नई 'Acharya Prashant' App डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन कोर्स: solutions.acharyaprashant.org संस्था से संपर्क हेतु इस फॉर्म को भरें: acharyaprashant.org/enquiry?formid=209
यह है असली सत्संग जो जीवन की गहरी समझ विकसित करता है, गूढ़ रहस्य को उजागर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद गुरु।।समीक्षा करने का आप का तरीका अत्यंत प्रभावशाली है।।🙏
आचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम, जिस प्रकार प्राचीन काल में महात्मा बुद्ध , महावीर हुए और मध्यकालीन युग में गुरु शंकराचार्य , कबीर आदि और वही आधुनिक भारतीय इतिहास में राजा राम मोहन राय, दयानंद सरस्वती, स्वामी विेकानन्द आदि महान पुरुषों से समाज को वास्तविक सत्य की ओर अग्रसर करने का कार्य किया ठीक उस प्रकार 21 सदी में आप उन महान पुरुषों की भांति आंतरिक मजदूरी व सत्य को केन्द्र के रखकर एक सत्यनिष्ठ योद्धा निर्मित करने का कार्य कर रहे है।।
आचार्य जी गीता के श्लोक जिस प्रकार समझा रहे हैं और इस्कॉन की गीता में जमीन आसमान का अंतर है। किसी तथाकथित गुरु को सुनने की आवश्यकता नहीं है केवल आचार्य जी को सुनो यह मेरी नसीहत सभी के लिए।🙏🙏
बहुत अमूल्य ज्ञान है। आध्यात्म का पुरा मकसद हि दुख से मुक्ति का है। जीते जी मनुष्य जो बैचानी, तड़प, दुख झेलता है, उससे पीछा छुट जाए यही मुक्ति है। यही धर्म है- अहम का आत्मा की और बढ़ना। अहिंसा- अहम जब आत्मा के प्रति द्वेष/परायापन ना रखे। अपने व्यक्तिगत अहम से ऊपर उठकर हि अपने दुख से मुक्ति मिलेगी क्योकि दुख का मूल अहम हि है जो की झूठ है।
इस धरा पर मनुष्य कतई सबसे अत्यधिक स्वार्थी प्राणी है, वो मृत्यु तक में अपना स्वार्थ खोजता है। तभी तो मरने के बाद का भी लेखा-जोखा लेकर चलता है। अरे! जो भी करना है सब जीवित होकर करना है और तत्काल करना है। क्योंकि मृत्यु सबसे बड़ा सत्य है। नमन आचार्य श्री। चरण स्पर्श। 🍂🍂
मान गय आचार्य जी आपके धैर्य और करुणा को आप इसके साक्षात मूरत है एक ही बात को इतने बार इतने आराम से समझना ओह ☺️ भाई कसम से आराम आ गया जीवन में मस्ती आ गई अब तो बाकी के कड़ोड लोगो पर तरस भी आ रही और करुणा भी ,बेचारे कही सब आचार्य जी से वंचित न रह जाए🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी का होना ही प्रकाश है,🌺🙏🏼🌺 उनकी शब्द रश्मियां जहां जब पड़ती हैं वह वहाँ स्पष्ट हो जाता है. जो दिख रहा है उसका अंदाजा नहीं लगाना पड़ता. As simple as that.
सही कर्म आराम-आराम से नहीं होता अपितु सही कर्म बहुत ही संघर्ष से होता है। आराम से प्राकृतिक कर्म होता है जैसे नींद आना। आचार्य जी आपने बिल्कुल निराकार सत्य बात कही। मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आचार्य जी। 🙏🙏
Aacharya ji pranam aap great ho kitne acchi vyakhya ki hai aapane Maine Google mein bhi Geeta ke shlokon ki vyakhya samajhne ka prayas Kiya lekin aapki bahut behtar hai बहुत-बहुत dhanyvad aapka 💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏🤩🤩🤩🤩
इन्द्रिगत सुख या भौतिक सुखों की चाह से ही अहंवृति जन्म लेती हैं, इन्हीं इन्द्रियों की तृप्ति को शांत करने के लिए रिश्ते, संबंध, परिवार, समाज का गठन जीव करता हैं और इस छद्म सुख में मौत चोट करती हैं, जिस कारण हम मृत्यु के बाद की कपोल कल्पना करते हैं। हम इतने भ्रम में होते हैं कि मृत शरीर के उसी रूप में स्वर्ग जाने तक की कल्पना कर लेते हैं। इन्द्रिय सुख से मुक्ति पा लेना ही मोक्ष हैं। दुनियाँ की उच्च शिक्षा की डिग्रियां हासिल करने के बावजूद आप लोगों को मुक्ति पथ की ओर उनमुख करने का जो प्रयास कर रहे हैं, वह कोई कृष्णावतार ही कर सकता हैं आचार्य जी 🙏🏻
हमको आत्मा तक की पूरी यात्रा तो करनी भी नहीं है । हमको बस नेति - नेति की यात्रा करनी है। व्यक्तिगत अहंकार जो 10... चीज़ों से जुड़ा हुआ है इसका झूठ देख लिया उसके बाद अहम वृत्ति मात्र बचती है जो या तो व्यक्तिगत अहंकार में परिणित हो जाएगी या उसको मिटना पड़ेगा, वो आत्मस्थ हो जाएगी । 🙏 🙏 आचार्य प्रशांत जी
वेदों को पढ़कर उपनिषदों को पढ़कर आप भी कृष्ण और राम बन सकते हैं हमारे इन ग्रंथों में इतनी ताकत है कि आप इन्हें जान कर विश्व का भला कर सकते हैं और प्रकृति का भला कर सकते है, जीव जंतुओं का भला कर सकते हैं, एक ही इंसान संसार को कैसे बदलता है आपके सामने जीता जागता उदाहरण है हमारे आचार्य जी, कृष्ण जी कोई भगवान नहीं थे वह भी आचार्य जी जैसे सत्य मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति थे और आचार्य जी का उद्देश्य है के हर एक व्यक्ति को अपने जैसा बनाना. जब एक जैसी विचारधारा होगी तभी इस संसार में शांति स्थापित की जा सकती है,🙏
इन तीनों को अलग-अलग जानना बहुत ज़रूरी है- आत्मा, अहंवृत्ति, व्यक्तिगत अहंकार आत्मा है- विशुद्ध मैं अहंवृत्ति है- अपूर्ण मैं जो किसी से संपृक्त नहीं है लेकिन जिसकी वृत्ति है जुड़ने की। व्यक्तिगत अहंकार माने देह। जो जुड़ गया है अपने शरीर से और संबंधों से। हमें सबसे ज़्यादा कष्ट ये व्यक्तिगत अहंकार ही देता है। वास्तव में ये व्यक्तिगत अहंकार जिन-जिन से जुड़ता है यदि आप वो जुड़ाव कम कर सकें, आप बस मैं बोलना सीख लें बिना मैं को किसी पर आश्रित किये हुए, आप मैं बोलना सीख लें बिना किसी को अपने आप से जोड़े, बिना तादात्म्य किये तो ये अहंवृत्ति बहुत जल्दी आत्मस्थ हो जाती है। -आचार्य प्रशांत
धन्यवाद आचार्य जी इतना ऊँचा जीवन देने के लिए जब से जीवन मे आयें है तब से जीवन जीने का तरीका ही बदल गया है,शुरू में आपकी बाते अहंकार को चोट देती थी लेकिन हार नहीं मानी और संघर्ष करता रहा I धीरे-धीरे बाते समझ मे आने लगी और जीवन के हर मोड़ पर आपकी बाते सहारा देनें लगी और अब जीवन मे जो आनंद मिलता है वह और कहीं नहीं हैं I ❤️🙏
नमस्ते 🙏 आचार्य जी 👉 सप्रेम नमन 👉 अति सुंदर 👉 सवाल एवम् जवाब 👉 बहुत ही गहरी चर्चा हो रही हैं. 👉आप के समान सिर्फ आप ही है, आप की किर्ति कभी धुमिल न हो. 🙏 🇮🇳 🙏 जय भारती.
व्यक्ती विलीन करणे का नाम है आध्यात्म! ❤ वाह गीता लिखने wala, वाह❤ कृष्ण jinhone कहा, वाह ❤आचार्य who explains too well, his teachings relates with life so closely.
हम अक्सर इस भ्रान्ति में रहते है की सहजता से जीवन जीना बहुत ही सरल और आसान है। परन्तु सहज का वास्तविक अर्थ आत्मिक है मतलब असली कर्म करना है तो संघर्ष करना पड़ता है और सही कर्म करने के लिए संघर्ष करना ही सही मायने में आनन्द है। आचार्य जी आप का कथन बिल्कुल दिमाग में बैठ गया है। आप धन्य है आचार्य श्री। ⚘️⚘️
इस ज्ञान को जीवन में सहज भाव से उतार पाएं तभी आत्मस्थ हो सकते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत अहंकार हकेशा बीच में उपस्थित रहता है।अहम वृति ने सबको मिला कर माया का जाल खड़ा किया हुआ है इसलिए गीता अति आवश्यक है।
Bufallow airways 😂😂😂! I luv achrya ji ‘s smile n expression wen ppl talk n try to show in their questions that how much they knw . Apart of joke , I luv to listen everyday n every time. Thanks for sharing such a divine wisdom!
🌺🙏🏼🌺 आचार्य जी आप , जैसे गर्भ में माँ अपने शिशु को कुछ जाने और कुछ अनजाने सब कुछ दे रही है, उसकी हर क्रिया प्रतिक्रिया उसको बना रही है. बूंद बूँद लहू से सींचती है गर्भस्थ शिशु का जीवन, आपके गर्भ में कितने करोड़ों शिशु और सभी सौभाग्य शाली, भाग्य के धनी 🙏🏼🚩
Love you sir for being so transparent and outspoken and so truthful...❤💐 So clear n truthful... You are doing a great work in these times full of aduĺtry n lack of culture or direction..
I didn't get job in army but I am trying to live Indian army as life in which includes struggle,courage,dauntless,and life's practical lessons how to deel enemy and bhagwat geeta is theory of knowledge that how to apply in today's life challengers that's why I love both sreemad Bhagwat Geeta and central armed forces
आचार्य जी प्रणाम जब से आपको सुनने लगा हूं मानो उसके बाद से ऐसा हो गया की अब तक कितने अंधकार मैं था मानो एक उजाला सा हो गया अब चीजो को बड़े स्पष्ट रूप से देख पा रहा हूँ। धनायवाद आचार्य जी
Adhyatm ko vistar koi Aacharya hi kar sakte hai. Vyashti apne ko samashti Rup me kabhi smahit nahi ho skti. jab tak vah Prakriti ke sath samnjasya me rahati hai apne ko aham -vriti ke Maya me vyaktigat- aham samajhti hai. Isi bat ko Aacharya ji ne bahut saral dhang me vyakt karte hai. Aacharya ji uchchtar Avastha me pahunch chuke hai. Unko sat sat naman hai
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Wow !!! Every Sunday at specific time on AP circle, can we have a session like this on Gita.
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मेरे गुरूदेव स्वामी शिवओम तीर्थ जी महाराज को समर्पित है मां दुर्गा
भावना व्यर्थ है
शुद्ध अशुद्ध का चुनाव
यह है असली सत्संग जो जीवन की गहरी समझ विकसित करता है, गूढ़ रहस्य को उजागर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद गुरु।।समीक्षा करने का आप का तरीका अत्यंत प्रभावशाली है।।🙏
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आचार्य जी के साथ उन सभी लोगों को भी बहुत नमस्कार जिनके माध्यम से आचार्य जी मेरे मोबाइल की स्क्रीन पर उपलब्ध हो पाए
आचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम, जिस प्रकार प्राचीन काल में महात्मा बुद्ध , महावीर हुए और मध्यकालीन युग में गुरु शंकराचार्य , कबीर आदि और वही आधुनिक भारतीय इतिहास में राजा राम मोहन राय, दयानंद सरस्वती, स्वामी विेकानन्द आदि महान पुरुषों से समाज को वास्तविक सत्य की ओर अग्रसर करने का कार्य किया ठीक उस प्रकार 21 सदी में आप उन महान पुरुषों की भांति आंतरिक मजदूरी व सत्य को केन्द्र के रखकर एक सत्यनिष्ठ योद्धा निर्मित करने का कार्य कर रहे है।।
आचार्य जी, सहज मार्ग दर्शन कराया आपने
तो आओ ना गुरु के और समीप भाई क्यों दूर बैठे बैठे महत्वाकांक्षा भरने का व्लोग चला रहे हो।।
कुछ भी जो जीवन में ऊँचा है वो सहज नही मिल जाता उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है और उस संघर्ष में ही सहजता है।
-आचार्य प्रशान्त 🙏
आचार्य जी गीता के श्लोक जिस प्रकार समझा रहे हैं और इस्कॉन की गीता में जमीन आसमान का अंतर है। किसी तथाकथित गुरु को सुनने की आवश्यकता नहीं है केवल आचार्य जी को सुनो यह मेरी नसीहत सभी के लिए।🙏🙏
गीता का इतना सही अर्थ और स्पष्टीकरण व्याख्या मैंने आज तक नहीं सुनी गुरुजी अगर आप टीवी पर आ जाएं तो लोगों का जीवन बदल जाए हार्दिक धन्यवाद
बहुत अमूल्य ज्ञान है। आध्यात्म का पुरा मकसद हि दुख से मुक्ति का है। जीते जी मनुष्य जो बैचानी, तड़प, दुख झेलता है, उससे पीछा छुट जाए यही मुक्ति है। यही धर्म है- अहम का आत्मा की और बढ़ना।
अहिंसा- अहम जब आत्मा के प्रति द्वेष/परायापन ना रखे।
अपने व्यक्तिगत अहम से ऊपर उठकर हि अपने दुख से मुक्ति मिलेगी क्योकि दुख का मूल अहम हि है जो की झूठ है।
दुख को हटाना ही अध्यात्म का लक्ष्य है 🙏
जीवन ही विधि है।
बेहोश हो तो जीवन ही बंधन है, होश में हो तो जीवन साधन है।
-आचार्य प्रशांत
इस धरा पर मनुष्य कतई सबसे अत्यधिक स्वार्थी प्राणी है, वो मृत्यु तक में अपना स्वार्थ खोजता है। तभी तो मरने के बाद का भी लेखा-जोखा लेकर चलता है। अरे! जो भी करना है सब जीवित होकर करना है और तत्काल करना है। क्योंकि मृत्यु सबसे बड़ा सत्य है। नमन आचार्य श्री। चरण स्पर्श। 🍂🍂
आत्मा को तो कुछ होता नही, और प्रकृति में जो होता है वो व्यक्तिगत नही है, सब कष्ट फिर व्यक्तिगत अहंकार के ही है।🍁❤❤🌿
ये गूढ़ बात है बहुत ।।
आज आचार्य जी के प्रयास से कितने लोगों तक भगवद्गीता पहुंच रही हैं। आपका बहुत - बहुत आभार गुरु देव हम भी आपके माध्यम से भगवद्गीता का मर्म समझ पाएं।।🙏🙏
मान गय आचार्य जी आपके धैर्य और करुणा को आप इसके साक्षात मूरत है
एक ही बात को इतने बार इतने आराम से समझना ओह ☺️ भाई कसम से आराम आ गया जीवन में मस्ती आ गई
अब तो बाकी के कड़ोड लोगो पर तरस भी आ रही और करुणा भी ,बेचारे कही सब आचार्य जी से वंचित न रह जाए🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी का होना ही प्रकाश है,🌺🙏🏼🌺
उनकी शब्द रश्मियां जहां जब पड़ती हैं वह वहाँ स्पष्ट हो जाता है.
जो दिख रहा है उसका अंदाजा नहीं लगाना पड़ता.
As simple as that.
Asi Gita ki व्याख्या तो aj ke samay bhi koi nhi bata sakta jaisa acharya ji ne bataya hai
सही कर्म आराम-आराम से नहीं होता अपितु सही कर्म बहुत ही संघर्ष से होता है। आराम से प्राकृतिक कर्म होता है जैसे नींद आना। आचार्य जी आपने बिल्कुल निराकार सत्य बात कही। मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आचार्य जी। 🙏🙏
जीवन के बिषय में इतना गहरा स्पष्टीकरण समझाने के लिए कोटि कोटि नमन गुरुदेव🙏🙏🙏🙏🙏
आपको सुने बिना अब जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती आचार्य जी 🙏💐
ट्रेन में सफर टिकट के साथ और बिना टिकट के साथ दोनो में जो भेद का उदाहरण आचार्य जी ने दिया है गजब गजब🙏🙏🙏🙏🙏
Aacharya ji pranam aap great ho kitne acchi vyakhya ki hai aapane Maine Google mein bhi Geeta ke shlokon ki vyakhya samajhne ka prayas Kiya lekin aapki bahut behtar hai बहुत-बहुत dhanyvad aapka 💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏🤩🤩🤩🤩
इन्द्रिगत सुख या भौतिक सुखों की चाह से ही अहंवृति जन्म लेती हैं, इन्हीं इन्द्रियों की तृप्ति को शांत करने के लिए रिश्ते, संबंध, परिवार, समाज का गठन जीव करता हैं और इस छद्म सुख में मौत चोट करती हैं, जिस कारण हम मृत्यु के बाद की कपोल कल्पना करते हैं। हम इतने भ्रम में होते हैं कि मृत शरीर के उसी रूप में स्वर्ग जाने तक की कल्पना कर लेते हैं। इन्द्रिय सुख से मुक्ति पा लेना ही मोक्ष हैं। दुनियाँ की उच्च शिक्षा की डिग्रियां हासिल करने के बावजूद आप लोगों को मुक्ति पथ की ओर उनमुख करने का जो प्रयास कर रहे हैं, वह कोई कृष्णावतार ही कर सकता हैं आचार्य जी 🙏🏻
हमको आत्मा तक की पूरी यात्रा तो करनी भी नहीं है । हमको बस नेति - नेति की यात्रा करनी है। व्यक्तिगत अहंकार जो 10...
चीज़ों से जुड़ा हुआ है इसका झूठ देख लिया उसके बाद अहम वृत्ति मात्र बचती है जो या तो व्यक्तिगत अहंकार में परिणित हो जाएगी या उसको मिटना पड़ेगा, वो आत्मस्थ हो जाएगी ।
🙏 🙏 आचार्य प्रशांत जी
भगवदगीता फिर से हमारे लिए जीवंत करने के लिए आपका जितना धन्यवाद दिया जाए उतना कम है। ये विशुद्ध अमृत है।🙏🙏🙏🙏
आत्मा क्या है- विशुद्ध मै पूर्णमय।
अहम वृत्ति क्या है- सिर्फ मै जो सबमे साझी है।
व्यक्तिगत अहंकार क्या है- देह मै शरीर हू शरीर ही सब है।🍁🍁🌿
Naman
हर आम आदमी को यही लग रहा होता है कि अहंकार ही आत्मा है।
-आचार्य प्रशांत
Atma ki or jane ki koshis jari hai. Aaj se aur abhi se thanks achary g
वेदों को पढ़कर उपनिषदों को पढ़कर आप भी कृष्ण और राम बन सकते हैं हमारे इन ग्रंथों में इतनी ताकत है कि आप इन्हें जान कर विश्व का भला कर सकते हैं और प्रकृति का भला कर सकते है, जीव जंतुओं का भला कर सकते हैं, एक ही इंसान संसार को कैसे बदलता है आपके सामने जीता जागता उदाहरण है हमारे आचार्य जी, कृष्ण जी कोई भगवान नहीं थे वह भी आचार्य जी जैसे सत्य मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति थे और आचार्य जी का उद्देश्य है के हर एक व्यक्ति को अपने जैसा बनाना. जब एक जैसी विचारधारा होगी तभी इस संसार में शांति स्थापित की जा सकती है,🙏
Sirf unke gun aa sakte hain , unke jaisa koi nahi ban sakta
इतने आसन शब्दो में समझाने के लिए
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏
आप जैसा कोई नहीं पढ़ा सकता।
धन्यवाद आचार्य जी
Satya yahi hai ki insaan ka aham hi sabse bada satru hai ❤ Jai shree Krishna
इन तीनों को अलग-अलग जानना बहुत ज़रूरी है- आत्मा, अहंवृत्ति, व्यक्तिगत अहंकार
आत्मा है- विशुद्ध मैं
अहंवृत्ति है- अपूर्ण मैं जो किसी से संपृक्त नहीं है लेकिन जिसकी वृत्ति है जुड़ने की।
व्यक्तिगत अहंकार माने देह। जो जुड़ गया है अपने शरीर से और संबंधों से।
हमें सबसे ज़्यादा कष्ट ये व्यक्तिगत अहंकार ही देता है।
वास्तव में ये व्यक्तिगत अहंकार जिन-जिन से जुड़ता है यदि आप वो जुड़ाव कम कर सकें, आप बस मैं बोलना सीख लें बिना मैं को किसी पर आश्रित किये हुए, आप मैं बोलना सीख लें बिना किसी को अपने आप से जोड़े, बिना तादात्म्य किये तो ये अहंवृत्ति बहुत जल्दी आत्मस्थ हो जाती है।
-आचार्य प्रशांत
महाभाग हमारे कि हमारे पास ऊंचे से ऊंचा अध्यात्म बहोत ही सरल भाषा में समजा देने वाले आचार्य जी है!!! ❤️ 🙏
धन्यवाद आचार्य जी इतना ऊँचा जीवन देने के लिए जब से जीवन मे आयें है तब से जीवन जीने का तरीका ही बदल गया है,शुरू में आपकी बाते अहंकार को चोट देती थी लेकिन हार नहीं मानी और संघर्ष करता रहा I धीरे-धीरे बाते समझ मे आने लगी और जीवन के हर मोड़ पर आपकी बाते सहारा देनें लगी और अब जीवन मे जो आनंद मिलता है वह और कहीं नहीं हैं I ❤️🙏
प्रणाम आचार्यजी🙏🙏
"जो कुछ भी असली है वो संघर्ष मांगता है "
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अंहकार अपने आप को बचाये रखने के लिए स्वयं को आत्मा कहता है , खुद को सच मानता है।🌿❤🍁🍁
नमस्ते 🙏 आचार्य जी 👉 सप्रेम नमन 👉 अति सुंदर 👉 सवाल एवम् जवाब 👉 बहुत ही गहरी चर्चा हो रही हैं. 👉आप के समान सिर्फ आप ही है, आप की किर्ति कभी धुमिल न हो. 🙏 🇮🇳 🙏 जय भारती.
!! नमन आचार्य जी !!
Kaam to aakhir Ram hi aayege...... Jai Shri Ram.... 🙏
शत शत नमन गुरुजी।
🙏♥️🕉️
आत्मा ही सत्य, अजर और अमर है।
गुरू जी आप की चरणों मे कोटी कोटी नमन 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹💖🕉️🚩
🌺इस वाचन में अत्यंत गहराई से हमारी समझ को विकसित किया गया है✨♥️🌈🙏 धन्यवाद आचार्य श्री 🌺💐
खूब खूब धन्यवाद आचार्यजी खूब खूब धन्यवाद एस सत्संग के लिये
Jai ho Satye Sanatan Vedic Dharm ki 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🙏
श्रीमद्भगवद्गीता और जीवन को भलि-भाँति समझाने हेतु सादर धन्यवाद आचार्यश्री !
😊आचार्य देव🙏🏼 नमो नमः 🌺
दरसन (philosophy) में दीखे हो विष्णु,
सरल हृदय और परम सहिष्णु.
जय श्री कृष्ण 🙏😊🌼
बहुत बहुत उत्तम ढंग से व्याख्या । प्रणाम आचार्य श्री
गुरु जी आपका कार्य इतना अच्छा है शब्दों में नहीं बता सकती बहुत-बहुत धन्यवाद
आप महापुरुष हैं आचार्य जी
जो प्रशन मेरे मन बचपन से या जिज्ञासा थी सभी का जवाब मिल रहा है
कोटि कोटि प्रणाम नमन
लगता है मेरा जीवन पुर्ण हो गया
व्यक्ती विलीन करणे का नाम है आध्यात्म! ❤ वाह गीता लिखने wala, वाह❤ कृष्ण jinhone कहा, वाह ❤आचार्य who explains too well, his teachings relates with life so closely.
,आचार्य जी आप बहुत सरल भाषा मे गीता समझा ते हो ।
आज तक ना गीता पढ़कर समझमे आई नातो टीवी सीरीयल देखकर समझमे आई।
❤प्रणाम आचार्य जी❤
बुद्धको मेरा कोटि नमन 🙏🙏🙏
वैसे तो आचार्य जी आपकी सारी वीडियो अच्छी है,लेकिन ये वीडियो अब तक कि सबसे बहतरीन है।
" प्रकृति माॅ है, पत्नी नहीं; नमन करो, भोग नहीं " ~ आचार्य प्रशांत जी प्रणाम 🙏
हम अक्सर इस भ्रान्ति में रहते है की सहजता से जीवन जीना बहुत ही सरल और आसान है। परन्तु सहज का वास्तविक अर्थ आत्मिक है मतलब असली कर्म करना है तो संघर्ष करना पड़ता है और सही कर्म करने के लिए संघर्ष करना ही सही मायने में आनन्द है। आचार्य जी आप का कथन बिल्कुल दिमाग में बैठ गया है। आप धन्य है आचार्य श्री। ⚘️⚘️
Sabhi ko pranam 🙏🙏
Aapka bohot bohot dhyanawad Acharya ji aapki wjh se hum jaise kafi logo ko sahi margdarshan mil rha h
इस ज्ञान को जीवन में सहज भाव से उतार पाएं तभी आत्मस्थ हो सकते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत अहंकार हकेशा बीच में उपस्थित रहता है।अहम वृति ने सबको मिला कर माया का जाल खड़ा किया हुआ है इसलिए गीता अति आवश्यक है।
आत्मा के लिए अहंकार द्वेष न रखें यह अहिंशा हैं।🙏
Bandhan hi sansadhan h bahut bahut aabhar Aacharya ji 🙏👩🦰
दुःख को हटाना ही अध्यात्म का उद्देश्य है।
-आचार्य प्रशांत
Bufallow airways 😂😂😂!
I luv achrya ji ‘s smile n expression wen ppl talk n try to show in their questions that how much they knw .
Apart of joke , I luv to listen everyday n every time. Thanks for sharing such a divine wisdom!
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏❤️
Thanku acharay ji , aapko geeta padhne k baad sab ek dum clear ka lagta h 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Aapko bahut bahut Prem acharaya ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 🥰🥰🥰🥰🥰
शत शत नमन गुरूजी ❤️🙏
🌺🙏🏼🌺 आचार्य जी आप ,
जैसे गर्भ में माँ अपने शिशु को कुछ जाने और कुछ अनजाने सब कुछ दे रही है, उसकी हर क्रिया प्रतिक्रिया उसको बना रही है.
बूंद बूँद लहू से सींचती है गर्भस्थ शिशु का जीवन, आपके गर्भ में कितने करोड़ों शिशु और सभी सौभाग्य शाली, भाग्य के धनी
🙏🏼🚩
आत्मा के साथ कुछ होता नहीं और प्रकृति में जो कुछ होता है वो व्यक्तिगत होता नहीं।
-आचार्य प्रशांत
प्रणाम आचार्य जी 🙏😊🥰
आचार्यजी नमन जीवन को सही चशमे से देखने की राह आपने दिखाई उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद
11:00 Secret; 48:00 Sleep; 55:00 Ahimsa ; 1:00:00 Anger; 1:05:00 Life is not easy ; 1:11:00 Death;;1:32:30 Biography
Kya bat hai 😢
सादर नमन आचार्य जी को 🙏
Love you sir for being so transparent and outspoken and so truthful...❤💐 So clear n truthful...
You are doing a great work in these times full of aduĺtry n lack of culture or direction..
शत शत नमन गुरुजी 🍂❤
I didn't get job in army but I am trying to live Indian army as life in which includes
struggle,courage,dauntless,and life's practical lessons how to deel enemy and bhagwat geeta is theory of knowledge that how to apply in today's life challengers that's why I love both sreemad Bhagwat Geeta and central armed forces
जब तक लग रहा है कि मैं हूँ तो कहिये कि मैं हूँ और फिर कहिये कि मैं हूँ तो अब मुझे उस दिशा की ओर बढ़ना है जिधर को मैं न रहूँ। 🙏🙏🙏🙏
गीता 5,,,, के बाद अगले वीडियो का बहुत दिनों से इंतजार था आपको बहुत-बहुत धन्यवाद गुरु जी प्रणाम
एक ऐसा वीडियो जिसे बार बार बैक करके समझना होगा।
Jee. Mene bhi ese hi suna ,
बिना संघर्ष के कोई सहजता नहीं होती। सहज माने मुश्किल होता है। 🙏🙏
जीवन ही विधि है, बेहोश हो तो जीवन बंधन है, होश में हो तो जीवन संसाधन है ।
Jai Hanuman🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
आचार्य जी आपकी पुस्तक "सम्बंध" एक नया दौर ला गया जिंदगी में।मानसिक परेसानिया दूर हो रही है।कल्हपूर्ण वातावरण घर का दूर हो रहा हैं। बहुत बहुत आभार 🙏
Bahut Shanti milti hai aapko sun kr
आचार्य जी प्रणाम जब से आपको सुनने लगा हूं मानो उसके बाद से ऐसा हो गया की अब तक कितने अंधकार मैं था मानो एक उजाला सा हो गया अब चीजो को बड़े स्पष्ट रूप से देख पा रहा हूँ। धनायवाद आचार्य जी
बहुत ही साफ और स्पष्ट समझाया आचार्य जी ने
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी 🙏🏻
आपके मुख से निकले शब्द बटे हुए
मन को एक कर देती हैं 💟
कोटि कोटि नमन गुरुवर 🙏🙏🙏
Acharya Prashant ji🙏🙏🙏🙏🙏
कोटि कोटि धन्यवाद गुरुदेव। 🙏🙏
साधो साधो।
Achariya ji Thank you very much
व्यक्ती अफवाह है, यह पता था, परंतू आज पता चला कि, सब सार्वजनीक है, व्यक्तिगत ऐसा कुछ भी नहीं है । बहुत-बहुत धन्यवाद आचार्य जी धन्यवाद ।
Adhyatm ko vistar koi Aacharya hi kar sakte hai. Vyashti apne ko samashti Rup me kabhi smahit nahi ho skti. jab tak vah Prakriti ke sath samnjasya me rahati hai apne ko aham -vriti ke Maya me vyaktigat- aham samajhti hai. Isi bat ko Aacharya ji ne bahut saral dhang me vyakt karte hai. Aacharya ji uchchtar Avastha me pahunch chuke hai. Unko sat sat naman hai
Namskar guru ji 🙏🏼🙏🏼
Naman acharya ji
🙏🙏नमन आचार्य जी।
Thank u so much for this bhagwat geeta series 🙏🙏
हम अधिकांश व्यक्तिगत अहंकार में ही जीते हैं यदि इसको ना करते जाएं तो हम अपने बंधनों से मुक्त हो सकते हैं आत्मस्थ ❤❤❤🎉हो सकते हैं
🙏🏻🙏🏻aap ki prashansha k liy mere pass kabhi bhi shabd nhi hote,aap mere liy Krishn h unse ucha koi nhi hua 🙏🏻
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय