BG0929b भगवान सभी जीवोमें समानतासे व्याप्त हैं, जो भक्त उनकी अनन्यभावसे भक्ति करताहै उन्हें पाता है।
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- Опубликовано: 5 фев 2025
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भगवद्गीता अध्याय ९ श्लोक २९ में श्रीकृष्ण कहते हैं:
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रिय:।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्।
"मैं सभी प्राणियों के प्रति समभाव रखता हूँ, न कोई मेरा द्वेषी है और न कोई प्रिय। लेकिन जो भक्त मुझसे प्रेम से भक्ति करते हैं, वे मेरे अंदर रहते हैं और मैं उनके अंदर रहता हूँ।"
इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि उनके लिए सभी जीव समान हैं। वह न किसी से द्वेष करते हैं, न किसी से अधिक प्रेम। लेकिन जो लोग भगवान की भक्ति करते हैं, भगवान उनके हृदय में वास करते हैं और वे भगवान के हृदय में।
जय श्रीकृष्ण।🙏