तो फिर इंसानों को कितनी पृथ्वी चाहिए, जानिए [What is Earth Overshoot Day]
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- Опубликовано: 30 июл 2022
- इस पृथ्वी को हम इंसान अपना घर कहते हैं. लेकिन हम इसे जितना लूट रहे हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. अर्थ ओवर शूट डे इसी की तरफ इशारा करता है. इसके तहत यह हिसाब लगाया जाता है कि किसी देश को जितने संसाधन आम तौर पर एक साल में खर्च करने चाहिए, वह उन्हें कितना जल्दी खत्म कर लेता है. ग्लोबल फुटप्रिंट नाम का एनजीओ इसका अनुमान लगाता है, जिसका कहना है कि साल दर साल स्थिति खराब होती जा रही है. संसाधनों की हमारी भूख और उनका इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है.
#dwhindi #EarthOvershootDay
जब हम नासमझ थे हमारी आवश्यकताएं कम थी तो ये दुनिया बहुत खूबसूरत रही थी, पर जब हम समझदार हुए तो इस दुनिया को हमने ही बिगाड़ा 👍🏻✌🏻😒
आज लोग जाति और धर्म को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं पर्यावरण को बचाने पर किसी का ध्यान नहीं है
पृथ्वी आपकी जरूरतों को पूरी कर सकती है लोभ को नही
आप के विडियो का हमेशा इंतजार रहता है सर 😊🙏🏽🙌🏾
मेरे परिवार ने मिलकर 5000 पेड़ लगा दिए हैं।अब आप पर निर्भर है। कम से कम एक पेड़ जरुर लगायें। save Earth save nature
धरती का सबसे मतलबी जीव इंसान ही है।
सारे ठंडे देशो की ऊर्जा घरो और आफिस को गर्म करने को लग रही है। वाटर रिचार्ज , जंगल लगाना , और सोलर पैनल लगाना यही उपाय है।
जनसंख्या को लेके अब पूरी दुनिया को सोचना पड़ेगा
ये धरती हमारी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए है, ना कि हमारी लालच ।
संसार दुखो का घर है दुख का कारण मनुष्य की ईछाऐ desire है ईछाऐ का खात्मा ही आनंद की प्राप्ती है ईछाओ का खातमा प्रभू के नाम से हो सकता है
आबादी ऐसे ही बड़ती रही तो आने वाला समय बोहोत भयानक होने वाला है
निसंदेह बेहतरीन वीडियो ! और अगर इंसान न चेता , तो फिर प्रकृति स्वयं ही चेक एंड बैलेंस कर लेगी ,भले ही इसमें मानव सभ्यता को कितना ही नुकसान क्यों न उठाना पड़े ।🙏
Save environment
मेरे हिसाब से दुनिया की सरकारे कुछ नही करने वाली है, ओर सब कुछ एक दिन खत्म हो जायेगा, हमे अफसोस होना चाहिए कि हम आने वाली पीढियो के लिय कुछ नहीं छोडेंगे, वो भी तब जब हमे पता है फिर भी...
"मेरी जरूरतें कम है, इसलिए मेरे जमीर में दम है" यह एक फिल्मी संवाद है।
इतना जानकारी देने के लिए मैं आप का आभारी हु गुरू जी 🙏🏻
जैसी तू है वैसी रहना।
भारत जल्द ही सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा
हम सबको मिलकर पृथ्वी की इस स्थिति के बारे में सोचना होगा
अदुतीय रिसर्च,अब दुनिया की हालत कबूतर की तरह है,आंख बंद तो परेशानी खत्म,लेकिन सच्चाई इसके उलट ही है, और वो एक दिन अपना रूप दिखाएगी ही