Gadkalika Mandir | Shri Maa Gadkalika Ujjain | Mahakavi Kalidas | 52 Shaktipeeth | Ujjain |
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- Опубликовано: 14 окт 2024
- Shri Maa Gadkalika Mandir | Gadkalika Ujjain | Mahakavi Kalidas | 52 Shaktipeeth | Ujjain |
मध्यप्रदेश के उज्जैन के कालीघाट स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है।
तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
कालिकाजी के इस स्थान पर गोपाल मंदिर से सीधे यहां जाया जा सकता है। गढ़ नामक स्थान पर होने के कारण गढ़ कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश-द्वार के आगे ही सिंह वाहन की प्रतिमा बनी हुई है। आसपास दो तरफ धर्मशालाएं हैं। इसके बीच में देवीजी का मंदिर है। मंदिर के कुछ अंश का जीर्णोद्धार ई.सं. 606 के लगभग सम्राट श्रीहर्ष ने करवाया था। शक्ति-संगम-तंत्र में 'अवन्ति संज्ञके देश कालिका तंत्र विष्ठति' कालिका का उल्लेख है।
वैसे तो गढ़ कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे।
लिंग पुराण में कथा है कि जिस समय रामचंद्रजी युद्ध में विजयी होकर अयोध्या जा रहे थे, वे रुद्रसागर तट के निकट ठहरे थे। इसी रात्रि को भगवती कालिका भक्ष्य की शोध में निकली हुईं इधर आ पहुंचीं और हनुमान को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु हनुमान ने महान भीषण रूप धारण कर लिया। तब देवी डरकर भागीं। उस समय अंश गालित होकर पड़ गया। जो अंश पड़ा रह गया, वही स्थान कालिका के नाम से विख्यात है।
इसी मंदिर के निकट लगा हुआ स्थिर गणेश का प्राचीन और पौराणिक मंदिर है। इसी प्रकार गणेश मंदिर के सामने भी एक हनुमान मंदिर प्राचीन है, वहीं विष्णु की सुंदर चतुर्मुख प्रतिमा है। खेत के बीच में गोरे भैरव का स्थान भी प्राचीन है। गणेशजी के निकट ही से थोड़ी दूरी पर शिप्रा की पुनीत धारा बह रही है। इस घाट पर अनेक सती की मूर्तियां हैं। उज्जैन में जो सतियां हुई हैं; उनका स्मारक स्थापित है। नदी के उस पार उखरेश्वर नामक प्रसिद्ध श्मशान-स्थली है
यहां पर नवरात्रि में लगने वाले मेले के अलावा भिन्न-भिन्न मौकों पर उत्सवों और यज्ञों का आयोजन होता रहता है। मां कालिका के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। धर्मयात्रा की कड़ी में इस बार की यात्रा आपको कैसी लगी, हमें जरूर बताए।
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BAM BAM BHOLE 💐🙏🏻
Jai Mata Di
Keep watching and stay tuned
Sir, ish mandir me Nariel chadhate hain ya bhog ?
Sirji, aap nariyal bhi chada sakte ho aur Mata ko bhog bhi laga sakte ho...joh bhi Mann se karoge Mata swayam Prasad ke roop me sweekar karegi
Jai Mata Di
Kya yaha kis par tantra mantra kar diya ho toh thik hota h kya
Aisa kahte hai ki aastha se kiya jaye toh thik ho jata hai
Jai Mata Di
Keep watching and stay tuned