आओ, मिल के, इस धरती को, जन्नत से भी, बेहतर बनाये. अपने हिस्से की, रोटी से, किसी, और की, भूख, मिटाये. ना सीमा हो, ना सरहद हो. ना ऊँच नीच का, मतलब हो. ना ज़ात पात, ना मज़हब हो. बस, सब का, एक सा ही रब हो. हम ऐसी गली, ऐसा शहर हम एेसी ही ,दुनिया बसाये. अपने हिससे की, रोटी से, किसी और की, भूख मिटाये.
साँस लेना भी कैसी आदत है. जीये जाना भी क्या रिवायत हैं. कोई आहट नही बदन मे कही. कोई साया नही आँखों में. पाँव बेहिस से चलते जाते हैं . इक सफर हैं जो बहता रहता है, कितने बरसो से, कितनी सदियो से . जिये जाते हैं जिये जाते हैं. आदते भी, अजीब होती हैं साँस लेना भी कैसी आदत है. जय हो 🌎🌎 गुलज़ार सर 🌍🌍. नमन.
गुलज़ारी साब द्वारा रचित माननीय डॉ. अब्दुल कलम की जीवनी बहुत मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है जो हमारे लिए सुनने के बाद ऐसा प्रतीत होता है की जैसे सच में इस जीवनी की वास्तविकता में सजीब चित्रण में हो इस के लिए आप को ह्रदय से आभार ब्यक्त करता हु
धूप की अंगली थामे थामे , घूमता हैं , ये सूरज , शहर शहर गली गली. सुबह से शाम तक. बिन बोले बिन बतलाये, लीप देता हैं धूप को,हर किसी के चेहरे पर, अपने दोनों हाथो से.
🌹🌹🌹 कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल, ज़रा सोचिए आप क्या कीजियेगा? लगा दे अगर बढ़के ज़ुल्फों में कलियाँ, तो क्या अपनी ज़ुल्फें झटक दीजिएगा? हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए, खुलेआम आँचल ना लेहरा के चलिए.. 🌹🌹🌹
एक ख्वाब हैं जो, करवट ले कर, मुझको, इशारे करता है. कहता है, अा पास मेरे, कुछ बाते तुझसे करनी हैं. क्या चल रहा हैं आज कल, कुछ चर्चा, उस पर करनी है. एक ख्वाब हैं जो, करवट ले कर , मुझको इशारे करता है .
बारिश मे, उछलती कूदती बूंदे, कुछ याद, हमे दिलाती हैं, कुछ, अलहड़ता, कुछ पागलपन. नंगे पैरो, का, अल्हड़पन. सारा दिन नापना, गलियो को, बैकार मे, दौड़ना, सड़को पर. बारिश मे, उछलती कूदती बूंदे.
आसमान में, लालटेन सा, जलता, चंदा मामा. जब हम, चलते, साथ साथ में, चलता ,चंदा मामा. तारो से, अठखेली करता, बादल से, आँख मिचौली. गाँव गाँव मे, नाम बदल के , बोलता, सबकी, बोली . जब ,हम मुड़ते, साथ साथ में, मुड़ता, चंदा मामा. आसमान में, लालटेन सा, जलता, चंदा मामा. कभी, वो सुंदर, किस्से ,सुनाता , कभी, सुनाता लौरी. कभी, वो आता , शाम को, जल्दी, कभी ,दे जाता गोली. जब दिल करता, बीच बीच मे, सोता, चंदा मामा. आसमान में, लालटेन सा, जलता, चंदा मामा. जब हम, चलते, साथ साथ में, चलता, चंदा मामा.
ये आसमान का तंबू भी, पैर फैला कर बैठा है, ऊधँता रहता है सर पर. ना सोता है, ना जगता हैं. ना काम वाम, ये करता है बस, हर वक्त, आराम करता है . ये आसमान का तंबू भी, पैर फैला कर बैठा है. आओ, इससे कुछ बात करे. कुछ, इधर का, उठा के, उधर धरे. ये भी, कुछ कमा के, खा लेगा बच्चो को, अपने, पाल लेगा.
जब, सर को पटकती हैं बूंदे, हम , बारिश बारिश कहते हैं . जब सर को पटकता हैं पानी, हम, झरना झरना कहते हैं. ये बात, समझ मे, आती नही, हम, क्यों, खुद मे ही, जीतेे हैं .
कर लेता हूँ, मैं कुछ बाते, किताबों से . जब होती हैं, फुर्सत मुझकों. ज्यादा तो, नही कुछ कहती हैं, वो किताबे, मेरे कानों में. हाँ, कुछ आपबीती, सुनाती हैं. वो किताबे, जब सुनता हूँ, मैं प्यार से. कह रही थी, एक किताब, हम भी सैर कर लेते थे, शहर शहर घूम के, हमें भी, बड़ा प्यार मिलता था . हमारी भी, सम्मान होता था. मगर, अब तो, धूल फाकते रहते हैं, हम बंद अलमारी के,शीशों में. कोई काम नहीं, सिवाय झाँकने के. कर लेता हूँ, मैं, कुछ बाते, किताबों से.
बारिश की बूँद, फिसलती हैं. बस, थोड़ा सा, संभल के चलना. मिट्टी की नही, तुम मोम की हो, बस, 🔥 आग से तुम, बच के चलना. ये हवा भी, छेड़ अब करती हैं, गर, मिले कोई, सुंदर चेहरा, ये धूप भी, हाथ पकड़ती हैं. अब, इसपे नही, कोई पहरा. ये सड़क भी, उलझ के चलती हैं. बस, थोड़ा सा, संभल के चलना. बारिश की बूँद, फिसलती हैं. बस, थोड़ा सा, संभल के चलना.
रोज सुुबह सुबह, वो सूरज, आ जाता है, मेरे घर, आँखे मलता हुआ. बिना बुलाए, मेहमान की तरह कई बार कहा, मैने उसको, यू सुबह सुबह, किसी के घर, पे जाना, अच्छी , बात, नही होती. इससे इज्जत भी, नही मिलती मगर, मानता ही, नही, बड़ा डीट हैं. आ धमकता हैं, रोज और, बैठ जाता हैं, मेरे सर पे,
ये शाम भी अजीब हैं , सोती रहती हैं, सारा दिन, जब लोग सोचते हैं सोने की, तो ये जाग जाती हैं, और घूमती रहती हैं चाँद सितारो को अपनी हथेली पे ऱख कर चुपचाप. ये शाम भी, अजीब है. सोती रहती हैं , सारा दिन.
जिंदगी, तेरी शायरी, मुझको समझ, आई नही तेरी कोई, भी ग़ज़ल, दिल को, मेरे, भाई नही. मैं किसी भी, मौड़ पर, लड़खड़ा के, जब गिरा. कोई भी, अंगुली तेरी, मेरी तरफ, आई नही. जिंदगी, तेरी शायरी, मुझको, समझ, आई नही. तेरी कोई, भी ग़ज़ल , दिल को, मेरे, भाई नही .
कर लेता हूँ, मैं कुछ बाते, किताबों से . जब होती हैं, फुर्सत मुझकों. कुछ किताबे, कमजोर लगती हैं, कुछ लगती हैं, बूढ़ी बूढ़ी. ज्यादा तो, नही कुछ कहती हैं, वो किताबे, मेरे कानों में. हाँ, कुछ आपबीती, सुनाती हैं. वो किताबे, जब सुनता हूँ, मैं प्यार से. कह रही थी, एक किताब, हम भी सैर कर लेते थे, शहर शहर घूम के, हमें भी, बड़ा प्यार मिलता था . हमारी भी, सम्मान होता था. मगर, अब तो, धूल फाकते रहते हैं, हम बंद अलमारी के,शीशों में. कोई काम नहीं, सिवाय झाँकने के. कर लेता हूँ, मैं, कुछ बाते, किताबों से.
Sir mein bhi apke nakshe kadam pr chal Raha h isliy mn bhi RUclips pr video upload krna shuru KR diya hoon apni likhi rachnao ki . Ek din aapke jaisa kuch KR paun shayad
आओ, मिल के, इस धरती को,
जन्नत से भी, बेहतर बनाये.
अपने हिस्से की, रोटी से,
किसी, और की, भूख, मिटाये.
ना सीमा हो, ना सरहद हो.
ना ऊँच नीच का, मतलब हो.
ना ज़ात पात, ना मज़हब हो. बस, सब का, एक सा ही रब हो.
हम ऐसी गली, ऐसा शहर
हम एेसी ही ,दुनिया बसाये.
अपने हिससे की, रोटी से,
किसी और की, भूख मिटाये.
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Good
@@aahawanarkarji
Thanks.
उर्दू इंडिया को मिला सबसे खूबसूरत तोफा है।
साँस लेना भी कैसी आदत है.
जीये जाना भी क्या रिवायत हैं.
कोई आहट नही बदन मे कही.
कोई साया नही आँखों में.
पाँव बेहिस से चलते जाते हैं .
इक सफर हैं जो बहता रहता है,
कितने बरसो से, कितनी सदियो से .
जिये जाते हैं जिये जाते हैं.
आदते भी, अजीब होती हैं
साँस लेना भी कैसी आदत है.
जय हो
🌎🌎 गुलज़ार सर 🌍🌍.
नमन.
Dil ko sukun mil jata hai jab gulzar sir ki aawaz sunte hu to. Ab me khi kho gaya hu 😊🙏🌺🌺
*لازم نہیں تجھے ہر بارہم ہوں میسر
ممکن ہے تو اس بارہمیں سچ میں گنوا دے🥀❤️🩹*
गुलज़ारी साब द्वारा रचित माननीय डॉ. अब्दुल कलम की जीवनी बहुत मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है जो हमारे लिए सुनने के बाद ऐसा प्रतीत होता है की जैसे सच में इस जीवनी की वास्तविकता में सजीब चित्रण में हो
इस के लिए आप को ह्रदय से आभार ब्यक्त करता हु
"फासले अक्सर रिश्तो मे
अजीब सी दुरिया बढा देते है
पर ऐसा भी नही है कि मैंने
अपना पन ही छोड दिया "
अच्छा लिखखे हैं.
good carry on
Bahut shandar
Bahut shandar
धूप की अंगली थामे थामे ,
घूमता हैं , ये सूरज , शहर शहर गली गली. सुबह से शाम तक.
बिन बोले बिन बतलाये,
लीप देता हैं धूप को,हर किसी के चेहरे पर, अपने दोनों हाथो से.
तेरी यादे, गूंजती हैं, दिल में, चौबिसो घंटे, तीसो दिन, बिन तनख्वाह लिये, बिन पैसे लिये.
साँसों से याद लिपटती हैं.
बिन बादल, आँख बरसती हैं.
आते हो जब, ख्वाबों मे तुम.
बिन खुशबू, रात महकती हैं.
🌹🌹🌹
कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल,
ज़रा सोचिए आप क्या कीजियेगा?
लगा दे अगर बढ़के ज़ुल्फों में कलियाँ,
तो क्या अपनी ज़ुल्फें झटक दीजिएगा?
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए,
खुलेआम आँचल ना लेहरा के चलिए..
🌹🌹🌹
Wow
जब भी, सिकुड़ता हैं बचपन
ये उम्र, हाँपने लगती हैं.
Dill bhi hota kya baat hoti❤️
Sukun e manzil h gulzar saheb ki sayari.....aaj ki badhawas jindgi me..dil se
गुनगुना पानी, आँखों से,
जब उतरता है.
मानो, तंदूर जल रहाँ हैं कहीं.
जिसका, धुआँ, गुज़रता है,
दिल से होके.
sir.. Aap your quotes p apni sayri aur poems bhi post kr sakte Hain..
Wakayi kaafi achcha likhte hain aap
Vijay.kumar. Khungwal
@@priyankaatul7232जी.
धन्यवाद .
@@naveen1234ish जी
धन्यवाद .
जब पतंग, हवा में,
उढ़ती हैं,
तो वक्त बच्चा हो जाता है.
जब, बूंद बारिश की ,
उतरती हैं.
तो वक्त, सच्चा हो जाता है.
कभी, वक्त ने, मुझको गिरा दिया,
कभी, मैं ही, खुद ना संभल सका .
ऐ ज़िंदगी, तेरा फलसफा,
मैं, कभी भी, ना समझ सका.
EXCELLENT BEHTREEN
कभी, साँस, नही, आती, तेरे बिन,
कभी, उम्र, यु ही, गुज़र, जाती हैं.
तुझको, ना, देखु, तो, पल ना, कटे,
कभी, सदियाँ, यु ही, पिंघल, जाती हैं.
गुलज़ार साहब क्या कहें क्या कमाल है
Tumhare honthon ke thande gulaab . Waa!!! . Kya ehsaas hai lafzo me. Salute these perfect man 👍👍👍
गुलजार जी आपका। जवाब नेही।।आप अतुल्य है।।।सलाम।।
Gulzar Sahab, your thoughts, words, voice sooo Divine..
खलल किया नींद में,
एक रोते बच्चे की, आवाज़ ने,
शायद भूखी रही होगी,
उस बच्चे की माँ, रात भर.
Guru g gulzar sahib aap k shabd dil ko Chu lete hae ye kbhi khatam hi nhi hoty.vah
दिल को तकती हैं,
बचपन की शैतानियाँ,
गर, मिले वक्त तो,
इनसे बाते करों
एक ख्वाब हैं जो,
करवट ले कर,
मुझको, इशारे करता है.
कहता है, अा पास मेरे,
कुछ बाते तुझसे करनी हैं.
क्या चल रहा हैं आज कल, कुछ चर्चा, उस पर करनी है.
एक ख्वाब हैं जो,
करवट ले कर ,
मुझको इशारे करता है .
इस आसमान के पन्ने पर,
दो चार कविता बोई है.
जब बदलेगी सदी, अपना चोला.
इन कविताओ मे, शब्द उग आऐंगे .
इस आसमान के पन्ने पर...........
वो चाँद, उदासी मे भी,
रंगीन, उबासियाँ लेता है.
गुलजार साहब आपको शत् शत् नमन.....
बारिश मे, उछलती कूदती बूंदे,
कुछ याद, हमे दिलाती हैं,
कुछ, अलहड़ता, कुछ पागलपन.
नंगे पैरो, का, अल्हड़पन.
सारा दिन नापना, गलियो को,
बैकार मे, दौड़ना, सड़को पर.
बारिश मे, उछलती कूदती बूंदे.
बहुत ख़ूबसूरत है हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता तो क्या बात होती
ये जो, फूलों का गुलदस्ता,
जो आप, मेरे लिए, लाऐ हो.
ये, इस बात का, सबूत हैं.
कि आप, किसी का बागिचा, नोच के आऐ हो .
Sukoon mil jata h sunke..💕💕
Wo bhi kya dour rha hoga nq......❤❤❤❤❤❤❤❤💕
Beautiful song ♥️💕♥️💕
आसमान में, लालटेन सा,
जलता, चंदा मामा.
जब हम, चलते, साथ साथ में,
चलता ,चंदा मामा.
तारो से, अठखेली करता,
बादल से, आँख मिचौली.
गाँव गाँव मे, नाम बदल के ,
बोलता, सबकी, बोली .
जब ,हम मुड़ते, साथ साथ में,
मुड़ता, चंदा मामा.
आसमान में, लालटेन सा, जलता, चंदा मामा.
कभी, वो सुंदर, किस्से ,सुनाता ,
कभी, सुनाता लौरी.
कभी, वो आता , शाम को, जल्दी, कभी ,दे जाता गोली.
जब दिल करता, बीच बीच मे, सोता, चंदा मामा.
आसमान में, लालटेन सा,
जलता, चंदा मामा.
जब हम, चलते, साथ साथ में,
चलता, चंदा मामा.
Click for romantic poetry...
Kitni khoobsurat ho tum
ruclips.net/video/k-L6U5uS2Gg/видео.html
बहुत अच्छी कविता
Kya me ise kisiko send kr skti hun
Bhot pyari poem h
+manju kumari .जी.
धन्यवाद,,
आप, इस, कविता को, किसी को भी, भेज सकती है.
बचपन को, खाया है, हमने.
.बचपन ना, माफ करेगा हमे.
ऊँचा,उढ़ने की, चाहत में, जीना भी, यारो, हम, भूल गये.
ढाई साल के, बच्चे के, एहसास को, रोज कुचलते हैं.
जाता है, जब, स्कूल वो,
हम, उसको, देखकर, हँसते हैं.
हम, अपनी,उम्र को, खोने लगे,
हम, सौ से, साठ के, होने लगे.
बचपन को, खाया है, हमने,
बचपन ना, माफ करेगा हमे.
ये दिन भी, अकड़ के चलता है,
जैसे हो, उस्ताद कोई .
Flowless..... No words for appreciation., old is gold
Happy Birthday
🔛Gulzar Sir 🔛
,,,,आप को नमन ,,,,
Dil ko shukun mil ta hai #gulzar shab ki aawaz sun k😘😘
Behad khubsurat
Sir yea awaaz ki sarsra-hat dil ki saso ko chulati hai #gulzar sb.
उठने की कौशिश,
जब भी करी,
तेरे पैरों , में ही,
जा के गिरा.
Aaahh dil bagabagn ho gya...thankkkkkkkkkkkuuuuuuu
Dil le jate h ..ye geet..
इस दिल का, किराया, क्या दोगे ?
बरसो, संभाला हैं, तुमको .
पलको की, फीस भी, लगती हैं.
बरसो, निहारा, हैं, तुमको.
Awesome...
Bhut khubsurat
Bahot hi pyara... love u gulzar sir...
ये, मेरे, शहर के, चौराहे,
चौबिसो घंटे, जगते हैं,
जब भी, लगती है, पल भर को पलक,
कोई ना कोई, आ जाता है.
Heart touching the way you express feeling through song !!
जब देखता हूँ ,नाव,
कागज़ की,
ये वक्त, ठहर सा,
जाता है.
ये आसमान का तंबू भी,
पैर फैला कर बैठा है,
ऊधँता रहता है सर पर.
ना सोता है, ना जगता हैं.
ना काम वाम, ये करता है
बस, हर वक्त, आराम करता है .
ये आसमान का तंबू भी,
पैर फैला कर बैठा है.
आओ, इससे कुछ बात करे.
कुछ, इधर का, उठा के, उधर धरे.
ये भी, कुछ कमा के, खा लेगा
बच्चो को, अपने, पाल लेगा.
Bhut pyara.....heart touching.... Love you sir
जब, सर को पटकती हैं बूंदे, हम , बारिश बारिश कहते हैं .
जब सर को पटकता हैं पानी,
हम, झरना झरना कहते हैं.
ये बात, समझ मे, आती नही,
हम, क्यों, खुद मे ही, जीतेे हैं .
Vijay.kumar. Khungwal ......wahhhhhh kya bat h
+reenu patel
धन्यवाद
सूरज का उपला देखो,
सारा दिन, सुलगता रहता है.
जब बुझता हैं ये साँझ ढले.
तो कोई, लालटेन 🌙 टाँग जाता है.
हम आपको बहुत बहुत प्यार करते हैं
सूरज के उपले को देखो,
सारा दिन जलता रहता है.
जब बुझता हैं,ये उपला तो,
कोई लालटेन, 🌙 टाँग जाता हैं.
Its just awsm.....speechlessss😍😍😍😍
Dil chhu liya...
कर लेता हूँ, मैं कुछ बाते,
किताबों से .
जब होती हैं, फुर्सत मुझकों.
ज्यादा तो, नही कुछ कहती हैं,
वो किताबे, मेरे कानों में.
हाँ, कुछ आपबीती, सुनाती हैं.
वो किताबे, जब सुनता हूँ, मैं प्यार से.
कह रही थी, एक किताब, हम भी सैर कर लेते थे, शहर शहर घूम के,
हमें भी, बड़ा प्यार मिलता था .
हमारी भी, सम्मान होता था.
मगर, अब तो, धूल फाकते रहते हैं, हम बंद अलमारी के,शीशों में.
कोई काम नहीं, सिवाय झाँकने के.
कर लेता हूँ, मैं, कुछ बाते, किताबों से.
Bhut must song h bilkul dil ko chu jaye
बारिश की बूँद, फिसलती हैं.
बस, थोड़ा सा, संभल के चलना.
मिट्टी की नही, तुम मोम की हो,
बस, 🔥 आग से तुम, बच के चलना.
ये हवा भी, छेड़ अब करती हैं,
गर, मिले कोई, सुंदर चेहरा,
ये धूप भी, हाथ पकड़ती हैं.
अब, इसपे नही, कोई पहरा.
ये सड़क भी, उलझ के चलती हैं.
बस, थोड़ा सा, संभल के चलना.
बारिश की बूँद, फिसलती हैं.
बस, थोड़ा सा, संभल के चलना.
रोज सुुबह सुबह, वो सूरज, आ जाता है, मेरे घर, आँखे मलता हुआ. बिना बुलाए, मेहमान की तरह
कई बार कहा, मैने उसको, यू सुबह सुबह, किसी के घर, पे जाना, अच्छी , बात, नही होती.
इससे इज्जत भी, नही मिलती
मगर, मानता ही, नही, बड़ा डीट हैं.
आ धमकता हैं, रोज और, बैठ जाता हैं, मेरे सर पे,
अब ना, कुछ चाहिए,
मुझको, जानेजिगर.
तेरे, जलवो मे, मुझको,
खुदा, मिल गया..
Awesome song just love this song
बारिश, खुद आने से पहले,
बादल और ठंडी हवा को,
भेजती हैं.
ताकि जिसके पास काग़ज़ हो ,
वो अपनी, नाव बना के, तैयार कर ले.
ये शाम भी अजीब हैं ,
सोती रहती हैं, सारा दिन,
जब लोग सोचते हैं सोने की, तो ये जाग जाती हैं,
और घूमती रहती हैं चाँद सितारो को अपनी हथेली पे ऱख कर चुपचाप.
ये शाम भी, अजीब है. सोती रहती हैं ,
सारा दिन.
Love you sir
1 baat bolu
Aapki aavaj sun ke mai apne aap me khi kho sa jata hu
mashallah voice..👌👌👌👌👌
जिंदगी, तेरी शायरी,
मुझको समझ, आई नही
तेरी कोई, भी ग़ज़ल,
दिल को, मेरे, भाई नही.
मैं किसी भी, मौड़ पर,
लड़खड़ा के, जब गिरा.
कोई भी, अंगुली तेरी,
मेरी तरफ, आई नही.
जिंदगी, तेरी शायरी,
मुझको, समझ, आई नही.
तेरी कोई, भी ग़ज़ल ,
दिल को, मेरे, भाई नही .
बातें वो पुरानी, आज फिर याद आ गयी
तेरे साथ गुजरा वो लम्हा, फिर से सामने था मेरे,
सोचा, जो कह ना सका तुझे तब में,
अब कह जाता हूँ
I love this song
Great of all time
Love you gulzar sahab
Mashaallah....
मैं, चाँद के सिक्के को लेकर,
कई बार, दुकानो पर, गया
मगर, सामान किसी ने, नही दिया.
Awsmm sir
Nice one
कर लेता हूँ, मैं कुछ बाते,
किताबों से .
जब होती हैं, फुर्सत मुझकों.
कुछ किताबे, कमजोर लगती हैं,
कुछ लगती हैं, बूढ़ी बूढ़ी.
ज्यादा तो, नही कुछ कहती हैं,
वो किताबे, मेरे कानों में.
हाँ, कुछ आपबीती, सुनाती हैं.
वो किताबे, जब सुनता हूँ, मैं प्यार से.
कह रही थी, एक किताब, हम भी सैर कर लेते थे, शहर शहर घूम के,
हमें भी, बड़ा प्यार मिलता था .
हमारी भी, सम्मान होता था.
मगर, अब तो, धूल फाकते रहते हैं, हम बंद अलमारी के,शीशों में.
कोई काम नहीं, सिवाय झाँकने के.
कर लेता हूँ, मैं, कुछ बाते, किताबों से.
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Click for romantic poetry...
Kitni khoobsurat ho tum
ruclips.net/video/k-L6U5uS2Gg/видео.html
I think they r bantai subscriber
Best guljar shahb
mast 👌👌
nice guru
दिलनशी महजबी, चाँदनी सा बदन.
जैसे, फिरदौस की हो,
कोई अप्सरा .
तेरे होटों पे, खिलने लगेंगे कमल,
तू , थोड़ा सा भी, गर, दे मुस्कुराह .
Very nice Sir ji
V nice sir
superb
Sir mein bhi apke nakshe kadam pr chal Raha h isliy mn bhi RUclips pr video upload krna shuru KR diya hoon apni likhi rachnao ki . Ek din aapke jaisa kuch KR paun shayad
Ufuk kaun sa ped(tree) hota h?
Personality = Gulzar Saab.
Osm....
1 no
Wow sir abesom
❤👌
kya sur h....
😍
👌👌👌👌👌👍
Nice
Hi commando
😊
Reena Singh are you commando?
@@POOJAGUPTA-im1sj yes dear
😊
Reena Singh are wah ..aap sunti ho guljar sahab ka song..
@@POOJAGUPTA-im1sj yes, Gulzar sahab hamko bhi bahut pasand hain.
😊