बुद्ध दर्शन पर आपका कथन सुना सत्य को जानना बहुत कठिन है वह बुद्धि से परे की बात है बुद्धि के द्वारा किसी भी बात को कहना हमारे लिए सत्य हो सकता है बहुत सारी बातें हमने यह कहकर छोड़ दी कि इसका कोई उत्तर नहीं है ऐसा नहीं है आपने जितनी भी बातें बताई उसका एक मतलब तो है ही नहीं बातों में बहुत सारे घूम है🙏
चरण वंदना गुरु श्रेष्ठ। आपके द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों में लीन हुआ मैं अपनी पढ़ाई के दौरान दर्शन की इतनी गहराई मैं नहीं उतर पाया था जो अब उतर रहा हूं।
हिनयान महायान और ब्रजरानी तिनों बुद्ध के मार्गदर्शन है लेकिन बाद में अलग-अलग रास्तों पर चला गया है, इन तीनों बुद्ध शाखा के बारे में बिस्त्रित जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूं। आगे भी तिनों बुद्ध लाखों के प्रति निस्वार्थ भाव से जानकारी देने कि आशा करुंगा धन्यवाद। नमो बुद्धाय
The term “Hinayana” is coined by Mahayana tradition and somewhat Carries a derogatory sense if not explained carefully. It is best to refer to the former as “early Buddhism” or “pali Buddhism” in or Shravakayana.
#heenYaan 1) arhat (ultimate) 2) "find your own path - said budhha" 3) no god, no Atman, only change itself absolute. 4) anityavaad 5) Paramita (ways to reach perfection), believed 21. 6) Shravak to Bodhisattva 7) conservatives 8) turned to rituals..* AatamaDeepoBhava #mahaYaan 1) Bodhisattva 2) "work for upliftment of societal values - said budhha" 3) believers of bhakti 4) jagdishvara - budhha 5) nirmaan/roop Kaya of budhha. Dharm/Adhyatam/Spritual Kaya. Tushikshetra (tushilok), Anand Kaya, the absolute. (3 Kayas of budhha). 6) work for others/society. 7) liberals 8) AshvaGhosh | NagarJuna 9) turned to bhakti..**
I am practicing Nichiren Buddhism since last three years which is a Mahayana buddhism. In this Buddhist doctrine, we chant nam Myoho Renge kyo for the happiness of all living beings
@@smitesh.तुम बेहद घटिया और तुच्छ व्यक्ति हो जो नवयान और अंबेडकर को बार बार गलत बोलते हो। तुमने बुद्ध की एक भी बात नही समझी ।बुद्ध ने तर्क और बुद्धि का प्रयोग करने पर जोर दिया । अगर अंबेडकर ने तर्को के आधार पर कोई व्याख्या दी है तो उसमें गलत क्या है। हर विचाराधारा की अलग अलग विद्वानो ने अलग अलग समय पर अलग अलग व्याख्या दी हैं।तुम्हारी ये खिझ निश्चय ही दलितो के बौद्ध बनने को लेकर हैं। क्यूकि तुम्हे इससे जलन का भाव होता होगा | तुम बुद्ध के बारे में जान जरूर रहे हों पर अपने जातिय कुंठा अपने मन में लिये बैठो हो जिसका बुद्ध ने खंडन किया है।
अगर महायानी खुद दुखी है, खुद राग, द्वेषसे भरे हुए है, तो वे लोगोंकी क्या मदद करेंगे. जहाॅं तर मेरी समझ है की ये दोनो साथ साथ चलने चाहिये. खुद को राग द्वेष से मुक्त बनाते बनाते लोगोंके लिये काम करना चाहिये..
महायान पंथ की शुरुआत बौद्ध धर्म के अंत की शुरुआत हीनयान बुद्ध को महात्मा जबकि महायान बुद्ध को भगवान मानता है और सिर्फ सनातन धर्म में ही मानव देहधारी भगवानों की अवधारणा है
हीनयान या थेरवाद ही सही है महायान भी नास्तिक ही है दोन्ही मे जादा फरक नही 7वी शताब्दी मे ह्यू एन स्तंग ने भी यही कहा 19,20वी शताब्दी मे अनगरिकधर्मपाल ने यही कहा और आज दलाई लामा यही कहते है
महायान आने से पूरे भारत मे देवी देवता का उदय हुआ.. कर्मकांड यज्ञ चालू हो गया.. इसका फायदा उठा के ब्राह्मणनोने वेदो का पुरानो का रामायण का निर्माण किया और बुद्ध को देवी देवता का अलग अलग रूप बनाया
सर हमारे शास्त्रों और सद्ग्रन्थों में नाम जप का बहुत महत्व है और आज भी बहुत से हिन्दू सम्प्रदायों में नाम जप पर ज्यादा बल दिया जा रहा है तो इस नाम जप का दार्शनिक महत्व क्या है और ये मानव कल्याण में कितना और कैसे उपयोगी है।
@Raju Mahnty जप का महत्व बहुत अधिक है। जैसे एक बच्चा उसे जन्म देने वाली महिला को मां कहता है और मां कहता रहता है तो जननी में मातृत्व और प्रगाढ़ होता जाता है। ठीक वैसे ही ईश्वर नाम जप भी हमें ईश्वर को और करीब ले जाता है। यह निश्छलता की ओर ले जाने की प्रक्रिया है और जब हम निश्छल हो जाते हैं तो खुद ब खुद ईश्वर के प्रिय हो जाते हैं... निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल, छिद्र न भावा... उस वक्त की बात है जब राम के पास राक्षस कुल में जन्मे विभीषण आए थे। यह चौपाई भगवान ने शबरी, सुतीक्षण जैसे समर्पित भक्तों के लिए नहीं कही, बल्कि एक राक्षस के लिए कही है। मतलब साफ है कि भगवान को निर्मल मन भाता है, फिर वह कोई भी हो, कहीं भी जन्मा हो और कैसे भी रहा हो। विभीषण कैसे निर्मल हुए, यह जानना भी जरूरी है... जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो वे कहते हैं नव तुलसीके वृंद तहं देख हरषि कपिराइ... वह तुलसी के वृंद विभीषण के यहां लगे थे। हनुमानजी साधु रूप में वहां गए, जब विभीषण राम-राम तेहि सुमिरन कीन्हा... यानी विभीषण राम नाम जपते हुए बाहर आए।... यानी वे राम नाम तपते थे। जप से ही उनका मन निर्मल हुआ... यह महत्व है जप का.. नाम जप का।
Guruji naman🙏🙏🙏 aapne Kaha khiir 1 veshya ne di. Guruji khiir veshya ( Amrapali) ne nahi balki. Sujata ne di Amrapali ne to budhh hone ke baad bhojan ke liye aamntrit kiya. Sujata ne Budhh banne ke pahle khir khilaya tha. 🙏🙏🙏
आप बहुत विद्वान हो।अपने विचार भी बताओ कि हम किसको माने या किसी को भी नही। किस सिद्धात का पालन करें ।किस को माने या न माने। भगवान को माने या सिर्फ कर्म को।
मैं ही सही हूं मैं भी सही हूं NPD हो क्या? यह जो कुछ सुन रहे हो वोह महायान हीनयान वज्रयान का दर्शन मात्र सुन रहे हो शुद्ध बुद्ध नही ।अफसोस दर्शन और फिलोसॉफी पर भरोसा किया जो असत्य है।
🕉️ Guru charan namah. Mera question hey ki. Bhangwan shiva kaa rup kaa kohe artha hey, yani head mey chandrama and ganga, galemey Naga sarpa. Hath mey trisul or damharu. Kripa garke isakey ek video banaeye. 🕉️🇳🇵❤️
Biggest problem with modern scholers is that, they say that Buddha did not talk about a permanent state or being... but only of Change. However Buddha always mentioned of Nirvana, which is beyond all conditions, all changes, all impermanence. Nirvana is unchanged, final truth, beyond all bondage
SINHAJI HAJAAR NAMAN AAJ SAMAAJ MEIN DAYA, PREM BHAICHAARA SARWA DHARM SAMANATA VICHAAR KA ANTH KARNE KE KHATIR BAHUT SADHU SANTH OUR MULLA UBHAR AAYE HAI DHAN KAMANE KI LALUCH MEIN LOGE APNE VICHAR OUR GNYAAN SE ESHWAR KI ISS DHARTI KO NARAK BANA YA HAI AB SUDHARNA KAB ? SAMBHVAMI UGE UGE KAB ? DHANYAVAAD
The moral is that We should follow Sheel (panchasheel) Samadhi (vipassana) Pragya (attain higher wisdom/understanding) This Heenyaana or Mahayana makes no sense..
बेटा ब्राम्हण हिंदू धर्म के संस्थापक है बौद्ध धर्म के नही..बीच मे घुसकर बौध्द धर्म को खराब करनेवाला ये महायाण है.. चाहे आप लोग कितना भी डेफिनेशन बनवायो..
अगर गौतम बुद्ध की जीवनी देखे तो उसमे पाली भाषा दिखती है, भारत मे कही भी बौद्ध स्तूप पर जाओ ती वहा भी पाली भाषा दिखेगी.. महायन मे संस्कृत है..यानिकी हीन यान ही असल मे बुध्द धर्म को सही प्रचार और दर्शता है.. महायाण वाले जो बीच मेही घूस कर खुदको महान बता रहे है वो अपना अपना धर्म संभाले..
Good interpretation. But followers of any religion have always limited knowledge. Once we met Dr.Bhadant Anand Kausalyayan and asked about Hinayan and Mahayana.He simple said " Those who do not know ABC of the historical the Buddha they involve in such differences." Hinayan is considered original thoughts of the Buddha. It is purely exclusive,while Mahayana is considered inclusive theory of the Buddha in which many Brahmanical thoughts are merged.But Whatever may be differences between two they follow Panchshila.
@@niranjanarunkshirsagar you don't know anything about Buddhist. Where do you find that they worship Buddha? Do some research before concluding which is not true.
Mahayan me saare sansar ke jiwo ko dukh se nirvan karne ka vachan lete hai. Isiliye mahayan kehte hai. Apne dukh se jyada dusro ke dukho ko jyada pujte hai. Hum apne maata pitah ke rinee hai. Jisne hume janaam diya hai uske aabahri hai. Apne maata pitah ko sansar ke dukh baagot ne ke liye chhor de aur khud ekela sukh bhogtoge kisi ko kya acha lagega. Agar kisi ko nirvan mil bhi jaye ekela kya woh kabhi kush reh payenge bina apne maata pitah ke. Mahayan dusro ka dukh dhotey dhotey apna klesh bhi khatm kar deta hai. Woh is tarah se arahat bhi banjaate hai aur dusro ko saansar se mukt karne ka prayas karte hai isliye woh bodhisattva bhi banjaate hai. Samyeksam buddh hone ke liye, arahat aur boddhicitta chahiye. Ekela arahat ya ekela boddhicitta se samyeksam buddh nahi ho sakta. Mahayan practise me aisa vachan lete hai ki, " jab tak is dukhi Sansaar ke ek ek prani ko nirvan tak nahi le jaate tab tak hum is sansaar me rahunga aur uske hiit k liye kam karunga. Dusro ko nirvan ke rasta dikha na aur usey sath le ke chalna aisa karm hota hai bodhisattva ka. Aur ussey bhi bada vachan ki muj se bhi pehle saara sansaar ke log jald se jald nirvan ki prapti ho aisa kamana karna sabse bada boddhicitta hota hai. Apne se jyada jo dusro ke dukho ke baare me soch ke uska nivaran karne walo ko hi buddh aur bodhisattva kehte hai. Me koi expert ya koi bidwan nahi hu muje itna jaankari nahi hai buddhism ke baare me. mujko jitna samj me aaya hai Mahayan ke baare me woh mene yaha Express kar diya. Expert is pe koi tark de please. 🙏
Sir kul milaker ye sabit hota he ki Hindu Dharm ke pitaji he ye sare karm kand or sare tantra mantra brahmano ne bhi hinyan or Mahayana se hi liye he Jai Bhim namo bhudhay
बुद्ध ने जब ध्यान के बाद आंख खोली तो सुजाता खीर लिए खड़ी थी ।उसने मानता मानी थी जो पूरी हो गई थी इस लिए वो पेड़ को देवता मान कर खीर का प्रसाद चढ़ने लाई थीजहा उसने बुद्ध को देखा बुद्ध को देवता मान कर खीर खिला दी।
Sir, with due respect but Pandit Jawaharlal Nehru ji quoted in his book(Discovery of India) that Hinayana is more ancient & purified form than Mahayana i.e Mahayana is distored version of Hinayana. My apology if i made a wrong comment on this.
Clear explanation by an Indian.......I totally agree with Hinayana Buddhism.
दर्शन की इतनी सरल ब्याख्या जो सबकी समझ में आ जाय यही आपकी विद्वत है।
Prof. Sahab आपका ज्ञान विभिन्न धर्मों का और भारत के इतिहास का अद्भुत है, सर आपकी शैली उम्दा है, आप सच में दार्शनिक और प्रबुद्ध ज्ञानी हैं, धन्य.
I am a Buddhist seeker too… I agree with almost all principles of hinyan or Theravada Buddhism. ❤🙏🏻
are you hinyan or mahayan follower
@@smitesh. Theravada.
@@smitesh. Theravada
@@Docs_WanderLifeअच्छा है।
क्या आप नवयान के विषय मे जानते है। क्या वो सच्चा पंत है बुद्ध धर्म के बीज। बाबासाहेब अंबेडकर ने बनाया था नवयान।
@@Docs_WanderLifecould you please help me to find a history book of therevada…
Mera dill Khush kar diya sir aapne bilkul sahi jaankaari di solute you sir dill se salaam aapko Mai Mahayana Wala hu
बुद्ध दर्शन पर आपका कथन सुना
सत्य को जानना बहुत कठिन है
वह बुद्धि से परे की बात है
बुद्धि के द्वारा किसी भी बात को कहना हमारे लिए सत्य हो सकता है
बहुत सारी बातें हमने यह कहकर छोड़ दी कि इसका कोई उत्तर नहीं है ऐसा नहीं है
आपने जितनी भी बातें बताई उसका एक मतलब तो है ही नहीं बातों में बहुत सारे घूम है🙏
चरण वंदना गुरु श्रेष्ठ। आपके द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों में लीन हुआ मैं अपनी पढ़ाई के दौरान दर्शन की इतनी गहराई मैं नहीं उतर पाया था जो अब उतर रहा हूं।
हिनयान महायान और ब्रजरानी तिनों बुद्ध के मार्गदर्शन है लेकिन बाद में अलग-अलग रास्तों पर चला गया है, इन तीनों बुद्ध शाखा के बारे में बिस्त्रित जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूं। आगे भी तिनों बुद्ध लाखों के प्रति निस्वार्थ भाव से जानकारी देने कि आशा करुंगा धन्यवाद। नमो बुद्धाय
I salute you sir for giving a clear vision between Hinyan and Mahayan.
The term “Hinayana” is coined by Mahayana tradition and somewhat Carries a derogatory sense if not explained carefully. It is best to refer to the former as “early Buddhism” or “pali Buddhism” in or Shravakayana.
Agree 👍🏻another suitable term is Theravada थेरावाद
Hinayan is Pure Buddha Dhamma
Oh hai kya?😱😱
आप के माध्यम से जो यह अमृत हम सभी तक आपाया है उसके लिए हम आपके ऋणी रहेंगे ।
#heenYaan
1) arhat (ultimate)
2) "find your own path - said budhha"
3) no god, no Atman, only change itself absolute.
4) anityavaad
5) Paramita (ways to reach perfection), believed 21.
6) Shravak to Bodhisattva
7) conservatives
8) turned to rituals..*
AatamaDeepoBhava
#mahaYaan
1) Bodhisattva
2) "work for upliftment of societal values - said budhha"
3) believers of bhakti
4) jagdishvara - budhha
5) nirmaan/roop Kaya of budhha. Dharm/Adhyatam/Spritual Kaya. Tushikshetra (tushilok), Anand Kaya, the absolute. (3 Kayas of budhha).
6) work for others/society.
7) liberals
8) AshvaGhosh | NagarJuna
9) turned to bhakti..**
Nice explanation
Hinayanas believing in change, and at the same time being conservatives is a contradiction.
Clear explanation by an indian... I totally agree with hinayan Buddhism
Buddhism has few good things, which lot of people doesn't understand.
@abushama azmi kya aisa pata laga hai humhe bhi btao jo quran mein hai par buddh darshan mein nahi hai
बहोत सुंदर मार्गदर्शन
I am practicing Nichiren Buddhism since last three years which is a Mahayana buddhism. In this Buddhist doctrine, we chant nam Myoho Renge kyo for the happiness of all living beings
I chant Nam MYOHO RENGUE KYO too. I feel way better of my anxiety and have better days
What about navayan buddhism
@@smitesh.Navayan Buddhism dr B R ambedkar ne start Kiya tha.
@@literatureloversjunction8726 Yes, navayan buddhism is fake buddhism sect. Originally buddhism sect is about hinyan or mahayan.
@@smitesh.तुम बेहद घटिया और तुच्छ व्यक्ति हो जो नवयान और अंबेडकर को बार बार गलत बोलते हो। तुमने बुद्ध की एक भी बात नही समझी ।बुद्ध ने तर्क और बुद्धि का प्रयोग करने पर जोर दिया । अगर अंबेडकर ने तर्को के आधार पर कोई व्याख्या दी है तो उसमें गलत क्या है। हर विचाराधारा की अलग अलग विद्वानो ने अलग अलग समय पर अलग अलग व्याख्या दी हैं।तुम्हारी ये खिझ निश्चय ही दलितो के बौद्ध बनने को लेकर हैं। क्यूकि तुम्हे इससे जलन का भाव होता होगा | तुम बुद्ध के बारे में जान जरूर रहे हों पर अपने जातिय कुंठा अपने मन में लिये बैठो हो जिसका बुद्ध ने खंडन किया है।
अगर महायानी खुद दुखी है, खुद राग, द्वेषसे भरे हुए है, तो वे लोगोंकी क्या मदद करेंगे.
जहाॅं तर मेरी समझ है की ये दोनो साथ साथ चलने चाहिये. खुद को राग द्वेष से मुक्त बनाते बनाते लोगोंके लिये काम करना चाहिये..
महायान पंथ की शुरुआत बौद्ध धर्म के अंत की शुरुआत हीनयान बुद्ध को महात्मा जबकि महायान बुद्ध को भगवान मानता है और सिर्फ सनातन धर्म में ही मानव देहधारी भगवानों की अवधारणा है
Esi lie bad mein mahayan vaishnav ban gye... Eske bare mein gurudev video banayi hai
Guruvar sarl bhasha me byakhyan suna achchha lagta hai Namo Buddhay.
परमसत्य निर्रवाणमार्गदर्शक जयगुरुआत्मदेव जयगुरुगोरख सरण्यम् परमप्राथनापरमप्रणाम्🕉️...परममाँहाँशान्ति🙏🧡📚👌⚖️🔭📡🌲🔔🌏🌹🌈🇳🇵👂🔥🌳🏖️🔯🔬📿🌷🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
हीनयान या थेरवाद ही सही है महायान भी नास्तिक ही है
दोन्ही मे जादा फरक नही 7वी शताब्दी मे ह्यू एन स्तंग ने भी यही कहा
19,20वी शताब्दी मे अनगरिकधर्मपाल ने यही कहा
और आज दलाई लामा यही कहते है
jordar sir .in dono pr itna easily interprete krne k liye sadar pranam
गुड मॉर्निंग गुरुदेव, सत्य वचन सुनकर बहुत खुश हूं
तथागत ने पंचस्कंध सिध्दांत प्रतिपादन किया जीसमे कोई आत्मा नही हो सकती,ना कोई ईश्वर की जरूरत नही
Buddham sharnam gachchami ....❤
धन्यवाद गुरु जी. बेहद की परमशान्ति
I practice for Mahayana Tradition
महायान आने से पूरे भारत मे देवी देवता का उदय हुआ.. कर्मकांड यज्ञ चालू हो गया.. इसका फायदा उठा के ब्राह्मणनोने वेदो का पुरानो का रामायण का निर्माण किया और बुद्ध को देवी देवता का अलग अलग रूप बनाया
Matlab
Karmkand ko. Mante. He
Aise jnani pandit ke charan pe sat sat naman.
आभार गुरुवर 🙏🏻
नमो बुद्धाय जय भारत
Samjhane Ka Tariqa Shandar Hee
Guruji pranam Aaj take bahuto se ye prashna pucha tha lekin Kisi be sahi se explain Nahi Kiya
Aaj samajh aa gya,mahayan aur heenyan Ka difference 🙏🙏🙏🙏
Sir,Buddha didn't follow the Vedas and the Vedic Rituals. His teachings have their roots in the Vedantas.
बुद्ध की परम्परा बिल्कूल suddha hai।
I trust follow hinayana route
Buddha hi satya hai..❤
सर हमारे शास्त्रों और सद्ग्रन्थों में नाम जप का बहुत महत्व है और आज भी बहुत से हिन्दू सम्प्रदायों में नाम जप पर ज्यादा बल दिया जा रहा है तो इस नाम जप का दार्शनिक महत्व क्या है और ये मानव कल्याण में कितना और कैसे उपयोगी है।
That's problem with Hinduism. It's introvert like Hinyan.
नाम जप बहुत उपयोगी है इससे मन को नियंत्रित किया जाता है ।नाम ही सब कुछ है।
मनु जी गहरे लोग इतने जल्दी निर्णय पर नहीं पहुंचते.... इसका समुचित जवाब देना चाहिए
जप से भगवान् की भक्ति 30 प्रतिशत है
@Raju Mahnty जप का महत्व बहुत अधिक है। जैसे एक बच्चा उसे जन्म देने वाली महिला को मां कहता है और मां कहता रहता है तो जननी में मातृत्व और प्रगाढ़ होता जाता है। ठीक वैसे ही ईश्वर नाम जप भी हमें ईश्वर को और करीब ले जाता है। यह निश्छलता की ओर ले जाने की प्रक्रिया है और जब हम निश्छल हो जाते हैं तो खुद ब खुद ईश्वर के प्रिय हो जाते हैं... निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल, छिद्र न भावा... उस वक्त की बात है जब राम के पास राक्षस कुल में जन्मे विभीषण आए थे। यह चौपाई भगवान ने शबरी, सुतीक्षण जैसे समर्पित भक्तों के लिए नहीं कही, बल्कि एक राक्षस के लिए कही है। मतलब साफ है कि भगवान को निर्मल मन भाता है, फिर वह कोई भी हो, कहीं भी जन्मा हो और कैसे भी रहा हो।
विभीषण कैसे निर्मल हुए, यह जानना भी जरूरी है... जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो वे कहते हैं नव तुलसीके वृंद तहं देख हरषि कपिराइ... वह तुलसी के वृंद विभीषण के यहां लगे थे। हनुमानजी साधु रूप में वहां गए, जब विभीषण राम-राम तेहि सुमिरन कीन्हा... यानी विभीषण राम नाम जपते हुए बाहर आए।... यानी वे राम नाम तपते थे। जप से ही उनका मन निर्मल हुआ...
यह महत्व है जप का.. नाम जप का।
I am a Buddhist speaker too!!!!!!! ❤
You are very right. Thanks
Guruji naman🙏🙏🙏 aapne Kaha khiir 1 veshya ne di.
Guruji khiir veshya ( Amrapali) ne nahi balki. Sujata ne di
Amrapali ne to budhh hone ke baad bhojan ke liye aamntrit kiya. Sujata ne Budhh banne ke pahle khir khilaya tha. 🙏🙏🙏
सुन्दर 🙏🏼
आप बहुत विद्वान हो।अपने विचार भी बताओ कि हम किसको माने या किसी को भी नही। किस सिद्धात का पालन करें ।किस को माने या न माने। भगवान को माने या सिर्फ कर्म को।
Great regards from dr Heera Lal dayma MBBS dausa raj 🙏 thanks
Great guru ji ❤❤❤❤
Pranamam!
कोसंबी ने कहा,शून्यवाद न होता तो गीता न होती
बु्द दर्शन भौतिकवादी हे हिन्दु क्रिस्चान,सलाम सब भ्रम झुठ पखाण्ड से भर हुवा राजनिति संस्था हे
मैं ही सही हूं
मैं भी सही हूं
NPD हो क्या?
यह जो कुछ सुन रहे हो वोह महायान हीनयान वज्रयान का दर्शन मात्र सुन रहे हो शुद्ध बुद्ध नही ।अफसोस दर्शन और फिलोसॉफी पर भरोसा किया जो असत्य है।
pranam guruji.
🕉️ Guru charan namah.
Mera question hey ki.
Bhangwan shiva kaa rup kaa kohe artha hey, yani head mey chandrama and ganga, galemey Naga sarpa. Hath mey trisul or damharu. Kripa garke isakey ek video banaeye.
🕉️🇳🇵❤️
I love you sir
Deep respect 🙏🙏🙏🙏
Biggest problem with modern scholers is that, they say that Buddha did not talk about a permanent state or being... but only of Change. However Buddha always mentioned of Nirvana, which is beyond all conditions, all changes, all impermanence. Nirvana is unchanged, final truth, beyond all bondage
Ab Sahi koi kaha❤
Guruji " appa deep bhav" hai shayad naki "atma deep bhav", thanks for explanation.
Namo buddhay
Thanku 🥰☺️🤩
SINHAJI HAJAAR NAMAN
AAJ SAMAAJ MEIN DAYA,
PREM BHAICHAARA SARWA DHARM
SAMANATA VICHAAR KA ANTH
KARNE KE KHATIR BAHUT SADHU
SANTH OUR MULLA UBHAR AAYE
HAI DHAN KAMANE KI LALUCH MEIN LOGE APNE
VICHAR OUR GNYAAN SE
ESHWAR KI ISS DHARTI KO NARAK
BANA YA HAI AB SUDHARNA KAB ?
SAMBHVAMI UGE UGE KAB ?
DHANYAVAAD
Avatarvad in brahminism might be copied from Mahayan from the concept of bodhisatva..
Right
You are right.
Muje b jhi lgta hai
आदरणीय ,थियोसोफिकल सोसायटी के बारे में भी प्रकाश डालें
HUM SAB SPIRITUALITY KE NAAM PER BUDDHISM HI FOLLOW KAR RAHE HAI . TIME REPEAT ITSELF !!
The moral is that
We should follow
Sheel (panchasheel)
Samadhi (vipassana)
Pragya (attain higher wisdom/understanding)
This Heenyaana or Mahayana makes no sense..
U didn't get it that's all
Namoh budhay ..........
Jai shri ram🙏 🚩🚩🚩🚩
SO Nice 🙏👌🍓
Heenayaana is small vehicle for few people,
Mahayaana is big vehicle for many people
बेटा ब्राम्हण हिंदू धर्म के संस्थापक है बौद्ध धर्म के नही..बीच मे घुसकर बौध्द धर्म को खराब करनेवाला ये महायाण है.. चाहे आप लोग कितना भी डेफिनेशन बनवायो..
जय श्री हरि भाई ❤
Saadar Pranam 🙏🙏🙏
वज्रयान संप्रदाय पर भी गुरु जी कुछ बताएं
Thank you so much sir 🎉🎉🎉
Buddha❤
अगर गौतम बुद्ध की जीवनी देखे तो उसमे पाली भाषा दिखती है, भारत मे कही भी बौद्ध स्तूप पर जाओ ती वहा भी पाली भाषा दिखेगी.. महायन मे संस्कृत है..यानिकी हीन यान ही असल मे बुध्द धर्म को सही प्रचार और दर्शता है.. महायाण वाले जो बीच मेही घूस कर खुदको महान बता रहे है वो अपना अपना धर्म संभाले..
बुद्ध के सिद्धांत सारे धर्म से पुरे अलग है, सिर्फ मानवता के कल्याण के लिये है, ना की स्वर्ग या नरक प्राप्ती के लिये.
Pranam guru g.. Plz.. Krishna yajurveda.. Aur... Shukla.. M kya.. Fark h.. Kripya samjhaye
Namo Buddha
Jai ho ap ki
Well explained sir🙏
Thanks
Gurudev apke gyan ka mai abahari hu .. Ek kripa kre or btaye konsi pustak yog gyan ke liye uttam hai ..
Kripa ka abhilashi 🙏
I have read yogasutra but it is not about yogasanas.
Good interpretation.
But followers of any religion have always limited knowledge.
Once we met Dr.Bhadant Anand Kausalyayan and asked about Hinayan and Mahayana.He simple said
" Those who do not know ABC of the historical the Buddha they involve in such differences."
Hinayan is considered original thoughts of the Buddha. It is purely exclusive,while Mahayana is considered inclusive theory of the Buddha in which many Brahmanical thoughts are merged.But
Whatever may be differences between two they follow Panchshila.
@@niranjanarunkshirsagar you don't know anything about Buddhist. Where do you find that they worship Buddha? Do some research before concluding which is not true.
@@krish5608 🙏
There is nothing called brahmanical it is all leftists created so don't use leftists vocabulary to referencing vedic Dharm
Plz use English for the difficult Hindi words. You were doing it in earlier videos
Mahayan me saare sansar ke jiwo ko dukh se nirvan karne ka vachan lete hai. Isiliye mahayan kehte hai. Apne dukh se jyada dusro ke dukho ko jyada pujte hai. Hum apne maata pitah ke rinee hai. Jisne hume janaam diya hai uske aabahri hai. Apne maata pitah ko sansar ke dukh baagot ne ke liye chhor de aur khud ekela sukh bhogtoge kisi ko kya acha lagega. Agar kisi ko nirvan mil bhi jaye ekela kya woh kabhi kush reh payenge bina apne maata pitah ke. Mahayan dusro ka dukh dhotey dhotey apna klesh bhi khatm kar deta hai. Woh is tarah se arahat bhi banjaate hai aur dusro ko saansar se mukt karne ka prayas karte hai isliye woh bodhisattva bhi banjaate hai. Samyeksam buddh hone ke liye, arahat aur boddhicitta chahiye. Ekela arahat ya ekela boddhicitta se samyeksam buddh nahi ho sakta.
Mahayan practise me aisa vachan lete hai ki, " jab tak is dukhi Sansaar ke ek ek prani ko nirvan tak nahi le jaate tab tak hum is sansaar me rahunga aur uske hiit k liye kam karunga. Dusro ko nirvan ke rasta dikha na aur usey sath le ke chalna aisa karm hota hai bodhisattva ka. Aur ussey bhi bada vachan ki muj se bhi pehle saara sansaar ke log jald se jald nirvan ki prapti ho aisa kamana karna sabse bada boddhicitta hota hai. Apne se jyada jo dusro ke dukho ke baare me soch ke uska nivaran karne walo ko hi buddh aur bodhisattva kehte hai.
Me koi expert ya koi bidwan nahi hu muje itna jaankari nahi hai buddhism ke baare me. mujko jitna samj me aaya hai Mahayan ke baare me woh mene yaha Express kar diya. Expert is pe koi tark de please. 🙏
साधु
@abushama azmi जय श्री राम,ये बताओ की मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह ने 52 वर्ष की आयु में 6 वर्ष की बच्ची आयेशा से विवाह क्यों किया?
@@shawnawasthi hahahaha
Sir jo upper ke lok hai use me jane ke liye kya darshan satra hai
जीवन में प्रार्थना का क्या महत्व है कृपया गुरू देव प्रकाश डालें-----
Best thought
Just a question is nalnda is a Buddhist university and burnt by pandit
What?
Nalanda was burnt by Muslims and everyone knows this.
@@hobosapien7735wo khajur ko Kya pata dost 😂😂😂
Jay bhim namo budhay always paropkar kiya tathgat ne
😂😂😂😂😂
@@rumalsingh8029जली ना
भीमयान के बारे में भी विडियो बनाओ
Sath me ramyan ke bare me
Thervada budhhisim 💙 is navayana
Namo budhay
It seems way of buddha and Krishna is same
Namo buddhay
Yes, of course infact every enlightened master taught the same thing to the humankind
Avatar of vishnu
Nice information.🙏🙏🙏
🙏🙏🙏💐💐💐🌺🌺🌺🌹🌹🌹🌹
Mahayan toh buddism ka distortion hai .Real Buddhism hinyan buddhism hai .
Thanks sir
Sir kul milaker ye sabit hota he ki Hindu Dharm ke pitaji he ye sare karm kand or sare tantra mantra brahmano ne bhi hinyan or Mahayana se hi liye he Jai Bhim namo bhudhay
@Yashbir Singh Negi 😂
Buddhism is a part of Hinduism
Bhai sasta nasha mat kiya kar sehat ke liye haanikarak hota he 😏
I feel Mahayana is nothing but Hinduism.... HINDUISM
Guru ji 🙏
बुद्ध ने जब ध्यान के बाद आंख खोली तो सुजाता खीर लिए खड़ी थी ।उसने मानता मानी थी जो पूरी हो गई थी इस लिए वो पेड़ को देवता मान कर खीर का प्रसाद चढ़ने लाई थीजहा उसने बुद्ध को देखा बुद्ध को देवता मान कर खीर खिला दी।
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Thanku for ur knowledge 🙏🙏
Sir, with due respect but Pandit Jawaharlal Nehru ji quoted in his book(Discovery of India) that Hinayana is more ancient & purified form than Mahayana i.e Mahayana is distored version of Hinayana.
My apology if i made a wrong comment on this.