VERY GRATEFUL WELLNESS OF THIS PRAVACHAN WICH IS PROVIDED BY SWAMI PARAMAND JI MAHARAJ JI'S VOICE EXPLAINED VERY CLEAR SIMPLIFIED EXPLAINED ABOUT DEEPLY BRAHMA GYAN THANKS AGAIN & AGAIN KOTI KOTI PRANAM GURUDEV JI MAHARAJ.
श्री राधाकृष्णाभ्याम नमः परम् पूज्य महाराज श्री की जय जय जय मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी को बहुत पसंद करता हूं, इसी के आधार पर मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी के मूसानगर कानपुर देहात में रहते हुए दर्शन करने गया था किन्तु मुझे श्री महाराज जी के दर्शन नहीं कराये गये क्योंकि शाय़द मैं मंत्री, विधायक,सांसद, आईएएस, पीसीएस इत्यादि जैसे किसी पद पर नहीं था परंतु मुझे परम् पूज्य श्री महाराज जी के परिकरों से ऐसी आशा नहीं थी। मैं बहुत दुःखी हुआ था। 😑😑😑😑😑😑😑
सौरभ भैयाजी, गुरुदेव बहुत सहज स्वभाव के संत हैं। वे तो किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करते। हम पिछले तीस वर्षों से उनके सरल व्यवहार को देखकर आह्लादित हो रहे हैं। गुरुदेव भगवान द्वारा ब्रह्मज्ञान की व्याख्या और उनका स्वभाव तथा व्यवहार,सब कुछ अति सरल है भैयाजी 🙏🕉️ जयश्रीराम 🙏 जयगुरुदेव
Thoughtlessness is also a thought which is experienced and zero is also a subject/object of experience, you can be jeevanmukt/infinite/Brahmin/Parmatman but you can't define/explain the same.
Jai hi buruji Mei spake pravachan sumit huu but beech beech mei recording mei kar Farah ki disturbance niti hai apple shandy clear nahi hotel kabhi birthday ko awaj ye think nahi hai
ABOUT ZERO [shunia or shunyata]…@ my veer , Rameshvaram…you are correct. Zero* is where duality ends …also it is ONENESS or UNITY where duality of things ends …Synthesizing the both , we can say *shunyata is oneness , abstact oneness . It is something in NOTHINGNESS that contains everything in miniature …which is not perceivable.…In Religion *shunyata is cosidered non-dual and singular…JagtarSinghAujla USA
शुण्य की कोही अवस्था नही है इसलिए शुण्य को शुण्य कैसा कह सकते है। शुण्य का अंत कीसिको पता नही तो शुण्य को शुण्य कैसा सिद्ध कर सकते है शुण्य के भीतर अंनंत शुण्य है। तो शुण्य एक कैसा हो सकता है। शुण्य का अंतिम एक ही है यह आज कोही सिद्ध नहीं कर पाया क्योंकि सभी कुछ अनंत है एक की कोही अवस्था नही जब तुम एक खोजने जावोगे वहाँ पर अनंत दिखाई देगा। अंत का कोही पता नहीं इसलिए एक नहीं अनेक है। वैज्ञानिक परमानुओ से इलेक्ट्रॉन तक पहुँच गये इलेक्ट्रॉन को उन्होंने देखा वहाँ पर भी एक की कोही अवस्था नहीं दिखाई दी। इसलिए शुण्य नहीं अनंत कहो।
ज्ञानस्वरूप का स्वरूप या स्वभाव तो ये भी है कि अनन्त है । फिर जान भी रहा है अनन्त भी है और यह भी जान रहा है कि अनन्त है ।अन्यथा जान रहा है यही अविद्या है ।
@जय सच्चिदानन्द JAI SACHCHIDANAND अनंत आकाश, अनंत जीव, अनंत द्रव्य, जिसका कोही अंत नाही उसे शून्य कैसे सिद्ध कर सकता है। अनंत का कोही आकृती सिद्ध नहीं उसे शुन्य कैसे कह सकते है। शुन्य का अर्थ कोही और बाहर है। इसलिए शुन्य सिद्ध नहीं होता है। ना आत्मा के अंत का पता है ना इश्वर का कहीं पता है ना द्रव्य का अंत सिद्ध है। अंत को सिद्ध करना कल्पना मात्र है।
परम् पूज्य ब्रह्मज्ञानी युगपुरुष गुरुदेव भगवान जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸 चरण स्पर्श 🙏🙏🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌸
श्री राम जय राम जय जय राम 🙏🙏🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸
jai gurudev 🙏🙏
koti koti pranam 🙏🙏❤️❤️
Jai Guru Dev ji ki 🎉🎉🎉
धन्यवाद गुरू जी ।
🙏जय गुरुदेव महाराज 🙏
🌹🌹🌹🙇 प्रणाम महाराज जी 🙏
jai gurudev ji 🙏🙏❤️❤️
Gurudevar Charana pranam
Pranam guruji
Sadguru bhagvan charno mein koti koti pranam nmo namah
जय सिया राम 🌺🙏🙏🌺
*Hare krishna* ❤️🙏❤️
God is one who is unborn recite God name with each breath gives peace and happiness
Param punya sadguru dev ji ke charano me sader pranam
Naman Gurudev Fine unique Vaani 🌹 cleared Atma Brahm❤
Jayagurudeb
Srigurucharanmevandan
❤️🌹❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️🌹❤️
आद्यांत मध्य रहितं.....
कृपया इस श्लोक को कोई भक्त पूर्ण करें...
आभार.
Koti koti nemen Swami ji
Jai gurudev 🙏🙏❤️❤️
जब तक न देखु अपने नयना
तब तक न मानु गुरु का कहना ll - कबीर
सिर्फ गुरुका कहना मानना काफी नही होता .
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
🌺🌺🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
ॐ परम पूज्यनीय श्रीसद्गुरूदेव भगवानजी के पावन श्रीचरणों में सादर कोटि - कोटि नमन
Naman Naman koti koti🎉❤🎉
अद्वैत वेदांत दर्शन में इतना ज्ञान 🙏🙏
नमन है ऐसे विद्वान संत के चरणों में 🙏🙏
अद्वैत वेदांत दर्शन को सत्य कोटि नमन
इंसान असत्य है फिर इंसान जिस संसार को देखता है वह सत्य कैसे हो सकता है ?
DaduRam SatRam gurudev pranam
VERY GRATEFUL WELLNESS OF THIS PRAVACHAN WICH IS PROVIDED BY SWAMI PARAMAND JI MAHARAJ JI'S VOICE EXPLAINED VERY CLEAR SIMPLIFIED EXPLAINED ABOUT DEEPLY BRAHMA GYAN THANKS AGAIN & AGAIN KOTI KOTI PRANAM GURUDEV JI MAHARAJ.
Jay gurudev
🙏🙏 jai jai sat sanatn Dharm ki 🙏 jai jai hind 🙏🌹🌹🇮🇳🇮🇳🇮🇳
स्वामीजी प्रणाम यज्ञान अनमोय है आपकी हमपर अशीस बाना रहे
P
Guru ji aapko sadar parnam
Gurudev Koti Koti naman🌹🌻
JAI shri guru dev ki
JI PRABHUJI BRHMA SHOONYA, HAI,
JAI SHRI SADGURUDEWAY 🙏🙏
OM NAMAH SHILOH🙏🙏
GURU Bhagban ki jai ho
🙏🙏🙏
sat sat naman
Jai Shiri Sadgurudev Bgagwan ji Maharajah Parnam 🙏🙏🌹🌹
PRONAM
Aapaki charanome triwar naman Bhagvan !!!
Jay guroo dev
Jai Guru Dev
Vari good sppich.
Parampujya gurudev bhagwan ki jai.....
Pujya gurudev bhagwan ko koti-koti naman.
श्री राधाकृष्णाभ्याम नमः
परम् पूज्य महाराज श्री की जय जय जय
मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी को बहुत पसंद करता हूं, इसी के आधार पर मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी के मूसानगर कानपुर देहात में रहते हुए दर्शन करने गया था किन्तु मुझे श्री महाराज जी के दर्शन नहीं कराये गये क्योंकि शाय़द मैं मंत्री, विधायक,सांसद, आईएएस, पीसीएस इत्यादि जैसे किसी पद पर नहीं था परंतु मुझे परम् पूज्य श्री महाराज जी के परिकरों से ऐसी आशा नहीं थी।
मैं बहुत दुःखी हुआ था।
😑😑😑😑😑😑😑
दुख हुआ। सभी को दर्शन मिले ये व्यवस्थापकों को देखना चाहिये
मुझे भी इन्तजार है कि गुरुदेव कानपुर आयें तो दर्शन प्राप्त हों
कृपया अपना नं दें
@@Vedantdarshan12
7355671954-सौरभ तिवारी पुखरायां कानपुर देहात
सौरभ भैयाजी, गुरुदेव बहुत सहज स्वभाव के संत हैं। वे तो किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करते। हम पिछले तीस वर्षों से उनके सरल व्यवहार को देखकर आह्लादित हो रहे हैं। गुरुदेव भगवान द्वारा ब्रह्मज्ञान की व्याख्या और उनका स्वभाव तथा व्यवहार,सब कुछ अति सरल है भैयाजी 🙏🕉️
जयश्रीराम 🙏 जयगुरुदेव
JAI GURUDEV, KOTI KOTI PRANAM
प़णाम गुरुदेव
Jay guru dev naman
Guruji pranam thanks for imp.vdo.
Dada bhagwan
happybirthday to you are preyamahraji
Sat Sat naman param purush ji.. 🙏 we miss you Guruji
Teri raza me meri raza hai
Mahraj ji ko dand parnam ap diva hai mene apka satsang orai mai suna tha
🌹❤️🌹❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️🌹❤️🌹
श्रीगुरुदेव भगवान के श्रीचरणों में नमन
Jai Gurudev pranam Jai shri ram
Pranam gurudev
श्री हरि शरणं ।
"JAI GURUDEV "❤❤❤❤👐👐👐👐🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
Guru🙏🙏🙏🙏🙏
psychic energy of the cosmos for humanity
🌴🙏👍🙏🌴
Jay shri Radhe 💐💐💐💐👏
जय जय श्री गुरू देवाये न्म
jya
shri ram
Jai gurudew bhagwan
परमानंद जी महाराज की जय हो
🙏🙏🙏🌺🌺🌺
Jai Shree ram
Dadabhagwan 2
Hari om
One of the definitions of zero is a stage where duality ends
🙇
Another level of reaching the zero level is reaching the stage where u will reach the level of total “thoughtlessness”
Thoughtlessness is also a thought which is experienced and zero is also a subject/object of experience, you can be jeevanmukt/infinite/Brahmin/Parmatman but you can't define/explain the same.
@@pravahadhruva4910 right sir
HR hr
Om
2:00 ye kyu.
Jaise meine likhte samay dhyan nahi DI
Jai hi buruji
Mei spake pravachan sumit huu but beech beech mei recording mei kar Farah ki disturbance niti hai apple shandy clear nahi hotel kabhi birthday ko awaj ye think nahi hai
You
ABOUT ZERO [shunia or shunyata]…@ my veer , Rameshvaram…you are correct. Zero* is where duality ends …also it is ONENESS or UNITY where duality of things ends …Synthesizing the both , we can say *shunyata is oneness , abstact oneness . It is something in NOTHINGNESS that contains everything in miniature …which is not perceivable.…In Religion *shunyata is cosidered non-dual and singular…JagtarSinghAujla USA
मांडुक्य उपनिषद का ताल मेल दुसरे अनेक उपनिषदोसे नही बैठता है l
बहुतसे गुरुओमेभी तालमेल नही बैठता है l
.
Hard Hindi
0
Yae tooh nastikta h naa
शुण्य की कोही अवस्था नही है इसलिए शुण्य को शुण्य कैसा कह सकते है। शुण्य का अंत कीसिको पता नही तो शुण्य को शुण्य कैसा सिद्ध कर सकते है शुण्य के भीतर अंनंत शुण्य है। तो शुण्य एक कैसा हो सकता है। शुण्य का अंतिम एक ही है यह आज कोही सिद्ध नहीं कर पाया क्योंकि सभी कुछ अनंत है एक की कोही अवस्था नही जब तुम एक खोजने जावोगे वहाँ पर अनंत दिखाई देगा। अंत का कोही पता नहीं इसलिए एक नहीं अनेक है।
वैज्ञानिक परमानुओ से इलेक्ट्रॉन तक पहुँच गये इलेक्ट्रॉन को उन्होंने देखा वहाँ पर भी एक की कोही अवस्था नहीं दिखाई दी।
इसलिए शुण्य नहीं अनंत कहो।
Pradeep Kumar Ramtawankal singh आत्मा को छोड़कर परमात्मा को जाननाही जड़ बुद्धी है।
Pradeep Kumar Ramtawankal singh आप परमात्मा को अनंत भी कहते है और एक भी कहते है। अर्थात कोही एक निश्चित सिद्ध नही है।
ज्ञानस्वरूप का स्वरूप या स्वभाव तो ये भी है कि अनन्त है । फिर जान भी रहा है अनन्त भी है और यह भी जान रहा है कि अनन्त है ।अन्यथा जान रहा है यही अविद्या है ।
@जय सच्चिदानन्द JAI SACHCHIDANAND अनंत आकाश, अनंत जीव, अनंत द्रव्य, जिसका कोही अंत नाही उसे शून्य कैसे सिद्ध कर सकता है। अनंत का कोही आकृती सिद्ध नहीं उसे शुन्य कैसे कह सकते है। शुन्य का अर्थ कोही और बाहर है। इसलिए शुन्य सिद्ध नहीं होता है। ना आत्मा के अंत का पता है ना इश्वर का कहीं पता है ना द्रव्य का अंत सिद्ध है। अंत को सिद्ध करना कल्पना मात्र है।
Bhai pahle practical karo Jab samajh mein aaega
बोले ब्रह्मज्ञान सदा बना नही रहता l
मेहतरीन झाडु लगाने आयी थी की हम बिस्तर बनने आयी थी l सफाई करने आयी थी , सफाई करके चली गयी l
DaduRam SatRam gurudev pranam
Koti koti naman gurudev. 🎉🎉🎉
Hariohm swamiji pranam
जय हो गुरुदेव
Jai guru Dev
Jai gurudev