वैकुंठ धाम जाने के लिए क्या योग्यता चाहिए? HH Haladhara Swami

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  • Опубликовано: 14 янв 2025

Комментарии • 19

  • @deepakkumarpandey3272
    @deepakkumarpandey3272 2 месяца назад +3

    Hare Krishna prabhuji dandvat pranam 💐💐🙏🙏🙏

  • @Sarvanandiniradha
    @Sarvanandiniradha 2 месяца назад +4

    All Glories to HH Haladhar Swami Maharaj

  • @bapinkumarjena1454
    @bapinkumarjena1454 2 месяца назад +3

    Hare Krishna Dandavat pranam maharaj ji🙏🙏🙏

  • @sanjeebhansdah9435
    @sanjeebhansdah9435 2 месяца назад +2

    Koti koti dandabata maharaj

  • @reetajaiswal1221
    @reetajaiswal1221 10 дней назад

    Hare Krishna Guru Maharaj ji Dandwat Pranam 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙇🙇

  • @vidyap8582
    @vidyap8582 2 месяца назад +2

    Harekrishna dandvat pranam maharaj

  • @GaneshHingole-359
    @GaneshHingole-359 2 месяца назад

    Hare Krishna Prabhu ji 🙏🎉

  • @sunitajoshi96714
    @sunitajoshi96714 2 месяца назад +2

    🙏🙏

  • @sitalsharma5765
    @sitalsharma5765 2 месяца назад +2

    Which sloka is this?

    • @MRamDas
      @MRamDas  2 месяца назад

      Bhagavad Gita: Chapter 15, Verse 5
      निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः ।
      द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत् ॥5॥

  • @Aayushrpatil
    @Aayushrpatil 2 месяца назад +1

    वैकुंठ जाके क्या करेंगे प्रभुजी वहां से जीव वापस आ जाता है। जय विजय दोनों वापस आए थे जिस धाम में शाप मिला हो हो धाम सुप्रीम कैसे हो सकता है? भगवत धाम ऐसा होना चाहिए जहां आनंद आनंद हो। क्षीरसागर विष्णु जी उदाहरण ले लीजिए वह से जीव वापस आता हैं 7 ब्राह्मण पुत्रों जो ले गए विष्णुजी चुराकर क्यों लेके गए थे ? वो मैने सोचा था परमधाम गए मुक्ति तो 7 पुत्रों की तो निश्चित है पर ये क्या कृष्ण और अर्जुन उनको लेने के लिए गए थे वापस धरती वापस लेके आए वो भला क्यों 😊? अगर कृष्ण और विष्णुजी एक है वो बच्चों किडनैप करनेकी लीला करनेकी जरूरत नहीं पड़ती है ना? गोलोक बात किसी दिन और करूंगा , एक बात तो सच हैं कृष्ण ही परम भगवान है परन्तु कैसे ये बात द्वापर युग में ब्रह्मा जी को समझ नहीं आई बछड़े और गाय चुराते वक्त तो क्या हम कलयुग जीव को सच में समझ पाएंगे ये सोचने वाली बात है ? धन्यवाद।।

    • @rajas_
      @rajas_ 2 месяца назад

      Jay Vijay ji ka example sahi nahi prabhuji
      Aap ye dimaag se soch ke bol rahe ho ki woh temporary hai
      Lekin Vaikunth Temporary nahi hai
      Golok Chart dekho aap samajh aa jayega
      Aur Jay Vijay vapas bhi gaye Dwaapar leela ke baad
      Bg 4.9 जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः ।
      त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन
      Yaha bhagavan batate hai ki
      "Punar janma Na eti"
      Toh ye temporary hua
      Woh toh Shraap tha bas isiliye Jay Vijay aaye the, aur usme bhi Veh dono hamesha shhudh bhakt the aur hai

    • @Aayushrpatil
      @Aayushrpatil 2 месяца назад

      @rajas_
      वैकुंठ धाम मतलब आपके हिसाब से गीता मै बताया गया भगवत धाम तो वो 3 गुणों से और अष्ट स्वभाव से परे होना चाहिए न प्रभुजी तो क्यूं क्रोध मैं आके शाप देना मतलब तमो गुना प्रभाव बढ़ना ये कैसे हुआ ये परमधाम मै ? वापस धरती आये 1 बार सही मतलब गीता का वचन झूठा हो जाता है और 1 बार हुआ है तो फ्यूचर मै ये होता रहे ।
      जय विजय 3 जन्म लेके वापस आ गए परन्तु इन 3 जन्मों मै कितने वैष्णव लोकों मारा होगा इसका फल कौन भोगेगा? क्यों 10 जन्म की शाप नहीं लिया भक्त बनकर 100 जन्म भी लेने पड़ते तो ले लेते ये कैसी विवशता ?शुद्ध भक्त कहसे हुए ? अपने ही स्वामी के विरोध में जाना 3 जन्मों मै कही भक्तों मारना , भक्ति करने न देना और उनके स्वामी अवतार लेके आना और भक्तों को बचाना । अभी गीता मै भगवान कृष्ण कहते है जब जब अधर्म बढ़ता है मै अवतार लेता हु यहां अगर विष्णु और कृष्ण सेम है आपके हिसाब से विष्णु जी ने शाप के कारण से अधर्म खुद है बढ़वा दिया ये खुद ही बचने आए ये कैसे हुआ ? यह विष्णुजी ईश्वर परम दयालु कैसे सिद्ध हुए ये बताए ?
      कर्म उसके भोग ऐसे नहीं चलता है प्रभुजी अगर कोई छोटी सी चोरी किसी जन्म करता है अथवा किसी निरपराध के प्रति उसपर चोरी का आरोप लगाता है और उसको कोई पछतावा नहीं धीरे धीरे ये कर्म बढ़ता जाता है और वो जीव यही अपराध पहिले किसी कृष्ण भक्त प्रति करता है यही बढ़कर धीरे धीरे यही अपराध कृष्ण अवतार के प्रति करता है मनुष्य के कर्म उसको नरक लेने जाने के लिए काफी होते है कृष्ण सिर्फ ऐसे लोकों ही अवतार लेके मारते है जिनके कर्म उन तक पहुंच ये है
      इसको अधर्म कहा गया है इतने जन्मों मौके दिए फिर भी नहीं सुधरे....... ।।।
      अपने गोलोक चार्ट देखने को कहा पर पहिले वैकुंठ और क्षीरसागर मेरे प्रश्न पहले कोई सुलझा दे फिर उसपर बात करेंगे ।।
      कभी ये सोचा है प्रभुजी अगर हमको विष्णुजी और शिवजी की भक्ति हर युग में करनी है तो 1 युग क्यों नहीं बनाया 4 युगों की साइकिल क्यों बनाई ? एक युग मै मुझे 1000 साल भक्ति करनी पड़ती है और एक मै सिर्फ 100 साल ऐसा क्यों ? एक हो देवता को को पाने के लिए इतना भेदभाव और अंतर क्यों हम कलयुग जैसे अधर्मी युग में रहते है तो क्या कलयुग सबसे अच्छा युग है ,100 साल जल्दी हो जाता है वास्तव में कुछ अलग है ? क्या कृष्ण ने ऐसे सृष्टि व्यवस्था बनाई है या अभी भी हमको समझ मै नहीं आई
      जाने दीजिए बहुत सवाल है किसी को बुरा लगा हो प्लीज माफ कर देना , शास्त्र पर सवाल उठाएंगे नहीं हम ठीक तरीके से समझेंगे नहीं ।।।

    • @Aayushrpatil
      @Aayushrpatil 2 месяца назад

      @@rajas_ वैकुंठ धाम मतलब आपके हिसाब से गीता मै बताया गया भगवत धाम तो वो 3 गुणों से और अष्ट स्वभाव से परे होना चाहिए न प्रभुजी तो क्यूं क्रोध मैं आके शाप देना मतलब तमो गुना प्रभाव बढ़ना ये कैसे हुआ ये परमधाम मै ? वापस धरती आये 1 बार सही मतलब गीता का वचन झूठा हो जाता है और 1 बार हुआ है तो फ्यूचर मै ये होता रहे ।
      जय विजय 3 जन्म लेके वापस आ गए परन्तु इन 3 जन्मों मै कितने वैष्णव लोकों मारा होगा इसका फल कौन भोगेगा? क्यों 10 जन्म की शाप नहीं लिया भक्त बनकर 100 जन्म भी लेने पड़ते तो ले लेते ये कैसी विवशता ?शुद्ध भक्त कहसे हुए ? अपने ही स्वामी के विरोध में जाना 3 जन्मों मै कही भक्तों मारना , भक्ति करने न देना और उनके स्वामी अवतार लेके आना और भक्तों को बचाना । अभी गीता मै भगवान कृष्ण कहते है जब जब अधर्म बढ़ता है मै अवतार लेता हु यहां अगर विष्णु और कृष्ण सेम है आपके हिसाब से विष्णु जी ने शाप के कारण से अधर्म खुद है बढ़वा दिया ये खुद ही बचने आए ये कैसे हुआ ? यह विष्णुजी ईश्वर परम दयालु कैसे सिद्ध हुए ये बताए ?
      कर्म उसके भोग ऐसे नहीं चलता है प्रभुजी अगर कोई छोटी सी चोरी किसी जन्म करता है अथवा किसी निरपराध के प्रति उसपर चोरी का आरोप लगाता है और उसको कोई पछतावा नहीं धीरे धीरे ये कर्म बढ़ता जाता है और वो जीव यही अपराध पहिले किसी कृष्ण भक्त प्रति करता है यही बढ़कर धीरे धीरे यही अपराध कृष्ण अवतार के प्रति करता है मनुष्य के कर्म उसको नरक लेने जाने के लिए काफी होते है कृष्ण सिर्फ ऐसे लोकों ही अवतार लेके मारते है जिनके कर्म उन तक पहुंच ये है
      इसको अधर्म कहा गया है इतने जन्मों मौके दिए फिर भी नहीं सुधरे....... ।।।
      अपने गोलोक चार्ट देखने को कहा पर पहिले वैकुंठ और क्षीरसागर मेरे प्रश्न उनको हम सुलझा ले ।।
      कभी ये सोचा है प्रभुजी अगर हमको विष्णुजी और शिवजी की भक्ति हर युग में करनी है तो 1 युग क्यों नहीं बनाया 4 युगों की साइकिल क्यों बनाई ? एक युग मै मुझे 1000 साल भक्ति करनी पड़ती है और एक मै सिर्फ 100 साल ऐसा क्यों ? एक हो देवता को को पाने के लिए इतना भेदभाव और अंतर क्यों हम कलयुग जैसे अधर्मी युग में रहते है तो क्या कलयुग सबसे अच्छा युग है ? क्या कृष्ण ने ऐसे सृष्टि व्यवस्था बनाई या ये भी अभी भी समझ मै नहीं आई
      जाने दीजिए बहुत सवाल है किसी को कष्ट पहुंचा तो माफ कर दीजिए, सवाल पूछेंगे तो शास्त्र को सही तरीके से समझेंगे।।।

    • @Aayushrpatil
      @Aayushrpatil 2 месяца назад

      @@rajas_ वैकुंठ धाम मतलब आपके हिसाब से गीता मै बताया गया भगवत धाम तो वो 3 गुणों से और अष्ट स्वभाव से परे होना चाहिए न प्रभुजी तो क्यूं क्रोध मैं आके शाप देना मतलब तमो गुना प्रभाव बढ़ना ये कैसे हुआ ये परमधाम मै ? वापस धरती आये 1 बार सही मतलब गीता का वचन झूठा हो जाता है और 1 बार हुआ है तो फ्यूचर मै ये होता रहे । जय विजय 3 जन्म लेके वापस आ गए परन्तु इन 3 जन्मों मै कितने वैष्णव लोकों मारा होगा इसका फल कौन भोगेगा? क्यों 10 जन्म की शाप नहीं लिया भक्त बनकर 100 जन्म भी लेने पड़ते तो ले लेते ये कैसी विवशता ?शुद्ध भक्त कहसे हुए ? अपने ही स्वामी के विरोध में जाना 3 जन्मों मै कही भक्तों मारना , भक्ति करने न देना और उनके स्वामी अवतार लेके आना और भक्तों को बचाना । अभी गीता मै भगवान कृष्ण कहते है जब जब अधर्म बढ़ता है मै अवतार लेता हु यहां अगर विष्णु और कृष्ण सेम है आपके हिसाब से विष्णु जी ने शाप के कारण से अधर्म खुद है बढ़वा दिया ये खुद ही बचने आए ये कैसे हुआ ? यह विष्णुजी ईश्वर परम दयालु कैसे सिद्ध हुए ये बताए ?
      कर्म उसके भोग ऐसे नहीं चलता है प्रभुजी अगर कोई छोटी सी चोरी किसी जन्म करता है अथवा किसी निरपराध के प्रति उसपर चोरी का आरोप लगाता है और उसको कोई पछतावा नहीं धीरे धीरे ये कर्म बढ़ता जाता है और वो जीव यही अपराध पहिले किसी कृष्ण भक्त प्रति करता है यही बढ़कर धीरे धीरे यही अपराध कृष्ण अवतार के प्रति करता है मनुष्य के कर्म उसको नरक लेने जाने के लिए काफी होते है कृष्ण सिर्फ ऐसे लोकों ही अवतार लेके मारते है जिनके कर्म उन तक पहुंच ये है
      इसको अधर्म कहा गया है इतने जन्मों मौके दिए फिर भी नहीं सुधरे....... ।।।
      अपने गोलोक चार्ट देखने को कहा पर पहिले वैकुंठ और क्षीरसागर मेरे प्रश्न उनको हम सुलझा ले ।।
      कभी ये सोचा है प्रभुजी अगर हमको विष्णुजी और शिवजी की भक्ति हर युग में करनी है तो 1 युग क्यों नहीं बनाया 4 युगों की साइकिल क्यों बनाई ? एक युग मै मुझे 1000 साल भक्ति करनी पड़ती है और एक मै सिर्फ 100 साल ऐसा क्यों ? एक हो देवता को को पाने के लिए इतना भेदभाव और अंतर क्यों हम कलयुग जैसे अधर्मी युग में रहते है तो क्या कलयुग सबसे अच्छा युग है ? क्या कृष्ण ने ऐसे सृष्टि व्यवस्था बनाई या ये भी अभी भी समझ मै नहीं आई
      जाने दीजिए बहुत सवाल है किसी को कष्ट पहुंचा तो माफ कर दीजिए, सवाल पू
      छेंगे तो शास्त्र को सही तरीके से समझेंगे।।।

    • @Aayushrpatil
      @Aayushrpatil 2 месяца назад

      @rajas_ वैकुंठ धाम मतलब आपके हिसाब से गीता मै बताया गया भगवत धाम तो वो 3 गुणों से और अष्ट स्वभाव से परे होना चाहिए न प्रभुजी तो क्यूं क्रोध मैं आके शाप देना मतलब तमो गुना प्रभाव बढ़ना ये कैसे हुआ ये परमधाम मै ? वापस धरती आये 1 बार सही मतलब गीता का वचन झूठा हो जाता है और 1 बार हुआ है तो फ्यूचर मै ये होता रहेगा।
      जय विजय 3 जन्म लेके वापस आ गए परन्तु इन 3 जन्मों मै कितने वैष्णव लोकों मारा होगा इसका फल कौन भोगेगा? क्यों 10 जन्म की शाप नहीं लिया भक्त बनकर 100 जन्म भी लेने पड़ते तो ले लेते ये कैसी विवशता ?शुद्ध भक्त कहसे हुए ? अपने ही स्वामी के विरोध में जाना 3 जन्मों मै कही भक्तों मारना , भक्ति करने न देना और उनके स्वामी अवतार लेके आना और भक्तों को बचाना । अभी गीता मै भगवान कृष्ण कहते है जब जब अधर्म बढ़ता है मै अवतार लेता हु यहां अगर विष्णु और कृष्ण सेम है आपके हिसाब से विष्णु जी ने शाप के कारण से अधर्म खुद है बढ़वा दिया ये खुद ही बचने आए ये कैसे हुआ ? यह विष्णुजी ईश्वर परम दयालु कैसे सिद्ध हुए ये बताए ?

  • @pn3495
    @pn3495 2 месяца назад

    🙏🙏🙏