मन व मन से संबंधीत सभी कूछ अपने बाबा देने के कहते हंं या कहते हं अब तक जो कूछ याद कीया ह वह सब भूल लीजीए- लेकिन यह कभी नहीं कहते के आतमा के असल बूदधी या संसकार जीससे आतमा- बेहद सूख बेहद आनंद वेहद परेम के एकरस संतूसटी या सांती में रहता ह - को भूल जाओ या मेरे को दे दो--- कभी नहीं कहते ---
भाग 4 मन के न होने पर- या मन अपने बाबा को देने पर अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग--- लेन देन एक फरीसते के माधयम से--- अब के बाद- हीरेयूग का साकार में अनूभव परापती सथीती का समय--- भाग 2 का नीयम पूरे करने के बाद---
भाग 3 मन के न होने पर- अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग लेनदेन सथीती एक फरीसते के माधयम से--- व मन रहने पर सीरफ माया के साथ सहयोग लेने सथीती उचीत समजें या समझें टीपपनी भाग-1 व 2 में देख लीजीए ----
भाग-1 --- मन के न होने पर आतमा जीवनमूकत सथीती में अब अपने बाबा के साथ ऐसे रहता ह ---- अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार साकार में सहयोग एक फरीसते के माधयम से--- मन अपने बाबा को देने के बाद- या भूलने के बाद अरथात जीनका असतीतव संगमयूग पर नहीं ह - वह देने के बाद--- बेहद मीठे एकरस नीराकार आतमा असल में फरीसते रूप में--- बेहद के- बूदधी व संसकार से--- बेहद मीठे एकरस रूप में- रहता ह - अपने बाबा के साथ अपने बेहद मीठे संगमयूग तक--- अपने बाबानूसार- जेसे अपने बाबा अब रह रहे हं--- अपने बाबा में मन नहीं ह - लेकीन रह रहे हं बोलते भी हं--- इतने अधीक अवयकत मूरली पतर के समय अपने बाबा 14 घंटे तक बोलते रहे हं--- लेकीन तब भी रहते यहां हं--- 100 वरस बेहद संयूकत- बेहद मीठे संगमयूग तक- ऐसे ही मन को दे देने या भूलने के बाद--- बेहद सूख बेहद आनंद बेहद परेम के बेहद सवरग के अनूभव सथीती के- एकरस संतूसटी या सांती में--- नीराकार आतमा फरीसते के अभीनय में यहां अपने बेहद मीठे संगमयूग तक--- अपने बेहद मीठे बाबा के साथ अपने बेहद मीठे बाबानूसार- रहता ह ---
भाग 2 मन के न होने पर आतमा जीवनमूकत सथीती में- अब अपने बाबा के साथ ऐसे रहता ह ----भाग 1 के बाद- अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार साकार में सहयोग एक फरीसते के माधयम से--- अपने बाबा ने अवयकत मूरली पतर 18 जनवरी 1969 में--- यह सपसट दीया हूआ ह के---- अपने बेहद मीठे संगमयूग-100 वरस का ह व अपने बाबा का अभीनय 100 वरस यहां बेहद मीठे संगमयूग पर ह--- अपने बाबा बेहद नाटक से नीकल नहीं सकते-100 वरस तक--- नीराकार आतमाभाइभाइ लेखराज (या ब्रह्मा बाबा यग या यज्ञ में परचलीत नाम-) व नीराकार आतमाभाइभाइ--- ओम राधे या ममा सरसवती के दोबारा-- परकास को बदले हूए रूप सरीर लेने का--- अभीनय भी- सपसट लीखा या कहा हूआ ह--- इस बेहद नाटक के बेहद अभीनय में--- मूरली पतर में यह सपसट दीया ह - के अपने बेहद मीठे बाबा व बचचे साकार में एक साथ- (या अपने बेहद मीठे बाबा के सभी नीराकार आतमा अपने बचचे बाबा के साथ साकार में) अपने बेहद मीठे संगम युग पर--- सूरू व अंत में सूरू का अभीनय पूरा हो गया---18 जनवरी 1969 को लगभग रात के --9:30-- तक--- अंत में बाबा व बचचे- साकार में एक साथ- नीराकार आतमा रूप या सवरूपधारी--- सभी बेहद मीठे से ,••• , मीठे नीराकार आतमा अपने बचचे के साथ--- यह दीया ह--- यह वही अंत का समय चल रहा ह--- ऐसा अनूभव अपने बाबा के नीराकार आतमा अपने बचचे कर रहे हं--- नीराकार आतमा रूप या सवरूप सभी-6 या सवराजयधीकारी--- बेहद मीठे व बेहद को हद के मीठे व हद के मीठे नीराकार आतमा रूप या स्वरूप परापतीनूसार--- अब अपने बाबा व सभी बचचे साकार में एक साथ- अनूभव परापती सथीती के संबंध में लेन देन के सथीती में रहने हं--- अपने बाबा के साथ बचचे साकार में- लेन देन के बेहद मीठे सहयोग सथीती में--- रहने को- अपने बाबा ने- अपने सभी अवयकत मूरली पतर में--- हीरेयूग का समय कहा था - या दीया ह ---- नीराकार आतमा रूप सभी-6 या सवरूपधारी या सवराजयधीकारी आतमाएं- साकार में लेनदेन न होने पर भी साकार में--- अपने बाबा का अनूभव सथीती पहले ही अनुभव कर रहे हं--- लेकीन बेहद मीठे जीवनमूकत सथीती --- या हीरेयूग केनूसार स्थीती अवयकत मूरली पतरनूसार--- साकार में सहयोग लेनदेन के समय रहने का बेहद नाटक में नीयम ह--- मन नहीं होने पर- या मन अपने बाबा को देने पर- अपने बाबा के साथ जीवनमूकत या फरीसते सथीती में साकार में बेहद मीठे सहयोग--- लेन देन के लीए--- पहले नीराकार आतमा रूप या सवरुप सभी-6 के % स्थीती लीखकर भेजें या संपरक से पहले कहें--- व नीराकार आतमा रूप सभी-6 दीखाने के % सथीतीनूसार ही हीरेयूग के सथीती अपने बाबा के साथ साकार में अनूभव में रह लीजीए--- मन के न होने पर अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग लेनदेन व हीरेयूग के सथीती ह--- समजा या समझा अपने बेहद मीठे नीराकार एक बाबा ने- कीसी भी सबद या पंकती पर कोइ लाइन नहीं--- लगाइ ह -
Om shanti
Thank you baba aapne hume golden thread dei diya jisse hume poora sansaar bunna hai...thank you so much
Om shanti baba dedi ji app kitna accha batate ho sukriya appka .
मन व मन से संबंधीत सभी कूछ अपने बाबा देने के कहते हंं या कहते हं अब तक जो कूछ याद कीया ह वह सब भूल लीजीए- लेकिन यह कभी नहीं कहते के आतमा के असल बूदधी या संसकार जीससे आतमा- बेहद सूख बेहद आनंद वेहद परेम के एकरस संतूसटी या सांती में रहता ह - को भूल जाओ या मेरे को दे दो--- कभी नहीं कहते ---
Om shanti shiv baba & Rini didi 🙏🙏🌻🌻
Shukriya baba shukriya sister
om shanti ❤
Om Shanti Baba and didi 🙏 ❤🎉
Om shanti ❤Di 🌹❤️
भाग 4 मन के न होने पर- या मन अपने बाबा को देने पर अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग--- लेन देन एक फरीसते के माधयम से--- अब के बाद- हीरेयूग का साकार में अनूभव परापती सथीती का समय---
भाग 2 का नीयम पूरे करने के बाद---
Om silence ❤
Maan ko
OM SHANTI MERA BABA Bashikaran mantra ka aarth hei purey shristhi ke adi ,madhya aant ko Janna aur apne role ko pehchanna.
👍👍👍🎉🎉🎉🥰🙏🙏🙏🙏
भाग 3 मन के न होने पर- अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग लेनदेन सथीती एक फरीसते के माधयम से---
व मन रहने पर सीरफ माया के साथ सहयोग लेने सथीती उचीत समजें या समझें टीपपनी भाग-1 व 2 में देख लीजीए ----
जेसे अपने बाबा में मन ह नहीं ऐसे ही मन होता नहीं--- अपने बाबा वह देने के कहते हं- जीसका अब असतीतव नहीं ह - अपने मीठे बाबा को देना अरथात भूलना---
Om Shanti
Link for joining the classes is closed till December
We will share once it's open
Thank you
Vikarabad ko vash karne
Vikaro ko
I want to join on Zoom pl send link
You will have to fill up the form first
@@renuwadhwa6832
Khaaa pr milege form ???!
@@ShreyaSoni-kl3kgyahi about me mail id di hui h mail kr do
भाग-1 --- मन के न होने पर आतमा जीवनमूकत सथीती में अब अपने बाबा के साथ ऐसे रहता ह ----
अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार साकार में सहयोग एक फरीसते के माधयम से---
मन अपने बाबा को देने के बाद- या भूलने के बाद अरथात जीनका असतीतव संगमयूग पर नहीं ह - वह देने के बाद--- बेहद मीठे एकरस नीराकार आतमा असल में फरीसते रूप में--- बेहद के- बूदधी व संसकार से--- बेहद मीठे एकरस रूप में- रहता ह - अपने बाबा के साथ अपने बेहद मीठे संगमयूग तक--- अपने बाबानूसार- जेसे अपने बाबा अब रह रहे हं--- अपने बाबा में मन नहीं ह - लेकीन रह रहे हं बोलते भी हं--- इतने अधीक अवयकत मूरली पतर के समय अपने बाबा 14 घंटे तक बोलते रहे हं--- लेकीन तब भी रहते यहां हं--- 100 वरस बेहद संयूकत- बेहद मीठे संगमयूग तक- ऐसे ही मन को दे देने या भूलने के बाद--- बेहद सूख बेहद आनंद बेहद परेम के बेहद सवरग के अनूभव सथीती के- एकरस संतूसटी या सांती में--- नीराकार आतमा फरीसते के अभीनय में यहां अपने बेहद मीठे संगमयूग तक--- अपने बेहद मीठे बाबा के साथ अपने बेहद मीठे बाबानूसार- रहता ह ---
Didi mujhee apki live class join krnaaa hai
Menr apko email bhi kiyaaa
Plzzz mujhee add kijiyeee???????
भाग 2 मन के न होने पर आतमा जीवनमूकत सथीती में- अब अपने बाबा के साथ ऐसे रहता ह ----भाग 1 के बाद-
अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार साकार में सहयोग एक फरीसते के माधयम से---
अपने बाबा ने अवयकत मूरली पतर 18 जनवरी 1969 में--- यह सपसट दीया हूआ ह के---- अपने बेहद मीठे संगमयूग-100 वरस का ह व अपने बाबा का अभीनय 100 वरस यहां बेहद मीठे संगमयूग पर ह--- अपने बाबा बेहद नाटक से नीकल नहीं सकते-100 वरस तक---
नीराकार आतमाभाइभाइ लेखराज (या ब्रह्मा बाबा यग या यज्ञ में परचलीत नाम-) व नीराकार आतमाभाइभाइ--- ओम राधे या ममा सरसवती के दोबारा-- परकास को बदले हूए रूप सरीर लेने का--- अभीनय भी- सपसट लीखा या कहा हूआ ह---
इस बेहद नाटक के बेहद अभीनय में--- मूरली पतर में यह सपसट दीया ह - के अपने बेहद मीठे बाबा व बचचे साकार में एक साथ- (या अपने बेहद मीठे बाबा के सभी नीराकार आतमा अपने बचचे बाबा के साथ साकार में) अपने बेहद मीठे संगम युग पर---
सूरू व अंत में सूरू का अभीनय पूरा हो गया---18 जनवरी 1969 को लगभग रात के --9:30-- तक--- अंत में बाबा व बचचे- साकार में एक साथ- नीराकार आतमा रूप या सवरूपधारी--- सभी बेहद मीठे से ,••• , मीठे नीराकार आतमा अपने बचचे के साथ--- यह दीया ह---
यह वही अंत का समय चल रहा ह--- ऐसा अनूभव अपने बाबा के नीराकार आतमा अपने बचचे कर रहे हं---
नीराकार आतमा रूप या सवरूप सभी-6 या सवराजयधीकारी--- बेहद मीठे व बेहद को हद के मीठे व हद के मीठे नीराकार आतमा रूप या स्वरूप परापतीनूसार---
अब अपने बाबा व सभी बचचे साकार में एक साथ- अनूभव परापती सथीती के संबंध में लेन देन के सथीती में रहने हं---
अपने बाबा के साथ बचचे साकार में- लेन देन के बेहद मीठे सहयोग सथीती में--- रहने को- अपने बाबा ने- अपने सभी अवयकत मूरली पतर में--- हीरेयूग का समय कहा था - या दीया ह ----
नीराकार आतमा रूप सभी-6 या सवरूपधारी या सवराजयधीकारी आतमाएं- साकार में लेनदेन न होने पर भी साकार में--- अपने बाबा का अनूभव सथीती पहले ही अनुभव कर रहे हं--- लेकीन बेहद मीठे जीवनमूकत सथीती ---
या हीरेयूग केनूसार स्थीती अवयकत मूरली पतरनूसार--- साकार में सहयोग लेनदेन के समय रहने का बेहद नाटक में नीयम ह---
मन नहीं होने पर- या मन अपने बाबा को देने पर-
अपने बाबा के साथ जीवनमूकत या फरीसते सथीती में साकार में बेहद मीठे सहयोग--- लेन देन के लीए---
पहले नीराकार आतमा रूप या सवरुप सभी-6 के % स्थीती लीखकर भेजें या संपरक से पहले कहें---
व नीराकार आतमा रूप सभी-6 दीखाने के % सथीतीनूसार ही हीरेयूग के सथीती अपने बाबा के साथ साकार में अनूभव में रह लीजीए---
मन के न होने पर अपने बाबा के साथ साकार में बेहद मीठे सहयोग लेनदेन व हीरेयूग के सथीती ह---
समजा या समझा
अपने बेहद मीठे नीराकार एक बाबा ने- कीसी भी सबद या पंकती पर कोइ लाइन नहीं--- लगाइ ह -
Plz didi add me in d live group
For a long time i m constant requesting u