जीवन के सुख-दुख क्या भाग्य पर निर्भर करते हैं? || आचार्य प्रशांत, पिंगलागीता पर (2020)
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- Опубликовано: 3 июн 2024
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वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, 30.03.20, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
~पिंगलागीता (श्लोक १८, १९, २०, २१)
तृष्णार्तिप्रभवं दुःखं दुःखार्तिप्रभवं सुखम्।
सुखात् संजायते दुःखं दुःखमेव पुनः पुनः॥ १८॥
भावार्थ: संसार में विषयों की तृष्णा से जो व्याकुलता होती है, उसी का नाम दुःख है और उस दुःख का विनाश ही सुख है। उस सुख के बाद (पुनः कामनाजनित) दुःख होता है। इस प्रकार बारम्बार दुःख ही होता रहता है।
सुखस्यानन्तरं दुःखं दुःखस्यानन्तरं सुखम्।
सुखदुःखे मनुष्याणां चक्रवत् परिवर्ततः॥१९॥
सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख आता है। मनुष्यों के सुख और दुःख चक्र की भाँति घूमते रहते हैं।
सुखात्त्वं दुःखमापन्नः पुनरापत्स्यसे सुखम्।
न नित्यं लभते दुःखं न नित्यं लभते सुखम्॥ २०॥
इस समय तुम सुख से दुःख में आ पड़े हो। अब फिर तुम्हें सुख की प्राप्ति होगी। यहाँ किसी भी प्राणी को न तो सदा सुख ही प्राप्त होता है और न सदा दुःख ही।
शरीरमेवायतनं सुखस्यदुःखस्य चाप्यायतनं शरीरम्।
यद्यच्छरीरेण करोति कर्मतेनैव देही समुपाश्नुते तत्॥ २१॥
यह शरीर ही सुख का आधार है और यही दुःख का भी आधार है। देहाभिमानी पुरुष शरीर से जो-जो कर्म करता है, उसी के अनुसार वह सुख एवं दु:खरूप फल भोगता है।
~ देहाभिमान को नष्ट करने की प्रक्रिया क्या है?
~ देहाभिमान बुरा क्यों है?
~ दुःख का कारण क्या है?
~ आध्यात्मिक व्यक्ति का दुनिया के साथ कैसा रिश्ता होना चाहिए?
~ विषयों में तृष्णा की व्याकुलता ही दुख का कारण कैसे है?
संगीत: मिलिंद दाते
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ये दुनिया एक अस्पताल है जहाँ देह मुक्ति की चिकित्सा लेनी है।चिकित्सक वेदांत और आचार्य जी हैं।🙏🙏🏻
गुब्बारे की तरह हमें भी यहां अपने बंधन काटकर मुक्त हो जाना है।
बिना आत्म ज्ञान हर आदमी की शक्ल उम्र बढने के साथ कुरूप होती जाती है चाहे कितना भी तरह तरह-के 😔खूबसूरती बढाने के उपाय कर ले
साधना कमाई जाती है।❤
आध्यात्मिक आदमी दुनिया का इस्तेमाल करता है दुनिया के पार जाने के लिए।❤
Love you aachariye ji ❤❤
आध्यात्मिक आदमी सुख विरोधी नहीं होता मूर्खता विरोधी होता है। ❤
Sita Ram aacharya prasant ji
जोकर्स हम यहां पिकनिक के लिए नहीं आए हैं 🔥🙏
जो लोग यहाँ सुख पानेकी और हैप्पीनेस की तलाश कर रहे है उनसे ज्यादा अभागा यहाँ कोई नही है
बहुत सुंदर आचार्य जी सारे भ्रम टूट गए। ❤🙌
Aacharya ji parnam
आध्यत्मिक आदमी केलिय जगत उसकी कर्मभूमि होता है, विश्रामगृह नही, निद्रालय नही,
प्रणाम आचार्य जी 🙏🏾❤️
नमन आचार्य जी
जो अंधेरे उजाले में फर्क देखते हैं जो सुख दुःख में फंसे हैं क्या भगवान उन्हें मिलेंगे
पहचान लो जगत की माया को और आजाद हो जाओ,यही सम्यक रिश्ता है आदमी का और जगत का। 🙏🏾❤️
Sone ke liye yaha nahi Aaye hai dera Nahi dalna hai pranam Aacharyaji 🎉🎉
Deep Rooted Pholosophy ❤Wisdom of Saints and Realised Like You
Absolutely right Acharya ji hum jaha sare krne nehi ik safar par aye hain is zendgi ko acha km krte hue smapat krdo jisme kisi ka koi bura na ho ske so don't waste yo ur life for small things 🙏🏻
Namaskar aacharya ji
Sadaiva Pranaam 🙏🙏🙏🙏
Pranam acharya ji 🙏
🙏🏼
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
You are great sir ❤❤❤
कर्म सिर्फ कर्म❤❤
I choose aadhyatma sir 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Namaskar aacharya ji 🙏🙏💐💐🌺🌺❤️
राम राम जी
❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
Aacharya ji pranam
❤👍🌺
Namaskar nice
आध्यत्मिक आदमी सुखों का विरोधी नही होता ओ मुरखतावो को विरोधी होता है,,,
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Sir I appreciate your good taste of outfits.
प्रणाम आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻
🙏
❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤🙏🙏
एक होता है देह का सुख एक होता है चेतना का
પ્રાણામ 🙏🏼આચાર્ય જી🙏🏼❤❤❤
Wow ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏
Jai shree krishana
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गुब्बारा बनकर नहीं रहना,फटना नहीं है।
Yhi to nhi samjh aata logo ko agr btao bhi to bat krne bnd kr dete h jaise ki unka dushmn ho unhe duniya se dur kr rhen ho are murkho duniya se to dur hona hi h dur hone se pahle apna frj nibha le hm yha sukh pane nhi aaye h bandhan katne aaye h.hm yha sadhna krne aaye h.chikitsa krne aaye h jaise koi pagl chikitsalay ke cantin me jakr khane lga sone lga uski halat or bhyanak hoti jarhi h .yad rkho tum kon ho fir bhuloge nhi ki tum yha kyu ho.or jivan se y sikayat dur ho jyegi ki yar mja nhi aarha h❤
To bo dukh ka pata hi ni hoga to sukh iss meaningless
❤❤❤
🙏
🙏