उत्तराखण्ड में 20 साल बाद भी क्यों गूंज रहा है गढ़वाली गीत 'सब्बि धाणि देरादूण'? | अनसुने किस्से

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  • Опубликовано: 9 ноя 2024

Комментарии • 18

  • @chandangusain3588
    @chandangusain3588 2 месяца назад +1

    पहाड़ों की सच्चाई को बहुत ही सरलता से अपने गीत के माध्यम से जनता के सामने रखने के लिए आदरणीय वीरेन्द्र पंवार जी का बहुत बहुत धन्यवाद और अपनी मधुर आवाज देकर गढ़ रत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस गाने पर चार चांद लगा दिए असल में पहाड़ों में किसी भी तरह से जो कुछ भी हो रहा है उसे देहरादून में ही परोसा जाता है🙏🙏🙏🙏👌👌🙏👌❤️❤️👍👍💞💞

  • @santoshktd
    @santoshktd 3 месяца назад +3

    भैजी भुला दुयू थे साधुवाद, रोचक परिचर्चा कु वास्ता🙏

  • @chandramohanjyoti
    @chandramohanjyoti 3 месяца назад +4

    वाह, गीत कि परिकल्पना कु खूब विवरण. यु आपन भौत अच्छु बोलि कि उत्तराखंड कु पलायन सरकार द्वारा प्रायोजित च.

  • @abhishekpanwar1862
    @abhishekpanwar1862 3 месяца назад +2

    ऐक गीत के माध्यम से पहाड़ों की समस्या बहुत ही खूबसूरत तरह से बताई गई है।
    प्रशंसनीय बात यह है की यह बात कवि ने २००३ में यानी की समय से पहले ही अभिव्यक्त कर ली थी ।
    बहुत ही बेहतरीन वीडियो।

  • @vijayluxmipanwar6915
    @vijayluxmipanwar6915 3 месяца назад +3

    बहुत बढ़िया विश्लेषण किया गया है। गीत की इनसाइड स्टोरी बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की गई है।
    सब्बि धाणी देरादूण अपने धारदार ब्यंग्य
    के कारण ऐतिहासिक महत्व का गीत बन पड़ा है।
    नेगी जी के साथ साथ
    आप दोनों को बहुत बहुत बधाई।

  • @MaheshNaudiyal
    @MaheshNaudiyal 3 месяца назад +1

    बहुत सुंदर विश्लेषण

  • @vinodnegi2509
    @vinodnegi2509 3 месяца назад +1

    पंवार जी आप तैं और नेगी जी तैं सादर प्रणाम

  • @aditirawat4038
    @aditirawat4038 3 месяца назад +1

    ❤❤❤

  • @datarampurohit6964
    @datarampurohit6964 3 месяца назад +1

    द्वी पंवार रत्नों की जय हो

  • @sudarshansinghnegi9803
    @sudarshansinghnegi9803 2 месяца назад

    This song is true story of Uttarakhandi people

  • @yogdham8222
    @yogdham8222 3 месяца назад +1

    Panwar sir bahut sandar ब्यक्तित्व k dhani h
    सादर प्रणाम 🙏🙏🙏

  • @subhashnegi_official
    @subhashnegi_official 3 месяца назад +1

    बड़ा भाई साहब श्री विरेन्द्र पंवार जी एक बहुत शानदार और खुदेड़ कवि छन। वूंकि द्वी किताब भौत पैलि मि पौड़ि बटि लेकि गे छौ भैजी। "इनमा कनक्वै आण बंसत" और "खुद"। सब्बि धाणि देरादूण हूंणीं खाणीं देरादूण, गीत "इनमा कनक्वै आण बंसत" नामक किताब मा प्रकाशित छौ।
    वांका अलावा वीं किताब मा भौत सुंदर खुदेड़ कविता, ब्वै कि खैरी, घुघती, सौंएड्या आदि अनेक कविता संग्रह छन।
    सबसे बड़ि बात या च कि श्री विरेन्द्र पंवार जी मनु भैजी का बड़ा भैजी छन।❤😊।

  • @rpurohit3771
    @rpurohit3771 2 месяца назад

    वाह बहुत सुंदर🙏🙏

  • @VidhyaSajwan-f1r
    @VidhyaSajwan-f1r 2 месяца назад

    Jai badrivishal

  • @scorpiongamer6765
    @scorpiongamer6765 3 месяца назад +1

    केवल और केवल मूल निवास1950 एवं शसक्त हूं कानून

  • @AnandshingSingh
    @AnandshingSingh 2 месяца назад

    उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से पहाड़ में होना जरूरी है फिर कुछ पलायन कुछ हद कम हो सकता है एक विधायक कम से कम सौ परिवार ले जाता है

  • @jagbirsingh2402
    @jagbirsingh2402 2 месяца назад

    जी,
    आज भी वही गीत क्योंकि वोट जो दाल भात मुर्गा को देखकर दिया जाता है।
    सबकुछ साफ है,अपनों का ही पाप है।

  • @vinodnegi2509
    @vinodnegi2509 3 месяца назад +1

    पंवार जी आप तैं और नेगी जी तैं सादर प्रणाम