श्री कृष्ण लीला | गुरु द्रोण के वध की रणनीति

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।
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    द्रोणाचार्य की प्रतिज्ञा लेने से चिंतित होकर घटोत्कच श्री कृष्ण से आज्ञा लेने के लिए आता है की मैं गुरु द्रोण को सोते हुए ही उठा कर ले आऊँगा और उन्हें बंदी बना कर कर कारगर में दल दूँगा। श्री कृष्ण घटोत्कच को रोकते हैं और समझाते हैं की तुम ऐसा नहीं कर पाओगे और ना ही तुम्हें ऐसा करना चाहिए। श्री कृष्ण घटोत्कच को अपना बलिदान देने के लिए उचित समय के आने के लिए इंतज़ार करने को कहते हैं। युधिष्ठिर गुरु द्रोण को युद्ध में हराने के लिए रणनीति बनाते हैं की जब दरों के हाथ में शस्त्र नहीं होंगे तो हम उनका वध कर देंगे। अर्जुन निरस्त्र गुरु का वध करने से मना करता है। महाराज द्रुपद अर्जुन को समझाते हैं की हमें ऐसा ही करना होगा। राजा द्रुपद यह रणनीति बनाते हैं की हमें सिर्फ़ अश्वत्थामा की मृत्युु की बात को फैलाना होगा और द्रोण ज़रूर अपने पुत्र की मृत्युु से दुःखी हो कर शस्त्र त्याग देंगे। यह झूठ बोलने के लिए राजा द्रुपद युधिष्ठिर को कहते हैं। युधिष्ठिर असत्य बोलने से मना कर देते हैं। राजा द्रुपद उन्हें अपनी योजना बताते हैं की भीम अश्वत्थामा नाम के हाथी का वध कर देगा जिसे आप द्रोण को बता देंगे।

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