राजा शांतनु सत्यवती का विवाह - भीष्म प्रतिज्ञा - Mahabharat Part-2

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 7 сен 2024
  • राजा शांतनु सत्यवती का विवाह - भीष्म प्रतिज्ञा - Mahabharat Part-2 #shorts#devkatha #mahabharatkatha
    एक दिन राजा यमुना तट पे विहार करने गए। वहां उन्होंने एक अत्यंत सुंदर मत्स्य कन्या को देखा। उसका नाम सत्यवती था। सत्यवती ने पराशर नामक ऋषि को अपने कामपाश में फंसाकर उनसे पुत्रप्राप्ति की थी, जो वेदव्यास कहलाए। पराशर ऋषि के वरदान से सत्यवती के तन से आने वाली मत्स्य जैसी दुर्गंध सुगंध में परिवर्तित हो गई थी। राजा शांतनु सत्यवती का सौंदर्य रूप देख मोहित हो गए और उनके पिता केवटराज के आगे विवाह का प्रस्ताव रखा। किंतु केवटराज ने उनके समक्ष एक शर्त रखी।
    “ राजन...पुत्री सत्यवती का विवाह आप के साथ तभी संभव होगा जब आप वचन दें कि, आप के राज्य का उत्तराधिकारी सत्यवती का पुत्र बने, न की गंगापुत्र देवव्रत।“
    राजा केवटराज की ये शर्त सुनकर दुःखी रहने लगे। जब देवव्रत को ये पता चला तो, वो केवटराज के पास गया।
    “ केवटराज, मैं वचन देता हूं कि, हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी आपकी पुत्री सत्यवती का पुत्र ही बनेगा”
    केवटराज ने कहा “ चलो आपकी बात मन ले किन्तु, अगर आपके पुत्रों ने अधिकार की बात को तो..?”
    यह सुन देवव्रत दुःखी हो गया। किन्तु वह अपने से अधिक पिता से प्रेम करता था। इसलिए गंगा नदी के तट पर गया और वहां पिता शांतनु और सत्यवती के सामने कहा।
    “ मैं गंगापुत्र देवव्रत, अपनी माता की सौगंध लेकर प्रतिज्ञा करता हूं कि, मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहूंगा और कभी विवाह नही करूंगा।“
    For More Videos Subscribe Dev Katha Channel : bit.ly/3wr12K1

Комментарии •