राधा,कृष्ण और रूकमिणी राधा का संबंध कैसा था, सुनिए यह गीत ( Radha Krishna Rukmini) | Bhojpuri Bhajan

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
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    गीत स्रोत: पारंपरिक गीत, कृष्ण देव उपाध्याय व चंदन तिवारी
    गायन: चंदन तिवारी
    तबला: संजीव पाठक
    ढोलक: उपेंद्र किशोर
    परक्युशन: विपुल नायक
    प्रस्तुति: लोकराग
    सर्वाधिकार सुरक्षित
    इस गीत का रिकार्डेड वर्सन सुनने के लिए लिंक यहां है
    • कृष्ण की चोरी पकड़े जा...
    कथा-प्रवचन की दुनिया में दो दिनों से राधा-रूकमिणी और कृष्ण प्रसंग पर बहस छिड़ी हुई है.अनेक वीडियो देखी, जिसमें शास्त्रों, ग्रंथों, पुस्तकों के हवाले से एक-दूसरे की बातों के काट या समर्थन में तर्क दिये जा रहे हैं.शास्त्र, पुराण,किताब में राधा,रूकमिणी,कृष्ण प्रसंग पर क्या लिखा है, यह तो भागवत जैसे महापुराण या दूसरे ग्रंथों,किताबों का अध्ययन करनेवाले विद्वानजन ही बताएंगे. पर, इन सबसे इतर लोक की दुनिया में राधा,रूकमिणी का रिश्ता और उस रिश्ते का चित्रण अनूठे ढंग से हुआ है. भोजपुरी लोक साहित्य की दुनिया के सिरमौर संधानकर्ता, कृष्णदेव उपाध्याय और दूसरे समकालीन विद्वानों ने इस प्रसंग के गीतों को एक जमाने में सामने लाया था. अलग,अलग रूप में. अलग,अलग किताबों में. उन बिखरे गीतों को मिलाकर एक लंबा सोहर गीत तैयार की हूं. यह गीत पिछले पांच साल से गाती रही हूं, पर इस बार घर पर ही रिकार्ड भी की. इसकी कथा और प्रसंग मुझे बहुत प्रिय है.
    कथा,प्रसंग यह है कि एक दिन रूकमिणी की तिलरी चोरी हो जाती है. वह उदास हैं. यशोदा पूछती हैं कि क्या हुआ? रूकमिणी बताती हैं. यशोदा कहती हैं कि फिर तुम भी जाओ और जिसने तुम्हारी तिलरी चुराई है, उसकी बांसुरी चुरा लो. रूकमिणी ऐसा ही करती हैं. वह कृष्ण का बांसुरी चुरा लेती हैं. कृष्ण घर लौटते हैं. चेहरा उतरा हुआ, मुंह लटका हुआ. यशोदा अपने लाल को चिढ़ाते हुए पूछती हैं, क्या हुआ लल्ला. कृष्ण कहते हैं, अब क्या ही बतायें अम्मा. हम दूसरों की चोरी करते हैं, आज मेरी ही बांसुरी को कोई चुरा ले गया. यशोदा कहती हैं कि तुम जिसकी तिलरी चुराये हो, वह लौटा दो तो बांसुरी भी मिल जाएगी. कृष्ण को पता चल जाता है कि यह सास बहू के ​मेल से हुआ खेल है. कृष्ण वहां से उठते हैं. सीधे अपने मौसी के यहां जाते हैं. अपनी मौसी से कहते हैं कि तुम यहां अपने घर में मगन रहती हो और वहां मेरे घर में मेरी मां और रूकमिणी तुम्हे कोसती रहती हैं. मौसी भागी भागी अपनी बहन यशोदा के यहां पहुंचती हैं. पूछती हैं यशोदा से कि हम क्या बिगाड़े हैं कि तुम सास बहू मेरी शिकायत बतियाते रहती हो. यशोदा कहती हैं कि किसके फेरे में पड़ गयी. बड़ा हो गया है, फिर भी चोरी की आदत जा नहीं रही. इसकी चोरी पकड़ी गयी है, इसलिए यह अब इधर से उधर बातें बनाते फिर रहा है.मौसी कृष्ण को चार बात सुना देती हैं. कृष्ण वहां से निकल अपने ससुराल यानी रूकमिणी के गांव पहुंचते हैं. अपनी सरहज से कहते हैं कि आप यहां अपनी दुनिया में मगन है और आपकी ननद रूकमिणी हमारे यहां आपकी ही शिकायत बतियाते रहती है. सरहज भी आती हैं. यहां आकर ​पता चलता है कि कृष्ण चोरी की बात को छुपाने के लिए यह सब कर रहे हैं. सरहज भी कृष्ण को बात सुनाकर जाती हैं. कहती हैं कि शरीर से ही नहीं मन से भी काले हो आप तो. लड़ाई लगवाते चल रहे हो. अब कृष्ण अंत में राधा के यहां पहुंचते हैं. वहां पहुंचकर राधा को तैयार करते हैं. कहते हैं​ कि तुम चलो हमारे यहां. रूकमिणी को पता नहीं तुमसे ज्यादा समस्या है कि दिन रात तुम्हारी ही बुराई बतियाती है. राधा तैयार होकर पहुंचती हैं. पूछती हैं ​रूकमिणी से कि हमने आपका क्या बिगाड़ा है जो आप मेरी शिकायत करते रहती हैं. रूकमिणी और यशोदा सारा हाल बताते हैं. राधा कहती हैं कि इतने बड़े हो गये हो, फिर भी चोरी की आदत जा नहीं रही. बचपन में दूसरों के यहां माखन, दही चुराते थे और अब घर पर ही चोरी करने लगे हो. आपस में सबके बीच लड़ाई लगवाते हो. आओ तो तुम्हें बताती हूं.

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