वसीयत मैंने कर दी तेजस के नाम नहीं, मीता के नाम,तलाक लेकर मायके में रहती है आखिर उसे भी तो एक भाई है

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  • Опубликовано: 26 янв 2025

Комментарии • 8

  • @ashajain1617
    @ashajain1617 4 месяца назад +1

    बहुत ही हृदय को उद्वेलित कर गई कहानी।बहुत सी बहने इस स्थिती से गुजरती है।पर हरेक का जीवन का इस तरह
    से सफल अंत नही होता। भगवान सबको सबक दे।

  • @vandanakhare5879
    @vandanakhare5879 4 месяца назад

    बहुत ही समझदारी भरी कहानी है ।

  • @KumkumChatterjee-o1o
    @KumkumChatterjee-o1o 4 месяца назад

    Bahut accha

  • @ritamitra1028
    @ritamitra1028 4 месяца назад

    Behhad dukhbhari kahani .par ant behhad achha ❤❤❤❤❤

  • @kiransharma7486
    @kiransharma7486 4 месяца назад +1

    अंत भला तो सब भला। शुक्र है कि अंत में ही सही नायिका के जख्म भर गए।

  • @NehaSingh-rn6dy
    @NehaSingh-rn6dy 4 месяца назад

    achchi kahani hai

  • @shantadembla
    @shantadembla 4 месяца назад

    😂J🎉😂

  • @kanchanraje1579
    @kanchanraje1579 4 месяца назад

    I don't agree with the end. If your own elder brother n his family has treated you so badly then you should give Away your property to some ashram to help the orphans. You hv not learnt your lesson. Sorry.