प्रिय दीपा जी नमस्कार 🙏❤️ आप नियमित कहानियाँ सुनते हैं और आपके कमेंटस आते हैं । बहुत खुशी होती है । मैंने मुंशी प्रेमचंद का लिखा उपन्यास ' निर्मला ' अपने दूसरे चैनल Katha Sahitya Simmi Saini पर अपलोड किया है । वहाँ आप ज़रूर सुनिएगा ।🙏❤️
Is story ne mujhay meri mother ki yaad dila di.. Mere paas bhi ek silai machine hai jispe wo kapde silti thi... Wo tailor nhi thi.. Aur wo aaj is duniya mei nhi h par unki silai machine aaj bhi mere paas rakhi hui h.. ❤❤usey dekh k unki yaad aati h.. ❤
दीपमाला जी इस कहानी में हम सब की यादों की कुछ न कुछ तस्वीर अवश्य मिल जाती है । बिल्कुल आपकी ही तरह मेरी मम्मी को भी अपनी सिलाई मशीन बहुत प्रिय थी । जब से होश सँभाला मम्मी को परिवार के कपड़े सिलते ही पाया । उस समय में संयुक्त परिवार होते थे । मम्मी घर का काम ख़त्म करने के बाद सिलाई मशीन पर ही सिलाई में लगी रहतीं थी । उन्हीं से मैंने भी सिलाई सीख ली । ❤️❤️❤️
दीपक जी की बहुत ही प्यारी कहानी,मार्मिक...मशीन की आवाज़ का प्रयोग बहुत अच्छा लगा
कहानी मर्मस्पर्शी hai दीपक शर्मा ji साधुवाद ki पात्र हैं ,आपने सिलाई मशीन की आवाज़ डालकर नया प्रयोग किया अच्छा लगा 🎉❤
सुषमा जी स्नेहिल धन्यवाद ❤️ आपको प्रयोग अच्छा लगा तो लेखिका दीपक शर्मा जी और मेरी मेहनत सफ़ल हुई । 🙏❤️🙏
This was new and I loved it the sound effect of stitching machine I loved it really ❤
प्रिय दीपा जी नमस्कार 🙏🌺
आपको कहानी और मेरा नया प्रयोग पसंद आया मुझे बहुत ही अच्छा लगा । आपको स्नेहिल धन्यवाद 🙏❤️💐💐
@@kathasahityapro dhanyawad apko mam Jo ap itni achi kahaniya sunati or lati h ...pls koi naya upanyas laiye💫♥️
प्रिय दीपा जी नमस्कार 🙏❤️
आप नियमित कहानियाँ सुनते हैं और आपके कमेंटस आते हैं । बहुत खुशी होती है ।
मैंने मुंशी प्रेमचंद का लिखा उपन्यास ' निर्मला ' अपने दूसरे चैनल Katha Sahitya Simmi Saini पर अपलोड किया है । वहाँ आप ज़रूर सुनिएगा ।🙏❤️
Good evening mam .❤se
शुभरात्रि राजू जी !
Is story ne mujhay meri mother ki yaad dila di.. Mere paas bhi ek silai machine hai jispe wo kapde silti thi... Wo tailor nhi thi.. Aur wo aaj is duniya mei nhi h par unki silai machine aaj bhi mere paas rakhi hui h.. ❤❤usey dekh k unki yaad aati h.. ❤
दीपमाला जी इस कहानी में हम सब की यादों की कुछ न कुछ तस्वीर अवश्य मिल जाती है । बिल्कुल आपकी ही तरह मेरी मम्मी को भी अपनी सिलाई मशीन बहुत प्रिय थी । जब से होश सँभाला मम्मी को परिवार के कपड़े सिलते ही पाया । उस समय में संयुक्त परिवार होते थे । मम्मी घर का काम ख़त्म करने के बाद सिलाई मशीन पर ही सिलाई में लगी रहतीं थी । उन्हीं से मैंने भी सिलाई सीख ली । ❤️❤️❤️