नवरात्रे में माँ के दुसरे स्वरुप माँ ब्रम्चारणी की कथा।

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  • Опубликовано: 28 авг 2024
  • १५ अक्टूबर 2023 से नवरात्रे के पावन दिन शुरू हो रहे हैं। आप सभी को नवरात्रे की हार्दिक शुभकामनाय। नवरात्रे के दुसरे दिन सभी लोग माँ के दुसरे स्वरुप , माँ ब्रम्चारणी
    की आराधना करते हैं।
    धार्मिक मान्यताओं अनुसार माता ब्रह्मचारिणी एक हजार साल बिना अन्न ग्रहण किए सिर्फ फल खाकर बिताये और उन्होंने सौ सालों तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। इतना ही नहीं उन्होंने वर्षा और धूप के घोर कष्ट को सहा। टूटे हुए बिल्व पत्र खाकर भगवान शंकर की भक्ति की। फिर कई हजार साल तक बिना जल और भोजन की घोप तपस्या की। घोर ताप्स्या के कारन माँ को शिवजी से विवाह का वरदान मिला और इसी से उनका नाम ब्रम्चारणी रखा पड़ा।
    मां ब्रह्मचारिणी को खुश करने के लिए आपको चीनी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.
    जय माँ ब्रम्चारणी की।
    जय गौ माता की।

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