पहाड़ों की सच्चाई को बहुत ही सरलता से अपने गीत के माध्यम से जनता के सामने रखने के लिए आदरणीय वीरेन्द्र पंवार जी का बहुत बहुत धन्यवाद और अपनी मधुर आवाज देकर गढ़ रत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस गाने पर चार चांद लगा दिए असल में पहाड़ों में किसी भी तरह से जो कुछ भी हो रहा है उसे देहरादून में ही परोसा जाता है🙏🙏🙏🙏👌👌🙏👌❤️❤️👍👍💞💞
ऐक गीत के माध्यम से पहाड़ों की समस्या बहुत ही खूबसूरत तरह से बताई गई है। प्रशंसनीय बात यह है की यह बात कवि ने २००३ में यानी की समय से पहले ही अभिव्यक्त कर ली थी । बहुत ही बेहतरीन वीडियो।
बहुत बढ़िया विश्लेषण किया गया है। गीत की इनसाइड स्टोरी बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की गई है। सब्बि धाणी देरादूण अपने धारदार ब्यंग्य के कारण ऐतिहासिक महत्व का गीत बन पड़ा है। नेगी जी के साथ साथ आप दोनों को बहुत बहुत बधाई।
बड़ा भाई साहब श्री विरेन्द्र पंवार जी एक बहुत शानदार और खुदेड़ कवि छन। वूंकि द्वी किताब भौत पैलि मि पौड़ि बटि लेकि गे छौ भैजी। "इनमा कनक्वै आण बंसत" और "खुद"। सब्बि धाणि देरादूण हूंणीं खाणीं देरादूण, गीत "इनमा कनक्वै आण बंसत" नामक किताब मा प्रकाशित छौ। वांका अलावा वीं किताब मा भौत सुंदर खुदेड़ कविता, ब्वै कि खैरी, घुघती, सौंएड्या आदि अनेक कविता संग्रह छन। सबसे बड़ि बात या च कि श्री विरेन्द्र पंवार जी मनु भैजी का बड़ा भैजी छन।❤😊।
पहाड़ों की सच्चाई को बहुत ही सरलता से अपने गीत के माध्यम से जनता के सामने रखने के लिए आदरणीय वीरेन्द्र पंवार जी का बहुत बहुत धन्यवाद और अपनी मधुर आवाज देकर गढ़ रत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस गाने पर चार चांद लगा दिए असल में पहाड़ों में किसी भी तरह से जो कुछ भी हो रहा है उसे देहरादून में ही परोसा जाता है🙏🙏🙏🙏👌👌🙏👌❤️❤️👍👍💞💞
भैजी भुला दुयू थे साधुवाद, रोचक परिचर्चा कु वास्ता🙏
वाह, गीत कि परिकल्पना कु खूब विवरण. यु आपन भौत अच्छु बोलि कि उत्तराखंड कु पलायन सरकार द्वारा प्रायोजित च.
ऐक गीत के माध्यम से पहाड़ों की समस्या बहुत ही खूबसूरत तरह से बताई गई है।
प्रशंसनीय बात यह है की यह बात कवि ने २००३ में यानी की समय से पहले ही अभिव्यक्त कर ली थी ।
बहुत ही बेहतरीन वीडियो।
बहुत बढ़िया विश्लेषण किया गया है। गीत की इनसाइड स्टोरी बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की गई है।
सब्बि धाणी देरादूण अपने धारदार ब्यंग्य
के कारण ऐतिहासिक महत्व का गीत बन पड़ा है।
नेगी जी के साथ साथ
आप दोनों को बहुत बहुत बधाई।
बहुत सुंदर विश्लेषण
पंवार जी आप तैं और नेगी जी तैं सादर प्रणाम
❤❤❤
द्वी पंवार रत्नों की जय हो
This song is true story of Uttarakhandi people
Panwar sir bahut sandar ब्यक्तित्व k dhani h
सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
बड़ा भाई साहब श्री विरेन्द्र पंवार जी एक बहुत शानदार और खुदेड़ कवि छन। वूंकि द्वी किताब भौत पैलि मि पौड़ि बटि लेकि गे छौ भैजी। "इनमा कनक्वै आण बंसत" और "खुद"। सब्बि धाणि देरादूण हूंणीं खाणीं देरादूण, गीत "इनमा कनक्वै आण बंसत" नामक किताब मा प्रकाशित छौ।
वांका अलावा वीं किताब मा भौत सुंदर खुदेड़ कविता, ब्वै कि खैरी, घुघती, सौंएड्या आदि अनेक कविता संग्रह छन।
सबसे बड़ि बात या च कि श्री विरेन्द्र पंवार जी मनु भैजी का बड़ा भैजी छन।❤😊।
वाह बहुत सुंदर🙏🙏
Jai badrivishal
केवल और केवल मूल निवास1950 एवं शसक्त हूं कानून
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से पहाड़ में होना जरूरी है फिर कुछ पलायन कुछ हद कम हो सकता है एक विधायक कम से कम सौ परिवार ले जाता है
जी,
आज भी वही गीत क्योंकि वोट जो दाल भात मुर्गा को देखकर दिया जाता है।
सबकुछ साफ है,अपनों का ही पाप है।
पंवार जी आप तैं और नेगी जी तैं सादर प्रणाम