बहुत सुन्दर माँ।।। इतिवृत्तात्मकता का इतना सुन्दर और सरल अभिव्यक्ति मैंने किसी से नही सुना। द्विवेदी युग और छायावाद युग के मूल अंतर को आपने बहुत ही आसानी से व्याख्या कर दिया। आपके वचनों ने मुझे बहुत बड़ी उलझन से उबारा। चरण स्पर्श।।।
प्रणाम आदरणीया आपके मार्गदर्शन एवं आशीष से मेरा सलेक्शन व्याख्याता हिंदी एवम वरिष्ठ अध्यापक के साथ ग्रेड थर्ड में हो गया । आपका यूट्यूब पर आकर मार्गदर्शन करना आज हमारे परिवार को संबल मिल गया । में परिणाम आने के बाद बहुत कोशिश की आप तक मेसेज पहुंचाने की मगर कोई माध्यम नही मिला । इसलिए यहाँ पर ही कॉमेंट कर दिया । आपका ज्ञानरुपी आशीष हम पर सदैव बना रहे। मेरी एक अभिलाषा है कि मैं आप से व्यक्तिगत मिलकर आपका स्नेह और आशीष प्राप्त कर पाऊं।
Guru ma apki viedo ka bhut labha mila mera reet m final selection ho gya,.... Apka aashirvaad ese hi bana rahe age प्रयास jari hai first aur net ki kr rahi hu.......... Meri pyari ma 😊😊
Guru man aapki class itni acchi rahti hai ki usko ham shabdon mein vyakt nahin kar lekin fir bhi comment kiye Bina nahin rah jata bus ek baat bolna chahti hun aapka hriday se aabhar
जिज्ञासा जानकर आनंदित हुई बेटा। ईश्वर तुम्हारा पथ प्रशस्त करें। तुम कुछ सही हो कुछ भ्रमित इसलिए जानकारी निम्न है चिन्तामणि घोष (1854 - 1928) इण्डियन प्रेस, प्रयाग नामक प्रकाशन संस्थान के मालिक थे। उन्होने सन् 1884 में इंडियन प्रेस की स्थापना की थी जिससे हिन्दी साहित्य की अनेक उल्लेखनीय पुस्तकें प्रकाशित हुईं। चिंतामणि घोष ने 1899 में नागरी प्रचारिणी सभा के सामने एक सचित्र मासिक साहित्यिक पत्रिका के संपादन का दायित्व संभालने का प्रस्ताव रखा, जिसे वे प्रकाशित करेंगे। नागरी प्रचारिणी सभा ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया त किंतु संपादन का भार लेने में अपनी असमर्थता जाहिर की। अंततः संपादन संभालने के लिए सर्वसम्मति से बनी। जिसमें पाँच सदस्य थे - बाबू श्याम सुंदर दास, बाबू राधाकृष्ण दास, बाबू कार्तिक प्रसाद , बाबू जगन्नाथ दास और किशोरीलाल गोस्वामी। इसके बाद 'सरस्वती' की योजना को अंतिम रूप मिला और यह पत्रिका जनवरी 1900 से प्रकाशित होनी प्रारंभ हुई। इसके पहले अंक के मुखपृष्ठ पर पाँच चित्र थे-सबसे ऊपर वीणावादिनी सरस्वती का चित्र था। ऊपर बाईं ओर सूरदास और दाईं ओर तुलसीदास तथा नीचे बाईं ओर राजा शिव प्रसाद सितारेहिंद और बाबू हरिश्चंद्र के चित्र थे। पत्रिका के नाम के नीचे लिखा रहता था-काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अनुमोदन से प्रतिष्ठित।
❤❤❤❤ Thanks a lot mam Mam ek doubt hai plz clear kar de ki खड़ी भाषा को बोली क्यों कहते हैं और ब्रज भाषा को भाषा क्यों कहते है खड़ी के लिए बोली का प्रयोग हुआ है और ब्रज के लिए भाषा का प्रयोग हुआ है ऐसा क्यों mam
बहुत सुन्दर माँ।।।
इतिवृत्तात्मकता का इतना सुन्दर और सरल अभिव्यक्ति मैंने किसी से नही सुना। द्विवेदी युग और छायावाद युग के मूल अंतर को आपने बहुत ही आसानी से व्याख्या कर दिया। आपके वचनों ने मुझे बहुत बड़ी उलझन से उबारा। चरण स्पर्श।।।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी
प्रणाम आदरणीया
आपके मार्गदर्शन एवं आशीष से मेरा सलेक्शन व्याख्याता हिंदी एवम वरिष्ठ अध्यापक के साथ ग्रेड थर्ड में हो गया ।
आपका यूट्यूब पर आकर मार्गदर्शन करना आज हमारे परिवार को संबल मिल गया ।
में परिणाम आने के बाद बहुत कोशिश की आप तक मेसेज पहुंचाने की मगर कोई माध्यम नही मिला । इसलिए यहाँ पर ही कॉमेंट कर दिया ।
आपका ज्ञानरुपी आशीष हम पर सदैव बना रहे।
मेरी एक अभिलाषा है कि मैं आप से व्यक्तिगत मिलकर आपका स्नेह और आशीष प्राप्त कर पाऊं।
❤❤
Guru ma k aasirvad se hum apne laxse ko hasil k lenge
कृपा करके जल्द से जल्द सभी युगों के सत्र निकालें,इनसे लोगों के जीवन में परिवर्तन होना तय है, आपका तहे दिल से धन्यवाद !
Bahut hi saral sahaj madhyam se padhaya h maim 🙏
Aapke margdarshan or classes se Mera first grade Hindi se Mera selection ho gaya hai
मैं भी आप की तरह ही हिंदी का एक अध्यापक बनाना चाहता हूं।🙏🙏💥🙏💥
🙏🙏 mam aapke jesa koi nhi aapko koti koti pranam 🎉
Aapshe charno me mera koti koti pranam
Pranam ❤👏👏👏❤
Aapka Dil ki gaharaiyon se aabhar
Charan sparsh durga maa
Pranam guru màa
Very good explanation madam🙏
Is world ki sabshe achhi sikchhak hai aap
बहुत बहुत धन्यवाद mam ji बहुत शानदार क्लास 🙏🙏🥰🥰💐💐💐💐💐
❤❤❤bihar K dhrti she'll🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद मेम जी🎉
नमस्ते गुरु मां
Very best mathod se Mam padhati hain ।
Mataji net tak isi tarah se hamlogoen ko dete rahen pranaam mataji
Thanks
Guru ma apki viedo ka bhut labha mila mera reet m final selection ho gya,.... Apka aashirvaad ese hi bana rahe age प्रयास jari hai first aur net ki kr rahi hu.......... Meri pyari ma 😊😊
Reet me to sathiya hi ni medm ji
Mene bhi reet ka diya tha pr usme. Sahitya toh tha hi nahi😂
😂😂
प्रणाम
Thank you so much ma'am
Guru man aapki class itni acchi rahti hai ki usko ham shabdon mein vyakt nahin kar lekin fir bhi comment kiye Bina nahin rah jata bus ek baat bolna chahti hun aapka hriday se aabhar
❤❤❤ thanku so much mam 🙏🙏❤❤
👏👏
🙏
Thank You Ma'am
Most welcome 😊
Thanku so much mam
Aap regular class ligiye hindi sahitya
Tq maa 🙏🙏
🙏🙏
शिक्षिका जी कृपया करके " विद्यापति जी की पदावली " का भी वाचन करा दिजिए। ❤❤
Very nice class mam
कृपया यू ट्यूब चैनल पर पूरा हिन्दी साहित्य का इतिहास प्लेलिस्ट में उपलब्ध कराने की कृपा करें क्रमशः
Mam bhut acca pdate h ap bs sound toda tej rkha kre hm km krte hui pdte h to aabj km aati h pllz mam
❤
Thanks 🙏 maim
Good
जितना मुझे पता है सरस्वती पत्रिका में चिंतामणि घोष इसके प्रथम संपादक थे इस बिंदु पर संदेश भेजकर मुझे मार्गदर्शन करे गुरु माता
जिज्ञासा जानकर आनंदित हुई बेटा। ईश्वर तुम्हारा पथ प्रशस्त करें।
तुम कुछ सही हो कुछ भ्रमित इसलिए जानकारी निम्न है
चिन्तामणि घोष (1854 - 1928) इण्डियन प्रेस, प्रयाग नामक प्रकाशन संस्थान के मालिक थे। उन्होने सन् 1884 में इंडियन प्रेस की स्थापना की थी जिससे हिन्दी साहित्य की अनेक उल्लेखनीय पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
चिंतामणि घोष ने 1899 में नागरी प्रचारिणी सभा के सामने एक सचित्र मासिक साहित्यिक पत्रिका के संपादन का दायित्व संभालने का प्रस्ताव रखा, जिसे वे प्रकाशित करेंगे। नागरी प्रचारिणी सभा ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया त किंतु संपादन का भार लेने में अपनी असमर्थता जाहिर की। अंततः संपादन संभालने के लिए सर्वसम्मति से बनी। जिसमें पाँच सदस्य थे - बाबू श्याम सुंदर दास, बाबू राधाकृष्ण दास, बाबू कार्तिक प्रसाद , बाबू जगन्नाथ दास और किशोरीलाल गोस्वामी। इसके बाद 'सरस्वती' की योजना को अंतिम रूप मिला और यह पत्रिका जनवरी 1900 से प्रकाशित होनी प्रारंभ हुई। इसके पहले अंक के मुखपृष्ठ पर पाँच चित्र थे-सबसे ऊपर वीणावादिनी सरस्वती का चित्र था। ऊपर बाईं ओर सूरदास और दाईं ओर तुलसीदास तथा नीचे बाईं ओर राजा शिव प्रसाद सितारेहिंद और बाबू हरिश्चंद्र के चित्र थे। पत्रिका के नाम के नीचे लिखा रहता था-काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अनुमोदन से प्रतिष्ठित।
@@sahityasamadhan7751 आप धन्य हैं गुरु माता अति उत्तम
Mam aap adhunik kal ki class rojana lijiye plz..
❤❤❤❤
Thanks a lot mam
Mam ek doubt hai plz clear kar de ki खड़ी भाषा को बोली क्यों कहते हैं और ब्रज भाषा को भाषा क्यों कहते है
खड़ी के लिए बोली का प्रयोग हुआ है और ब्रज के लिए भाषा का प्रयोग हुआ है
ऐसा क्यों mam
Good morning mem
Namaskar ji
नमस्ते mam
Hi परमार
Thank you so much
Namskar mem
Namste
Me bhi aapke jese hi pradhapak banana chahti hu
Ma'am bpsc tgt hindi 9 to 10 ke liye v playlist banwa dijiye chapter wise🙏🙏🙏please
Hii😊
Mem aapne jo 2nd grade ka corse RUclips par karavaya huaa hai vo पर्याप्त hai kya 2nd ग्रेड के लिए
प्लीज मेम बताना
ताकि में क्लासेज लेना शुरू कर दु
बिल्कुल पर्याप्त है
Mam apki class kaise mil skti h
Mam apki online class kaise mil skti h
Hello
1903se dwivedi ne pad garhn kiya
Hi
Mam aapke first grade ke notes kaha se milge please 🙏🙏
9664082198 पर msg kijiye
Maf karen devi g. Kiratarjuneeyam eka natak nahi Mahakavya hai.
Jee bilkul thik kaha aapne.
Thank gurumaa 😊😊
Thanks
Good morning mam
Thank you ma'am 🙏🙏
Thank you 😊 ma'am
Most welcome 😊