हरि को निजु जस तें अधिक भक्तनि-जस पर प्यार। याते यह माला रची, करि 'ध्रुव कंठ-सिंगार ।। भक्तनि की नामावली, जो सुनि है चित लाइ। ताके भक्ति बढ़े घनी, अरु हरि होइ सहाइ।। भक्त नामावली का श्रवण एवं पठन भगवत प्राप्ति एवं दुख निवृत्ति का सहज उपाय है। इससे हृदय में अति शीघ्र प्रेम का प्राकट्य होता है। इसलिए भक्त नामावली का प्रतिदिन श्रवण करना चाहिए।
हरि को निजु जस तें अधिक भक्तनि-जस पर प्यार।
याते यह माला रची, करि 'ध्रुव कंठ-सिंगार ।।
भक्तनि की नामावली, जो सुनि है चित लाइ।
ताके भक्ति बढ़े घनी, अरु हरि होइ सहाइ।।
भक्त नामावली का श्रवण एवं पठन भगवत प्राप्ति एवं दुख निवृत्ति का सहज उपाय है। इससे हृदय में अति शीघ्र प्रेम का प्राकट्य होता है। इसलिए भक्त नामावली का प्रतिदिन श्रवण करना चाहिए।