कुंघेर की न्याय देवी, चुड़ैल माता का मंदिर | पाटन गुजरात | रहस्यमयी मंदिर | 4K | दर्शन 🙏

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  • Опубликовано: 16 сен 2024
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    लेखक: रमन द्विवेदी
    भक्तों नमस्कार! प्रणाम! हमारे यात्रा कार्यक्रम दर्शन में आपका हार्दिक अभिनन्दन भक्तों! भारत में आपको ऐसे कई रहस्यमय मंदिर मिल जाएंगे, जो अपने कुछ विशेष कारणों से न केवल देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध हैं अपितु भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय भी हैं। इन मंदिरों के रहस्यों से अब तक विज्ञान भी पर्दा नहीं उठा पाया है। इन मंदिरों का रहस्य आज भी ज्यों का त्यों बरकरार हैं, आज भी इन मंदिरों में ऐसे चमत्कार होते हैं कि बड़े बड़े वैज्ञानिक आश्चर्य से दांतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कुंघेर का चुड़ैल माता मंदिर!
    मंदिर के बारे में:
    भक्तों हम चुड़ैल माता के जिस मंदिर की चर्चा कर रहे हैं वह गुजरात के पाटन जिले के कुंघेर नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर पाटन शहर से लगभग 10 किमी। दूर है। इस मंदिर का प्रांगण बहुत बड़ा है। मंदिर में किसी देवी मूर्ति की पूजा नही होती बल्कि कई वर्ष पहले प्रज्वलित किये गए दीप की पूजा यहां की जाती है। इस मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है और दर्शन करते है।
    मंदिर का इतिहास:
    भक्तों चुड़ैल माता के मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना स्थानीय निवासी श्री रायचंददास पटेल ने की थी। उन्होंने मंदिर के नाम पर वाराखड़ी वृक्ष के नीचे केवल पांच ईंटें रखी थी और एक दीपक में अखंड ज्योति प्रज्वलित की थी। जब किसी का कोई सामान खो जाता तो वह वाराखड़ी वृक्ष के पास आकर चुड़ैल माता से सामान मिलने की प्रार्थना करता और संयोग वश उस व्यक्ति का खोया हुआ सामान उसे वापस मिल जाता। धीरे धीरे लोगों को यह विश्वास हो गया कि उनका खोया हुआ सामान चुडेल माता के आशीर्वाद से मिल गया। लोगों का विश्वास बढ़ने लगा और इसी क्षेत्र में नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गया।
    चुड़ैल माता से जुड़ी लोककथा:
    भक्तों कुंघेर गाँव स्थित चुड़ैल माता से जुड़ी एक लोक कथा है जिसके अनुसार - कहा जाता है कि जहाँ चुड़ैल मंदिर है उससे कुछ दूरी पर वाराखडी के वृक्ष के पास एक कुआं था। वहां से गुजरने वाले राहगीर वहां वाराखडी के वृक्ष की छाँव में बैठकर आराम करते और कुआं का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते थे। एक बार रात को यहाँ एक बरात आराम कर रही थी। अचानक बारातियों को किसी औरत के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ी। लेकिन देखने पर कोई दिखाई नहीं देता। ये घटना कई बार हुई तो बारातियों में से एक बुजुर्ग ने पूछा कौन हो भाई और क्यों परेशान कर रहे हो? उसी समय बुजुर्ग को पेड़ की डाली पर लाल साड़ी पहने एक भयानक शक्ल वाली औरत दिखाई दी। बुजुर्ग ने बिना डरे उस औरत से अपना वही प्रश्न पुनः दुहराया। लाल साड़ी वाली भयानक औरत ने कहा मैं एक चुड़ैल हूँ, कभी मैं एक साधारण स्त्री थी। लेकिन इस पेड़ से कुएं में गिरकर मेरी मृत्यु हो गयी और मैं चुड़ैल बन गयी हूँ। बुजुर्ग ने पूछा मुझसे क्या चाहती हो? तब चुड़ैल ने कहा कि मैं तुमसे अपनी पूजा चाहती हूँ। अगर मेरी पूजा होगी तो मैं सबका कल्याण करूंगी।
    अपने घर पहुँचने के बाद बुजुर्ग ने इस घटना को अपने पुरोहित जी को बताया। पुरोहित जी ने कहा कि वहां एक मंदिर बनना चाहिए। तब वहां एक मंदिर बनवाया जाता है। मंदिर बनने के बाद वहां एक दीपक प्रज्वलित कर दिया जाता है। और उसी प्रज्वलित दीपक को चुड़ैल माता मान कर पूजा अर्चना की जाती है।
    गाँव वालों पर रहती है चुडै़ल माता की कृपा:
    भक्तों कुंघेर स्थित चुड़ैल माता मंदिर के प्रति यहाँ के ग्रामीणों की आस्था इतनी अधिक है कि अब यहां पूरे गांव में चुड़ैल माता की पूजी की जाती हैं। कुंघेर गाँव के ग्रामीण लोग हर छोटे-बड़े काम के लिए चुड़ैल माता से मन्नतें मांगने यहाँ पहुंच जाते हैं। इस मंदिर में प्रायः होने वाले चमत्कार को देखकर धीरे धीरे आसपास के लोग भी माता को नमन करने पहुँचने लगे हैं। कुंघेर और उसके आस पास के गाँव के लोगों की मान्यता है कि चुड़ैल माता की कृपा से यहाँ किसी को भी भूत-प्रेत या चुड़ैल की न तो कोई पीड़ा होती और ना ही किसी को कोई भय लगता।
    चुड़ैल माता को चढ़ती हैं साड़ियाँ और चूड़ियाँ:
    भक्तों चुड़ैल माता मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां माता जी को श्रृंगार के रूप में साड़ियाँ और चूड़ियाँ चढाई जाती है इसके साथ ही चुनरी भी बाँधी जाती है.. इसीलिये इस मंदिर में एवं आस पास हज़ारों की संख्या में साड़ियां, चुनरियाँ और चूडिया बंधी हुई दिखती हैं।
    न्याय की देवी और हाई कोर्ट हैं चुड़ैल माता:
    भक्तों! यहां के स्थानीय लोग चुड़ैल माता जी को न्याय की देवी के रूप में भी पूजते हैं और उन्हें अपना हाई कोर्ट भी मानते हैं। लोगो का मानना है कि चुड़ैल माता हमेशा न्याय करती हैं। इसीलिये अदालत या कोर्ट से जुड़े कई मामलों में वे इस मंदिर में माता जी की पूजा करके उनसे न्याय की पुकार करते हैं। किसी प्रकार की समस्या होने पर जो लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ का दर्शन पूजन करते हैं और न्याय की गुहार करते हैं माता उनकी समस्या का समाधान अवश्य करती हैं। चुड़ैल माता दोषियों को दंड और निर्दोषों को अभय प्रदान करती हैं।
    प्रसाद स्वरूप साड़ियाँ:
    भक्तों चुड़ैल माता को चढ़ावे के रूप में जो साड़ियाँ चढ़ाई जाती हैं वो साड़ियाँ गाँव और आसपास के उन लड़कियों को प्रसाद स्वरूप बाँट दी जाती हैं जिनके विवाह की तैयारियां होती हैं।
    गौशाला:
    मंदिर प्रबंधन ने यहाँ कुछ वर्ष पूर्व एक गौशाला की स्थापना की है जिसमें लगभग 35-35 देसी गायों की देखभाल और सेवा की जाती है।
    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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