#kusha

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  • Опубликовано: 16 янв 2025

Комментарии • 130

  • @pankajtewari2701
    @pankajtewari2701 Год назад +12

    Very nice

  • @kishanchandradalakoti2755
    @kishanchandradalakoti2755 Год назад +8

    Very nice ❤

  • @ANIMEOTAKU_1
    @ANIMEOTAKU_1 11 месяцев назад +4

    जय श्री राधे❤

  • @anubhavmishra6844
    @anubhavmishra6844 Год назад +6

    अद्भुत

  • @anoop8862
    @anoop8862 2 года назад +11

    Guru ji koti koti parnaam f

  • @khastapathak
    @khastapathak 2 года назад +13

    कुमाञ्चली पद्धति में ही सरलता मिलती है

    • @vidyasagarjoshi4439
      @vidyasagarjoshi4439 5 месяцев назад

      बहुत सुंदर ढंग से समझाया है ।

  • @Goodmorning-rb3yl
    @Goodmorning-rb3yl 2 года назад +10

    अति उत्तम जानकारी धन्यवाद

  • @VijayKumar-pd4ih
    @VijayKumar-pd4ih 9 месяцев назад +1

    Bahut badhiya Bhai sahab ji

  • @himanshuupreti8080
    @himanshuupreti8080 3 года назад +14

    अति उत्तम

  • @kashvidalakoti
    @kashvidalakoti 8 месяцев назад +2

    Shree Krishna ❤ radhey radhey

  • @anandsingh-bw8hm
    @anandsingh-bw8hm Год назад +9

    Om

  • @maheshchandra1883
    @maheshchandra1883 2 года назад +13

    जय हो गुरु जी🙏

  • @jagdishjoshi7593
    @jagdishjoshi7593 Год назад +4

    ॐ नमः नरायण

  • @Pawansharma-sv9wh
    @Pawansharma-sv9wh Год назад +6

    आपका आभार आचार्य जी |
    प्रणाम स्वीकार करें ॥
    ॥ नारायण नारायण ॥

  • @bhagwanbhaktimarg
    @bhagwanbhaktimarg 3 года назад +11

    बहुत ही सुन्दर विधि

  • @kamladevi5844
    @kamladevi5844 6 месяцев назад +2

    Om narayan🎉

  • @sp3382
    @sp3382 Год назад +6

    धन्यवाद गुरूजी 🙏

  • @swayamvarsingh958
    @swayamvarsingh958 8 месяцев назад +1

    बहुत-बहुत धन्यवाद।❤❤❤

  • @RahulTiwari-wt3jg
    @RahulTiwari-wt3jg 9 месяцев назад +1

    Jai ho guru ji ❤🎉

  • @ashajoshi7811
    @ashajoshi7811 2 года назад +8

    बहुत ही सुन्दर

  • @paraskhushipandey9137
    @paraskhushipandey9137 11 месяцев назад +2

    नारायण ❤

  • @poojapathvidhimaheshshasht7415
    @poojapathvidhimaheshshasht7415 3 года назад +10

    व्यास जी प्रणाम | जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत-बहुत आभार

  • @AmitAmit-ot3uu
    @AmitAmit-ot3uu 11 месяцев назад +2

    Narayan 🎉

  • @budhanidinesh7643
    @budhanidinesh7643 3 года назад +9

    Bahut sunder guru ji

  • @ahoenix9779
    @ahoenix9779 Год назад +6

    Om namo

  • @anupkingop
    @anupkingop Год назад +3

    Om

  • @chandrashekharholla787
    @chandrashekharholla787 Год назад +5

    Namaskaram. Thanks. Quite good information.

  • @sandeeppanday7238
    @sandeeppanday7238 11 месяцев назад +2

    Dhanyavaad

  • @tribhuwntripathi8373
    @tribhuwntripathi8373 3 года назад +13

    बहुत बहुत धनयवाद कोटी नमन

  • @NaitikTiwari-k4r
    @NaitikTiwari-k4r 9 месяцев назад +1

    jai jai❤

  • @AkhilSharma444-ss8hp
    @AkhilSharma444-ss8hp 11 месяцев назад +1

    Om❤

  • @aacharyapooranpandey4770
    @aacharyapooranpandey4770 3 года назад +9

    गुरु जी प्रणाम बहुत बहुत सुन्दर।

  • @shreyatiwari3091
    @shreyatiwari3091 7 месяцев назад +1

    Jai❤🎉

  • @shivbhaktisagar4267
    @shivbhaktisagar4267 8 месяцев назад +2

    Bahut sunder 🎉

  • @govindjoshi7115
    @govindjoshi7115 9 месяцев назад +1

    Narayan ❤

  • @pragyasharma4225
    @pragyasharma4225 Год назад +7

    आदरणीय श्री चरणों में दण्डवत प्रणाम कुशकाण्डिका पर भी मार्ग दर्शन करें

  • @pankajchaubey4637
    @pankajchaubey4637 Год назад +5

    गरु ji🙏🙏

  • @harishjoshiify
    @harishjoshiify 3 года назад +7

    अति सुन्दर त्रिपाठी जी

  • @bhavikapant8386
    @bhavikapant8386 3 года назад +12

    Superb.U teach it so easily thank u

  • @vidyasagarjoshi4439
    @vidyasagarjoshi4439 5 месяцев назад +1

    बहुत अच्छा, कृपया इस तरह की जानकारी देते रहें।
    धन्यवाद

  • @ptraviprakashmishra2534
    @ptraviprakashmishra2534 5 месяцев назад +1

    हरहरमहादेव सुन्दर और दिव्य ज्ञान विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण बात बधाई

  • @yashoddangwal7559
    @yashoddangwal7559 2 года назад +10

    गुरुजी के चरणों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम 👏💐

  • @BadriVishal-t5p
    @BadriVishal-t5p 3 года назад +9

    पर्वतीयपरम्पराया: अद्भुतं निदर्शनम्

  • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks

    श्लोक एवं मंत्र सब कुशा ब्रह्मा निर्माण विधि के उच्चारण में वोले जा रहे हैं,, याद हो जाएगा। मैं लिख भी दूँगा।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  9 месяцев назад +2

      व्रह्मा निर्माण,,,तल्लक्षणम् विधान पारिजात (परिशिष्टे) "पञ्चाशता भवेद्ब्रह्मा तदर्द्धन तु विष्टरः । ऊर्ध्वकेशो भवेद्ब्रह्मा लम्बकेशस्तु विष्टरः॥ दक्षिणावर्तको ब्रह्मा वामावर्तस्तु विष्टरः ॥ '

  • @hindusanskriti2791
    @hindusanskriti2791 4 года назад +9

    जय जय

  • @ganeshpandey8417
    @ganeshpandey8417 4 года назад +7

    धन्यवाद आप को

  • @satyanarayanvyas4886
    @satyanarayanvyas4886 2 года назад +5

    Bahut sundar.pandit ji aap humko kushkandika ki vidhi ko acchi tarah se batane ki kripa kare.

  • @pankajpandey2699
    @pankajpandey2699 3 года назад +14

    बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव इसी प्रकार कुर्माँचलीय पद्धति को जीवन्त बनाए रखने हेतु अन्य पूजापाठ से संबंधित छोटी छोटी अन्य जानकारियां भी हमें समय समय में बताने की कृपा करें जिससे हम जैसे अल्पज्ञों का ज्ञानवर्धन होते रहे ।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 года назад +2

      जी हॉ अपनी सनातनी वैदिक संस्कृति व परम्पराओं के लिए सदैव तत्पर रहेंगे,,, धन्यवाद

    • @khastapathak
      @khastapathak 2 года назад +2

      कुमाञ्चली पद्धति सरल एवं सहज रूप में है,

    • @dineshchandrasharma5570
      @dineshchandrasharma5570 Год назад +2

      कुर्मांचलीय शास्त्रीय पद्धति संबंधी पूजा-पाठ गणेश पूजन ,कलश सस्थापना आदि देवताओं का पूजन का विडियो प्रस्तुत है,,

    • @ahoenix9779
      @ahoenix9779 Год назад +1

      श्री राधे, मैंने कुर्माञ्चलीय पद्धति का कर्मकांड की वीडियो बनाकर इसमें डाल दी है।

  • @dadaguru523
    @dadaguru523 4 месяца назад +1

    Sundar...आचार्यावर सादर प्रणाम

  • @ramanuj9151
    @ramanuj9151 2 года назад +7

    गुरुजी व्यवहारिक करके दिखाएं किसी अवसर पर

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад

      इतनी सरलता से व्यवहारिक रूप में कुशा का ब्रह्मा बनाने का विधान मैंने प्रस्तुत किया है,, इससे अधिक व्यावहारिक और सरल क्या क्या होगा थोड़ी ध्यानपूर्वक देखिए सब समझ में आ जाएगा।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +1

      इसी चैनल पर व्यवहारिक रूप से shorts शाॅट विडियो डाउनलोड कर दिया गया है।

  • @chandansamant5927
    @chandansamant5927 3 года назад +9

    गुरुदेव कुमाऊनी जनेऊ बनाने की विधि भी बताइए 🙏🏼🙏🏼

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 года назад

      मैंने अभी श्रावणी उपाकर्म कर्म के दो-तीन दिन पूर्व जनेऊ बनाने की विधि फेसबुक के द्वारा लोगों को बधाई दी थी और संक्षेप में आपको भी भेज देता हूं

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 года назад +1

      तैत्तिरीय अरण्यक में यज्ञोपवीत बनाने का निर्देश किया गया है। और वेद मंत्रों को तीन काण्डों में विभाजित किया गया है। कर्मकाण्ड, उपासना काण्ड व ज्ञान काण्ड। और इन्हीं वेदों में ज्ञान, कर्म व उपासना संबंधित ९६००० मंत्र हैं। इसीलिए यज्ञोपवीत के तंतु को सर्वप्रथम ९६ बार लपेटा जाता है। और शेष ४००० मंत्र सन्यास (निर्वाण) के लिए बताए गए हैं। यज्ञोपवीत ब्रह्मा, विष्णु, शिव द्वारा रचित है। और इन्हीं के द्वारा अभिमंत्रित है। और नौ सूत्रों (तंतुओं) में नौ देवताओं ॐकार देव,अग्नि देव,भग देव, सोमदेव, पितृ देव, प्रजापति देव, वायु देव, सूर्य देव और सर्वदेव का निवास है। इसीलिए यज्ञोपवीत नौ तंतुओं के द्वारा बनाई जाती है। तीन तीन बार त्रिगुणित कर। तीन ग्रंथियों में ब्रह्मा, विष्णु, शिव का निवास होता है। और यही देवता मां गायत्री का ध्यान कर उस यज्ञोपवीत में विराजमान हो जाते हैं। और जापक की समस्त कामनाओं को पूर्ण करते हैं। श्रावणी पर्व की पावन बेला में समस्त यजुर्वेदीय उपाकर्म करने वालों को पावन पर्व एवं रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। और इसी दिन मां लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई मानकर उसके दाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था। तभी से यह श्रावणी का पर्व रक्षाबंधन के नाम से जाना जाता है। तभी यह मंत्र रक्षा सूत्र बांधते हुए कहा जाता है।
      येन वद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेनत्वांप्रतिबद्घनामि, रक्षेमाचल माचल:।।
      यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं शतानीकाय सुमनस्यमाना: तन्मऽआबध्नामि शतशारदायायुष्मान् जरदष्टिर्यथासम्।।
      पंडित बसन्त बल्लभ त्रिपाठी, शास्त्री
      हल्द्वानी, नैनीताल उत्तराखंड

  • @mdsdreams7360
    @mdsdreams7360 4 года назад +7

    pandit g aapdaya sharadh ki vidhi bataye kripya]

  • @poojapathvidhimaheshshasht7415
    @poojapathvidhimaheshshasht7415 3 года назад +17

    आपसे करबद्ध निवेदन है कृपया श्लोक भी लिख दें ताकि हमें याद हो सके और भविष्य में हम उसका प्रयोग कर सकें

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +4

      कुशा व्रह्मा वनाते हुए श्लोक का उच्चारण किया जा रहा है,,,

    • @ahoenix2201
      @ahoenix2201 9 месяцев назад +3

      व्रह्मा निर्माण,,तल्लक्षणम् (परिशिष्टे) "पञ्चाशता भवेद्ब्रह्मा तदर्द्धन तु विष्टरः । ऊर्ध्वकेशो भवेद्ब्रह्मा लम्बकेशस्तु विष्टरः॥ दक्षिणावर्तको ब्रह्मा वामावर्तस्तु विष्टरः ॥" 'प्रणीय' इति सूत्रम् । '

    • @poojapathvidhimaheshshasht7415
      @poojapathvidhimaheshshasht7415 9 месяцев назад

      @@ahoenix2201 आपका बहुत बहुत धन्यवाद महोदय

  • @rakeshkandpalkandpal6298
    @rakeshkandpalkandpal6298 4 года назад +6

    Good

  • @manojmishra4245
    @manojmishra4245 4 месяца назад +1

    गुरु जी हम तो इस क्षेत्र में नए हैं इसलिए कुछ भी समझ में नहीं आया। यद्यपि आप ने बहुत अच्छी तरह बताया है।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  4 месяца назад

      श्री राधे,, कहाँ से हैं, आप,,, यह शास्त्रीय वैदिक विधान है। विशेष करके ये कुशा व्रह्मा की पद्धति उत्तराखंड के कुर्माञ्चल कुमाँऊनी है। आप चाहें तो मुझसे वार्तालाप कर सकते हैं।

  • @aacharyakashi52
    @aacharyakashi52 2 года назад +8

    2.5ganth ka bhi to vidhan kaha gaya h

  • @nkmori932
    @nkmori932 3 года назад +5

    Raksha Bandhan ke din saptrishi ganth kaise lagai jati hai

  • @shrikrishnabadamikar4211
    @shrikrishnabadamikar4211 2 года назад +6

    Udakshanti me यही ब्रह्मा का कलश मे आवाहन करना चाहीए क्या और कलश के बाहर सौ दर्भ रखते है वो क्या कृपया बताईए पंडितजी

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  2 года назад

      जी,,, जहॉ भी यज्ञादि, मांगलिक कार्य होंगे, वहॉ ब्रह्मा का आवाहन होगा,,, यज्ञादि, मॉगलिक कार्यों में विना व्रह्मा के कोई भी कर्म पूर्ण नहीं होता,, बहुत सौ कुशा का मतलब हा व्रह्मा है,, बहुत

    • @paragbadamikar1028
      @paragbadamikar1028 2 года назад

      Dhanyavaad panditaji

  • @jagdishchandra9742
    @jagdishchandra9742 4 месяца назад +1

    जय जय जय जय 🙏🙏

  • @ramanuj9151
    @ramanuj9151 2 года назад +9

    पूजा होने के बाद ब्रह्मा जी को कहां रखते है अथवा विसर्जित करते है

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +2

      कुशा व्रह्मा को घर में ही रखना चाहिए, प्रतिष्ठित व्रह्मा का और भी महत्व है। इसे वर्षों तक रख सकते हैं,,जब तक खण्डित न हो तब तक विसर्जित ना करें।

  • @chhayasharma2615
    @chhayasharma2615 4 года назад +5

    Kumauni saadi ki vidhi bataye

  • @bhattbhatt8772
    @bhattbhatt8772 Месяц назад +1

    Narayan 🎉

  • @sitaramjoshi541
    @sitaramjoshi541 5 месяцев назад +1

    नारायण❤

  • @rupeshroy4285
    @rupeshroy4285 3 года назад +6

    Please 50 kusha ka brahma banana sikhaye

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 года назад +1

      जो कुर्मॉचलीय शास्त्रोक विधान है वह 100 कुशाओं का है,, यदि 50 का विधान मिलेगा तो अवश्य भेजूँगा,,

  • @chandansamant5927
    @chandansamant5927 3 года назад +8

    गुरुदेव एक और प्रश्न था जैसे हम कलश स्थापना करते है नवरात्रि में तो नारियल कलश के मुख पर रखे या कुश के ब्रह्मा को स्थापित करे कृपया स्पष्ट करने की कृपा करे। गुरुदेव

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 года назад +1

      हमारी कुर्मांचली पद्धति परंपरा के अनुसार कुर्मॉचलीय लोग कलश में कुश का ब्रह्मा ही रखते हैं,और रखना भी चाहिए। मैदानी क्षेत्रों में कुश ब्रह्मा को नहीं बनाते हैं, वे रखते भी नहीं है, इसलिए वहां नारियल रखते हैं। ब्रह्मा की उपलब्धता न हो तो नारियल रख सकते हैं।

  • @pankajchaubey4637
    @pankajchaubey4637 Год назад +5

    100 कुशा से ही बनाने का कोई प्रमाण है शास्त्रोंक्त... Ya इससे कम ya ज्यादा का भी बना सकते है.. 🙏🙏 nice वीडियो 🙏🙏

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +1

      एक सौ कुशों से ही ब्रह्मा बनाया जाता है। "छंदोग्य परिशिष्ट पारिजात विधान" में लिखा हुआ है। इस विडियो में जो ब्रह्मा बनाते वक्त मैं श्लोक बोल रहा हूँ, वह श्लोक 100 कुशाओं के बनने वाली ब्रह्मा का प्रमाण है। हो सकता है कहीं अन्यत्र भी ऐसा कोई भी हो, परन्तु हमारी कुर्माञ्चलीय (उत्तराखण्ड) की कुमाँऊनी पद्धति के कर्मकाण्ड में 100 कुशों के ब्रह्मा के द्वारा ही कुश का ब्रह्मा बनाया जाता है।

  • @amarazad8023
    @amarazad8023 4 года назад +6

    🙏🙏🙏

  • @DeepchandraPandey-c3m
    @DeepchandraPandey-c3m 11 месяцев назад +1

    Om

  • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks

    अवश्य यथाशीघ्र कुश कण्डिका का विधान भी वीडियो के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा,,, धन्यबाद

  • @sanjaychaudhary7915
    @sanjaychaudhary7915 5 месяцев назад +1

    Om narayan

  • @chhayasharma2615
    @chhayasharma2615 4 года назад +6

    Kumauni sraadh ki vidhi bstaye

  • @NaveenTewari-c2d
    @NaveenTewari-c2d Месяц назад +1

    Om narayan

  • @beenagupta9080
    @beenagupta9080 4 года назад +6

    🙏🙏

  • @सुरेशचन्द्ररिखाड़ी

    पंडित जी प्रणाम मेरा आवश्यक प्रश्न, क्या 8 जनवरी से 13 जनवरी के बीच सगाई मंगनी हो सकती है अवश्य बताइये

  • @paragbadamikar1028
    @paragbadamikar1028 Год назад +2

    हवन के दक्षिण दिशा मे जो ब्रह्मा स्थापन करते है ये वो ब्रह्मा है क्या

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +1

      यज्ञ में ब्रह्मा के दो रूप होते हैं, एक प्रत्यक्ष जो यज्ञ का निरीक्षण का कार्य करते है, जिसे कार्यकारिणी प्रत्यक्ष व्रह्मा जाता है। दूसरा जो एक सौ कुशाओं से बना करके वरुण कलश में स्थापित किया जाता है। कुशा के ब्रह्मा के अभाव में कुश की पवत्री बना कर रख देते हैं।

    • @Vedik_atul_tripathi
      @Vedik_atul_tripathi Год назад

      गुरु जी प्रणाम
      गुरु जीइसका किसी ग्रंथ में शास्त्रीय प्रमाण भी है क्या अगर है तो कृपया बताये 🙏

    • @Vedik_atul_tripathi
      @Vedik_atul_tripathi Год назад

      पारस्कर गृह्यसूत्र सूत्र में दक्षिण में ब्रह्मा का विधान तो दिखा परंतु अप्रत्यक्ष ब्रह्मा का विधान नहीं मिला कृपा मार्ग दर्शन करें 🙏

  • @vnaveenfoodie3433
    @vnaveenfoodie3433 Год назад +1

    गुरू जी के चरणों में नमन गुरू जी संध्या वंदन के बाद यदि हम पुनः अनुष्ठान के निमित्त अधिक संख्या जाप करें तो क्या पुनः शाप विमोचन उपस्थान आदि की जरूरत है।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад

      यदि कुछ विश्राम के पश्चात हम पुन: गायत्री जाप करना चाहते हैं, तब श्राप विमोचन,उपस्थान की आवश्यकता नहीं है। हां यदि मध्याह्न संध्या के निमित्त हम गायत्री जप रहे हैं , तो फिर शापविमोचन, अघमर्षण , सूर्याघ, उपस्थान की आवश्यकता पड़ती है।

    • @AkhilSharma444-ss8hp
      @AkhilSharma444-ss8hp 11 месяцев назад

      Om

  • @anandiprasad1477
    @anandiprasad1477 Год назад +1

    गुरुवार कलश में किस स्थान पर स्थापित किया जा सकता है

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  Год назад +1

      ईशान दिशा (पूर्वोत्तर) में धान्य (धान, जौ, गेहूं अन्न आदि) के ऊपर पञ्च पल्लव सहित कुश व्रह्म युक्त कलश रखकर स्थापित करें।

  • @ahoenix2201
    @ahoenix2201 2 года назад +6

    Kurmanchali parmpra ka koi jabab nahi

  • @prakashnariyal6855
    @prakashnariyal6855 4 года назад +7

    यदि हमें किसी पित्र का नाम या गोत्र मालूम न हो तो किस नाम या उच्चारण से श्राद्ध या तर्पण करना चाहिए। यदि किसी की मृत्यु यदि अधिक मास में हो तो वार्षिक श्राद्ध कब होगा

    • @prakashnariyal6855
      @prakashnariyal6855 4 года назад

      गुरु जी धन्यवाद।

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  4 года назад +1

      यदि किसी के गोत्र और नाम का पता न चले तो अमुक गोत्रस्यअंतरिक्ष बसु स्वरूपस्य पितु: तर्पयामि। और अधिकमास में मृत्यु होने पर अगले वर्ष उसी मास के उसी पक्ष को उसी तिथि को वार्षिक श्राद्ध होगा। अर्थात जैसे इस वर्ष आश्विन अधिक मास है, तो अगले वर्ष आश्विन मास जिस भी पक्ष, तिथि में मृत्यु हुई हो उस पक्ष उसी तिथि में वार्षिक श्राद्ध होगा।

    • @prakashnariyal6855
      @prakashnariyal6855 4 года назад

      गुरु जी सादर अभिवादन । संशय व मन की जिज्ञासा को त्वतरित समाधान करने लिए।

  • @indushekharshastri6834
    @indushekharshastri6834 4 месяца назад +1

    विष्णुग्रंथि कैसे बनाये

  • @RakeshPandey-rv5cr
    @RakeshPandey-rv5cr 4 месяца назад

    Guruji use samay kusa utpann hua hi nahin tha to kaise wardan dediye bhagwan mahadev ji ne ise spasht karen Maharaj ji har har Mahadev

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  4 месяца назад

      श्री राधे, बहुत सुंदर प्रश्न। कुशा भगवान नारायण के रोम से उत्पन्न हुई है। अर्थात् भगवान श्री हरि नारायण के रोम ही कुशा हैं। जब भगवान नारायण ने सृष्टि को बनाने का विचार बनाया तो उनके नाभि से कमल को उत्पन्न किया और कमल से ब्रह्मा जी निकले ब्रह्मा जी पांच मुख के थे, झूठ बोलने के कारण उनका एक मुँख काट दिया गया। और उनको मूर्ति रूप से कुशा के व्रह्मा रूप में पूजने का वरदान दिया।
      दूसरा भगवान नारायण जब सुकर रूप में अवतार लिए, उन्होंने अपने शरीर को हिलाया, और हिलाते ही जो रोम गिरे वही कुश के रूप में उत्पन्न हुए।‌ यह श्रीश्वेत वाराह कप की कथा है।

  • @HarpreetKaur-dw4dy
    @HarpreetKaur-dw4dy 3 месяца назад +1

    pandit ji yeh hawan ke samay south direction mein chawal pe bhi kartey hai na ? toh badh mein chawalo ko ghar mein rakhe ya pandit ji ko deh deh ?

    • @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks
      @भागवतकल्पवृक्षBhagwatKalpvriks  3 месяца назад

      पंडित जी को दे देना चाहिए,, क्योंकि यह व्रह्मा का हिस्सा होता है। अगर पंडित जी उपलब्ध नहीं हों तो घर में भी रख सकते हैं।

  • @pankajdixit4410
    @pankajdixit4410 Год назад +6

    apna contact no dijiye

  • @dheerajsinghbisht3817
    @dheerajsinghbisht3817 Год назад +10

    बहुत बहुत सुंदर

  • @jagdishpandey8488
    @jagdishpandey8488 3 года назад +9

    🙏🙏🙏

  • @rameshpapnoi8698
    @rameshpapnoi8698 5 месяцев назад +1

    Om❤

  • @Aachary_Bipin_Krishna_Panday
    @Aachary_Bipin_Krishna_Panday Год назад +6

    बहुत ही सुंदर