जंजीरा व सुमरण षट्कर्म विघी ! यह विघी का तरीका आपको कोइ नही बतायेगा ! कबीर साहेब बावन कसनी जंजीरा

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  • Опубликовано: 29 сен 2024
  • बावन कसनी जंजीरा व सुमरण षट्कर्म विघी
    बावन कसनी का जंजीरा सिद्ध करने की विघी
    आइए बताता हु ,
    जयेष्ठ , आषाढ़ , श्रावण , आश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , माघ , फालगुन ,.और चैत.,
    इन शुभ मासों मे से कोइ एक मास हो ! उस मास की पुर्णिमा या चतुर्दशी तिथि हो ओर !
    सोमवार , बुधवार , गुरुवार , अथवा शुक्रवार ,
    इन शुभ वारों मे से कोई वार हो उस दिन इसको सिद्ध करे !
    इसका पाठ या पूर्णिमा का व्रत पुर्णिमा को ही होता है ,
    परंतु पुर्णिमा जब 30 दंड( (घडी) से कम रहे तो चतुर्दशी को ही व्रत या इस जंजीरा का पाठ शुरू करे !
    उपर्युक्त शुभ मास शुभ वार ओर पुर्णिमा या चतुर्दशी की शुभ तिथि के योग में जंजीरा को सिद्ध करने की विघी का पारंभ करना चाहिए उस दिन व्रत रखे ओर फलाहार करें !
    जाप का स्थान ऐकांत मे निश्चित करें !
    स्थान को स्वेत मिट्टी नये वस्त्र लिप पोतकर पवित्र करें ओर चंदन ऐव इत्र छिडक देवे !
    स्वेत ऐव सुगंधित फुल जैसे कि चंपा , चमेली , बेला , मोगरा , इत्यादि जो प्राप्त हो सके लावे तीन घंटा या सवा पहर रात्रि वयतित होने पर जाप प्रारंभ करना चाहिए !
    जाप करने के निश्चित एकांत स्थान को उपर्युक्त विघी से
    लिप पोतकर पवित्र कर लेने पर उस स्थान में चावल के आटे से विघिवत चोका पुरे !
    कलसा रखें , कलसा में शुघ्द जल भर कर कलसा के
    मुंह पर आम के पांच पते घरे ओर उस पर गो घूत से दिपक जलावें ! याने कबीर पंथी महन्त साहब आरती चौका के समय जिस प्रकार चौका पूरकर आरती करते हें ,
    उसी प्रकार विघिवत चौका पूर कर सब कार्य संपन्न करें !

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