श्री खोखरा हनुमान मंदिर | 108 फीट हनुमान मूर्ति | हरिहरधाम मोरबी गुजरात | 4K | दर्शन 🙏

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  • Опубликовано: 26 дек 2024
  • श्रेय:
    लेखक: रमन द्विवेदी
    भक्तों नमस्कार! प्रणाम और हार्दिक हार्दिक अभिनन्दन! भक्तों जीवन लौकिक झंझावातों में इतना फंसा है कि लोगों को पारलौकिक जीवन यात्रा के लिए समय नहीं ही मिल पाता, आपा-धापी व भाग-दौड़ के चलते दिव्य, धार्मिक व आध्यात्मिक तीर्थ स्थलों के दर्शन करने का सौभाग्य भी बहुत ही कम मिल पाता है। इसलिए हम अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से आप सभी भक्तों और दर्शकों को नित्य नए तीर्थों, धामों और मंदिरों का दर्शन करवाते हैं। आज हम जिस सुविख्यात दिव्य मंदिर का दर्शन करवाने जा रहे हैं वो है मोरबी गुजरात स्थित खोखरा हनुमान मंदिर हरिहर धाम!
    मंदिर के बारे में:
    भक्तों खोखरा हनुमान मंदिर हरिहर धाम गुजरात का विख्यात, भव्य, दिव्य और मनभावन मंदिर है। इस मंदिर और इसके विशाल परिसर की सुन्दरता देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशालकाय मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति के बारे में बताया जाता है कि इस मूर्ति के स्थापना काल में लगभग नौ करोड़ लिखित श्री राम नाम मन्त्र भी प्रतिष्ठित किये गए हैं। जिससे हनुमान जी की शक्ति कई गुना बढ़ गयी है। अतः यहां आनेवाले भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
    मंदिर का इतिहास:
    भक्तों खोखरा हनुमान जी के मंदिर के इतिहास की बात करें तो न तो इस मंदिर की प्राचीनता का कोई प्रमाणित इतिहास उपलब्ध है और न ही मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हनुमान जी की मूर्ति का। बताया जाता है अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी केशवानंद जी ने यहाँ रहकर कई वर्षों तक तपस्या की थी। तब यह मंदिर बहुत ही छोटा था। कालांतर स्वामी जी के शिष्यों और हनुमान जी श्रद्धालु भक्तों ने मंदिर को विस्तारित करना आरम्भ किया जो अब तक अनवरत जारी है।
    मंदिर की स्थापना:
    भक्तों खोखरा हनुमान मंदिर की स्थापना अग्नि अखाड़े के स्वामी केशवानंद बापू जी महाराज अर्थात बड़े गुरु जी ने की थी। स्वामी जी के बारे में कहा जाता है कि वे 27 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर तपस्या किये थे। इसलिए आज भी यह मंदिर पूर्णतः अग्नि अखाड़े के आधीन है, हनुमान जी महाराज की पूजा अर्चना से लेकर मंदिर का सम्पूर्ण व्यस्थापन तथा संरक्षण दिवंगत स्वामी केशवानंद जी महाराज की कृपापात्र शिष्या और अग्नि अखाड़े की वर्तमान महामंडलेश्वर श्री 1008 श्री पूज्य कनकेश्वरी माता जी द्वारा की जाती है।
    पूज्य कनकेश्वरी माता जी का जीवन परिचय:
    भक्तों पूज्य कनकेश्वरी माता जी का जन्म गुजरात के मोरबी जिले में ही हुआ। वो बचपन से ही विशेष प्रतिभा संपन्न थीं। एकबार पढ़ने या सुनने के बाद कोई भी श्लोक, मंत्र या कथा वैसे के वैसे दोहरा देतीं थीं। बचपन से उनका रुझान भक्ति और आध्यात्म की ओर था। उन्होंने बचपन में ही भगवान शिव को अपना आराध्य बना लिया। इसीलिये भगवान् शिव के दर्शन के लिए उन्होंने नौ साल की उम्र में साधना शुरू कर दी थी। इसी दौरान मोरबी में अग्नि अखाड़े के श्री महंत स्वामी केशवानंद से उनकी भेंट हुई। पूज्य कनकेश्वरी माता जी कहती हैं कि “पूज्य गुरुदेव से मिलकर मुझे ऐसा लगा कि मुझे जिस भगवान के दर्शन की आस थी वो पूरी हो गई है। गुरुदेव में मुझे भगवान् शिव का साक्षात् दर्शन हुआ। उनका त्याग, वैराग्य के दर्शन से चेतना जागी और मेरा जीवन वैराग्य की ओर चल पड़ा। रामायण व भागवत का अध्ययन किया और 16 वर्ष की उम्र में पहली कथा की।
    महामंडलेश्वर की उपाधि:
    भक्तों वर्ष 2016 में उज्जैन सिंहस्थ महाकुम्भ के दौरान बड़े-बड़े संतों द्वारा पट्टाभिषेक समारोह में पूज्य कनकेश्वरी माता जी को अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर की पदवी प्रदान की गई। अपनी सौम्यता से एक अलग पहचान बनाने वाली कनकेश्वरी माता अग्नि अखाड़े की पहली महिला महामंडलेश्वर हैं।
    गुरु का प्रसाद है महामंडलेश्वर का पद:
    भक्तों पूज्य कनकेश्वरी माता जी महामंडलेश्वर का पद अपनी योग्यता का नहीं बल्कि गुरु कृपा का प्रसाद मानती हैं। वे कहती हैं “मैं गुरु स्वामी केशवानंदजी के साथ शुरू से रही हूं। उनकी कृपा और आशीर्वाद से अखाड़ों के पंचों ने महामंडलेश्वर के लिए इस शरीर को चुना है”।
    गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड:
    भक्तों वर्ष 2016 में उज्जैन सिंहस्थ महाकुम्भ में पूज्य कनकेश्वरी माता द्वारा संचालित अन्नक्षेत्र को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। ये उज्जैन सिंहस्थ महाकुम्भ का सबसे बड़ा अन्नक्षेत्र था जहाँ 350 से अधिक हलवाई एवं 150 से अधिक सहयोगियों के कठोर परिश्रम से प्रतिदिन 30 हजार से अधिक भोजन प्रसाद ग्रहण करनेवाले लोगों को भोजन में पूरी, रोटी, सब्जी, दाल, चावल, मीठा, नमकीन परोसा जाता था।
    मंदिर का आकर्षक परिसर:
    भक्तों मोरबी स्थित खोखरा हनुमान जी का मंदिर जितना सुन्दर और आकर्षक है उतना ही सुन्दर और आकर्षक इस मंदिर विशाल परिसर भी है। जहाँ न केवल विघ्नहर्ता भगवान् गणेश, भगवान् द्वारिकाधीश, श्री राम दरबार, भगवान् दत्तात्रेय, रघुनाथ जी, बटुक भैरव, काल भैरव और नदी जी सहित सिद्धनाथ महादेव जी के मनभावन मंदिर हैं बल्कि गुरुकुल, गौशाला और अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र नामक भोजनालय भी है।
    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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