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Koham
Индия
Добавлен 8 июн 2014
Discussions on Vedic scriptures principally focussed on Shreemad Bhagavad Geeta. It is universally acclaimed as the treasure-house of deep Vedantic knowledge. Bhagavad Geeta focuses on non-doership and dispassion which is most relevant in the highly materialistic lifestyle prevalent today. Bhagavan Krushna had dissuaded Arjun not to be a sannyasin and enthused him to remain a true grihastha.
BGS0621c इन्द्रियातीत, शुद्धसूक्ष्मबुद्धिसेग्राह्य अनंतआनन्दमें स्थितयोगी स्वरूपसे विचलित नहीं होता।
#koham3469
BGS0621c
इन्द्रियों से अतीत, केवल शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ग्रहण करने योग्य जो अनन्त आनन्द है, उसको जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिस अवस्था में स्थित यह योगी परमात्मा के स्वरूप से विचलित होता ही नहीं।
सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्।
वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः।।
Translation:
"The ultimate bliss, which is perceived by the intellect and transcends the senses, is realized in that state (of meditation). Having attained it, one never departs from the truth."
"सुखमात्यन्तिकं" (Supreme Bliss):
The verse refers to a profound and infinite joy that is not dependent on external objects or sensory experiences.
This bliss arises from the realization of the S...
BGS0621c
इन्द्रियों से अतीत, केवल शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ग्रहण करने योग्य जो अनन्त आनन्द है, उसको जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिस अवस्था में स्थित यह योगी परमात्मा के स्वरूप से विचलित होता ही नहीं।
सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्।
वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः।।
Translation:
"The ultimate bliss, which is perceived by the intellect and transcends the senses, is realized in that state (of meditation). Having attained it, one never departs from the truth."
"सुखमात्यन्तिकं" (Supreme Bliss):
The verse refers to a profound and infinite joy that is not dependent on external objects or sensory experiences.
This bliss arises from the realization of the S...
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VC32 35 श्रोत्रिय, निष्पाप, कामनासे पर, ब्रह्मवेत्ता, ब्रह्मनिष्ठ, शान्त, अकारण दयासिन्धु, हितैषी हो
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#koham3469 श्रोत्रियोइबव॒ुजिनोडकामहतो यो ब्रह्मवित्तम: ॥ ३४॥ ब्रह्मण्युपरत: शान्तो निरिन्धन इवानल:। अहैतुकदयासिन्धुर्बन्धुरानमतां सताम्॥ ३५॥ जो श्रोत्रिय हों, निष्पाप हों, कामनाओंसे शून्य हों, ब्रह्मवेत्ताओंमें श्रेष्ठ हों, ब्रह्मनिष्ठ हों, ईंधनरहित अग्निके समान शान्त हों, अकारण दयासिन्धु हों और प्रणत (शरणापनन) सज्जनोंके बन्धु (हितैषी) हों इसका संदर्भ है उस गुणवान गुरु के प्रति, जो ब्रह्मज्ञान...
BG0928b निष्काम कर्म और भगवत्समर्पणके माध्यमसे व्यक्ति बंधनोंसे मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
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#koham3469 BG0928b निष्काम कर्म और भगवत्समर्पणके माध्यमसे व्यक्ति बंधनोंसे मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः। सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि।। अर्थ: इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि यदि व्यक्ति अपने सभी कर्मों को मुझे अर्पित करता है, तो वह शुभ (अच्छे) और अशुभ (बुरे) कर्मों के फल से मुक्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति सन्न्यास (त्या...
BGS0621b हम समस्त कर्म भगवानको अर्पण कर देते हैं तो हमारे कर्म बंधनमुक्त होकर मोक्ष प्राप्त होता है।
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#koham3469 BGS0621b हम समस्त कर्म भगवानको अर्पण कर देते हैं तो हमारे कर्म बंधनमुक्त होकर मोक्ष प्राप्त होता है। कर्म का भगवान को अर्पण: इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने सभी कर्मों को भगवान को समर्पित कर दे। यह भावना हमें सिखाती है कि जो भी कार्य हम करें, उसे फल की आकांक्षा या व्यक्तिगत स्वार्थ से मुक्त होकर करें। ऐसा करने पर, कर्म केवल एक दायित्व बन जाता है, और उस पर गर्व या हानि का भाव समाप्त हो ज...
BGS0621b इंद्रियोंसेपरे आत्यंतिक सुख बुद्धिके माध्यमसे अनुभव किया जा सकता है जो आत्मासे संबंधित है।
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#koham3469 BGS0621b इंद्रियोंसेपरे आत्यंतिक सु बुद्धिके माध्यमसे अनुभव किया जा सकता है जो आत्मासे संबंधित है। "सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्। वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्वतः।।" इस श्लोक में "आत्यंतिक सुख" की बात की गई है, जो इंद्रियों से परे है और बुद्धि के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। यह सु स्थायी, अपरिवर्तनीय, और आत्मा से संबंधित है। इसे वही योगी अनुभव कर सकता है ...
VC31 34 ज्ञानी गुरु जो वक्तृत्व कलामें भी सक्षम हो, ब्रह्मवित्त, कामना रहित शांत हो उनसे सीखना है।
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#koham3469 VC31 34 ज्ञानी गुरु जो वक्तृत्व कलामें भी सक्षम हो, ब्रह्मवित्त, कामना रहित शांत हो उनसे सीखना है। श्रोत्रियोइबव॒ुजिनोडकामहतो यो ब्रह्मवित्तम: ॥ ३४॥ ब्रह्मण्युपरत: शान्तो निरिन्धन इवानल:। अहैतुकदयासिन्धुर्बन्धुरानमतां सताम्॥ ३५॥ तमाराध्य. गुरु भक्त्या प्रह्मप्रश्रयसेवने: । प्रसन्न॑ तमनुप्राप्प पच्छेज्ज़ातव्यमात्मन: ॥ ३६॥ जो श्रोत्रिय हों, निष्पाप हों, कामनाओंसे शून्य हों, ब्रह्मवेत...
BG0928a शुभ और अशुभ फलदायक कर्मोंके बंधनसे मुक्त होकर योगयुक्त चित्तसे तुम मुझे प्राप्त करोगे।
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#koham3469 BG0928a शुभ और अशुभ फलदायक कर्मोंके बंधनसे मुक्त होकर योगयुक्त चित्तसे तुम मुझे प्राप्त करोगे। इस प्रकार, शुभ और अशुभ फल देने वाले कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाओ। जब तुम्हारा चित्त सन्न्यास और योग से युक्त होगा, तब तुम मुझको प्राप्त करोगे। प्रत्येक कर्म भगवान को अर्पण करने का भाव रखते हुए किया जाए। जब व्यक्ति फल की आसक्ति छोड़कर निष्काम भाव से कर्म करता है, तो वह कर्म बंधन से मुक्त ह...
BGS0621a योग और आत्मा के अद्वितीय अनुभव: शुद्ध सूक्ष्म बुद्धि और अनन्त आनंद. समाधी की अवस्थाएँ।
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#koham3469 योग और आत्मा के अद्वितीय अनुभव: शुद्ध सूक्ष्म बुद्धि और अनन्त आनंद सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम् ।वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वत: ।। ।।06:21।। सुखम् = आनन्द है; आत्यन्तिकम् = अनन्त; बुद्धिग्राह्मम् = केवल शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ग्रहण करने करने योग्य; अतीन्द्रियम् = इन्द्रियों से अतीत; तत् = उसको; वेत्ति = अनुभव करता है; यत्र = जिस अवस्था में; न एव ...
BG0927b निष्काम भक्ति एवं निष्काम कर्म - ईश्वरार्पण भावना और प्रसाद भावना एकही सिक्केकी दो बाजू हैं।
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#koham3469 यदि दोनों एक ही हैं तो दो दो नाम क्यूँ? कर्म यानि साधना के पहलूसे निष्काम कर्म योग और भावना के पहलूसे निष्काम भक्ति योग। साधना दृष्ट्या कर्म योग: भावना दृष्ट्या भक्ति योग:। दोनों में निष्काम होना जरूरी है।
BGS0620b सातत्य से 24/7 प्रभु का चिंतन कैसे करें? रागद्वेष का त्याग कर के चित्तशुद्धी करनी होगी।
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#koham3469 ध्यान योग के इन श्लोकों में श्रीज्ञानेश्वर महाराज जी ने कुंडलिनी जाग्रत करने की विधी क्रमश: (step by step) दिखलायी है। हठयोग की यह प्रक्रिया फलदायक होते हुवे भी उसके लिये बहोत तपश्चर्या आवश्यक है। आत्मा आत्मा द्वारा आत्मामें आत्माका दर्शन करता है यह अनुभूति अत्यंत सुखदायी है। जय श्रीकृष्ण।🙏
VC30 33b साधन चतुष्ट्य पश्चात् प्राज्ञ गुरुसे शास्त्रोंका अध्ययन करना ताकि भवबंधनसे मुक्ति मिल सके।
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#koham3469 अध्यात्म के साथ साथ भक्तिका होना जरूरी है। शंकराचार्यजी ने भक्ति की भरपूर महिमा करी है। मोक्ष कारण सामग्र्यां भक्तिरेव गरीयसि। गरीयसि याने की उच्च कक्षा की साधना भक्ति है। १। निष्काम कर्मयोगी जगत को परमेश्वर का ही स्वरूप मानकर जग की सेवा करता है। २। उपासना योगी भी जगत को परमेश्वर का स्वरूप मानकर ध्यान लगाता है। ३।ज्ञान योगी के लिये भक्ति स्वस्वरूप अनुष्ठानम् यानि अपने स्वरूप की पहचान...
BG0927 जीवनमें शास्त्रसंमत जो भी कार्य हम करते हैं, परमात्माको अर्पण करदेनेसे चित्तशुद्धी होती है।
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#koham3469 जो कुछ हम करें वह परमात्मा को याद करते हुवे उन्हीं को समर्पित करते हुवे करें तो हमारे राग द्वेष मिट जाते हैं। क्यूँकि परमात्मा के लिये समर्पण भाव से जो भी करे उस में राग द्वेष होने की गुंजाईश है ही नहीं। राग द्वेष मिट जाने से चित्त शुद्धी होती है जिससे मोक्ष की अनुभूति होती है। जय श्रीकृष्ण🙏
BGS0620a साक्षी आत्मा का आत्मा द्वारा आत्मा में अपना शुद्ध स्वरूप का दर्शन। ध्यान की दो व्याख्याएँ।
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#koham3469 यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया ।यत्र चैवात्मनात्मानं पश्यन्नात्मनि तुष्यति ।। ।।06:20।। यत्र = जिस अवस्था में; उपरमते = उपराम हो जाता है; चित्तम् = चित्त; निरुद्धम् = निरूद्व हुआ; योगसेवया = योग के अभ्यास से; यत्र =जिस अवस्था में (परमेश्वर के ध्यान से ); च = और; एव = ही; आत्मना = शु़द्व हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा; आत्मानम् = परमात्मा को; पश्यन् = साक्षात् करता हुआ; आत्मनि = सच्चि...
VC29 33a साधन चतुष्ट्य संपत्ति अर्जित होने के बाद ज्ञान प्राप्ति के लिये गुरुकी सेवा और मार्गदर्शन।
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#koham3469 उक्तसाधनसम्पन्नस्तत्त्वजिज्ञासुरात्मन: ॥ ३३ ॥ उपसीदेदगुरुं प्राज्ज॑ यस्मादबन्धविमोक्षणम्। उक्त साधन-चतुष्टयसे सम्पन्न आत्मतत्त्वका जिज्ञासु प्राज्ञ (स्थितप्रज्ञ ) गुरुक निकट जाय, जिससे उसके भव-बन्धकी निवृत्ति हो।
BG0926b परमात्माकी पूजामें वस्तु नहीं भावका प्राधान्य है। उनकी return gift ज्यादा कीमती होती है।
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#koham3469 भगवान भाव के भूखे हैं, इसलिये भाव से अर्पण की हुई पत्र, पुष्प, फल, जल थोडी सी मात्रा में ही क्यूँ न हो, भगवान उसका स्वीकार कर लेते हैं (खाते हैं - अश्नामि)। शंकराचार्यजी अश्नामि शब्द का अर्थ गृह्णामि करेते हैं। और भाव से अर्पित की गई कोई भी वस्तु अनुगृह्णामि ऐसा कहा है। भगवान सिर्फ लेकर संतुष्ट नहीं होते बल्कि बहुमूल्य return gift भी दे देते हैं। यह बात हमने श्रीकृष्ण - सुदामा जी के ...
BGS0619c आत्मध्यानस्थ योगीकी मनस्थितीको दियेकी स्थीर ज्योतिकी उपमा दी गयी है। प्रत्याहारसे समाधी।
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BGS0619c आत्मध्यानस्थ योगीकी मनस्थितीको दियेकी स्थीर ज्योतिकी उपमा दी गयी है। प्रत्याहारसे समाधी।
VC27 28c निष्काम कर्मयोग एवं उपासनायोग के द्वारा साधन चतुष्ट्यके अनुसंधान पश्चात ज्ञानयोगमें प्रवेश।
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VC27 28c निष्काम कर्मयोग एवं उपासनायोग के द्वारा साधन चतुष्ट्यके अनुसंधान पश्चात ज्ञानयोगमें प्रवेश।
BG0926a अहंकार मुक्त शुद्ध मन से अर्पण की हुई कोई भी चीज़ भगवान स्वीकार कर लेते हैं।
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BG0926a अहंकार मुक्त शुद्ध मन से अर्पण की हुई कोई भी चीज़ भगवान स्वीकार कर लेते हैं।
BGS0619b वायुरहित स्थानमें स्थित दीपक चलायमान नहीं होता, ध्यानमें लगे हुए योगीके चित्तकी कही गयी है।
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BGS0619b वायुरहित स्थानमें स्थित दीपक चलायमान नहीं होता, ध्यानमें लगे हुए योगीके चित्तकी कही गयी है।
VC27 28b शरीरका तादाम्यरूपी अज्ञान त्यजकर अपने स्वरूपका बोध करनेकी तीव्र इच्छाको मुमुक्षता कही है।
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VC27 28b शरीरका तादाम्यरूपी अज्ञान त्यजकर अपने स्वरूपका बोध करनेकी तीव्र इच्छाको मुमुक्षता कही है।
BG0925 देवोंकी पूजा करनेसे देवलोक,पितृ पूजासे पितृलोक, भूतपिशाच भूतोंको और परमात्माकी पूजासे मुक्ति।
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BG0925 देवोंकी पूजा करनेसे देवलोक,पितृ पूजासे पितृलोक, भूतपिशाच भूतोंको और परमात्माकी पूजासे मुक्ति।
BGS0619a आत्मध्यानस्थ चित्तकी, हवाके स्थीर वातावरणमें रहे दिये की अचल ज्योत की तरह उपमा दी गयी है।
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BGS0619a आत्मध्यानस्थ चित्तकी, हवाके स्थीर वातावरणमें रहे दिये की अचल ज्योत की तरह उपमा दी गयी है।
VC26-28a अहंकारसे देहपर्यन्त जितने अज्ञान-कल्पित बन्धनको अपने स्वरूपके ज्ञानद्वारा त्यागनेकी इच्छा।
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VC26-28a अहंकारसे देहपर्यन्त जितने अज्ञान-कल्पित बन्धनको अपने स्वरूपके ज्ञानद्वारा त्यागनेकी इच्छा।
रासपञ्चाध्यायी ०६ गोपीगीतमें गोपियोंका बिलखना, कृष्ण के प्रति अतीव संवेदना से कृष्ण प्रगट हुवे।
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रासपञ्चाध्यायी ०६ गोपीगीतमें गोपियोंका बिलखना, कृष्ण के प्रति अतीव संवेदना से कृष्ण प्रगट हुवे।
रासपञ्चाध्यायी ०५ रासमें भगवान के अंतर्ध्यान होने से गोपियोँ एवं राधा जी की मनोदशा ।
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रासपञ्चाध्यायी ०५ रासमें भगवान के अंतर्ध्यान होने से गोपियोँ एवं राधा जी की मनोदशा ।
रासपञ्चाध्यायी ०४ गोपियोँमें कुछ विशिष्ठ होने का अहंकार (सौभाग्यमद) आया और चमत्कार हुवा।
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रासपञ्चाध्यायी ०४ गोपियोँमें कुछ विशिष्ठ होने का अहंकार (सौभाग्यमद) आया और चमत्कार हुवा।
रासपञ्चाध्यायी ०३ चीरहरण लीला में भगवान ने गोपियों को देहभान से मुक्त कर के रास रचाने का वादा किया।
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रासपञ्चाध्यायी ०३ चीरहरण लीला में भगवान ने गोपियों को देहभान से मुक्त कर के रास रचाने का वादा किया।
रासपञ्चाध्यायी ०२ भगवान मन की तीव्रतम ईच्छा की परितृप्ति करते हैं।
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रासपञ्चाध्यायी ०२ भगवान मन की तीव्रतम ईच्छा की परितृप्ति करते हैं।
रासपञ्चाध्यायी ०१ शारदीय पूर्णिमा के अनुसंगत रास लीला का भावजगत में विचरण एवं विवरण।
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रासपञ्चाध्यायी ०१ शारदीय पूर्णिमा के अनुसंगत रास लीला का भावजगत में विचरण एवं विवरण।
BG0924 भगवान के दो स्वरूप हैं। एक मानव देहसे सीमित (finite) और दूसरा असीमित (infinite).
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BG0924 भगवान के दो स्वरूप हैं। एक मानव देहसे सीमित (finite) और दूसरा असीमित (infinite).
Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna Have heard of certain prescribed qualities in shishya the follower but here I saw qualities Guru must have Thanks and Pranaam 🙏
Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏
Learning Gita with grammar puts all of us on lucky wicket
Jay Shree Krushna bhai An example of Undhiyu was more interesting Practice makes man perfect Abhaar n pranaam 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai Glad to know new dimension of Karmopasna yog with logic and shashtra 🙏🙏🙏
Jay Shree krushna bhai It was worthy to note correlation between panch Yagn’s with panch infrastructure (dhansa) I was knowing Upasana (Bhakti) and kartvya yog are two mutually exclusive but glad to know that they are complementary too at times Pranaam 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai I missed it and shall go thru it shortly Pranaam 🙏🙏
Always welcome
जय सीताराम मैं आपके ग्रुप में जुड़ना चाहता हूं कृपया मेरा उत्तर दें
अध्यात्ममें आप की रुचि का अभिवादन। अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏
@rahulsing4213 अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को WhatsApp ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏
Jay Shree Krushna bhai
Jay Shree Krushna bhai
Jay Shree Krushna bhai Example of Deep and Oxygen comparing same with and vruti (vichar) is worth remembering you need both Vichar will not come in Man for a person who either at sleep or dead Thanks and Pranaam🙏🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai Asang shashtren dadhen chhitva સંબંધ વિચ્છેદ થી પરમાત્મા સન્મુખ અને સંસાર થી વિમુખ Getting back to original default state સાધન નો ઉપયોગ લક્ષ સુધી જ, જેમ. નદી પાર કરવા નાવ પ છી નાવ છોડી દેવા ની આભાર ભાઈ 🙏🙏🙏
गोपी गीत का शब्दार्थ के साथ श्री भास्करभाई का भावानुवाद का खुबसूरती से प्रस्तुति सराहनीय है। कृपया अवश्य सुने। जय श्री कृष्ण।
બસ આ રીતે આપણી યાત્રા નિરંતર ચાલતી રહે તેવી એકમાત્ર ઈચ્છા 🙏🙏🙏
ભાવસભર ગોપી ગીત થી તરબોળ કરી દીધા ધન્યતા નું વર્ણન કરવું અસંભવ No words to write further 🙏🙏🙏
ભાવસભર ગોપી ગીત થી તરબોળ કરી દીધા ધન્યતા નું વર્ણન કરવું અસંભવ No words to write further 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai You made all Of us drenched by reciting Gopi Geet so much of Bhav darshan It is really soothing experience Thanks Prannam
Jay Shree Krushna bhai So far no desire is left pending now to become Gopi is becoming strong desire Thanks and Pranaam🙏
Jay Shree Krushna bhai We are getting feeling that we are all in Vrindavan Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏😊
Jay Shree Krushna bhai You only put a drop of Amrosia ( Amrut) in our mouth Now desire to drink it has increased Sublime of Bhakti is enormous and very fruitful Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai I didn’t miss it after listening to your recording It was worthy to note too many connecting dots Glad to know that Shadripoo also help us to find Krushna at our door Amazing Raasadhyay Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai Glimpses on RaasLeela subject is worth listening to Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai Thanks for me remain connected in spite of not able to attend in person Ahbbar🙏🙏
❤
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare. Hare Ram Hare Ram ram Ram Hare hare
Jay Shree Krushna bhai🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏
Apse kaise jud sakte hai🙏🙏
आप इस लिंक को क्लिक करके हमारे वोट्सअप ग्रूपमें शामिल हो सकते है। वहाँ हमारे सभी वर्गोंकी माहिती आपको मिलेगी। chat.whatsapp.com/Ikks7eb3ytBJtpJqldQqXT जय श्रीकृष्ण।🙏
Jay Shree Krushna bhai Your example of cheque book indicating only finite number And we have to remember Parmatma an infinite power has pierced our Man and engraved like engraving on shilp ( writing on stone) Pranaam 🙏🙏🙏🙏🙏
Man position with respect to swaswaroop / Atma
Jay Shree Krushna bhai As usual liked your examples of Prakash/ light and fish to understand Man Besides your experienced comments in Shraddha is worth noting /listening and implementing at our end Pranaam 🙏🙏🙏🙏
Excited to learn that sooner we will start with Brahmasutra after completing Vivek Chudamani 🙏🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai And was glad to know that the difference between faith and Shraddha Enjoyed the session so much that eagerly waiting for next one on Samadhan Prannam
Jay Shree Krushna bhai Since we were out of station we couldn’t attend class However recording helped to bridge the continuity Pleased to note like lord Krushna you are taking us through nursery jr and sr kg Sakam bhakt Agnani bhakt and Nishkam bhakt Upasanayog / Bharati yog gives us Anant Anand which keeps increasing our by hour against Akhand Anand which one gets through karmyog and /or gyanyog Second shatkam is very interesting and can not afford to miss it Prannam bhai🙏🙏🙏
Thank you bhai Jay Shree Krushna 🙏🙏
Jay Shree Krushna bhai Understood the meaning of key word Viniyantam Thank you so much Pranaam 🙏
Jay Shree Krushna bhai🙏🙏 An example of Learning SA for musical classes is more apt for study of spiritual classes The same principle applies here continuous study consistently for a long period of time . Prannam
Nice illustration, many many thanks
Thank you! Cheers!
Jay Shree krushna bhai Learnt two new Sanskrit words Upajivya and Upjivi Primary and. Secondary respectively Thank you and Hari OM Pranaam 🙏🙏🙏
आप सन्निष्ठा और सातत्य से अध्ययन कर रहें हैं यह प्रभु का आप पर विशेष कृपा प्रसाद है। बने रहिये। जय श्रीकृष्ण।🙏
Sampurn jankari Hindi me prastut ki gayi hai, yeh mahatvapurna hai, dhanyavad.
Jay Shree Krushna Short and sweet and long and short of Eight important steps of Aastangyog of Maharshi Raman Patanjali ABHHAR 🙏🙏
Thank you bhai Understood the concept of Astangyog of Maharshi Raman Patanjali to collaborate the understanding of chapter 6 on Atma sainyam yog Looking forward for next session eagerly 🙏🙏🙏🙏
Uttama bhakti LA titan varnan
Uttama bhaaktika uttam varnan
Bahut sundar jankari Bhakti par
Baghitale Sundar aahe
Very nice information on bhakti
Jay Shree Krushna bhai Thank you very much for giving examples which helps us to digest the meaning of Shashtra easily 🙏🙏🙏🙏
Pranaam bhai Enjoyed the session further with examples of Mishra and Shree Ramkrushna Paramhans Learnt new word Dadhmyaham against vahamyaham Lecture is indeed enriching besides spiritual aspects Jay Shree Krushna