69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले पर भी कुछ बोल देते 😢😢😢 db के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में फसा दिया yogiadityanath जी obc sc से इतनी नफरत आखिर क्यों करते है 😢
यह पदोन्नति नियम संगत नही है जो नियमावली ही समाप्त हो चुकी हो उसके आधार पर पदोन्नति कैसे हो सकती है वेतनमान AICTE के अनुसार जबकि योग्यतायें पुरानी नियमावली से बहुत बड़े स्तर पर भ्रस्टाचार का अनुमान है इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए
इनकी लड़ाई इस बात की है की कुर्मी क्षत्रिय समाज का असली चेहरा/नेता कौन है। कुर्मी समाज किसके साथ रहना चाहते हैं।सब ढकोसला है, इनका न सरकार से कोई झगड़ा है,न ही आपस में, समाज के विकास से कोई मतलब नहीं है
पूरी डीपीसी का एक ही निष्कर्ष है एक ही माह में प्रति विभाग अध्यक्ष महोदय लोगो के वेतन में लगभग ₹80000 से ₹115000 तक की अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। पदोन्नति के लिए नियम राज्य सरकार के लिए गए और वेतन के नियम aicte के लिए गए। इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।
कुर्मी समाज माता जी के साथ रहे तो सही है और इस पार्टी को डा. सोनेलाल ने बनाया है और उनके संघर्ष की है और उन्होंने बहुत सहा है सोनेलाल जी को बहुत प्रताड़ित किया गया था और आज जब समाज जागी है तो समाज को उनकी पत्नी को ही पार्टी से बाहर करने की कोशिश की गई और पार्टी का सिंबल भी छीन लिया गया यहां तक की माता जी को आंतरिक विरोध के कारण रोहनिया उपचुनाव में हराया गया था और फिर विधानसभा 2022 में भी उनको अपनों के द्वारा चुनाव हराया गया था
Reality मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है| 11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है 12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
It's all against irregularities done in department. There is no rule of direct promotion for HOD in polytechnic. Only from UPPSC it is procedure for HoD from AICTE
क्या पटेल को हल्के में ले रहे हो और तुम होते कोन हो पटेलों को अलग करने वाले इन दोनों की अपनी पार्टी हैं कोन इनको अलग कर सकता है । शायद तुम भूल रहे हो की पटेल की वजह से ही खंड खंड भारत एक भारत बनाया है और तुम हो की पटेलों को अलग करने की बात करते हो यदि पटेल एक हो गया तो पटेल को किसी के साथ की जरूरत नहीं है और पटेल अपने दम ही जीतेंगे और सरकार नहीं बना पाएंगे तो इनके पटेल के समर्थन के बगैर कोई सरकार नहीं बना पाएगा इसलिए तुम जो भी बोलो सोच समझकर बोलो
पदोन्नति करने से पहले AICTE से भी मत लिया जा चुका था, पदोन्नति सभी नियमों के अंतर्गत हुई है और सही है। AICTE लागू होने के बाद 6600 का स्केल समाप्त हो चुका है और 9000 का स्केल लागू हो गया है। गलत प्रचार किया जा रहा है
पॉलिटेक्निक में हुई डीपीसी बिल्कुल सही है।। पल्लवी पटेल जी को कुछ पता नहीं है ।। नई नियमावली में 3 साल तक पुराने नियम से डीपीसी करने की छूट दी गई है ।।।
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
Dono logo ko apne rajneeti,cariyar ki padi hai,ye log Kaun hai, kya kiya hai kurmi samaj ke liye, sonelal kannojia ji,ke varis Kaun hai,ye khud nahi chahte koyi kurmi neta aage Na bade,
इस डीपीसी के लड़ाई मंत्रीजी और सचिवों के बीच में २०२३ से चल रही है! २०२३ में डीपीसी के चलते लेक्चरर्स के विभागीय ट्रांसफर नहीं हुए! २०२४ में भी डीपीसी के चलते विभागीय ट्रांसफर नहीं हुए! क्योंकि मंत्रीजी को डीपीसी करनी थी नियमों को दरकिनार करके और सचिव मना कर रहे थे! जिस चलते दोनों बार ट्रांसफर की टाइम लिमिट ख़त्म हो जाती थी! तो इस बार पहले दिसंबर में डीपीसी कर दी क्योंकि डीपीसी के साथ ट्रांसफर होना होता है!! लड़ाई ज़्यादा पैसे खाने की है!
सुना है कि पिता के राजनैतिक विरासत को लेकर झगड़ा है पर ये नहीं ज्ञात हो पा रहा है कि इनके पिताजी का क्या नाम था तथा उनका सार्वजानिक जीवन में क्या योगदान था अर्थात कौन सी राजनैतिक विरासत थी 😢😢
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है| 11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है 12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
Patrakaar mahoday sharm karo Ajay Rai Thakur bhi hai Brahman bhi hai donon jaati ka hai kiska vote khas kiska kyon kamina per tum log utar aate ho yaar
Darshan mein mat padhiye bhai sahab usmein padhiye ki Modi ko harane ke liye kisne chaal chala tha ki ham pradhanmantri honge isko bataiye jhuthe Ko kisi neta ko aap Bata rahe ho kya kamina per aap logon ka
आशीष पटेल जो की कुर्मी है और अपने आप को जमीदार पाटीदार सरदार वल्लभभाई पटेल से जोड़ता है जो की सामान्य में आते हैं हमको हंसी भी आती है दुख भी आता है इससे अच्छा तुम पलवी पटेल के पिताजी को जोड़ो उन्होंने जरूर संघर्ष किया है सोनेलाल खुद अपने कुर्मी समुदाय के लिए लड़े थे वह फर्जी में एक पाटीदार को अपना रिश्तेदार नहीं बने गए थे
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक अहर्ता क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है| 11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है 12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है| 11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है 12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है| 11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है 12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए 1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं 2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं 3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है 4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं 6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है 7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है 8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे 9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है । 10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले पर भी कुछ बोल देते 😢😢😢 db के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में फसा दिया yogiadityanath जी obc sc से इतनी नफरत आखिर क्यों करते है 😢
यह पदोन्नति नियम संगत नही है
जो नियमावली ही समाप्त हो चुकी हो उसके आधार पर पदोन्नति कैसे हो सकती है
वेतनमान AICTE के अनुसार जबकि योग्यतायें पुरानी नियमावली से
बहुत बड़े स्तर पर भ्रस्टाचार का अनुमान है इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए
2016 से 2021 तक विभागाध्यक्ष की डीपीसी क्यों नहीं की गई जबकि प्रधानाचार्य की 2021 में डीपीसी की गई जबकि हर वर्ष पदोन्नति होनी थी
डीपीसी पूर्णतः गलत है। विभाग के किसी भी व्यक्ति को यह तक नहीं पता कि विभाग में एआईसीटीई की सेवा शर्तें कौन सी तिथि से लागू हुई है।
इनकी लड़ाई इस बात की है की कुर्मी क्षत्रिय समाज का असली चेहरा/नेता कौन है। कुर्मी समाज किसके साथ रहना चाहते हैं।सब ढकोसला है, इनका न सरकार से कोई झगड़ा है,न ही आपस में, समाज के विकास से कोई मतलब नहीं है
इस पदोन्नति की जांच कराई जाय और यदि रिश्वत का मामला सामने आता है तो ईमानदार सरकार को दागदार होने से बचाया जाए।
Dpc बिल्कुल सही हुई है ,
पूरी डीपीसी का एक ही निष्कर्ष है एक ही माह में प्रति विभाग अध्यक्ष महोदय लोगो के वेतन में लगभग ₹80000 से ₹115000 तक की अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। पदोन्नति के लिए नियम राज्य सरकार के लिए गए और वेतन के नियम aicte के लिए गए। इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।
Bacis pay scale 131
जय अनुप्रिया, जय अपना दल s
आज कल आग बिना धुयें की भी निकलती है। क्यों कि LPG आ गयी है। 😂😢😅
बेसिक शिक्षा भर्ती कब से विवाद में है उसके वारे में कोई जानकारी है आपके पास या यही रटकर सामने बैठ गए
Dpc bilkul sahi hui hai.lag raha hai Inko koi jaankaari nahi hai. Keval political view lag rahe hai.
Bcz anupriya raise concern about SC,ST, and OBC..
But what about irregularities that is done.
69000 Bharti me kya hua wo tum logo ko nhi mikhail deta
लड़ना अपनी जगह ; मुख्य मुद्दे की बात करिए ।
कुर्मी समाज अपना दल एस के साथ है
कुर्मी समाज माता जी के साथ रहे तो सही है और इस पार्टी को डा. सोनेलाल ने बनाया है और उनके संघर्ष की है और उन्होंने बहुत सहा है सोनेलाल जी को बहुत प्रताड़ित किया गया था और आज जब समाज जागी है तो समाज को उनकी पत्नी को ही पार्टी से बाहर करने की कोशिश की गई और पार्टी का सिंबल भी छीन लिया गया यहां तक की माता जी को आंतरिक विरोध के कारण रोहनिया उपचुनाव में हराया गया था और फिर विधानसभा 2022 में भी उनको अपनों के द्वारा चुनाव हराया गया था
Reality
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है|
11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है
12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
इतना लंबा कंटेंट कौन पढ़ेगा?
इस देश को कौन चला रहा आम विधायक मंत्री या जनता प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चलता है स्वार्थ सबकुछ क्या
Jabki vibhagiy kary shashan ne niyam se kiya hai
It's all against irregularities done in department. There is no rule of direct promotion for HOD in polytechnic. Only from UPPSC it is procedure for HoD from AICTE
Janch honi chahiye fake dpc ka
Bhura bal saph karo india and up se means bhumihar, rajput, kayasth and brahmin in up and india govt jobs se.
पदोन्नती ग़लत हुआ है यहि सर्व विदित हैं।
इन दोनो पटेलो को बाहर कल देना चाहिए
Ker do😂 aur dekh lo
क्या पटेल को हल्के में ले रहे हो और तुम होते कोन हो पटेलों को अलग करने वाले इन दोनों की अपनी पार्टी हैं कोन इनको अलग कर सकता है । शायद तुम भूल रहे हो की पटेल की वजह से ही खंड खंड भारत एक भारत बनाया है और तुम हो की पटेलों को अलग करने की बात करते हो यदि पटेल एक हो गया तो पटेल को किसी के साथ की जरूरत नहीं है और पटेल अपने दम ही जीतेंगे और सरकार नहीं बना पाएंगे तो इनके पटेल के समर्थन के बगैर कोई सरकार नहीं बना पाएगा इसलिए तुम जो भी बोलो सोच समझकर बोलो
पदोन्नति करने से पहले AICTE से भी मत लिया जा चुका था, पदोन्नति सभी नियमों के अंतर्गत हुई है और सही है। AICTE लागू होने के बाद 6600 का स्केल समाप्त हो चुका है और 9000 का स्केल लागू हो गया है। गलत प्रचार किया जा रहा है
पॉलिटेक्निक में हुई डीपीसी बिल्कुल सही है।। पल्लवी पटेल जी को कुछ पता नहीं है ।। नई नियमावली में 3 साल तक पुराने नियम से डीपीसी करने की छूट दी गई है ।।।
एकदम नियमानुसार हुई है डी पी सी
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
69000 ghotale pe bhi kuch bolo patrkar
Pallavi patel ji apni rajniti chamkane ke liye galat point ko uta ke highlight hona chahti hai
69000 hajar par kuchh bolo
😊
Thakurvad
BJP ke dher saare vidhyak is galat dpc ke baare me CM ko letter se inform kiye the
ye Bahut dukhad hai ki log apne fayede ke liye jite hai lekin unkne junior ka kya hoga kyun ki iske baad dpc nahi hogi
Ye Govt decide karegi. Dpc bhi Govt ne hi ki hai.
Dono logo ko apne rajneeti,cariyar ki padi hai,ye log Kaun hai, kya kiya hai kurmi samaj ke liye, sonelal kannojia ji,ke varis Kaun hai,ye khud nahi chahte koyi kurmi neta aage Na bade,
Ajay Raj Rathore kis jaati ka tha use jaati ko vote usko nahin mila
इस डीपीसी के लड़ाई मंत्रीजी और सचिवों के बीच में २०२३ से चल रही है! २०२३ में डीपीसी के चलते लेक्चरर्स के विभागीय ट्रांसफर नहीं हुए! २०२४ में भी डीपीसी के चलते विभागीय ट्रांसफर नहीं हुए! क्योंकि मंत्रीजी को डीपीसी करनी थी नियमों को दरकिनार करके और सचिव मना कर रहे थे! जिस चलते दोनों बार ट्रांसफर की टाइम लिमिट ख़त्म हो जाती थी! तो इस बार पहले दिसंबर में डीपीसी कर दी क्योंकि डीपीसी के साथ ट्रांसफर होना होता है!! लड़ाई ज़्यादा पैसे खाने की है!
जब पता न हो तो ज्यादा जान नहीं देना चाहिए। डीपीसी मंत्री जी ने नहीं सबसे ईमानदार IAS अधिकारी एम देवराज साहब ने की है।
@ तो उन्होंने तो ६६०० पे की थी ये ९००० किसने कर दी!!
@@dharmpalsingh6905 ज्ञान सही लिखे
यह 9000 इन सभी ने पैसे देकर ले ली।।।।इसी लिए तो ट्रांसफार्मर नहीं हो रहे थे
@@rakeshverma7895 aap Govt par aarop laga rahe hain?
Dpc sahi hai
सुना है कि पिता के राजनैतिक विरासत को लेकर झगड़ा है पर ये नहीं ज्ञात हो पा रहा है कि इनके पिताजी का क्या नाम था तथा उनका सार्वजानिक जीवन में क्या योगदान था अर्थात कौन सी राजनैतिक विरासत थी 😢😢
DPC niyamanusar hui h
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है|
11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है
12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
वर्तमान डीपीसी पर बात करिए! उसमे चोरी हुई है! और जिनकी डीपीसी हुई है उन्होंने रिश्वत दी है और जिन्होंने की है उन्होंने ली है!
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
Patrakaar mahoday sharm karo Ajay Rai Thakur bhi hai Brahman bhi hai donon jaati ka hai kiska vote khas kiska kyon kamina per tum log utar aate ho yaar
Forward minister evam Forward officials wale department pak saf hai,bjp bahujan community k leader's ko insult kr rhi hai.
Darshan mein mat padhiye bhai sahab usmein padhiye ki Modi ko harane ke liye kisne chaal chala tha ki ham pradhanmantri honge isko bataiye jhuthe Ko kisi neta ko aap Bata rahe ho kya kamina per aap logon ka
आशीष पटेल जो की कुर्मी है और अपने आप को जमीदार पाटीदार सरदार वल्लभभाई पटेल से जोड़ता है जो की सामान्य में आते हैं हमको हंसी भी आती है दुख भी आता है इससे अच्छा तुम पलवी पटेल के पिताजी को जोड़ो उन्होंने जरूर संघर्ष किया है
सोनेलाल खुद अपने कुर्मी समुदाय के लिए लड़े थे वह फर्जी में एक पाटीदार को अपना रिश्तेदार नहीं बने गए थे
Yha bhi aa gya tu jalankhor😂
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक अहर्ता क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है|
11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है
12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है|
11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है
12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं जिस शासनादेश एवं मा० उच्चन्यायालय के आदेश से 2018 में कार्यरत विभाध्यक्ष 6600 ग्रेड पे से 9000 पर तथा प्रधानाचार्य जिनमें आप स्वयं है 7600 ग्रेड पे से 9000 ग्रेड पे पर बिना किसी विशिष्ट योग्यता के चले गए क्या वर्तमान में प्रोन्नत विभागाध्यक्षों पर लागू नहीं है
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है|
11 . जब इनके द्वारा की गयी शिकायत पर महामहिम राज्यपाल मोहोदय द्वारा कुलपति महोदय AKTU लखनऊ से जाँच तथा AICTE द्वारा परामर्श प्राप्त करने के बाद परिणाम घोषित किये गये है तो अब इनके विरोध का क्या औचित्य है
12 क्या ये महामहिम राज्यपाल ,मा 0 मुख्यमंत्री AICTE , मा0 मंत्री महोदय तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय इन सबके ऊपर है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
महोदय, वैसे तो मुझे किसी से कोई आशा नहीं है-- न सरकार से न मीडिया से फिर भी प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में संपन्न पदोन्नति में नियमों के पालन संबंधी श्री आशीष पटेल के मिथ्या दावों एवं इसे राजनीतिक रंग देकर भ्रष्टाचार को गौड़ बनाने के अति निंदनीय प्रयास के संबंध में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया निम्न प्रश्न विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव श्री एम देवराज, मंत्री आशीष पटेल, बिना जानकारी के उनके समर्थन में उतरीं उनकी पत्नी श्रीमती अनुप्रिया पटेल, गुमराह करने वाले निदेशालय के अधिकारियों, एवं बीफार्मा कॉलेज सत्यापन में अपचारी पाए गए UPTESA अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव अवश्य पूछे जाएं:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है
मीडिया के सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया " *प्राविधिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश" में विभागाध्यक्ष पद पर हुई सही पदोन्नति* को गलत बताने वाले श्री आर बी सिंह पूर्व OSD से कुछ बिंदुओं पर भी जवाब मांगना चाहिए
1.जब यह विभाग में आए तब उनकी शैक्षिक कार्यताएं क्या थी और यह किस नियम से पदोन्नति होकर विभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के वर्तमान पद पर कार्य कर रहे हैं
2.क्या यह विभागध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य के पद पर लोक सेवा आयोग से आए हैं
3.जब यह पदोन्नति से प्रधानाचार्य तक बने तो अब पदोन्नति कैसे गलत है
4.श्रीमान जी से पूछा जाना चाहिए कि माननीय न्यायालय का डबल बेंच का डिसीजन 2011 में आ गया तो इनकी विभागाध्यक्ष के पद पर ग्रेड पे 6600 में पदोन्नति 2013 में कैसे हो गई और 2016 में विभागाध्यक्ष से प्रधानाचार्य कैसे बन गए क्या यह कंटेंप्ट आप कोर्ट नहीं था और वह कैसे नियमानुसार था उनकी खुद की DPC प्रधानाचार्य के पद पर पुराने नियमों से ग्रेड पे 7600 में 2016 में हुई क्या यह कंटेंप्ट का कोर्ट नहीं था 5.वर्तमान में 9000 ग्रेड पे की सैलरी ले रहे हैं वह किस नियम से ले रहे हैं कृपया इन्हीं से पूछा जाए कि आपकी पदोन्नति ग्रेड पे 7600 पर हुई थी लेकिन वर्तमान में आप 9000 ग्रेड पे कैसे ले रहे हैं
6. क्या पात्रता के मापदंड विभाग में समस्त कार्मिकों के लिए एक है या अलग-अलग अगर एक हैं तो कृपया बताने का कष्ट करें कि जो लोग विभाग में प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद धारित कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश की शैक्षिक योग्यताएं डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MA, MSc एवं बीटेक हैं jo AICTE के अनुरूप योग्यताएं नहीं रखते हैं तो वह सभी लोग अपने पदों पर कैसे कार्य कर रहे हैं और इन्होंने अभी तक क्या किया है
7.इनके द्वारा तथ्यहीन नियम विरुद्ध जो आचरण किया जा रहे हैं वह वास्तविकता में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरे विभाग की छवि को खराब किया जा रहा है जो अत्यंत निंदनीय है
8. मीडिया के साथियों से भी आग्रह है कि वह प्रकरण में अगर विभाग के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इन नियमों के बारे में आप स्वयं अगर जानकारी हासिल कर लेंगे तो आप इन लोगों को स्वयं ही एक्सपोज कर देंगे और इनकी सच्चाई सबके सामने ला देंगे
9.जब 03/05/18 के बाद की पदोन्नति ग़लत है तो 10/05/2013 से सारी पदोन्नति ग़लत है क्युकी 2013 में भी aicte को अंगीकृत किया गया था 2018 की तरह उस समय कपूर सर प्रमुख सचिव थे । उसके अनुसार तो राज बहादुर जी की प्रिंसिपल की डीपीसी भी नियम विरुद्ध है ।
10. इस पदोन्नति के संबंध में अगर नियमों की बात की जाए तो प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में 9 जून 2021 को AICTE के अनुरूप नियमावली अंगीकृत की गई थी जो लोग पहले से पIत्र हैं और उनकी पदोन्नति किसी कारणवश उस समय नहीं हो पाई है ऐसे समस्त कार्मिकों के पदोन्नति हेतु अगले तीन वर्ष तक पुराने नियमों से पदोन्नति करने का प्रावधान AICTE मैं दिया गया है जिसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव महोदय द्वारा यह पदोन्नति नियमानुसार 30.05.2024 को की गई है