कलमशाला को बहुत आभार -साझा करने के लिए। आधुनिकता और आधुनिकतावाद दो भिन्न अवधारणाएं हैं यह इस विमर्श का महत्वपूर्ण पक्ष है। उत्तर औपनिवेशिक ज्ञान संस्कृति ने इधर बहुत ध्यान खींचा है। आदरणीय प्रो राजकुमार जी ने स्पष्टतः और सहजता से इन अवधारणाओं की व्याख्या की। सादर आभार। विमल जी की पुण्य स्मृति को नमन्।
भारतीय एवं पाश्चात्य ज्ञान -विज्ञान के गहन अध्येता प्रो. राजकुमार जी के व्याख्यान हमेशा हमारे पूर्व ज्ञान को बढ़ाते ही हैं । इस व्याख्यान से भी बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हुई। आधुनिकता, आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकता जैसे विषयों की बुनियादी समझ के लिए यह व्याख्यान अत्यंत सहायक है। गंगाप्रसाद विमल जी को सादर नमन💐💐 कलमशाला का हार्दिक आभार 🙏
सहेजने और साझा करने के लिए क़लमशाला का हार्दिक आभार💐
कलमशाला को बहुत आभार -साझा करने के लिए।
आधुनिकता और आधुनिकतावाद दो भिन्न अवधारणाएं हैं यह इस विमर्श का महत्वपूर्ण पक्ष है। उत्तर औपनिवेशिक ज्ञान संस्कृति ने इधर बहुत ध्यान खींचा है। आदरणीय प्रो राजकुमार जी ने स्पष्टतः और सहजता से इन अवधारणाओं की व्याख्या की। सादर आभार।
विमल जी की पुण्य स्मृति को नमन्।
भारतीय एवं पाश्चात्य ज्ञान -विज्ञान के गहन अध्येता प्रो. राजकुमार जी के व्याख्यान हमेशा हमारे पूर्व ज्ञान को बढ़ाते ही हैं । इस व्याख्यान से भी बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हुई। आधुनिकता, आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकता जैसे विषयों की बुनियादी समझ के लिए यह व्याख्यान अत्यंत सहायक है।
गंगाप्रसाद विमल जी को सादर नमन💐💐
कलमशाला का हार्दिक आभार 🙏