हिन्दुओ के महान संरक्षक ... महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर पर हम आपका ज्ञान वर्धन करेंगे। 🌹🌹🌹 औरंगजेब एक धर्मपरायण शासक थे। वे औघड़ दानी थे, और हिन्दू धर्म से विशेष लगाव था। जिसके प्रसार और सुरक्षा के लिए अनेक कार्य किये, जिसमे हिंदू मंदिरों, मठों और पूजारियों को भी दान देना शामिल है। - गौहाटी के उमानंद मंदिर को पहले से मिले भूमि अनुदान को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर पक्का किया। - 1680 और 1687 में बनारस के दो संतों भगवंत गोसाई और रामजीवन गोसाई को औरंगजेब ने बनारस के घाट पर घर बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवायी। - 1691 में औरंगजेब ने चित्रकूट के महंत बालकदास निर्वाणी को आठ गांव और कर मुक्त जमीन उपलब्ध करवाया ताकि वे बालाजी मंदिर की देखभाल कर सकें। - इसी तरह शैव मठों को भी दान दिया गया। बोधगया स्थित शैव मठ, जिसकी स्थापना 16 वीं सदी में हुई थी, उसे भी मस्तीपुर और तारीडीह की जमीन अनुदान में औरंगजेब के समय में मिली। ●● औरगंजेब जैन धर्म मतावलंबियों का भी विशेष ख्याल रखते थे। इसलिए जैन तीर्थस्थलों को भी जमीन अनुदान में दिया। इसमें गिरनार और मांउट आबू के जैन तीर्थ स्थल प्रमुख हैं। आजकल कुछ हरे-रामजादे क़िस्म के जैन, जो महावीर के मार्ग को धता बताकर,टनाटनी हिन्दू बनने को कूद रहे है, वे दरअसल विकट किस्म के अहसान फरामोश है। वे औरंगजेब के न हुए, संघियो के क्या ही होंगे। ●● बहरहाल, औरंगजेब की नीति मंदिर, मठों और दान करने के हिन्दू तुष्टिकरण तक सीमित नही थी। उन्होंने हिन्दू लड़को की बेरोजगारी घटाने के लिए ठोस कार्य किये। दरअसल सल्तनत काल मे जहां हिन्दुओ को सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी, वहीं औरंगजेब के दौर में इनकी संख्या बढ़ती गई। 1679 से 1707 के बीच औरंगजेब के कार्यकाल में, मुगल प्रशासन में हिंदू अधिकारियों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच गई। औरंगजेब के अंतिम वर्षों में उसके दरबार में हिंदू कुलीनों (nobles )की संख्या 31 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जो अकबर के समय में 22 प्रतिशत के करीब थी। ●● सत्ता हासिल करने के बाद सम्राट औरंगजेब ने, एक हिन्दू राजा रघुनाथ को वित्त मंत्री नियुक्त किया। राजा रघुनाथ शाहजहां के कार्यकाल में भी वित्त मंत्री थे। राजा रघुनाथ हालांकि कुछ साल ही औरंगजेब के साथ रहे और उनकी मौत हो गई, लेकिन औरंगजेब रघुनाथ का अंत तक कायल रहे। रघुनाथ के काम से औरंगजेब इतना खुश थे कि उन्हें राजा की उपाधि दी, और मनसब का रैंक बढ़ा कर 2500 किया। फ्रेंच यात्री बर्नियर ने औरंगजेब के दरबार में राजा रघुनाथ के रूतबे का उल्लेख किया है। ●● हिन्दुओ से औरंगजेब को की मोहब्बत का ये दरअसल यह पुराना रिश्ता था। हुआ यह था कि जब शाहजहां के कार्यकाल में मुग़ल गद्दी को कब्जाने के लिए उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई हुई। तब औरंगजेब के पक्ष में 21 हिंदू कुलीन (nobles)थे। दारा शिकोह के पक्ष में 24 हिंदू कुलीन थे। परन्तु ज्यादातर अफगान औऱ तुर्की सरदार दारा शिकोह के साथ थे। उत्तराधिकार की लड़ाई में औरंगजेब को मुसलमान सरदारों की तुलना में हिंदू कुलीनों का से अधिक प्यार और समर्थन मिला, जिसे वे उम्र भर नही भूले। अतएव जीवन भर उनका ख्याल रखा। कभी उनपर बुलडोजर न चलाया, बेजा जेल न भेजा। प्रजा प्रजा में भेद न किया। ●● औरंगजेब ने कभी शासकीय कोष से प्लेन न खरीदा, सूट न लिए, और मशरूम भी खरीदकर न खाया। 18-18 घण्टे राज्य का कार्य करने के बाद वह अपने लिए वह कुरान की प्रतिलिपि करता, और टोपियां सीता। इससे मिलने वाले मूल्य से अपना पेट भरता। याने उसके बराबर का ईमानदार शासक वस्तुतः मिलना बड़ा कठिन है। ऐसे में अगर उसके वंशज, किसी का हक मारे बगैर, रिक्शा चलाकर अपना पेट भरते हैं, तो वे लोग, सचमुच औरंगजेब की ईमान की विरासत आज भी बनाये हुए है। ●● पर जब माननीय योगी जी के मुखारवृन्द यह सूचना प्राप्त हुई, वे सच ही बता रहे होंगे। औरंगजेब के वे रिक्शा चालक वंशज, सलाम के काबिल है। वे लोग आम भोले भाले इंसानो की धार्मिक भावनाओ का दोहन कर, महलो में ऐश कर रहे महंतो- बाबियों- बाबाओ से, लाख लाख गुना बेहतर इंसान हैं। तो हिन्दुओ के महान संरक्षक .. महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर का इकबाल बुलन्द रहे। अलख निरंजन। 🙏
हिन्दुओ के महान संरक्षक ... महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर पर हम आपका ज्ञान वर्धन करेंगे। 🌹🌹🌹 औरंगजेब एक धर्मपरायण शासक थे। वे औघड़ दानी थे, और हिन्दू धर्म से विशेष लगाव था। जिसके प्रसार और सुरक्षा के लिए अनेक कार्य किये, जिसमे हिंदू मंदिरों, मठों और पूजारियों को भी दान देना शामिल है। - गौहाटी के उमानंद मंदिर को पहले से मिले भूमि अनुदान को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर पक्का किया। - 1680 और 1687 में बनारस के दो संतों भगवंत गोसाई और रामजीवन गोसाई को औरंगजेब ने बनारस के घाट पर घर बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवायी। - 1691 में औरंगजेब ने चित्रकूट के महंत बालकदास निर्वाणी को आठ गांव और कर मुक्त जमीन उपलब्ध करवाया ताकि वे बालाजी मंदिर की देखभाल कर सकें। - इसी तरह शैव मठों को भी दान दिया गया। बोधगया स्थित शैव मठ, जिसकी स्थापना 16 वीं सदी में हुई थी, उसे भी मस्तीपुर और तारीडीह की जमीन अनुदान में औरंगजेब के समय में मिली। ●● औरगंजेब जैन धर्म मतावलंबियों का भी विशेष ख्याल रखते थे। इसलिए जैन तीर्थस्थलों को भी जमीन अनुदान में दिया। इसमें गिरनार और मांउट आबू के जैन तीर्थ स्थल प्रमुख हैं। आजकल कुछ हरे-रामजादे क़िस्म के जैन, जो महावीर के मार्ग को धता बताकर,टनाटनी हिन्दू बनने को कूद रहे है, वे दरअसल विकट किस्म के अहसान फरामोश है। वे औरंगजेब के न हुए, संघियो के क्या ही होंगे। ●● बहरहाल, औरंगजेब की नीति मंदिर, मठों और दान करने के हिन्दू तुष्टिकरण तक सीमित नही थी। उन्होंने हिन्दू लड़को की बेरोजगारी घटाने के लिए ठोस कार्य किये। दरअसल सल्तनत काल मे जहां हिन्दुओ को सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी, वहीं औरंगजेब के दौर में इनकी संख्या बढ़ती गई। 1679 से 1707 के बीच औरंगजेब के कार्यकाल में, मुगल प्रशासन में हिंदू अधिकारियों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच गई। औरंगजेब के अंतिम वर्षों में उसके दरबार में हिंदू कुलीनों (nobles )की संख्या 31 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जो अकबर के समय में 22 प्रतिशत के करीब थी। ●● सत्ता हासिल करने के बाद सम्राट औरंगजेब ने, एक हिन्दू राजा रघुनाथ को वित्त मंत्री नियुक्त किया। राजा रघुनाथ शाहजहां के कार्यकाल में भी वित्त मंत्री थे। राजा रघुनाथ हालांकि कुछ साल ही औरंगजेब के साथ रहे और उनकी मौत हो गई, लेकिन औरंगजेब रघुनाथ का अंत तक कायल रहे। रघुनाथ के काम से औरंगजेब इतना खुश थे कि उन्हें राजा की उपाधि दी, और मनसब का रैंक बढ़ा कर 2500 किया। फ्रेंच यात्री बर्नियर ने औरंगजेब के दरबार में राजा रघुनाथ के रूतबे का उल्लेख किया है। ●● हिन्दुओ से औरंगजेब को की मोहब्बत का ये दरअसल यह पुराना रिश्ता था। हुआ यह था कि जब शाहजहां के कार्यकाल में मुग़ल गद्दी को कब्जाने के लिए उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई हुई। तब औरंगजेब के पक्ष में 21 हिंदू कुलीन (nobles)थे। दारा शिकोह के पक्ष में 24 हिंदू कुलीन थे। परन्तु ज्यादातर अफगान औऱ तुर्की सरदार दारा शिकोह के साथ थे। उत्तराधिकार की लड़ाई में औरंगजेब को मुसलमान सरदारों की तुलना में हिंदू कुलीनों का से अधिक प्यार और समर्थन मिला, जिसे वे उम्र भर नही भूले। अतएव जीवन भर उनका ख्याल रखा। कभी उनपर बुलडोजर न चलाया, बेजा जेल न भेजा। प्रजा प्रजा में भेद न किया। ●● औरंगजेब ने कभी शासकीय कोष से प्लेन न खरीदा, सूट न लिए, और मशरूम भी खरीदकर न खाया। 18-18 घण्टे राज्य का कार्य करने के बाद वह अपने लिए वह कुरान की प्रतिलिपि करता, और टोपियां सीता। इससे मिलने वाले मूल्य से अपना पेट भरता। याने उसके बराबर का ईमानदार शासक वस्तुतः मिलना बड़ा कठिन है। ऐसे में अगर उसके वंशज, किसी का हक मारे बगैर, रिक्शा चलाकर अपना पेट भरते हैं, तो वे लोग, सचमुच औरंगजेब की ईमान की विरासत आज भी बनाये हुए है। ●● पर जब माननीय योगी जी के मुखारवृन्द यह सूचना प्राप्त हुई, वे सच ही बता रहे होंगे। औरंगजेब के वे रिक्शा चालक वंशज, सलाम के काबिल है। वे लोग आम भोले भाले इंसानो की धार्मिक भावनाओ का दोहन कर, महलो में ऐश कर रहे महंतो- बाबियों- बाबाओ से, लाख लाख गुना बेहतर इंसान हैं। तो हिन्दुओ के महान संरक्षक .. महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर का इकबाल बुलन्द रहे। अलख निरंजन। 🙏
Dharmendra movie Karishma kudrat ka shehzaade nakabandi Raj Tilak badle ki Aag Samrat Veeru Dada mast kalandar Kasam suhagan ki khesari hit movie upload karo thank u veri Mach
Rustom (1982) Full Hindi Movie | Bollywood Superhit Movie
ruclips.net/video/GpuU1vZRyYg/видео.html
Hello friends good night friends hau
@@RajuSahu-xu3wl
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Main iss movie ko salaam karta hoon❤❤❤❤❤
Very nice film full of love with social action.
Jay Hind🌹🌹🇮🇳💞🌹🌹
Super 👌 movie heart Touching movie 👌
In Bollywood ki movie main pehle se hi Muslim ko ek acha aur vafadar bataya gaya hai jabki hakikat main aisa hai nahi 🙏
Andhbhakt aagaya ek 😂
हिन्दुओ के महान संरक्षक ...
महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर पर हम आपका ज्ञान वर्धन करेंगे।
🌹🌹🌹
औरंगजेब एक धर्मपरायण शासक थे।
वे औघड़ दानी थे, और हिन्दू धर्म से विशेष लगाव था। जिसके प्रसार और सुरक्षा के लिए अनेक कार्य किये, जिसमे हिंदू मंदिरों, मठों और पूजारियों को भी दान देना शामिल है।
- गौहाटी के उमानंद मंदिर को पहले से मिले भूमि अनुदान को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर पक्का किया।
- 1680 और 1687 में बनारस के दो संतों भगवंत गोसाई और रामजीवन गोसाई को औरंगजेब ने बनारस के घाट पर घर बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवायी।
- 1691 में औरंगजेब ने चित्रकूट के महंत बालकदास निर्वाणी को आठ गांव और कर मुक्त जमीन उपलब्ध करवाया ताकि वे बालाजी मंदिर की देखभाल कर सकें।
- इसी तरह शैव मठों को भी दान दिया गया। बोधगया स्थित शैव मठ, जिसकी स्थापना 16 वीं सदी में हुई थी, उसे भी मस्तीपुर और तारीडीह की जमीन अनुदान में औरंगजेब के समय में मिली।
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औरगंजेब जैन धर्म मतावलंबियों का भी विशेष ख्याल रखते थे। इसलिए जैन तीर्थस्थलों को भी जमीन अनुदान में दिया।
इसमें गिरनार और मांउट आबू के जैन तीर्थ स्थल प्रमुख हैं। आजकल कुछ हरे-रामजादे क़िस्म के जैन, जो महावीर के मार्ग को धता बताकर,टनाटनी हिन्दू बनने को कूद रहे है,
वे दरअसल विकट किस्म के अहसान फरामोश है। वे औरंगजेब के न हुए, संघियो के क्या ही होंगे।
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बहरहाल, औरंगजेब की नीति मंदिर, मठों और दान करने के हिन्दू तुष्टिकरण तक सीमित नही थी।
उन्होंने हिन्दू लड़को की बेरोजगारी घटाने के लिए ठोस कार्य किये। दरअसल सल्तनत काल मे जहां हिन्दुओ को सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी, वहीं औरंगजेब के दौर में इनकी संख्या बढ़ती गई।
1679 से 1707 के बीच औरंगजेब के कार्यकाल में, मुगल प्रशासन में हिंदू अधिकारियों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच गई।
औरंगजेब के अंतिम वर्षों में उसके दरबार में हिंदू कुलीनों (nobles )की संख्या 31 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जो अकबर के समय में 22 प्रतिशत के करीब थी।
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सत्ता हासिल करने के बाद सम्राट औरंगजेब ने, एक हिन्दू राजा रघुनाथ को वित्त मंत्री नियुक्त किया। राजा रघुनाथ शाहजहां के कार्यकाल में भी वित्त मंत्री थे।
राजा रघुनाथ हालांकि कुछ साल ही औरंगजेब के साथ रहे और उनकी मौत हो गई, लेकिन औरंगजेब रघुनाथ का अंत तक कायल रहे।
रघुनाथ के काम से औरंगजेब इतना खुश थे कि उन्हें राजा की उपाधि दी, और मनसब का रैंक बढ़ा कर 2500 किया। फ्रेंच यात्री बर्नियर ने औरंगजेब के दरबार में राजा रघुनाथ के रूतबे का उल्लेख किया है।
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हिन्दुओ से औरंगजेब को की मोहब्बत का ये दरअसल यह पुराना रिश्ता था।
हुआ यह था कि जब शाहजहां के कार्यकाल में मुग़ल गद्दी को कब्जाने के लिए उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई हुई।
तब औरंगजेब के पक्ष में 21 हिंदू कुलीन (nobles)थे। दारा शिकोह के पक्ष में 24 हिंदू कुलीन थे। परन्तु ज्यादातर अफगान औऱ तुर्की सरदार दारा शिकोह के साथ थे।
उत्तराधिकार की लड़ाई में औरंगजेब को मुसलमान सरदारों की तुलना में हिंदू कुलीनों का से अधिक प्यार और समर्थन मिला, जिसे वे उम्र भर नही भूले।
अतएव जीवन भर उनका ख्याल रखा। कभी उनपर बुलडोजर न चलाया, बेजा जेल न भेजा। प्रजा प्रजा में भेद न किया।
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औरंगजेब ने कभी शासकीय कोष से प्लेन न खरीदा, सूट न लिए, और मशरूम भी खरीदकर न खाया।
18-18 घण्टे राज्य का कार्य करने के बाद वह अपने लिए वह कुरान की प्रतिलिपि करता, और टोपियां सीता। इससे मिलने वाले मूल्य से अपना पेट भरता।
याने उसके बराबर का ईमानदार शासक वस्तुतः मिलना बड़ा कठिन है। ऐसे में अगर उसके वंशज, किसी का हक मारे बगैर, रिक्शा चलाकर अपना पेट भरते हैं, तो वे लोग, सचमुच औरंगजेब की ईमान की विरासत आज भी बनाये हुए है।
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पर जब माननीय योगी जी के मुखारवृन्द यह सूचना प्राप्त हुई, वे सच ही बता रहे होंगे।
औरंगजेब के वे रिक्शा चालक वंशज, सलाम के काबिल है। वे लोग आम भोले भाले इंसानो की धार्मिक भावनाओ का दोहन कर, महलो में ऐश कर रहे महंतो- बाबियों- बाबाओ से, लाख लाख गुना बेहतर इंसान हैं।
तो हिन्दुओ के महान संरक्षक .. महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर का इकबाल बुलन्द रहे।
अलख निरंजन।
🙏
Fantastic movie
2024 me kon kon dekh raha hai Super personalty Handsome Hero Dharmendra ji ❤❤❤❤
सारे सोंग हिट❤❤
An excellent movie of B. R. Chopda.
Baby❤❤
धन्यवाद।साधारण फिल्म, एनिवे जै राम जी की
Andhbhakt 😅
हिन्दुओ के महान संरक्षक ...
महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर पर हम आपका ज्ञान वर्धन करेंगे।
🌹🌹🌹
औरंगजेब एक धर्मपरायण शासक थे।
वे औघड़ दानी थे, और हिन्दू धर्म से विशेष लगाव था। जिसके प्रसार और सुरक्षा के लिए अनेक कार्य किये, जिसमे हिंदू मंदिरों, मठों और पूजारियों को भी दान देना शामिल है।
- गौहाटी के उमानंद मंदिर को पहले से मिले भूमि अनुदान को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर पक्का किया।
- 1680 और 1687 में बनारस के दो संतों भगवंत गोसाई और रामजीवन गोसाई को औरंगजेब ने बनारस के घाट पर घर बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवायी।
- 1691 में औरंगजेब ने चित्रकूट के महंत बालकदास निर्वाणी को आठ गांव और कर मुक्त जमीन उपलब्ध करवाया ताकि वे बालाजी मंदिर की देखभाल कर सकें।
- इसी तरह शैव मठों को भी दान दिया गया। बोधगया स्थित शैव मठ, जिसकी स्थापना 16 वीं सदी में हुई थी, उसे भी मस्तीपुर और तारीडीह की जमीन अनुदान में औरंगजेब के समय में मिली।
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औरगंजेब जैन धर्म मतावलंबियों का भी विशेष ख्याल रखते थे। इसलिए जैन तीर्थस्थलों को भी जमीन अनुदान में दिया।
इसमें गिरनार और मांउट आबू के जैन तीर्थ स्थल प्रमुख हैं। आजकल कुछ हरे-रामजादे क़िस्म के जैन, जो महावीर के मार्ग को धता बताकर,टनाटनी हिन्दू बनने को कूद रहे है,
वे दरअसल विकट किस्म के अहसान फरामोश है। वे औरंगजेब के न हुए, संघियो के क्या ही होंगे।
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बहरहाल, औरंगजेब की नीति मंदिर, मठों और दान करने के हिन्दू तुष्टिकरण तक सीमित नही थी।
उन्होंने हिन्दू लड़को की बेरोजगारी घटाने के लिए ठोस कार्य किये। दरअसल सल्तनत काल मे जहां हिन्दुओ को सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी, वहीं औरंगजेब के दौर में इनकी संख्या बढ़ती गई।
1679 से 1707 के बीच औरंगजेब के कार्यकाल में, मुगल प्रशासन में हिंदू अधिकारियों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच गई।
औरंगजेब के अंतिम वर्षों में उसके दरबार में हिंदू कुलीनों (nobles )की संख्या 31 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जो अकबर के समय में 22 प्रतिशत के करीब थी।
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सत्ता हासिल करने के बाद सम्राट औरंगजेब ने, एक हिन्दू राजा रघुनाथ को वित्त मंत्री नियुक्त किया। राजा रघुनाथ शाहजहां के कार्यकाल में भी वित्त मंत्री थे।
राजा रघुनाथ हालांकि कुछ साल ही औरंगजेब के साथ रहे और उनकी मौत हो गई, लेकिन औरंगजेब रघुनाथ का अंत तक कायल रहे।
रघुनाथ के काम से औरंगजेब इतना खुश थे कि उन्हें राजा की उपाधि दी, और मनसब का रैंक बढ़ा कर 2500 किया। फ्रेंच यात्री बर्नियर ने औरंगजेब के दरबार में राजा रघुनाथ के रूतबे का उल्लेख किया है।
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हिन्दुओ से औरंगजेब को की मोहब्बत का ये दरअसल यह पुराना रिश्ता था।
हुआ यह था कि जब शाहजहां के कार्यकाल में मुग़ल गद्दी को कब्जाने के लिए उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई हुई।
तब औरंगजेब के पक्ष में 21 हिंदू कुलीन (nobles)थे। दारा शिकोह के पक्ष में 24 हिंदू कुलीन थे। परन्तु ज्यादातर अफगान औऱ तुर्की सरदार दारा शिकोह के साथ थे।
उत्तराधिकार की लड़ाई में औरंगजेब को मुसलमान सरदारों की तुलना में हिंदू कुलीनों का से अधिक प्यार और समर्थन मिला, जिसे वे उम्र भर नही भूले।
अतएव जीवन भर उनका ख्याल रखा। कभी उनपर बुलडोजर न चलाया, बेजा जेल न भेजा। प्रजा प्रजा में भेद न किया।
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औरंगजेब ने कभी शासकीय कोष से प्लेन न खरीदा, सूट न लिए, और मशरूम भी खरीदकर न खाया।
18-18 घण्टे राज्य का कार्य करने के बाद वह अपने लिए वह कुरान की प्रतिलिपि करता, और टोपियां सीता। इससे मिलने वाले मूल्य से अपना पेट भरता।
याने उसके बराबर का ईमानदार शासक वस्तुतः मिलना बड़ा कठिन है। ऐसे में अगर उसके वंशज, किसी का हक मारे बगैर, रिक्शा चलाकर अपना पेट भरते हैं, तो वे लोग, सचमुच औरंगजेब की ईमान की विरासत आज भी बनाये हुए है।
●●
पर जब माननीय योगी जी के मुखारवृन्द यह सूचना प्राप्त हुई, वे सच ही बता रहे होंगे।
औरंगजेब के वे रिक्शा चालक वंशज, सलाम के काबिल है। वे लोग आम भोले भाले इंसानो की धार्मिक भावनाओ का दोहन कर, महलो में ऐश कर रहे महंतो- बाबियों- बाबाओ से, लाख लाख गुना बेहतर इंसान हैं।
तो हिन्दुओ के महान संरक्षक .. महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर का इकबाल बुलन्द रहे।
अलख निरंजन।
🙏
Yah movie
Dharmendra movie Karishma kudrat ka shehzaade nakabandi Raj Tilak badle ki Aag Samrat Veeru Dada mast kalandar Kasam suhagan ki khesari hit movie upload karo thank u veri Mach
💯
Super
Nice old movie
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
💯💯💯
😢j
❤
Good
Very weak screenplay. Bad songs . Too many
🎉🎉🎉
😮😅😮😅😮😮😅
😮
❤
M
24:10
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Dinesh
23:44
😅 dress
Yeh kesi ajeeb movie hai
Dekho mat yaar All song ❤ hain
Up as
Feer bhi ye desh ke liye kalank fela raha hai
Bob
Nice moovi
I fack this movie
Nice 👍
❤❤❤
❤
Very Nice Film 🎥
Super 👌 movie 👌 Super 👌Heart Touching movie 👌
❤❤❤❤
❤