(गीता-4) मर जाओ, फिर लड़ जाओ || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2022)
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- Опубликовано: 16 окт 2024
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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: शास्त्र कौमुदी, 17.04.2022, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।
हे कुन्तीपुत्र, इन्द्रियों और विषयों का संस्पर्श ही शीत-उष्ण और सुख-दुःख का देने वाला है।
वे आते हैं और नष्ट हो जाते हैं, इसलिए अनित्य हैं। अतः हे अर्जुन, तुम तितिक्षा दर्शाओ।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १४)
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।
हे पुरुष श्रेष्ठ, ये शितोष्णादि जिस धीर व्यक्ति को व्यथित नहीं कर पाते,
सुख-दुःख में एक सा रहने वाला वह व्यक्ति आनंद अमृत का अधिकारी होता है।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १५)
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।
असत् वस्तु का अस्तित्व नहीं है, परन्तु सत् वस्तु का कभी अभाव नहीं है,
तत्त्वज्ञानियों के द्वारा इन दोनों का स्वरूप देखा गया है।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १६)
अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्।
विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित् कर्तुमर्हति।।
जिसके द्वारा यह समस्त संसार व्याप्त है, उसी को विनाश-रहित अर्थात नित्य जानो।
कोई भी इस नित्य आत्मा का विनाश करने में समर्थ नहीं होता।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १७)
अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः।
अनाशिनोऽप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत।।
नित्य, अविनाशी प्रत्याक्षादि प्रमाणों के अगोचर, शरीर धारण करने वाले इस जीवात्मा के
ये सब शरीर विनाशशील कहे गए हैं। हे अर्जुन, अतएव तुम युद्ध करो।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १८)
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।
जो व्यक्ति आत्मा को मारने वाला जानता है और जो व्यक्ति उसे मृत समझता है
वह दोनों ही नहीं जानते। ना आत्मा मारता है ना मरता है।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक १९)
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।
यह आत्मा कभी जन्म ग्रहण नहीं करता या मरता भी नहीं है अथवा ऐसा भी नहीं कि
एक बार होकर फिर नहीं होता। जन्म-रहित, मृत्यु-रहित, नित्य तथा सनातन यह आत्मा
देह के हत होने पर अर्थात् नष्ट होने पर हत नहीं होता।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक २०)
वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्।।
जो इस आत्मा को अविनाशी, नित्य, त्रिकाल में परिणाम-शून्य, जन्म-रहित, क्षयशून्य जानता है,
हे पार्थ, वह व्यक्ति किस प्रकार किसका वध कराता या किसका वध करता है?
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक २१)
(गीता-1) अर्जुन जैसा हाल हमारा || आचार्य प्रशांत, गीता समागम (2022)
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(गीता-2) अर्जुन का संघर्ष कृष्ण से || आचार्य प्रशांत, गीता समागम (2022)
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(गीता-3) जब सत्य गरजता है || आचार्य प्रशांत, गीता समागम (2022)
• (गीता-3) जब सत्य गरजता...
संगीत: मिलिंद दाते
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Excellent acharya ji
Excellent Acharya ji
Acharya Ji Marne k bd kya hota h..
बहुत-बहुत धन्यवाद गुरु जी
Best shastrarth
28:15 सिर्फ सह लेने को तितिक्षा नही कहते, सत्य की राह मे जो कुछ आए उसे सहने को तितक्षा कहते है। 🍁✨
यह है असली सत्संग जो जीवन की गहरी समझ विकसित करता है, गूढ़ रहस्य को उजागर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद गुरुजी। समीक्षा करने का आप का तरीका अत्यंत प्रभावशाली है।।🙏
39:19 किसी ऐसी चीज के प्रेम मे पड़ जाईए कि सह भी ले और सहने के तरफ ध्यान भी ना देना पड़े।🏵️
फिर सह भी लेंगे ओर सहने की पीड़ा से गुजरना नही पड़ता । 🌠
आनंद 🌈❤️🧡
Tru🤞
ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे स्वयं श्री कृष्ण जी हमें भागवत गीता का ज्ञान दे रहे हो।🙏
धन्य हो गया जीवन आप सा महान गुरु पाकर।🙏 आपका बहुत बहुत आभार आचार्य जी 🙏🙏
Bilkul sahi... Acharya ji to mere liye Krishna hi hai
Sahi kaha apne
आचार्य जी सादर प्रणाम
मन ऐसा मान रहा है कि बिष्णु भगवान् स्वयं गीता उपदेश दे रहे हैं।
आचार्य जी सादर प्रणाम,
Ryt😌😌 😊
1:17:54 ये एक बड़ी विडंबना रही 🙄🥺🙆🏽♀️🙆🏽♀️
तभी मुझे कुछ कभी समझ नही आता था । 😬
धन्यवाद आपका और उन दानी लोगो का जिनकी वजह से मैं आज समझने तो तत्पर हूं। 🙏🏻
धन्यवाद हर उस जीव का जो मुझे आप तक ले कर आया, 🙏🏻🙏🏻💙💙
मैंने श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन कईं बार किया हैं, किन्तु जिस तरह से गुरु जी समझाते हैं, वैसे मै स्वयं के अध्ययन से नहीं समझ पायीं,, इतनी गहनता और पूर्ण यथार्थ से समझाने के लिए कोटि कोटि नमन गुरुदेव🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bilkul sahi ❤ 🙏
Gita samjhana is yug me bht jaruri hai
Sach m. Same. Teen baar pdhi b suni b lekin ache se aj i smjh... 😊😊
सही काम में जो पीड़ा मिले उसे प्रेम का उपहार मानकर सीने से नहीं लगा सकते, उसे देवता का प्रसाद मान कर माथे से नहीं लगा सकते तो उसे दवाई का कड़वा घूँट ही मानकर बस सह लो।
-आचार्य प्रशांत
धैर्य रखना, कभी निराश मत होना;
जिसने तुमको बनाया है वो इस ब्रम्हांड का सबसे बड़ा लेखक है!
🌺हीरा मिल गया है गाँठ मे बाँध लिया है🌺
नमन आचार्य 🙏🙏
गुरूजी की व्याख्यानों की बात ही कुछ और है प्रत्येक विषय को सुंदर और सरल तरीके से बोधगम्य बना देता है, विषयों में छिपा वास्तविकता, मर्म जनमानस तक पहुंचा देते हैं मार्गदर्शन के लिए आभार गुरूजी।🙏
जानने वाले जानते बूझते आत्मा की ओर बढ़ते हैं प्रकाश में, बोध में, ज्ञान में और ना जानने वाले अज्ञान में अंधकार में अत्मा की ओर बढ़ते हैं इस जगत में जो कुछ भी चलायमान है वो है सब आत्मा की ही खोज है आत्मा मात्र अविनाशी तत्त्व है जो विनाशी संसार को चला रहा है 🙏🙏🙏🌼
भगवान श्रीकृष्ण, वर्धमान महावीर, गौतम बुद्ध और स्वामी विवेकानंद के बाद जिवन में इतना सच पथ दिखाने वाले आचार्य प्रशांत जैसे और कोई नहीं है.
इस सत्र में सामिल सभी वंधुजनों को मेरा प्रणाम 👏
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
जगत में जो कुछ भी चलायमान है वो है आत्मा के लिए ही, आत्मा एकमात्र अविनाशी तत्व है जो इस विनाशी संसार को चला रहा है।
श्रीमद्भगवदगीता को आपके मुख से सुनना मन को आनंदित कर देता है गुरुदेव। मेरे लिए तो श्री कृष्ण हैं आप गुरुदेव। 🙏🙏🙏🙏
भगवान आपको लंबी उम्र दे
ताकि हम आप को और अधिक समय तक सुन सके जिससे भ्रम के कारण फैला हुआ दुख मिट सके 🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद आचार्य जी, आपने तो जीवन ही बदल दिया है आप ना होते तो ऐसा होना संभव नहीं था जितना भी धन्यवाद करें बहुत कम है🙏
जय श्रीकृष्ण जय गुरुदेव 🙏🚩💕❤
🙏 I believe that either accept the truth and reality of life or obey the things of Acharya ji because it is Acharya ji who tells only the truth and real things. And we all have not found any such person till now. Agree?
Yes
In life there are no truths just relative truths, based on individual perspectives, that too forged over many lives and many false beliefs. So you are right, Acharya ji gives us the truth.
Right
Absolutely right
Totally agree.....
स्वार्थ सत्य की दिशा मे है तो स्वार्थ परमार्थ भी बन जाएगा । 🌈🙏🏻✨
जो अहम को आत्मा की ओर ले जाए वही धर्म है।
-आचार्य प्रशांत
True
Aapse achi geeta aur koi nhi padata acharaya ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Aapko pranam 🙏🏻
मेरे ख्याल से कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि, हे पार्थ! जो तेरे भीतर कुरीतियाँ, विकृतियाँ और दूषित धन (दुर्योधन) हैं उसके सभी अंगों का अंत कर मैं तेरे साथ हूँ, जीत तेरी होगी तू लड़ ।
अचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि नमन है मेरा 🙏🙏🙏🙏🙏
अदभुद समझ है आपकी, क्या ख़ूब समझआया आपने👌💝❣️
आचार्य जी 47 लाख सब्सक्राइबर तो ये यू ट्यूब अभी बता रहा है और करोड़ों सब्सक्राइबर आपके ऑफलाइन बन चुके हैं, हर घर घर आचार्य जी के विचार एक तूफान की तरह पहुँच रहे हैं, आपने इस दुनिया को सिखाया है की श्री गीता के ज्ञान में कितनी शक्ति है
bhai 4.78 crore
गीता की सुंदर व्याख्या करने के लिए धन्यवाद आचार्य जी...🙏🙏✨
बड़े वर्ग मतलब आचार्य जी कही इस्कॉन वालों को तो नही कह रहे है , उनकी गीता यथार्थ मेरे घर रखी है किंतु आचार्य जी को जबसे सुना तबसे उसे खोला ही नही।।
Same here
अद्भुत विश्लेषण गुरुदेव 🙏
कब से प्रतीक्षा थी गीता के अगले अंश की ।
आज से अब अगले अंश की प्रतीक्षा शुरू हो गई है । प्रतीक्षा को लम्बा मत करवाईयेगा ।🙏🙏
" प्रकृति माॅ है, पत्नी नहीं; नमन करो, भोग नहीं " ~ आचार्य प्रशांत जी प्रणाम 🙏
शत शत नमन आचार्य जी🙏🏻🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳
असली प्रेम सबको आत्मा से ही है बस उसको ढूढ़ अलग अलग जगह रहे है.....
पुराने जैसा तुममे कुछ न रहे यही आत्मा की महत्ता है।🍁🌿
सेहेन के लिए तो धीरज चाहिए और धीरज प्यार और ज्ञान के बिना संभव नहीं हो सकता। 🙏🏾
धन्यवाद गुरुजी 🙏🏾
सही बात कही है आपने,हम सब अर्जुन है।हम सबको कृष्ण चाहिए।बस उस कृष्ण को पहचाना बाकी है।🙏🏾❤️
सब अनित्य है और उसकी सार्थकता ही इसीमें है कि वो नित्य की खातिर मिट जाए।
अध्यात्म के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले नव युग के ऋषि आचार्य प्रशांत को मेरा नमन🙏
सादर नमन आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻🚩🚩
धर्म वो जो अहं को आत्मा की तरफ ले जाए।
1:21:45 आचार्य जी । योग का अर्थ है जुड़ना । जोड़ने के लिए 2 चीजें चाहिए । वो दो क्या हैं ?
और अगर दोनों भिन्न नही हैं तो योग शब्द का प्रयोग ही मिथ्या है ।
मन का आत्मा में मिल जाना, आत्मस्थ हो जाना या ब्रह्मलीन हो जाना ही योग कहलाता हैं |🌻
~ आचार्य प्रशांत 🙏
शत शत नमन आचार्य जी।
सत् सत् 'नमन गुरु जी 👏👏🙏🏼🙏🏼
गीता का सारा प्रवचन- अहम को ही संबोधित किया गया है।
और अहम से कहा जा रहा है तुम वो करो जो तुम्हें आत्मा की ओर ले जाएगा।
-आचार्य प्रशांत
शत् शत् नमन गुरुजी ❤️🙏🙏
सच्चाई की राह में जो कुछ भी आये उसको सहने को तितिक्षा कहते हैं। 🙏🙏
इतनी सुंदर व्याख्या। 🙏🕉️
जय श्री कृष्ण जय श्री आचार्य जी 🎯🙏
प्रात: स्मरणीय गुरू!!! हार्दिक नमस्कार।
Aapko कोटि-कोटि Naman Aacharya ji
जो मरेगा वो फिर जन्म भी लेगा जो जन्म लेगा वह फिर मरेगा भी आत्मा तो अनंत है तो इसमें शॉक कैसा बहुत समझा दिया आचार्य आपने🙏🙏
आचार्य जी प्रणाम आपका गीता पर ज्ञान दर्शन एक नई दिशा दिखाता है एक नई सोच पैदा करता है और हमारे पुराने मान्यताओं को बदलने में सक्षम है गीता का सही अर्थ आप से ही पता लगता है धन्यवाद आचार्य जी
जब स्थितियां खराब हो तो उनका डटकर सामना करो पलायन मत करो इसी में तुम्हारी सफलता है और प्रसन्नता है
सुख दुख में जो समान रहता है वही आनंद का अधिकारी है
आत्मा ही परमात्मा है
आचार्य प्रशांत जी आपका बहुत बहुत दिल से धन्यवाद 🙏 आपने श्रीमद्भागवत गीता का जो समझाया है शायद ही कोई पुरुष संत महात्मा ज्ञानी समझा सकता है 🙏 आपने सारे पहलू साफ़ साफ़ कर दी 🙏 आचार्य जी आपका 9 एपिसोड का इंतज़ार कर रहा हूँ🙏 सही मायने में आप जैसा समझाने का तरीक़ा किसी के पास नही है 🙏 और भी बहुत से विडीओ आपके देखे जा रहा हूँ मन ही नही भर रहा है 🙏 मानवीय नरेंद्र मोदी जी निवेदन है आपको z सुरक्षा मिलनी चाहिए 🙏 श्री कृष्ण तो सदा असली हीरा है कोई संशय नही पर हीरे की पहचान जिस अन्दाज़ में आप करवा रहे है वो भी किसी से कम नही 👏 आपका कार्य ओर उद्देश्य इस समाज के लिए बहुत उपयोगी है 🙏
हम तो गीता 20सल से पाठ कर रहे है लेकीन हम शरीर समझकर पढ रहे थे हमने इस तरह का अर्थ पहली बार सुना है
धन्यवाद आचार्य जी। ❣️❣️🙏🙏🙏❤️♥️
" धर्म अहम को चाहिए ताकि वो आत्मा को ओर बड़ सके"
" एक कष्ट ऐसा है जिसे आप जितना सहोगे उतना कम होता जाएगा, दूसरा वह है जिसे आप जितना सहोगेउत्न बढ़ता चला जाएगा। सहने से पहले कहना सीखो की कष्ट किस चीज के लिए से रहे हो। कष्ट तो दुर्योधन और रावण ने भी सहा था, लेकिन वो सत्य के विरुद्ध खड़े होने का कष्ट सह रहे थे। झूट के कारण जरा सा भी कष्ट मत सहो और सच के खातिर जो झेलना पड़ते वो झेल लेना।"
आचार्य जी आपको कैसे धन्यवाद करू वो शब्द ही नहीं है क्योंकि आपके ही वजह से जीवन का उद्देश्य क्या है ये पता चला नही तो तो ऐसे सामाजिक परम्पराओं की कुरीतियों से ग्रसित होता आया लेकिन वो आप ही है जिसके वजह से अज्ञान से बढ़कर ज्ञान की ओर बढ़ा हूं।
ऐसे आचार्य को सत सत नमन।🙏🏼🙏🏼🙏🏼
19:05 सही काम में अगर पीड़ा मिले, अगर उसे प्रेम का उपहार मान कर, सीने से नहीं लगा सकते, उसे देवता का प्रसाद मान कर माथे से नहीं लगा सकते, तो उसे दवाई का कड़वा घूंट ही मान कर बस सह लो। बहुत अच्छा होता कि, उसे प्रेम का उपहार मानते। सहना नहीं पड़ता बात आनंद की होती।🌺🙏🌺
गुरुजी ज्ञान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ़़़ आप जैसे ज्ञानी बहुत भाग्यशाली ओं को मिलते हैं
53:53 अद्भुत व्याख्यान 🙏🏻
अंत मे चाहिए तो सभी को एक ही 🌠 सच 🍁
jay shree ram bhagwan ji jay mata rani ji
आचार्य श्री के श्री चरणों में शत शत नमन
गीता ज्ञान को कितने अनुपम ढंग से समझा रहे हैं आप के लिए किसी के पास कुछ भी शब्द कहने को नहीं है कसे इस ज्ञान के लिए आभार व्यक्त करु आचार्य जी आप तो संसार को बदल दो गए अपने व्याख्यान से मेरा शत् शत् नमन ❤️🙏🙏🙏🙏🙏
शत शत नमन गुरूजी ❤️🙏
27:30 इसलिए कि कोई व्यक्ति अपने प्राण देने को तैयार है, यह सिद्ध नही होता कि वो सही है ।
शत शत नमन गुरुजी 🍂🍂❤
आचार्य जी श्रीमद् भगवद् गीता की आपने जितनी स्पष्ट, सुंदर और विस्तृत व्याख्या की है उतनी अच्छी व्याख्या पिछली एक शताब्दी मे तो किसी ने नही की होगी
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏
Har har mahadev gurudev 🙏🥰
Krishn bankar ham Arjuno ko Geeta samjhane ke liye koti koti naman
कोटिश नमन गुरुदेव बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏💝💝💝
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏❤
1:02 Shlok 14
33:39 shlok 15
45:36 Shlok 16
49:00 Shlok 17
1:00:21 Shlok 18
1:08:20 Shlok 19
जो कुछ भी अनित्य है उसकी सार्थकता ही इसमें है कि उसको मिटा दो एक संसाधन की तरह नित्य तक पहुँचने के लिए। 🙏🙏
राम जीते या रावण जीत और उक्त कृष्ण जीते या दुर्योधन नित्य आत्मा से कोई मतलब नही है कोटि-कोटि नमन 🕉️👏
ज्ञान की जरूरत हर पल हर झड़ साथ होना बहुत जरूरी है सर कहे या गुरु आप तो बहुत महान है
वाह क्या बात है, बोधपूर्ण ,साधुवाद श्रद्धेय आचार्य जी, सत सत नमन
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
योगेश्वर श्री कृष्ण शरणम मम...
🙏 आपने सत्य का अमृत छिड़क दिया है हमारे मन के भीतर अब हम मुक्त हो रहे हैं, बहुत प्यारी -प्यारी टिप्पणीयाँ करना चाह रहा हूँ पर मेरे शब्द छोटे पड़ रहे हैं 🙏
🙏❤❤🙏 सत्य के लिए कोई शब्द ही नहीं मिल रहे बस सत्य या आत्मा बोलकर इंगित कर रहा हूँ 🙏
कौरव कौन?
जो वृत्ति के बहाव में बह गया।
-आचार्य प्रशांत
Achraya ji aapki speech jab se sunta hu mere jivan ke kafi qustion mil gaye he ur bure vicharo se dheere dheere moh hathta jaa raha he. Naman gudev ji ko
प्रणाम गुरुजी 🙏🏾🙏🏾🙏🏾
❤️❤️❤️❤️
Acharya ji ko saat saat naman 🙏🙏🙏🙏
अर्जुनों के लिए गीता है।
उन्हें असत में सत दिखता है और सत असत जैसा दिखता है।
अर्जुनों को समझाना पड़ता है कि "तुम कौन हो और तुम्हारे लिए क्या सही है?
तुम वो हो जो कष्ट में है, ऐसा कुछ मत कर देना अर्जुन जो तुम्हारे कष्ट को और बढ़ा दें।
तुमसे मैं बात इसलिए नहीं कर रहा कि आत्मा तुम्हारी सच्चाई है।
तुमसे मैं बात इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि अहंकार तुम्हारा वर्तमान तथ्य है।"
-आचार्य प्रशांत
Thanks Acharya Ji, iska wait kar raha tha
Koti koti pranam gurudev
अपने ही हित हेतु किसी भी अन्य चीज़ के ऊपर सत्य को मूल्य दें।
जो व्यक्ति सच्चाई को सबसे ऊपर रखता है, वो किसी पर उपकार नहीं कर रहा है।
वो कुछ ऐसा कर रहा है जिससे उसका स्वयं का व्यक्तिगत कल्याण ही होगा।
और ये व्यक्तिगत कल्याण इतना विशेष होगा कि पारमार्थिक हो जाएगा।
उसका स्वार्थ परमार्थ बन जाएगा यदि स्वार्थ सत्य की दिशा में है तो।
-आचार्य प्रशांत
Mahima is love I need love ❤😢
बडे नशीब वाले है वो युवा जिसको इतना सही गायडन्स मिल रहा है.
49:25 सत्यमेव जयते
1:20:00 - 1:30:00 Life Changer, Concept of "Aatma"
शत् शत् नमन गुरु जी
Great 👍 attempt to explain the dynamics of consciousness
This is not attempt anymore
Acharya ji apko naman , jo v bolte hai ap. Bahut khub , har insan ko ap ne liye jina hota , khud ko pahe chan na padta BASS , chalte chalte raha pe ,pathar to ate hai ,7s ko hata ke chal na padta EAHI , baki sab BALLE BALLE ap ko again 🙆🙆🙆🙆🙆👍👍👍🌷🌷🌷🌷🌷🌷
स्वार्थ सत्य की दिशा मे है तो स्वार्थ परमार्थ मे बदल जायेगा.
Chira satya katha! Jay Shrikrishna!
Pure RUclips pr koi ish tarh geeta nhi samjha sakta 🎉
We are very lucky.....coz we have acharay ji ❤😊
Thanks gretitude Dhanyawad ji thanks
आचार्य जी के चरणों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Bahut bahut dhanyawad Acharya ji, mere bahut se andhvishwas the Jo aaj Bhagwat Geeta ko sun kar door ho rahe h, Hum sub to aggyan me hi jee rahe the Aaj Tak ,Humhari jindagi me roshni lane ke liye bahut bahut dhanyawad Acharya ji 🙏🙏