समझते हैं "राह का मर्म" Understanding true sense of ways
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- Опубликовано: 8 фев 2025
- समझते हैं "राह का मर्म"
Understanding true sense of ways
आइए समझते हैं राह का मर्म-
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
चलती राह भीड़ कौ मिलनों मुश्किल सहज सिखाता है
सरपट दौड़ो सही सड़क पर सम्भल-सम्भल चल गड्ढों में ऐसी राह दिखाता है
पालन करो नियम का नित ही बत्ती तीन दिखाता है
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
सही समय का पालन करना राहें आसान बनाता है
तनिक सबेरे तनिक रात में राहें आसान बनाता है
लंच समय पर पूर्व शाम के राहें आसान बनाता है
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
रुको बीच में पानी पीओ पावर वापस करता है
रुको बीच में इंजन थामो थकान दूर करता है
रुको बीच में पेड़ तले छाया का भाव समझाता है
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
राह न होगी खाली कबहूँ ऐसी बात बताता है
राह न होगी सदा सरपटा ऐसा ये समझाता है
राह न होगी कभी भटकनी अटकल पूछो ऐसा ये समझाता है
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
सधे शब्द में साफ-साफ ये जीवन राह सिखाता है
सधे शब्द वाणी विराम विश्राम तनिक माणिक सी बात सिखाता है
सधे हाथ और सधे पैर आंखें चार विचार मराल मानुष मर्म सिखाता है
ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम
पवन सर कृत कवित्व भाव
"ये राह कह रही है चलते रहो सुबहो शाम करते रहो अपने काम"
समर्पित- समस्त मानुष खासकर विद्यार्थी
सितम्बर 28, 2024
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