यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं। If you want to provide any financial support for the videos of this channel, you may pay the desired amount at these details. Shri Bhagavatananda Guru Bank of Baroda Ratu Chatti Branch 54240100000958 IFSC - BARB0RATUCH (कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero) UPI - nagshakti.vishvarakshak@okaxis
जय श्रीमन्नारायण। नित्य वन्दनीय निग्रहाचार्य स्वनामधन्य श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। श्री राम जय राम जय जय राम श्री हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये।
स्वामी जी क्या केदार खंड स्कंद पुराण का ही भाग हैं या नहीं। उसका प्रकाशन सभी ने अलग से किया हें। क्या विष्णु पुराण और विष्णुधर्मउत्तरपुराण दोनों एक पुराण के ही भाग हैं क्या। हम मनुस्मृति किसी प्रकाशन का पढे और किसकी टीका। जय श्रीराम 🚩🚩
Guruji aap to bahut bar chhattisgarh mein gaye ho. Waha Dantewara mein danteswari devi ji ka mandir hain, kaha jata hain ki waha sati ka daat gire the to iska ullekh kiss puran mein hain ?
krpiya 18 Sal se kam umar ke bachhe bhagwat puran na Padhein , is tarah ki Ashleel kitabein Apke man ko Dushit kar sakti hai jisme ek God Dusre ke patni ka Astan daba raha hai , kapra Chori kar raha , Ek God Apna beti par hi Latto ho raha hai , ek God Mohini Avtar ka jabran Utpiran kar raha, brihaspati Garbhwati stri ka Utpiran kar raha hai... Kya is tarah ki Kamukh kitab ka samajik bahisakar nahi hona chahiye? Ek samanya Hindu?
ये भागवत कथा करना विष्णु भक्ति करना वेद विरुद्ध है। सिर्फ शिव भक्ति ही शास्त्र सम्मत है। वेद स्पष्ट रूप से विष्णु भक्ति का निषेध करते हैं। शरभोपनिषत् ने कहा (तस्मात्सर्वान्परित्यज्य ध्येयान्विष्ण्वादिकान्सुरान् ॥३३॥ शिव एव सदा ध्येयः सर्वसंसारमोचकः । इसलिए विष्णु आदि सभी देवताओं का भक्ति त्याग करके संसाररूपी बन्धन से मुक्त करने वाले एकमात्र शिव भगवान् का ही ध्यान करते रहना चाहिए।) वेद ही परम् प्रमाण हैं। और अथर्ववेदीय शरभोपनिषत् में बोला है " एक बार पैप्पलाद ऋषि ने प्रजापति ब्रह्माजी से पूछा- 'हे भगवन् ! ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कौन देव सर्वश्रेष्ठ और पूजनीय है' ? तब प्रजापति बोले - उनको तो विष्णु और इन्द्र जैसे देव भी मोह के वश में आकर नहीं जान सकते। । वे प्रभु मेरे और विष्णु के भी पिता हैं। वे ही अन्तिम काल में समग्र विश्व का विनाश करते हैं। ऐसे महाबलिष्ठ महेश्वर ने शरभ का भयंकर वेश धारण करके नृसिंह को मार दिया। सर्वेश्वर भगवान् रुद्र ने नृसिंह के पैरों को पकड़कर हरण किया। उन्होंने अपने तीक्ष्ण नखों के द्वारा विष्णु को चीर डाला। जिनके बाँये पैर पर विष्णु ने अपने नेत्र भी समर्पित कर दिए थे, और उससे प्रसन्न होकर जिन्होंने उन विष्णु भगवान् को चक्र दिया था, ऐसे भगवान् रुद्र को नमस्कार हो। जिन्होंने दक्ष के यज्ञ में विष्णु को अपने नागपाश में भी बाँध रखा था, ऐसे महाबलशाली भगवान् रुद्र को नमस्कार हो। भगवान् विष्णु के मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन आदि अवतारों को जो मार दिया। उनकी माया मुझ ब्रह्मा को तथा विष्णु को भी बहुत मोह में डालने वाली है। सबसे परे ब्रह्मा है उससे परे हरि हैं, और हरि से भी जो परे हैं, वे 'ईश' है। इसलिए कोई भी उनके समान नहीं है और उनसे बड़ा भी कोई नहीं है। इसलिए विष्णु आदि सभी देवताओं का भक्ति त्याग करके संसाररूपी बन्धन से मुक्त करने वाले एकमात्र शिव भगवान् का ही ध्यान करते रहना चाहिए।" तो वेदों में स्पष्ट रूप से विष्णु आदि देवताओं की भक्ति का निषेध किया है। "विष्णु से परे शिव हैं।, विष्णु जो है वो शिव माया से मोहित है।, भगवान शिव ने विष्णु को मार डाला।, भगवान शिव विष्णु के पिता हैं।, विष्णु भक्ति का त्याग कर शिव भक्ति करो।" इत्यादि प्रमाणों ने स्पष्ट रूप से विष्णु जीव सिद्ध होते हैं। क्योंकि ईश्वर कभी मृत्यु को प्राप्त नही होता। ब्रह्म से परे कुछ नही है। ईश्वर कभी माया से मोहित नही होता क्योंकि वो मायापति है। उसका कोई जनक नही है।
यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।
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Shri Bhagavatananda Guru
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धर्म संरक्षणार्थायाधर्मसंहारहेतवे ।
निग्रहाणाञ्च धर्माज्ञा लोके लोके प्रवर्द्धताम् ।।
🌹🌹🌹🌹🌹
❤ जय श्री राधे कृष्णा ❤
जय श्रीकृष्ण
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय 🌹🙏🌷🏵️🙏🌺🙏🌹🪷🙏🌼🙏🌻🙏🌹🌺🏵️🌻🌼🙏🌹🪷🌷
श्री महाराज जी प्रणाम । श्रीराधा माधव नील मणी गोपाल सांवरिया मेरे गोपाल सांवरिया मेरे नंदलाल सांवरिया मेरे राधा माधव नील मणी गोपाल सांवरिया मेरे । सीताराम सीताराम सीताराम 🙏🙏🙏
जय श्रीमन्नारायण। नित्य वन्दनीय निग्रहाचार्य स्वनामधन्य श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। श्री राम जय राम जय जय राम श्री हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये।
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🥀🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🙏
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏
गौरक्षा चाहिए गौरक्षा चाहिए गौरक्षा करों गौरक्षा बिलपासहोगातबदेशकाबिकासहोगा
सादर दंडवत प्रणाम श्री श्री,1008 महाराज जी के चरणों में
आपका भाव सराहनीय है। किन्तु 1008 ना कहें।
ये शास्त्र मर्यादा के अनुसार नहीं हैं।
पूजनीय, परम पूजनीय इस प्रकार कह सकते हैं।🚩🚩🚩
दण्ड वत प्रणाम
राधे राधे गुरुजी
सुशील दुबे
Jay Jagannath guruji
श्री मन नरायण महाराज जी
गुरु देव चरण बंदन ❤
महाराज जी को दंडवत प्रणाम
राम राम आदरणीय
Jay gurudev jay jay gurudev
जय सियाराम
Mahraj ji dandvat
मिश्र डीह चतरा
🙏🙏
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
नमस्कार
स्वामी जी क्या केदार खंड स्कंद पुराण का ही भाग हैं या नहीं। उसका प्रकाशन सभी ने अलग से किया हें।
क्या विष्णु पुराण और विष्णुधर्मउत्तरपुराण दोनों एक पुराण के ही भाग हैं क्या।
हम मनुस्मृति किसी प्रकाशन का पढे और किसकी टीका।
जय श्रीराम 🚩🚩
pranam maharaj ji🙏, ye shlok kis shastra ya h??कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्षःस्थले कौस्तुभं
नासाग्रे नवमौक्तिकं करतले वेणुं करे कङ्कणम् ।
सर्वाङ्गे हरिचन्दनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलिं
गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते गोपाल चूडामणिः ॥
Guruji aap to bahut bar chhattisgarh mein gaye ho. Waha Dantewara mein danteswari devi ji ka mandir hain, kaha jata hain ki waha sati ka daat gire the to iska ullekh kiss puran mein hain ?
Sanjay ko bhi divy dristi diy hai
krpiya 18 Sal se kam umar ke bachhe bhagwat puran na Padhein , is tarah ki Ashleel kitabein Apke man ko Dushit kar sakti hai jisme ek God Dusre ke patni ka Astan daba raha hai , kapra Chori kar raha , Ek God Apna beti par hi Latto ho raha hai , ek God Mohini Avtar ka jabran Utpiran kar raha, brihaspati Garbhwati stri ka Utpiran kar raha hai...
Kya is tarah ki Kamukh kitab ka samajik bahisakar nahi hona chahiye?
Ek samanya Hindu?
Bhai kaha pe varnan hai god dusre ki patni ka stan daba rhe hai mujhe padhna hai 🙋
ये भागवत कथा करना विष्णु भक्ति करना वेद विरुद्ध है। सिर्फ शिव भक्ति ही शास्त्र सम्मत है। वेद स्पष्ट रूप से विष्णु भक्ति का निषेध करते हैं। शरभोपनिषत् ने कहा
(तस्मात्सर्वान्परित्यज्य ध्येयान्विष्ण्वादिकान्सुरान् ॥३३॥ शिव एव सदा ध्येयः सर्वसंसारमोचकः ।
इसलिए विष्णु आदि सभी देवताओं का भक्ति त्याग करके संसाररूपी बन्धन से मुक्त करने वाले एकमात्र शिव भगवान् का ही ध्यान करते रहना चाहिए।)
वेद ही परम् प्रमाण हैं। और अथर्ववेदीय शरभोपनिषत् में बोला है " एक बार पैप्पलाद ऋषि ने प्रजापति ब्रह्माजी से पूछा- 'हे भगवन् ! ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कौन देव सर्वश्रेष्ठ और पूजनीय है' ? तब प्रजापति बोले - उनको तो विष्णु और इन्द्र जैसे देव भी मोह के वश में आकर नहीं जान सकते। । वे प्रभु मेरे और विष्णु के भी पिता हैं। वे ही अन्तिम काल में समग्र विश्व का विनाश करते हैं। ऐसे महाबलिष्ठ महेश्वर ने शरभ का भयंकर वेश धारण करके नृसिंह को मार दिया। सर्वेश्वर भगवान् रुद्र ने नृसिंह के पैरों को पकड़कर हरण किया। उन्होंने अपने तीक्ष्ण नखों के द्वारा विष्णु को चीर डाला। जिनके बाँये पैर पर विष्णु ने अपने नेत्र भी समर्पित कर दिए थे, और उससे प्रसन्न होकर जिन्होंने उन विष्णु भगवान् को चक्र दिया था, ऐसे भगवान् रुद्र को नमस्कार हो। जिन्होंने दक्ष के यज्ञ में विष्णु को अपने नागपाश में भी बाँध रखा था, ऐसे महाबलशाली भगवान् रुद्र को नमस्कार हो। भगवान् विष्णु के मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन आदि अवतारों को जो मार दिया। उनकी माया मुझ ब्रह्मा को तथा विष्णु को भी बहुत मोह में डालने वाली है। सबसे परे ब्रह्मा है उससे परे हरि हैं, और हरि से भी जो परे हैं, वे 'ईश' है। इसलिए कोई भी उनके समान नहीं है और उनसे बड़ा भी कोई नहीं है। इसलिए विष्णु आदि सभी देवताओं का भक्ति त्याग करके संसाररूपी बन्धन से मुक्त करने वाले एकमात्र शिव भगवान् का ही ध्यान करते रहना चाहिए।" तो वेदों में स्पष्ट रूप से विष्णु आदि देवताओं की भक्ति का निषेध किया है। "विष्णु से परे शिव हैं।, विष्णु जो है वो शिव माया से मोहित है।, भगवान शिव ने विष्णु को मार डाला।, भगवान शिव विष्णु के पिता हैं।, विष्णु भक्ति का त्याग कर शिव भक्ति करो।" इत्यादि प्रमाणों ने स्पष्ट रूप से विष्णु जीव सिद्ध होते हैं। क्योंकि ईश्वर कभी मृत्यु को प्राप्त नही होता। ब्रह्म से परे कुछ नही है। ईश्वर कभी माया से मोहित नही होता क्योंकि वो मायापति है। उसका कोई जनक नही है।
Are chadmaShaiva kaha se aya hai
HariHar me bhed karta hai dhurth
@@nilanjanchka वेद भी अप्रामाणिक है तुम्हारे लिए फिर?
@@Sidhhantashaivam Tum ne Ved para bhi hai
Narayan Upanishad RamTaponiya Upanishad ko para hai
म्लेच्छ हो तुम
हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप,रावण,कौरव,कंश,हूण, मुगल अंग्रेज सभी विष्णु भक्ति का ही विरोध करता था ना वही तुम हो।
Maharaj ji spast vidio mlechraj vala kab ayega maharaj ji
एक महीने बाद
Makarsakranti ke baad
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🌹🙏🙏🌹🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏
जय श्रीमन्नारायण