०१०, का शुभ नाम भी श्री आत्माराम ध्रुव था । श्रीमन लक्ष्मी नारायण, हर हर महादेव, नमष् चंडिकाय, ॐ शान्ति । ❤🎉
वेद ऋषि संसद चारो वर्ण विभाग में कार्यरत द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को वेद मंत्र ज्ञानवर्धन करने का अधिकार देती है । लेकिन जो लोग सिर्फ ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य को ही वेद ज्ञान शिक्षण के लिए कहते हैं लिखते हैं और तीनो के लिए प्रिंट करते हैं तो वे अज्ञानतापूर्ण सोच रखकर व्यर्थ अनर्गल प्रलाप करते रवते हैं । शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं। चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय। चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। हरएक महिला स्त्री मुख समान ब्रह्माणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैश्याणी हैं। लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण/ब्राह्मणी है, दूसरे सुरक्षक चौकीदार क्षत्रिय/क्षत्राणी है, तीसरे उत्पादक निर्माता शूद्राण/ शूद्राणी है और चौथे वितरक वैश्य/ वैश्याणी हैं तथा पांचवे जन चारवर्णो कर्मो विभागो में वेतनमान पर कार्यरत दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन हैं। यही पंचजन्य चतुरवर्णिय व्यवस्था जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय है। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म - हे सूर्यअग्नि देव l राष्ट्र हित में लोकतंत्र युग में विश्वजन हित में हमारे राष्ट्र देश के सभी मनुष्यों में तेज जोश शौर्य उत्पन्न करें l जिससे हमारा राष्ट्र देश उन्नती विकास करे और विश्व में श्रेष्ठ देश बने l 1- जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शिक्षा/ चिकित्सा/ संस्कार/संगीत सेवा विभाग (ब्रहम् वर्ण) में शिक्षक वैद्यन पुरोहित ज्ञान दाता सेवा कर्मी हैं उनमें जोश तेज स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से सबजन को शिक्षण स्वास्थ्य संगीत संस्कार सेवा प्रदान करें l 2 - जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शासन रक्षा न्याय पत्राचार विभाग (क्षत्रम् वर्ण) में सुरक्षा न्याय कर्मी हैं उनमें तेज/ शौर्य स्थापित करें ताकि वेसब ईमानदारी से सबजन की सुरक्षा करते हुए न्याय ईमानदार होकर रक्षा न्याय सेवा प्रदान करें l 3 - जो द्विज़न ( महिला-पुरुष) उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग विभाग (शूद्रम् वर्ण) में उद्योगण उत्पादक शिल्पकार कर्मिक हैं उनमें भी तेज जोश स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से तपश्रम करके अच्छे गुणवत्तापूर्ण उत्पादित निर्माण कर सबजन को तपसेवी उद्योग सेवा प्रदान करें l 4- जो द्विजन ( स्त्री-पुरुष) वितरण ट्रांसपोर्ट वित्त व्यापार वाणिज्य विभाग (वैशम् वर्ण) में वित्त/ क्रय विक्रय वितरक /व्यापारी कर्मी हैं उनमें तेज जोश स्थापित करें ताकी वे ईमानदारी से जनहित में वित्त ट्रांसपोर्ट व्यापार वितरन वैशमवर्ण सेवा कार्य प्रदान करें l चारो वर्ण (विभाग) में सहयोग हेतू - मेरे जैसे दासजन ( जनसेवक) के अन्दर भी तेज/ शौर्य उत्पन्न करें ताकि बेहतर समाज प्रबंधन कर चारो वर्णो के लिए सहयोग सेवा करता रहूँ और हमारा राष्ट्र विकसित होता रहे और विश्वजन का कल्याण होता रहे। यजुर्वेद मंत्र संहिता - ॐ रूचन्नो धेही ब्रह्मनेषु रूचनंराजसु नस्कृधि l रूचं विश्येषु शूद्रेषु मयि धेही रूचा रूचम् l l यजुर्वेद संहिता l चार वर्ण। पांचजन। जय सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय आखण्ड भारत l जय वसुधैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
Aap bilkul moorkh hain ye apki mansikta se spasht hai ,hamaare sanatan me kary ke anusaar jaati nirdharit hoti thi na ki janm se,pehle apna gyan badaiye tabhi updesh den nigrahacharya ji
Jay Sri man Narayan!! Swami ji Maharaj.... Dandavat pranam 👏👏
जय श्रीराम