* Achary ji Apke Charnome Koti-koti pranamji... * Aatma so PARMATMA.. * Har Hamesh sath... Parchhai ki Tarah rehte he. isiliye SHYAMA-SHYAM.= JUGAL SWARUP = YUGALKISHOR =RAJ-SHYAMAJI =HAK-SHUBHAN = RUHALLAH= SACHIDANAND SWARUP he..Anand Swarup = Shining Body = Darshniy = Saxi Rup he jo PARAMDHAM me Rahta he apni AATMAoke sath.. Advaitbhav= Vahedat= NOORJAMAL=SWARUPVALA = PuranBrahm= parvardigar..he ARSHEAZIM = PARAMDHAM me birajman he...Shlok he.. * Chidadityam Kishorangam Paredhamni Birajitam swarupam sachidanandam Nirvikaram Sanatanam .. * * Jiv ** Aatma ** Parmatma.. *** TARK Alag he or Hakikat Alag he... * So Teta hi Boliya jo gaya Jahan Lo chal, Apne-Apne Mukhse Bayan kari Manzil.... * HAKIKAT me SWARUPVAN he...But.. Satta ke= power ke Rupme Nirakar he is Duniyame... Jese President koi Gazette circulate hota he to Alag-Alag Languages me State ke Hisabse sabko lagu hota he KANUN- ADEDH lagu ..Dikhta nahi But KANUN ka Dar rehta he..* * Shariyat. Tarikat. Hakikat. & Marfat ( Karmkand-Upasana. Gyan & Vigyan .. * jese BALAK Bavra Khele HANSTA Roy ese Sadhu Shashtrme Dradh na Shabda koi.... * for more information & Clear cut Details ref.books *SHRI KULJAM SWARUP SAHEB & SHRI VITAK SAHEB ( THE HISTORY OF NIJANAND SAMPRADAY =Shri Krishna Pranami Dharm). WRITTEN BY SHRI MAHAMATI SHRI PRANNATHJI..PRANAMJI NAMASKAR SIRJI ..PRANAMJI
मैने लगभग हर तरह की किताब को पढ़ा, जाना, समझा है गहराई से पूरे अर्थो मे - फिर चाहे वो किताब धर्म, विज्ञान, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम फिजिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान, इतिहास, भूगोल, गणित, मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान की हो या फिर कैसी भी क्यों ना हो, और मै पूरे वैज्ञानिक नजरिये से जांचते परखते हुए इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि किसी को, मै फिर जोर दे कर कहता हूँ कि किसी को भी सच नहीं मालूम है और ब्रह्मांड के सूक्ष्म व सही नियमो की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है कम से कम आज की तारीख मे तो l यानी किसी को कुछ भी नहीं पता है l सब बस अपनी अपनी बात बोल रहे हैं अपने दिमाग मे उठने वाले तूफानी विचारों से और खुद को सही मान रहे हैं और बिल्कुल ही मुगालते मे जी रहे हैं l जबकि असल सच यह है कि किसी को कुछ भी नहीं पता है - कुछ नहीं पता है l ब्रह्मांड बड़ा पेचीदा है और इसको समझने के लिए बहुत बड़ी करोडो तेज दिमागों के बराबर वाली सूझबूझ व अक्ल चाहिए जो अभी इंसानो के पास नहीं है l दरअसल अक्ल के मामले मे इंसान बस जानवरों से थोड़ा सा ही बेहतर है और इसी बेहतर अक्ल के दम पर उसने अपने फ़ायदे के लिए अक्ल को इस्तेमाल किया है मगर अभी उसकी अक्ल इतनी तेज नहीं हुई है जो ब्रह्मांड के असली नियमों को जान और खोज सके l हमारा कम्पटीशन जानवरो से है और हम इंसान निसंदेह जानवरों से बेहतर हैं - मगर असली सच इस ब्रह्मांड का हमको समझ मे नहीं आने वाला है क्योंकि हम इंसानो की अक्ल अभी बहुत छोटी ही है - हाँ जानवरों की अक्ल से थोड़ा बेहतर है l अब तक बुद्दिमान इंसानो ने जो कुछ भी खोजा है वो सब सत्य और सच के सापेक्ष गलत ही है - ब्रह्मांड का सच जब भी मिलेगा वो बिल्कुल दूसरे तरीके का और हमारी सोच से बिल्कुल अकल्पनीय रूप से अलग ही होगा l तो आज मे पूरे जोर शोर से ये घोषणा कर सकता हूँ कि किसी को कुछ नहीं पता है और इतना तो मुझको अब पता चल ही गया है l इंसान ने कुछ अपने काम निकालने सीख लिए हैं कुदरत के सहयोग से तो इंसान बड़े बड़े दावे करने लगा है कि उसने तो सबकुछ जान लिया है जबकि उसने कुछ नहीं जाना है l ये ब्रह्मांड बहुत बहुत बहुत बड़ा है और यहाँ गणनाएँ लाखों करोड़ो मे नहीं खरबों खरब और उससे भी आगे जाकर नील, पदम, शंख, महाशंख और फिर अनंत तक जाती हैं और सूक्ष्म स्तर पर शून्य से इतर माइनस साइड मे जाकर बहुत सूक्ष्मता की गहराइयों तक जाती हैं तो भैया कोई भी और कैसी भी इंसानी बुद्धि इस ब्रह्मांड को समझने मे नाकाम ही रहेगी हमेशा l "किसी को कुछ भी नहीं पता" - बस इतना याद रखो l "किसी को कुछ नहीं पता" ये एक सत्य वचन है बस इसको ये समझो कि पत्थर पर खींची गई लकीर l डिबेट मे अगर कोई अच्छा पाइंट और अच्छे विचार दे रहा है तो वो सच को साबित नहीं कर रहा होता है बल्कि दूसरे लोगों के पाइंट और विचारों को गलत साबित कर रहा होता है जो उससे कमतर तार्किक लोगों के द्वारा दिये गए होते हैं लेकिन फिर भी इससे ये साबित नहीं होता कि अच्छे तर्क देने वाले का ब्रह्मांड के असल सच का कोई संबंध है l ब्रह्मांड तो अनंत है तो इसको जानने के लिए बहुत बड़ी बुद्धि चाहिए महज एक खोपडी, दो हाथ, दो पैर, 70-75 किलो वजन और 5-6 फीट के शारीरिक दायरे मे कैद मामूली और तुच्छ इंसान इस ब्रह्मांड के असल सच को कभी भी नहीं जान सकता है - बस भ्रम और मुगालता पाल सकता है l बेचारा मामूली इंसान ब्रह्मांड के सच को जान लेने का बड़ा दावा करता है सिर्फ दूसरे लोगों को प्रभावित करने के लिए l कल का न्यूटन और आईंस्टीन आज गलत सिद्ध होगा तथा आज के तमाम महान वैज्ञानिक आने वाले कल मे गलत सिद्ध होंगे - तो ज्ञान का प्रवाह इतना प्रबल है कि सबकी खोजें, अनुमान, थ्योरी, खोज और बड़े बड़े दावे सब गलत साबित ही होंगे असल सत्य की खोज मे l बहुत बड़ा और सटीक पैमाना चाहिए इस ब्रह्मांड के सत्य को मापने के लिए जो अभी इंसानी बुद्धि से बहुत बहुत परे है l
आत्मन् की सिद्धि के लिये प्राप्त शब्द- प्रमाण में शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ सन्देह मे डालते हैं तब क्या 1) क्या स्वामी दयानन्द सरस्वती सें लेकर अद्य तक को सत्य-साक्षात्कार या ईश्वर-साक्षात्कार या आत्म-साक्षात्कार होने के आत्म-कथा (Auto-biography ) या जीवन -कथा Biography ) के क्या प्रमाण है ? ??। कृपया स्पष्ट करें । Thanks. Anando.
धन्यवाद आचार्य जी नमस्ते शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩
pranam 🙏 Aacharyaji
बहुत बहुत धन्यवाद आभार आदरणीय आचार्य जी 🙏
बहुत सुंदर प्रमाणों से समझाया आचार्य श्री
आर्य समाज में एक अलग ही विचारधारा ने जन्म ले लिया है जो कि आत्मा को साकार मानता है...
Bahut sundar guruji
आचार्य जी सादर नमस्ते
Om Aacharya ji 🙏🙏🙏
🙏🙏
धन्यवाद गुरुवर।
सादर नमस्ते आचार्य जी
ओम् आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏
🌺🙏
नमस्ते आचार्य जी, आपने वैज्ञानिक तथा तार्किक दृष्टिकोण से ऋषि ग्रन्थों से प्रमाण देकर समझा दिया है कि आत्मा निराकार है। बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी।
आचार्य जी को सादर प्रणाम
🚩जय भारत।
अति ज्ञान वर्धक व्याख्या है। बहुत बहुत धन्यवाद।🎉
आत्मा निराकार है अनुभव है 🙏
सादर नमस्ते आचार्य जी🙏
🚩🕉️🌞🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🕉
* Achary ji Apke Charnome Koti-koti pranamji...
* Aatma so PARMATMA..
* Har Hamesh sath...
Parchhai ki Tarah rehte he.
isiliye SHYAMA-SHYAM.=
JUGAL SWARUP = YUGALKISHOR =RAJ-SHYAMAJI =HAK-SHUBHAN = RUHALLAH= SACHIDANAND SWARUP
he..Anand Swarup =
Shining Body = Darshniy =
Saxi Rup he jo PARAMDHAM me Rahta he apni AATMAoke sath..
Advaitbhav= Vahedat= NOORJAMAL=SWARUPVALA = PuranBrahm= parvardigar..he ARSHEAZIM = PARAMDHAM me birajman he...Shlok he..
* Chidadityam Kishorangam Paredhamni Birajitam swarupam sachidanandam Nirvikaram Sanatanam ..
* * Jiv ** Aatma ** Parmatma..
*** TARK Alag he or Hakikat Alag he...
* So Teta hi Boliya jo gaya Jahan Lo chal, Apne-Apne Mukhse Bayan kari Manzil....
* HAKIKAT me SWARUPVAN he...But..
Satta ke= power ke Rupme
Nirakar he is Duniyame...
Jese President koi Gazette circulate hota he to Alag-Alag Languages me State ke Hisabse sabko lagu hota he KANUN- ADEDH lagu ..Dikhta nahi
But KANUN ka Dar rehta he..*
* Shariyat. Tarikat. Hakikat. & Marfat ( Karmkand-Upasana. Gyan & Vigyan ..
* jese BALAK Bavra Khele
HANSTA Roy ese Sadhu
Shashtrme Dradh na Shabda koi....
* for more information &
Clear cut Details ref.books
*SHRI KULJAM SWARUP SAHEB & SHRI VITAK SAHEB ( THE HISTORY OF NIJANAND SAMPRADAY
=Shri Krishna Pranami Dharm). WRITTEN BY SHRI
MAHAMATI SHRI PRANNATHJI..PRANAMJI NAMASKAR SIRJI ..PRANAMJI
Thanks you sir
Om ji om
मैने लगभग हर तरह की किताब को पढ़ा, जाना, समझा है गहराई से पूरे अर्थो मे - फिर चाहे वो किताब धर्म, विज्ञान, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम फिजिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान, इतिहास, भूगोल, गणित, मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान की हो या फिर कैसी भी क्यों ना हो, और मै पूरे वैज्ञानिक नजरिये से जांचते परखते हुए इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि किसी को, मै फिर जोर दे कर कहता हूँ कि किसी को भी सच नहीं मालूम है और ब्रह्मांड के सूक्ष्म व सही नियमो की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है कम से कम आज की तारीख मे तो l
यानी किसी को कुछ भी नहीं पता है l सब बस अपनी अपनी बात बोल रहे हैं अपने दिमाग मे उठने वाले तूफानी विचारों से और खुद को सही मान रहे हैं और बिल्कुल ही मुगालते मे जी रहे हैं l जबकि असल सच यह है कि किसी को कुछ भी नहीं पता है - कुछ नहीं पता है l
ब्रह्मांड बड़ा पेचीदा है और इसको समझने के लिए बहुत बड़ी करोडो तेज दिमागों के बराबर वाली सूझबूझ व अक्ल चाहिए जो अभी इंसानो के पास नहीं है l
दरअसल अक्ल के मामले मे इंसान बस जानवरों से थोड़ा सा ही बेहतर है और इसी बेहतर अक्ल के दम पर उसने अपने फ़ायदे के लिए अक्ल को इस्तेमाल किया है मगर अभी उसकी अक्ल इतनी तेज नहीं हुई है जो ब्रह्मांड के असली नियमों को जान और खोज सके l
हमारा कम्पटीशन जानवरो से है और हम इंसान निसंदेह जानवरों से बेहतर हैं - मगर असली सच इस ब्रह्मांड का हमको समझ मे नहीं आने वाला है क्योंकि हम इंसानो की अक्ल अभी बहुत छोटी ही है - हाँ जानवरों की अक्ल से थोड़ा बेहतर है l
अब तक बुद्दिमान इंसानो ने जो कुछ भी खोजा है वो सब सत्य और सच के सापेक्ष गलत ही है - ब्रह्मांड का सच जब भी मिलेगा वो बिल्कुल दूसरे तरीके का और हमारी सोच से बिल्कुल अकल्पनीय रूप से अलग ही होगा l
तो आज मे पूरे जोर शोर से ये घोषणा कर सकता हूँ कि किसी को कुछ नहीं पता है और इतना तो मुझको अब पता चल ही गया है l
इंसान ने कुछ अपने काम निकालने सीख लिए हैं कुदरत के सहयोग से तो इंसान बड़े बड़े दावे करने लगा है कि उसने तो सबकुछ जान लिया है जबकि उसने कुछ नहीं जाना है l ये ब्रह्मांड बहुत बहुत बहुत बड़ा है और यहाँ गणनाएँ लाखों करोड़ो मे नहीं खरबों खरब और उससे भी आगे जाकर नील, पदम, शंख, महाशंख और फिर अनंत तक जाती हैं और सूक्ष्म स्तर पर शून्य से इतर माइनस साइड मे जाकर बहुत सूक्ष्मता की गहराइयों तक जाती हैं तो भैया कोई भी और कैसी भी इंसानी बुद्धि इस ब्रह्मांड को समझने मे नाकाम ही रहेगी हमेशा l
"किसी को कुछ भी नहीं पता" - बस इतना याद रखो l "किसी को कुछ नहीं पता" ये एक सत्य वचन है बस इसको ये समझो कि पत्थर पर खींची गई लकीर l
डिबेट मे अगर कोई अच्छा पाइंट और अच्छे विचार दे रहा है तो वो सच को साबित नहीं कर रहा होता है बल्कि दूसरे लोगों के पाइंट और विचारों को गलत साबित कर रहा होता है जो उससे कमतर तार्किक लोगों के द्वारा दिये गए होते हैं लेकिन फिर भी इससे ये साबित नहीं होता कि अच्छे तर्क देने वाले का ब्रह्मांड के असल सच का कोई संबंध है l ब्रह्मांड तो अनंत है तो इसको जानने के लिए बहुत बड़ी बुद्धि चाहिए महज एक खोपडी, दो हाथ, दो पैर, 70-75 किलो वजन और 5-6 फीट के शारीरिक दायरे मे कैद मामूली और तुच्छ इंसान इस ब्रह्मांड के असल सच को कभी भी नहीं जान सकता है - बस भ्रम और मुगालता पाल सकता है l बेचारा मामूली इंसान ब्रह्मांड के सच को जान लेने का बड़ा दावा करता है सिर्फ दूसरे लोगों को प्रभावित करने के लिए l
कल का न्यूटन और आईंस्टीन आज गलत सिद्ध होगा तथा आज के तमाम महान वैज्ञानिक आने वाले कल मे गलत सिद्ध होंगे - तो ज्ञान का प्रवाह इतना प्रबल है कि सबकी खोजें, अनुमान, थ्योरी, खोज और बड़े बड़े दावे सब गलत साबित ही होंगे असल सत्य की खोज मे l बहुत बड़ा और सटीक पैमाना चाहिए इस ब्रह्मांड के सत्य को मापने के लिए जो अभी इंसानी बुद्धि से बहुत बहुत परे है l
बहुत सुंदर !आचार्य जी प्रणाम! प्रबुद्ध श्रोतागण जरा विचार करें कि इस खोज परक व्याख्यान को तैयार करने में कितना पुरुषार्थ किया होगा!🌹🙏
आप ने जो आत्मा के बारे में निराकर बताकर सिद्ध कर दिया लेकिन विडियो के अंत में आपने साकार और निराकार पर मिली झूली परक्रिया से संसय में डाल दिया
कया आप लाव भी आते। हु कया
आत्मन् की सिद्धि के लिये प्राप्त शब्द- प्रमाण में शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ सन्देह मे डालते हैं तब क्या 1) क्या स्वामी दयानन्द सरस्वती सें लेकर अद्य तक को सत्य-साक्षात्कार या ईश्वर-साक्षात्कार या आत्म-साक्षात्कार होने के आत्म-कथा (Auto-biography ) या जीवन -कथा Biography ) के क्या प्रमाण है ? ??। कृपया स्पष्ट करें । Thanks. Anando.
Atma and parmatma barabar hai.dono hi tatwa nahi nihtatwa hai.panch bhuton se tulana hi bekar hai.
आत्मा के बारे में आपके ज्ञान सही नहीं है