Koham
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BGS0623b Dissociation from association with unnatural sorrow. दु:ख संयोग वियोगम् ।
#koham3469
तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसञ्ज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा॥
जो दुःखरूप संसार के संयोग से रहित है तथा जिसका नाम योग है, उसको जानना चाहिए। वह योग न उकताए हुए अर्थात धैर्य और उत्साहयुक्त चित्त से निश्चयपूर्वक करना कर्तव्य है
भगवान ने २०वे श्लोक से शुरु कर के योग की ७ परिभाषा करी है। इस श्लोक में ७वीं है। किसी भी प्रकार की गलतफहमी (confusion) न हो ऐसी यह परिभाषा है।
आधिभौतिक, आधिदैविक एवं आध्यात्मिक दु:ख भी ऐसे योगी को छू भी नहीं सकते। इस से मिलनेवाला सुख अपना निजी सुख है ( प्राप्तस्य प्रापणम् ) , बाहर से आया हुवा सुख नहीं।
जय श्रीकृष्ण। 🙏
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VC36 38c संसार के त्रिविध ताप का शमन सद्गुरु शरण लेकर अपने शुद्ध स्वरूप की झांकीसे हो जाता है।
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#koham3469 संसार के त्रिविध ताप का शमन सद्गुरु शरण लेकर अपने शुद्ध स्वरूप की झांकीसे हो जाता है। अन्य से नहीं। श्वेताश्वतरोपनिषद् चतुर्थोऽध्यायः श्लोक ६ द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्वजाते। तयोरन्यः पिप्पलं स्वाद्वत्त्यनश्नन्नन्यो अभिचाकशीति॥ दो सुन्दर पंखों वाले पक्षी, जो साथ-साथ रहने वाले तथा परस्पर सखा हैं, समान वृक्ष पर ही आकर रहते हैं; उनमें से एक उस वृक्ष के स्वादिष्ट फलों क...
BG0930a यदि अतिशय दुराचारी भी अनन्य भावसे मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही मानने योग्य है.
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#koham3469 अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक् ।साधुरेव स मन्तव्य: सम्यग्व्यवसितो हि स: ।। ।।09:30।। चेत् = यदि (कोई); सुदुराचार: = अतिशय दुराचारी; भजते = भजता है; माम् = मुझे; अनन्यभाक् = अनन्यभावसे मेरा भक्त हुआ; साधु: = साधु ; एव = ही; स: = वह; मन्तव्य: = मानने योग्य है; हि = क्योंकि; सम्यक् व्यवसित: = यथार्थ निश्चियवाला है । यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता ह...
BGS0623a ध्यान के फल के सात अंग में से सातवे अंग दु:ख के साथ कभी भी संयोग न हो ऐसी समाधि दशा।
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#koham3469 BGS0623a ध्यान के फल के सात अंग में से सातवे अंग दु: के साथ कभी भी संयोग न हो ऐसी समाधि दशा। तं विद्याद्दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम् ।स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा ।। ।।06:23।। तम् = उसको; विद्यात् = जानना चाहिये; दु:खसंयोग वियोगम् = दु:स्वरूप संसार के संयोग से रहित है (तथा); योगसंज्ञितम् = जिसका नाम योग है; स: = वह; निश्चयेन = निश्चयपूर्वक; योक्तव्य: = करना कर्तव्य है; यो...
VC34 38b आधिभोतिक, आधिदैविक एवं आध्यात्मिक ताप का विवरण। आध्यात्मिक तापका शमन अध्यात्मसे ही होगा।
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#koham3469 आधिभोतिक, आधिदैविक एवं आध्यात्मिक त्रिविध ताप का विवरण। आध्यात्मिक तापका शमन अध्यात्मसे ही होगा।
BG0929b भगवान सभी जीवोमें समानतासे व्याप्त हैं, जो भक्त उनकी अनन्यभावसे भक्ति करताहै उन्हें पाता है।
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#koham3469 भगवद्गीता अध्याय ९ श्लोक २९ में श्रीकृष्ण कहते हैं: समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रिय:। ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्। "मैं सभी प्राणियों के प्रति समभाव रखता हूँ, न कोई मेरा द्वेषी है और न कोई प्रिय। लेकिन जो भक्त मुझसे प्रेम से भक्ति करते हैं, वे मेरे अंदर रहते हैं और मैं उनके अंदर रहता हूँ।" इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि उनके लिए सभी जीव समान हैं। ...
BGS0622b आत्मानंद में मग्न योगी बडे से बडे दु:ख आनेपर भी इस स्थिती से विचलित नहीं होता।
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#koham3469 इस श्लोक में कहा गया है कि जो योगी अपने आत्मा में रमण करता है, वह एक अद्भुत आनंद को प्राप्त करता है, और यह आनंद ऐसा होता है कि उससे बढ़कर कोई और सु नहीं होता। एक बार जब व्यक्ति इस स्थिति को प्राप्त कर लेता है, तो वह फिर कभी भी इस स्थिरता और आनंद से बडे से बडे दु: आनेपर भी विचलित नहीं होता। सु - दु: शरीर के साथ जुडे हैं, आत्मा इनसे सर्वथा अलिप्त है।
VC34 38a संसाररूपी दावानलमें जलते जीव, गुरुके पावन चरणोंकी शरण ग्रहण कर परम सुखको प्राप्त करता है।
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#koham3469 आदि शंकराचार्य के विवेक चूडामणि का यह श्लोक (दुर्वारसंसारदवाग्नितप्तं) बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें संसार की कठोर वास्तविकताओं और मानव जीवन के संघर्षों का वर्णन है। श्लोक का भावार्थ: "इस असहनीय संसार रूपी दावानल में जलते हुए जीव, गुरु के पावन चरणों की शरण ग्रहण कर परम सु को प्राप्त करता है।" श्लोक की शुरुआत में संसार को एक दावानल (जंगल की आग) की तरह बताया गया है, जो अज्ञानता और मोह से उ...
BG0929a भगवान सभी में समानभावसे व्याप्त हैं, उन्हें रागद्वेष नहीं होता। परंतु अनन्य भक्त उनमें हैं।
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#koham3469 BG0929a भगवान सभी में समानभावसे व्याप्त हैं, उन्हें रागद्वेष नहीं होता। परंतु अनन्य भक्त उनमें हैं। समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रिय: । ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् ।। ।।09:29।। सम: = समभावसे व्यापक हूं; अहम् = मैं; सर्वभूतेषु = सब भूतों में; द्वेष्य: = अप्रिय; अस्ति = है(और); प्रिय: = प्रिय है; तु = परंतु; ये = जो लोग; भजन्ति =भजते हैं; माम् = मुझे; भक्त...
BGS0622a योगी परम स्थितिको प्राप्त करके किसी बडे दुखसे भी विचलित नहीं होता।
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#koham3469 BGS0622a योगी परम स्थितिको प्राप्त करके किसी बडे दुखसे भी विचलित नहीं होता। भगवद्गीता अध्याय ६ ठा श्लोक २२ वा यं लब्ध्वा चापरं लाभं मन्यते नाधिकं तत: | यस्मिन्स्थितो न दु:खेन गुरुणापि विचाल्यते || 22|| हिंदी अनुवाद है: "भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में कहते हैं कि जब एक साधक योग के अभ्यास के माध्यम से उस परम स्थिति को प्राप्त कर लेता है, तो उसे कोई और लाभ या संसारिक वस्तु उससे श्रेष्ठ नह...
VC33 36 शिष्य गुरुकी विनीत एवं विनम्र सेवा भक्तिपूर्वक आराधना करके, वे प्रसन्न होनेपर प्रश्न पूछें।
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#koham3469 तमाराध्य. गुरु भक्त्या प्रह्मप्रश्रयसेवने: । प्रसन्‍न॑ तमनुप्राप्प पच्छेज्ज़ातव्यमात्मन: ॥ ३६॥ जो श्रोत्रिय हों, निष्पाप हों, कामनाओंसे शून्य हों, ब्रह्मवेत्ताओंमें श्रेष्ठ हों, ब्रह्मनिष्ठ हों, ईंधनरहित अग्निके समान शान्त हों, अकारण दयासिन्धु हों और प्रणत (शरणापनन) सज्जनोंके बन्धु (हितैषी) हों उन गुरुदेवकी विनीत और विनम्र सेवासे भक्तिपूर्वक आराधना करके, उनके प्रसन्न होनेपर निकट जाकर...
BGS0621c इन्द्रियातीत, शुद्धसूक्ष्मबुद्धिसेग्राह्य अनंतआनन्दमें स्थितयोगी स्वरूपसे विचलित नहीं होता।
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#koham3469 BGS0621c इन्द्रियों से अतीत, केवल शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ग्रहण करने योग्य जो अनन्त आनन्द है, उसको जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिस अवस्था में स्थित यह योगी परमात्मा के स्वरूप से विचलित होता ही नहीं। सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्। वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः।। Translation: "The ultimate bliss, which is perceived by the intellect and transcend...
VC32 35 श्रोत्रिय, निष्पाप, कामनासे पर, ब्रह्मवेत्ता, ब्रह्मनिष्ठ, शान्त, अकारण दयासिन्धु, हितैषी हो
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#koham3469 श्रोत्रियोइबव॒ुजिनोडकामहतो यो ब्रह्मवित्तम: ॥ ३४॥ ब्रह्मण्युपरत: शान्तो निरिन्धन इवानल:। अहैतुकदयासिन्धुर्बन्धुरानमतां सताम्‌॥ ३५॥ जो श्रोत्रिय हों, निष्पाप हों, कामनाओंसे शून्य हों, ब्रह्मवेत्ताओंमें श्रेष्ठ हों, ब्रह्मनिष्ठ हों, ईंधनरहित अग्निके समान शान्त हों, अकारण दयासिन्धु हों और प्रणत (शरणापनन) सज्जनोंके बन्धु (हितैषी) हों इसका संदर्भ है उस गुणवान गुरु के प्रति, जो ब्रह्मज्ञान...
BG0928b निष्काम कर्म और भगवत्समर्पणके माध्यमसे व्यक्ति बंधनोंसे मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
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#koham3469 BG0928b निष्काम कर्म और भगवत्समर्पणके माध्यमसे व्यक्ति बंधनोंसे मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः। सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि।। अर्थ: इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि यदि व्यक्ति अपने सभी कर्मों को मुझे अर्पित करता है, तो वह शुभ (अच्छे) और अशुभ (बुरे) कर्मों के फल से मुक्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति सन्न्यास (त्या...
BGS0621b हम समस्त कर्म भगवानको अर्पण कर देते हैं तो हमारे कर्म बंधनमुक्त होकर मोक्ष प्राप्त होता है।
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#koham3469 BGS0621b हम समस्त कर्म भगवानको अर्पण कर देते हैं तो हमारे कर्म बंधनमुक्त होकर मोक्ष प्राप्त होता है। कर्म का भगवान को अर्पण: इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने सभी कर्मों को भगवान को समर्पित कर दे। यह भावना हमें सिखाती है कि जो भी कार्य हम करें, उसे फल की आकांक्षा या व्यक्तिगत स्वार्थ से मुक्त होकर करें। ऐसा करने पर, कर्म केवल एक दायित्व बन जाता है, और उस पर गर्व या हानि का भाव समाप्त हो ज...
BGS0621b इंद्रियोंसेपरे आत्यंतिक सुख बुद्धिके माध्यमसे अनुभव किया जा सकता है जो आत्मासे संबंधित है।
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BGS0621b इंद्रियोंसेपरे आत्यंतिक सु बुद्धिके माध्यमसे अनुभव किया जा सकता है जो आत्मासे संबंधित है।
VC31 34 ज्ञानी गुरु जो वक्तृत्व कलामें भी सक्षम हो, ब्रह्मवित्त, कामना रहित शांत हो उनसे सीखना है।
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VC31 34 ज्ञानी गुरु जो वक्तृत्व कलामें भी सक्षम हो, ब्रह्मवित्त, कामना रहित शांत हो उनसे सीखना है।
BG0928a शुभ और अशुभ फलदायक कर्मोंके बंधनसे मुक्त होकर योगयुक्त चित्तसे तुम मुझे प्राप्त करोगे।
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BG0928a शुभ और अशुभ फलदायक कर्मोंके बंधनसे मुक्त होकर योगयुक्त चित्तसे तुम मुझे प्राप्त करोगे।
BGS0621a योग और आत्मा के अद्वितीय अनुभव: शुद्ध सूक्ष्म बुद्धि और अनन्त आनंद. समाधी की अवस्थाएँ।
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BGS0621a योग और आत्मा के अद्वितीय अनुभव: शुद्ध सूक्ष्म बुद्धि और अनन्त आनंद. समाधी की अवस्थाएँ।
BG0927b निष्काम भक्ति एवं निष्काम कर्म - ईश्वरार्पण भावना और प्रसाद भावना एकही सिक्केकी दो बाजू हैं।
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BG0927b निष्काम भक्ति एवं निष्काम कर्म - ईश्वरार्पण भावना और प्रसाद भावना एकही सिक्केकी दो बाजू हैं।
BGS0620b सातत्य से 24/7 प्रभु का चिंतन कैसे करें? रागद्वेष का त्याग कर के चित्तशुद्धी करनी होगी।
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BGS0620b सातत्य से 24/7 प्रभु का चिंतन कैसे करें? रागद्वेष का त्याग कर के चित्तशुद्धी करनी होगी।
VC30 33b साधन चतुष्ट्य पश्चात् प्राज्ञ गुरुसे शास्त्रोंका अध्ययन करना ताकि भवबंधनसे मुक्ति मिल सके।
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VC30 33b साधन चतुष्ट्य पश्चात् प्राज्ञ गुरुसे शास्त्रोंका अध्ययन करना ताकि भवबंधनसे मुक्ति मिल सके।
BG0927 जीवनमें शास्त्रसंमत जो भी कार्य हम करते हैं, परमात्माको अर्पण करदेनेसे चित्तशुद्धी होती है।
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BG0927 जीवनमें शास्त्रसंमत जो भी कार्य हम करते हैं, परमात्माको अर्पण करदेनेसे चित्तशुद्धी होती है।
BGS0620a साक्षी आत्मा का आत्मा द्वारा आत्मा में अपना शुद्ध स्वरूप का दर्शन। ध्यान की दो व्याख्याएँ।
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BGS0620a साक्षी आत्मा का आत्मा द्वारा आत्मा में अपना शुद्ध स्वरूप का दर्शन। ध्यान की दो व्याख्याएँ।
VC29 33a साधन चतुष्ट्य संपत्ति अर्जित होने के बाद ज्ञान प्राप्ति के लिये गुरुकी सेवा और मार्गदर्शन।
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VC29 33a साधन चतुष्ट्य संपत्ति अर्जित होने के बाद ज्ञान प्राप्ति के लिये गुरुकी सेवा और मार्गदर्शन।
BG0926b परमात्माकी पूजामें वस्तु नहीं भावका प्राधान्य है। उनकी return gift ज्यादा कीमती होती है।
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BG0926b परमात्माकी पूजामें वस्तु नहीं भावका प्राधान्य है। उनकी return gift ज्यादा कीमती होती है।
BGS0619c आत्मध्यानस्थ योगीकी मनस्थितीको दियेकी स्थीर ज्योतिकी उपमा दी गयी है। प्रत्याहारसे समाधी।
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BGS0619c आत्मध्यानस्थ योगीकी मनस्थितीको दियेकी स्थीर ज्योतिकी उपमा दी गयी है। प्रत्याहारसे समाधी।
VC27 28c निष्काम कर्मयोग एवं उपासनायोग के द्वारा साधन चतुष्ट्यके अनुसंधान पश्चात ज्ञानयोगमें प्रवेश।
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VC27 28c निष्काम कर्मयोग एवं उपासनायोग के द्वारा साधन चतुष्ट्यके अनुसंधान पश्चात ज्ञानयोगमें प्रवेश।
BG0926a अहंकार मुक्त शुद्ध मन से अर्पण की हुई कोई भी चीज़ भगवान स्वीकार कर लेते हैं।
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BG0926a अहंकार मुक्त शुद्ध मन से अर्पण की हुई कोई भी चीज़ भगवान स्वीकार कर लेते हैं।
BGS0619b वायुरहित स्थानमें स्थित दीपक चलायमान नहीं होता, ध्यानमें लगे हुए योगीके चित्तकी कही गयी है।
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BGS0619b वायुरहित स्थानमें स्थित दीपक चलायमान नहीं होता, ध्यानमें लगे हुए योगीके चित्तकी कही गयी है।

Комментарии

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 дня назад

    As discussed good to revisit those three Tap once again in detail to distinguish them from one another 🙏🙏🙏🙏🙏

    • @koham3469
      @koham3469 3 дня назад

      अन्य सहाध्यायीओं संग आप इस विषय के बारे में जिज्ञासा रख रहे हैं। हम इसका गौर से अध्ययन करने की कोशिश करेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 дня назад

    Jay Shree Krushna bhai🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 6 дней назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 9 дней назад

    Jay shree Krushna bhai 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 10 дней назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏🙏

  • @ravikantdubey7748
    @ravikantdubey7748 14 дней назад

    HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAM HARE RAM RAM RAM HARE HARE

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 15 дней назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 15 дней назад

    Jay Shree Krushna bhai Enjoyed and enriched the session with very good examples Pranaam 🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 23 дня назад

    An example of Rishi Yagnadut is remarkable Reaching on zenith and and not falling therefrom is the point to be noted Pranaam bhai 🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 23 дня назад

    Jay Shree Krushna bhai🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 24 дня назад

    Jay Shree Krushna bhai Your detailed explanation in the quality of follower must have to obtain Gnan from Guru Pranaam and thanks 🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 Месяц назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 Месяц назад

    Jay Shree Krushna Have heard of certain prescribed qualities in shishya the follower but here I saw qualities Guru must have Thanks and Pranaam 🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 Месяц назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 Месяц назад

    Learning Gita with grammar puts all of us on lucky wicket

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 Месяц назад

    Jay Shree Krushna bhai An example of Undhiyu was more interesting Practice makes man perfect Abhaar n pranaam 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Glad to know new dimension of Karmopasna yog with logic and shashtra 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree krushna bhai It was worthy to note correlation between panch Yagn’s with panch infrastructure (dhansa) I was knowing Upasana (Bhakti) and kartvya yog are two mutually exclusive but glad to know that they are complementary too at times Pranaam 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai I missed it and shall go thru it shortly Pranaam 🙏🙏

    • @koham3469
      @koham3469 2 месяца назад

      Always welcome

  • @rahulsing4213
    @rahulsing4213 2 месяца назад

    जय सीताराम मैं आपके ग्रुप में जुड़ना चाहता हूं कृपया मेरा उत्तर दें

    • @koham3469
      @koham3469 2 месяца назад

      अध्यात्ममें आप की रुचि का अभिवादन। अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏

    • @koham3469
      @koham3469 2 месяца назад

      @rahulsing4213 अपना मोबाईल नंबर बताईए, आप को WhatsApp ग्रूप में शामिल कर लेंगे। जय श्रीकृष्ण।🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Example of Deep and Oxygen comparing same with and vruti (vichar) is worth remembering you need both Vichar will not come in Man for a person who either at sleep or dead Thanks and Pranaam🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 2 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Asang shashtren dadhen chhitva સંબંધ વિચ્છેદ થી પરમાત્મા સન્મુખ અને સંસાર થી વિમુખ Getting back to original default state સાધન નો ઉપયોગ લક્ષ સુધી જ, જેમ. નદી પાર કરવા નાવ પ છી નાવ છોડી દેવા ની આભાર ભાઈ 🙏🙏🙏

  • @dilipparekh1363
    @dilipparekh1363 3 месяца назад

    गोपी गीत का शब्दार्थ के साथ श्री भास्करभाई का भावानुवाद का खुबसूरती से प्रस्तुति सराहनीय है। कृपया अवश्य सुने। जय श्री कृष्ण।

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    બસ આ રીતે આપણી યાત્રા નિરંતર ચાલતી રહે તેવી એકમાત્ર ઈચ્છા 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    ભાવસભર ગોપી ગીત થી તરબોળ કરી દીધા ધન્યતા નું વર્ણન કરવું અસંભવ No words to write further 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    ભાવસભર ગોપી ગીત થી તરબોળ કરી દીધા ધન્યતા નું વર્ણન કરવું અસંભવ No words to write further 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai You made all Of us drenched by reciting Gopi Geet so much of Bhav darshan It is really soothing experience Thanks Prannam

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai So far no desire is left pending now to become Gopi is becoming strong desire Thanks and Pranaam🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai We are getting feeling that we are all in Vrindavan Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏😊

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai You only put a drop of Amrosia ( Amrut) in our mouth Now desire to drink it has increased Sublime of Bhakti is enormous and very fruitful Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai I didn’t miss it after listening to your recording It was worthy to note too many connecting dots Glad to know that Shadripoo also help us to find Krushna at our door Amazing Raasadhyay Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 3 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Glimpses on RaasLeela subject is worth listening to Thanks and Pranaam 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Thanks for me remain connected in spite of not able to attend in person Ahbbar🙏🙏

  • @ravikantdubey7748
    @ravikantdubey7748 4 месяца назад

  • @ravikantdubey7748
    @ravikantdubey7748 4 месяца назад

    Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare. Hare Ram Hare Ram ram Ram Hare hare

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai 🙏🙏🙏

  • @rajnigupt4479
    @rajnigupt4479 4 месяца назад

    Apse kaise jud sakte hai🙏🙏

    • @koham3469
      @koham3469 4 месяца назад

      आप इस लिंक को क्लिक करके हमारे वोट्सअप ग्रूपमें शामिल हो सकते है। वहाँ हमारे सभी वर्गोंकी माहिती आपको मिलेगी। chat.whatsapp.com/Ikks7eb3ytBJtpJqldQqXT जय श्रीकृष्ण।🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Your example of cheque book indicating only finite number And we have to remember Parmatma an infinite power has pierced our Man and engraved like engraving on shilp ( writing on stone) Pranaam 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Man position with respect to swaswaroop / Atma

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai As usual liked your examples of Prakash/ light and fish to understand Man Besides your experienced comments in Shraddha is worth noting /listening and implementing at our end Pranaam 🙏🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Excited to learn that sooner we will start with Brahmasutra after completing Vivek Chudamani 🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai And was glad to know that the difference between faith and Shraddha Enjoyed the session so much that eagerly waiting for next one on Samadhan Prannam

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Since we were out of station we couldn’t attend class However recording helped to bridge the continuity Pleased to note like lord Krushna you are taking us through nursery jr and sr kg Sakam bhakt Agnani bhakt and Nishkam bhakt Upasanayog / Bharati yog gives us Anant Anand which keeps increasing our by hour against Akhand Anand which one gets through karmyog and /or gyanyog Second shatkam is very interesting and can not afford to miss it Prannam bhai🙏🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Thank you bhai Jay Shree Krushna 🙏🙏

  • @navanitpandya5196
    @navanitpandya5196 4 месяца назад

    Jay Shree Krushna bhai Understood the meaning of key word Viniyantam Thank you so much Pranaam 🙏