मैं बेंगलुरु से हूं। तुलु मेरी मात्ऋ भाषा हैं। मैं शुद्ध हिंदी के लिए आपको सुनती हूं। आपकी भाषा कानों को बहुत अच्छी लगती है। मुझे लगता है कि दक्षिणी भाषाओं में बहुत सारे सामान्य शब्द हैं शुद्ध हिंदी से। यदि हर कोई आपकी तरह हिंदी बोलते तो एक दूसरे की भाषा सीखना तनिक सरल होता। 🙏🙂
बहुत सही बात कही आपने। इस्लाम ने उर्दू का बहुत प्रचार किया। आज यह काम बॉलीवुड कर रहा है। जिसे शुद्ध हिंदी आती है वह संस्कृत सीख सकता है। और दक्षिण भाषाएं भी सीख सकता है🚩🙏
Nityananda Misra might be good at Hindi language but his Guru Swami Rambhadrachrya is a repeat offender. He blames Adi Shankaracharya for his statement (द्वारं किमेकं नरकस्य नारी) which is actually menat for Sanyasi and Brahmcharis. His most controversial statement is प्रक्षिप्तवाद (interpolation) of Uttar Kand of Valmiki Ramayan and Gopi Vastra Haran. Swami Raghvacharya has also refuted this instance ( ruclips.net/video/p9bLMhnv21k/видео.html ). Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru has made several videos (ruclips.net/p/PL_UOyP4N1Lteu1oUDuHf91pBBCQDmkZ1L) regarding Anti Shastras statements of Swami Rambhadracharya
The battle for assertion of one's language, both spoken and written forms the first soft-line of defence to divide the country and probably the last to fade away after the division ceases to exist.
संदेह/भ्रांति दूर करने के लिए आभार 🙏 1950-60 के बाल्यकाल में जो सीखा, वही आज भी कंठस्थ है. दो त्रुटियां हैं जो ठीक करनी पड़ी हैं. लगभग 20:50 पर उद्धृत कालिदास का श्लोक, निश्चय ही मूढता से बचने में मार्गदर्शन करेगा. क्या ही अच्छा हो कि यह लिपिबद्ध कर सकें. धन्यवाद .
मिश्र जी, चलचित्र में उद्धृत कालिदास के श्लोक को व्याख्या सहित लिपिबद्ध करने हेतु अनुरोध किया था ताकि आप की बात ज्यों-की-त्यों अन्य लोगों तक पहुँचाई जा सके.
Dear Nityanandji, an excellent indepth description as always... many thanks. Your discussion also helps to learn many new things related to Sanskrit ...
@Maruti Vega mera ye matlab nahi tha. Aur kisne kaha Bhagwan shankar khud avtaar nahi lete? Adi guru Shankracharye ji ka naam suna hai? Wo swayam Bhagwan shankar ka he avtaar thay. Wo naa hote to Bharat se Sanatan dharam kabka mit chuka hota. Unhone aa kar Bhodh dharam ke prabhav ko kam kar diya aur fir se sanatan Dharm ko sashakt banaya.
Saari purani lipiyon me shankar suvan hi likha gya hai . 1837 ki lippi me bhi shankar suvan hi likha gya hai . 1628 ki lippi me bhi shankar suvan hi likha gya hai . Kevan 1940 aur 1966 me shankar swayam likha gya hai
पण्डित जी आपने बहुत ही सारगर्भित, शास्त्रीय और शालीन बिधि से विवेचन किया है।आप सनातन धर्म और संस्कृति की पूँजी हैं। ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे।जगद्गुरू राम भद्राचार्य जी भी परम् पूजनीय सन्त हैं, उनकी भी कोई बात मनमानी नहीं हो सकती। मगर मैं तो उसी पाठ को मानूँगा जो बाल्यकाल से सीखा है।
Bro! Ignore them. They are just jealous freaks. Swami Rambhadracharya is an excellent scholar who values academic and reasonable thinking and those freaks are jealous of Swamiji because Swamiji openly denounces the practice of untouchability and treats all Hindus equally. Those who give logical fallacies to prove their arguments are more likely to use ad hominem, attacking the person rather than the Claim.
भगवान ब्रह्मा ने रामावतार के साथ सभी देवों को वानर योनि में जन्म लेने के लिए आदेश दिया था और स्वयं जामवंत के रूप में तथा शंकरजी एकादश रूद्रावतार हनुमान जी की भूमिका में हैं।इसी तरह बाली सुग्रीव नल नील आदि के वारे में भी इंद्र सूर्य विश्वकर्मा आदि। सीता द्वारा हनुमान जी को बरदान देते समय भी करहु सदा रघुनायक छोहू।अजर अमर गुननिधि सुत होहू। बहुत सुंदर विवेचन है। धन्यवाद
सब-कुछ स्पष्ट हो गया है। अल्पज्ञ को इसपर बहस नहीं करना चाहिए। सनातन धर्म के परम विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य जी ने जो कहा हैं वह पूर्णतः सत्य है। नित्यानंद जी ने चलचित्र में अनेकों साक्ष्यों को दिखा दिया हैं। अब भी जो ना माने उसे मैं क्या कहूं? परमपूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी को शत् शत् नमन 🙏🏻 हिंदीं एवं संस्कृत भाषा के विद्वान श्री नित्यानंद मिश्र जी को सादर नमन 🙏🏻
बजरंग बाण में भी शंकर सुवन वीर हनुमंता वाक्य आया है अतः आप मूल स्वरूप को भी मान सकते हैं। वैसे कोई भी पाठ करें दोनों के हो समान लाभ हैं। गीता प्रेस अति प्राचीन है शिलालेख से भी ज्यादा प्राचीन। मैं तो गीता प्रेस को ही प्रमाणिक मान रहा हूं। मूल लेखक ने क्या लिखा ये सबसे महत्वपूर्ण बाद में कोई भी अपने हिसाब से edit कर सकता है। प्रेम चंद ने जो लिखा उसमें कोई भी संशोधन कर सकता है लेकिन मौलिक तो प्रेमचंद का ही होगा गुरु राम भद्राचार्य जी को सादर नमन
I used to love talking like in Mahabharatha and Ramayana even as a kid. Would use किन्तु परंतु with my north indian friends in school, but it was a comedy for them. Hence, stopped speaking🙄 I hope your videos become more popular and your hindi becomes colloquial 🙏
पाठ भेद स्वाभाविक है ।महात्मा तुलसी ने जिन शब्दो को उल्लिखित किया होगा उन शब्दो मे अब तक कितनी वार पाठ भेद हो गया होगा इस संबंध मे कोई भी निश्चित रूप से नही कह सकता।
धन्यवाद श्रीमान! अपने बहुत सुन्दर एवं सरल भाषा में अपने विचार रखे | हनुमान चालीसा में जो " जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥" का हम पाठ करते हैं, कुछ लोगों का कथन है कि यह मूल पाठ में नहीं है और बाद में किसी ने जोड़ा है | परन्तु यही बात हनुमानाष्टक में भी मिलती है "बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो" | मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस सम्बन्ध में भी उचित मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा करें | |
हमेशा से संकर सुवन ही है वही सही है...अगर आपको लगता है की वो प्रिंट मिस्टेक है तो फिर बजरंग बाण में भी एक जगह संकर सुवन कहा गया है तो आप कहेंगे वहां भी प्रिंटिंग मिस्टेक हुई है ऐसा नहीं है प्रभु..हनुमान गड़ी में लिखा हुआ ज्यादा पुराना नहीं है 1966 का ही है गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी..ऐसे बहुत से प्रमाण आपको दे सकता हू...
sir ji jai shree Ram , apka bahut bahut dhanyawad sare sandeh clear karne ke liye . kripa kar ke ye bhi clear kro ki Bajrang ban mei bhi sankar swaym hi sahi rahega.
It is really laudable that you are taking so much efforts to dig out sources and explain even the pettiest of the things. Nothing offensive in my statement as it is a pity that the present generation is not even aware of the pāṭhabhēda we find in our purāṇic traditions. You must encourage your followers for swādhyāya than spoon feeding.
नमो राघवाय 🙏 परम पूज्य गुरुदेव स्वामी श्री #रामभद्राचार्य जी महाराज के द्वारा श्री हनुमान चालीसा में जिन शब्दों की त्रुटी बताई गई है उन शब्दों को संशोधित कर प्रसिद्ध। #ghazal एवम् #bhajan #singer Jaswant Singh Ji के द्वारा सभी हनुमान भक्तों के लिए यह सुंदर प्रस्तुति हनुमान जी महाराज के श्री चरणों में प्रस्तुत की गई है, आप भी अवश्य श्रवण करे।🙏🪔🙏 Hanuman Chalisa | हनुमान चालीसा का संशोधित पाठ | As Suggested By #Swami #rambhadracharya ji Maharaj Want to listen Complete #hanumanchalisa please Click below 👇🏻 Link ruclips.net/video/nN_iK8LwlGk/видео.html
I started chanting according to Sri Ram Bhadrachrya Ji's correction but got a bit confused of different types of opinions. Now my confusions are cleared. Aapko hriday se Dhanyawad.🙏🙏🙏
शङ्कर स्वयं केसरी नन्दन। यह तो कुछ युक्ति संगत लगता है। बाकी आप की गुरुभक्ति है। लाखों स्थानों पर लाखों प्रतियों को छोड़कर चन्द प्रतियों का अनुकरण आपकी गुरुभक्ति मात्र है। बाकी जिसके गुरुगोविन्द जो आदेश करें वही श्रेयस्कर है।
नित्यानंद जी मेरा भी अभिवादन स्वीकार करें।किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोलना एक अभ्यास हो सकता है परंतु बोलने की कला के साथ-साथ जिससे या जिनसे कथन किया जा रहा है उसे / उन्हें विषय के साथ आत्मसात् कर लेना अभ्यास का परिणाम नहीं है अपितु यह एक कठिन परिश्रम है जो शोध व भगवदकृपा से ही संभव है ।🙏💐
THIS IS A HUGE HUGE HUGE PROBLEM FOR THOSE WHO DO SADHANA OF HANUMAN JI USING HC, BECAUSE NOW A LOT ARE CONFUSED BUT PERSONALLY I THINK THE OLDER VERSION WHICH WE GREW UP LISTENING TO IS THE CORRECT ONE BECAUSE I HAVE SEEN MANY PEOPLE GETTING RESULTS BY DOING SADHANA OF THAT ONE
Regarding Hanuman Chalisa (ruclips.net/video/g403DYs9c2A/видео.html). Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru has made several videos (ruclips.net/p/PL_UOyP4N1Lteu1oUDuHf91pBBCQDmkZ1L) regarding Anti Shastras statements of Swami Rambhadracharya
@@rupamraj9066 Who gave him the title of Nigrahacharya. He used ad hominem toward Swami Rambhadracharya instead of disagreeing respectfully. He supports untouchability practices toward the Dalit communities. He doesn't know how much humiliation, prejudice, untouchability, and discrimination the 35 Crores Dalits and Tribals face. He means to say that if Brahmins decided to live in poverty, so Dalits should accept their position in Society. He doesn't ever talk about the Dignity of Labor of Dalits, except for yelling about how Brahmins left 90% of the occupations for Dalits, UNTOUCHABILITY is the problem not occupation. Either he should provide scientific evidence for his untouchability claims or he should conveniently shut the f*ck up. Thousands of Dalits are leaving Hindu Dharma just because of untouchability and your Nigrahacharya is endorsing it and ironically, these kinds of people conveniently blame discontent among Dalits onto Politicians, Missionaries, etc, except themselves. Hypothetically, even if Ravidas and Kabirdas ever came to meet him, he would definitely never let them in their house as they would pollute their homes. He even abused Swami Vivekananda. Swami Rambhadracharya is an intellectual who values academic thinking and almost all academicians have come to the conclusion that Uttarakanda Ramayana is an interpolation, from Prof. Camil Bulke to Prof. Rajni Raman Jha. Their evidence is based on logic and facts and you and your so-called Nigrahacharya could use only Logical Fallacies. And regarding the Sanyasa of Swami Rambhadracharya, Swamiji has not taken non-Shastric sannyasa, those disability rules concerning sannyasa can be only applicable to those who are born with disabilities not who became disabled after normal birth like Swami Rambhadracharya. He was made Vaishnavacharya by Saints who are well-versed in shastras. Do you think that he would dismantle the prestige of Swamiji, if you are thinking, then it can never be possible. His Advaita Sampradaya and perhaps yours have not been able to produce one saint from a Sudra background. And they claim to be well-wishers of Dalits ironically. Smarta Advaita Sampradaya is for the Brahmins, by the Brahmins, and of the Brahmins. They should stay away from Dalits and live their own life. I am not Swami Rambhadracharya Shisya, I am a Skeptic Hindu who values both Science and Hindu Philosophy, who only believes in facts and reason not logical fallacies.
किसी भी महात्मा के संशोधन और किसी भी पुराने अभिलेख को हनुमान चालीसा प्रेमी न मानें। प्रेमभाव से पाठ जारी रखें जो कंठस्थ कर लिया है। हनुमानजी सर्वव्यापक हैं वो व्याकरण और तुकबंदी नहीं देखते।आज के ज्यादातर साधु-संत अपना मंतव्य थोप रहे हैं जिनको सुनने पर भावभंग होता है।भाषा पीछे भाव आगे है।हर हर महादेव।
आपका विवेचन विचार करने को प्रोत्साहित करता है. हम १२ वर्ष की आयु से नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मेरे मन मे ये प्रश्न है "जो सत बार पाठ कर कोई" मे आने वाला शब्द सत का अर्थ ७ है या १०० बार है? कृपया इसे बताये . धन्यवाद!!!
हमारे लिए वही सही है जो हम आज तक सुनते आए क्योंकि इसमें हमारे भगवान भी प्रसन्न है क्यू कि भगवान भाव देखते है शन्द नही फिर तो जो सुंदर काण्ड मे ढोल गवार वाली है उसके बारे में भ भी एसा कुछ है क्या
मिश्रा जी सादर नमस्कार । यहाँ एक सूक्ष्म बात आप मिस कर गए । आपने सिद्ध तो कर दिया कि सारे पाठभेद किसी न किसी "शाखा" में समर्थित हैं, किन्तु सभी भिन्न भिन्न शाखाएँ भी तो हैं । अतः प्रचलित पाठ अपने आप में एक शाखा बनाता है, जिसका संशोधन सम्भव नहीं । ठीक वैसे ही जैसे एक शब्द आधा पाणिनि के व्याकरण से और आधा कात्यायन (कच्चायन) के व्याकरण से सिद्ध हो जाने पर किसी भी भाषा का शब्द सिद्ध नहीं होता, न संस्कृत का न पालि का । दूसरी बात ये है कि जिसके द्वारा पत्थर पर उकेरवाया गया है वो गोरखपुर के एक महाशय प्रतीत होते हैं, जाहिर है उन्होंने अपनी परम्परा ("शाखा") का निर्वहन किया । और ताज शब्द उर्दू का है, मूलपाठ में होना अयुक्त बैठता है, भले ही कुछ उर्दू शब्द संतप्रवर की रचनाओं में मिलते हैं । क्योंकि दो शाखाएँ क्रमशः उर्दू और संस्कृत पाठ वाली उपलब्ध हैं तो निर्णय संस्कृत के पक्ष में ही जाएगा ।
Vo swyam hi h jaise unka anshavataar usko bhi swyam hi maana jaata h varna shiv ji Hanumanji ke pita kaise ho sakte h Hanumanji Pawan Putra h isliye Shankar swyam h
❤ sat sat pranam
जैसी चर्चा एक विद्वान से अपेक्षित है, वह यह है।
आप जैसे मूर्खो पर बलिहारी है😂
... सदैव पूर्णतः प्रमाणित चर्चा ही होती हैं।
@@ramjigupta5416 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
F
मैं बेंगलुरु से हूं। तुलु मेरी मात्ऋ भाषा हैं। मैं शुद्ध हिंदी के लिए आपको सुनती हूं। आपकी भाषा कानों को बहुत अच्छी लगती है। मुझे लगता है कि दक्षिणी भाषाओं में बहुत सारे सामान्य शब्द हैं शुद्ध हिंदी से। यदि हर कोई आपकी तरह हिंदी बोलते तो एक दूसरे की भाषा सीखना तनिक सरल होता। 🙏🙂
बहुत सही बात कही आपने। इस्लाम ने उर्दू का बहुत प्रचार किया। आज यह काम बॉलीवुड कर रहा है। जिसे शुद्ध हिंदी आती है वह संस्कृत सीख सकता है। और दक्षिण भाषाएं भी सीख सकता है🚩🙏
@@pahadi1500 भांडवुड में म्लेच्छ बहुत संख्या में रहे हैं सदैव
Nityananda Misra might be good at Hindi language but his Guru Swami Rambhadrachrya is a repeat offender. He blames Adi Shankaracharya for his statement (द्वारं किमेकं नरकस्य नारी) which is actually menat for Sanyasi and Brahmcharis. His most controversial statement is प्रक्षिप्तवाद (interpolation) of Uttar Kand of Valmiki Ramayan and Gopi Vastra Haran. Swami Raghvacharya has also refuted this instance ( ruclips.net/video/p9bLMhnv21k/видео.html ). Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru has made several videos (ruclips.net/p/PL_UOyP4N1Lteu1oUDuHf91pBBCQDmkZ1L) regarding Anti Shastras statements of Swami Rambhadracharya
The battle for assertion of one's language, both spoken and written forms the first soft-line of defence to divide the country and probably the last to fade away after the division ceases to exist.
@@rupamraj9066 भाई उत्तर रामायण प्रक्षिप्त है।
बहुत बहुत आभार । अग्निसूक्त की व्याख्या करने के लिए । आपकी विद्वता को प्रणाम् ।
जय श्रीराम जय बजरंग बली 🚩🚩🚩🕉️🙏🙏🙏🌹🌹
Gyanvardhak jankari di aapne very nice
संदेह/भ्रांति दूर करने के लिए आभार 🙏
1950-60 के बाल्यकाल में जो सीखा, वही आज भी कंठस्थ है. दो त्रुटियां हैं जो ठीक करनी पड़ी हैं.
लगभग 20:50 पर उद्धृत कालिदास का श्लोक, निश्चय ही मूढता से बचने में मार्गदर्शन करेगा.
क्या ही अच्छा हो कि यह लिपिबद्ध कर सकें.
धन्यवाद .
मिश्र जी,
चलचित्र में उद्धृत कालिदास के श्लोक को व्याख्या सहित लिपिबद्ध करने हेतु अनुरोध किया था ताकि आप की बात ज्यों-की-त्यों अन्य लोगों तक पहुँचाई जा सके.
Dear Nityanandji, an excellent indepth description as always... many thanks. Your discussion also helps to learn many new things related to Sanskrit ...
नित्यानंद जी आप बड़े ज्ञानी तथा बुद्धिजीवी हैं। किसी भी बात का प्रमाण बताने में आप बहुत प्रवीण है।
अद्भुत ज्ञानवर्धन। आपने हमारे ज्ञानचक्षु खोल दिए। धन्यवाद।
Mai to Geeta press gorakhpur ko he authentic manta hu. Jiski stapna Pujye shri Hanuman Prasad Poddar ji aur Jay dayal goyandka ji jese mahan bhakto dwara hui aur jinke kaaran aaj ghar ghar mey Bhagwat Geeta, Ramcharitmanas aur Hanuman chalisa jesi pustakey hai🙏🙏🙏
@Maruti Vega mera ye matlab nahi tha. Aur kisne kaha Bhagwan shankar khud avtaar nahi lete? Adi guru Shankracharye ji ka naam suna hai? Wo swayam Bhagwan shankar ka he avtaar thay. Wo naa hote to Bharat se Sanatan dharam kabka mit chuka hota. Unhone aa kar Bhodh dharam ke prabhav ko kam kar diya aur fir se sanatan Dharm ko sashakt banaya.
Saari purani lipiyon me shankar suvan hi likha gya hai . 1837 ki lippi me bhi shankar suvan hi likha gya hai . 1628 ki lippi me bhi shankar suvan hi likha gya hai . Kevan 1940 aur 1966 me shankar swayam likha gya hai
क्या आप इन सबका लिंक दे सकते हैं?
अति उत्तम प्रयास, शत शत प्रणाम
पण्डित जी आपने बहुत ही सारगर्भित, शास्त्रीय और शालीन बिधि से विवेचन किया है।आप सनातन धर्म और संस्कृति की पूँजी हैं। ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे।जगद्गुरू राम भद्राचार्य जी भी परम् पूजनीय सन्त हैं, उनकी भी कोई बात मनमानी नहीं हो सकती। मगर मैं तो उसी पाठ को मानूँगा जो बाल्यकाल से सीखा है।
आपकी प्रशंसा करता हूं इतना अनुसंधान के लिए
भईया नमो राघवाए बहोत से youtuber गुरुजी के बारे मे उलट सुलट बोल रहे है । आप बहोत धन्यवाद आपने सबको सही बात बताई
Bro! Ignore them. They are just jealous freaks. Swami Rambhadracharya is an excellent scholar who values academic and reasonable thinking and those freaks are jealous of Swamiji because Swamiji openly denounces the practice of untouchability and treats all Hindus equally. Those who give logical fallacies to prove their arguments are more likely to use ad hominem, attacking the person rather than the Claim.
साधु सोभनीय समीक्ष्ण। नित्यानंदजी धन्य हैं। परआलोचना व विवाद को त्यज, इस ही प्रकार के विवेचन अभीष्ट हैं।
हरि ॐ।
Very polite and logical presentation leaves no disputes.
भगवान ब्रह्मा ने रामावतार के साथ सभी देवों को वानर योनि में जन्म लेने के लिए आदेश दिया था और स्वयं जामवंत के रूप में तथा शंकरजी एकादश रूद्रावतार हनुमान जी की भूमिका में हैं।इसी तरह बाली सुग्रीव नल नील आदि के वारे में भी इंद्र सूर्य विश्वकर्मा आदि। सीता द्वारा हनुमान जी को बरदान देते समय भी करहु सदा रघुनायक छोहू।अजर अमर गुननिधि सुत होहू। बहुत सुंदर विवेचन है। धन्यवाद
अति उत्तम जेष्ठ भ्राता 🙏नमो राघवाय श्री सीताराम 🙏
यह चलचित्र के श्रवणसे बहुत संतोष मिला। आभार।
प्रभु जी 👑 हिंदी 🙌 Logic, reasoning, respectful 🙏🙏🙏💐
Jai Shree Ram 🙏 Thanks for uploading this video which brings forth proper textual content of Shri Hanuman Chalisa 🙏🙏
सब-कुछ स्पष्ट हो गया है। अल्पज्ञ को इसपर बहस नहीं करना चाहिए। सनातन धर्म के परम विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य जी ने जो कहा हैं वह पूर्णतः सत्य है। नित्यानंद जी ने चलचित्र में अनेकों साक्ष्यों को दिखा दिया हैं। अब भी जो ना माने उसे मैं क्या कहूं?
परमपूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी को शत् शत् नमन 🙏🏻
हिंदीं एवं संस्कृत भाषा के विद्वान श्री नित्यानंद मिश्र जी को सादर नमन 🙏🏻
अति सुंदर चर्चा! अभिनन्दन! साधुवाद! 🙏🙏
Jai Shree Raam.
Bahut Bahut Dhanyawad
बजरंग बाण में भी शंकर सुवन वीर हनुमंता वाक्य आया है अतः आप मूल स्वरूप को भी मान सकते हैं।
वैसे कोई भी पाठ करें दोनों के हो समान लाभ हैं।
गीता प्रेस अति प्राचीन है शिलालेख से भी ज्यादा प्राचीन। मैं तो गीता प्रेस को ही प्रमाणिक मान रहा हूं। मूल लेखक ने क्या लिखा ये सबसे महत्वपूर्ण बाद में कोई भी अपने हिसाब से edit कर सकता है। प्रेम चंद ने जो लिखा उसमें कोई भी संशोधन कर सकता है लेकिन मौलिक तो प्रेमचंद का ही होगा
गुरु राम भद्राचार्य जी को सादर नमन
जय श्री कृष्ण नित्यानद जी
I used to love talking like in Mahabharatha and Ramayana even as a kid. Would use किन्तु परंतु with my north indian friends in school, but it was a comedy for them. Hence, stopped speaking🙄 I hope your videos become more popular and your hindi becomes colloquial 🙏
North Indians speak nowadays Urdu , you don't have to be ashamed Hindi is sanskritised. And that is how it should be accepted
Nityananda ji 🙏 for very Rational and decent Analysis.
जय श्री राम् ।
जय श्री कृष्णा गुरुजी 🙏🙏🙏
Dhanywad Nityananda Ji
अति सुन्दर!
Jai shree Sita Ram Hanuman 🙏🙏🙏🙏🙏🎉 🇮🇳🎉 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Shri Ram
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
फिर तो इस में भी स्वयं करना।
मान्यवर सादर नमस्कार जय हो
बिल्कुल सही कहा आपने
सही पंक्ति
शंकर स्वयं कैसरी नंदन ही हो सकता हे
शंकर सुवन केशरी नंदन हो ही नही सकता
पाठ भेद स्वाभाविक है ।महात्मा तुलसी ने
जिन शब्दो को उल्लिखित किया होगा उन
शब्दो मे अब तक कितनी वार पाठ भेद हो
गया होगा इस संबंध मे कोई भी निश्चित रूप
से नही कह सकता।
धन्यवाद श्रीमान! अपने बहुत सुन्दर एवं सरल भाषा में अपने विचार रखे | हनुमान चालीसा में जो " जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥" का हम पाठ करते हैं, कुछ लोगों का कथन है कि यह मूल पाठ में नहीं है और बाद में किसी ने जोड़ा है | परन्तु यही बात हनुमानाष्टक में भी मिलती है "बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो" | मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस सम्बन्ध में भी उचित मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा करें | |
भ्रम निवारण हेतु हार्दिक आभार।
🙏 🙏
🙏🚩जय श्री राम 🚩🙏
बहुत ही सुंदर
Jay shree ram
आप खुब सही, समय अनुकूल बात रखी 🙏
Salute u ... विद्वान
हमेशा से संकर सुवन ही है वही सही है...अगर आपको लगता है की वो प्रिंट मिस्टेक है तो फिर बजरंग बाण में भी एक जगह संकर सुवन कहा गया है तो आप कहेंगे वहां भी प्रिंटिंग मिस्टेक हुई है ऐसा नहीं है प्रभु..हनुमान गड़ी में लिखा हुआ ज्यादा पुराना नहीं है 1966 का ही है गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी..ऐसे बहुत से प्रमाण आपको दे सकता हू...
🙏
Such an incredible gentleman.... महोदय, आपके लालन पालन का क्या रहस्य है??
Poorva Karma
बहुत सही कहा। जय सिया राम लखन हनुमान
Jai Shri Ram🙏
क्या "ॐ नमः शिवाय" को छोड़कर "श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" को अपनाना धार्मिक दृष्टि से सही है?
Amazing analysis and hardwork...
sir ji jai shree Ram , apka bahut bahut dhanyawad sare sandeh clear karne ke liye .
kripa kar ke ye bhi clear kro ki Bajrang ban mei bhi sankar swaym hi sahi rahega.
It is really laudable that you are taking so much efforts to dig out sources and explain even the pettiest of the things. Nothing offensive in my statement as it is a pity that the present generation is not even aware of the pāṭhabhēda we find in our purāṇic traditions. You must encourage your followers for swādhyāya than spoon feeding.
🕉 NamahShivay 🕉
नमो राघवाय 🙏
परम पूज्य गुरुदेव स्वामी श्री #रामभद्राचार्य जी महाराज के द्वारा श्री हनुमान चालीसा में जिन शब्दों की त्रुटी बताई गई है उन शब्दों को संशोधित कर प्रसिद्ध। #ghazal एवम् #bhajan #singer Jaswant Singh Ji के द्वारा सभी हनुमान भक्तों के लिए यह सुंदर प्रस्तुति हनुमान जी महाराज के श्री चरणों में प्रस्तुत की गई है, आप भी अवश्य श्रवण करे।🙏🪔🙏
Hanuman Chalisa | हनुमान चालीसा का संशोधित पाठ | As Suggested By #Swami #rambhadracharya ji Maharaj
Want to listen Complete #hanumanchalisa please Click below 👇🏻 Link
ruclips.net/video/nN_iK8LwlGk/видео.html
Nityanand ji Mera prayas hai Bataiyega ga aapko kaisa laga.
Samar Mandloi TathastuIndia is My YT channel. 🙏
महाजनो येन गतः स पन्था
I started chanting according to Sri Ram Bhadrachrya Ji's correction but got a bit confused of different types of opinions. Now my confusions are cleared. Aapko hriday se Dhanyawad.🙏🙏🙏
अति उत्कृष्ट
जय जय श्री हनुमान 💐🚩🙏
Apne sab clear kar diya. 👍👍👍
Just chant any with faith. Forget everything else.
शङ्कर स्वयं केसरी नन्दन। यह तो कुछ युक्ति संगत लगता है। बाकी आप की गुरुभक्ति है। लाखों स्थानों पर लाखों प्रतियों को छोड़कर चन्द प्रतियों का अनुकरण आपकी गुरुभक्ति मात्र है। बाकी जिसके गुरुगोविन्द जो आदेश करें वही श्रेयस्कर है।
साधुवाद 🙏🏽
bahut sundar 👏👏👏👏
Well researched, Sir. A good presentation. You are very clear and lucid.
हर हर महादेव! शंकर स्वयं कभी नहीं होगा क्योंकि विश्वास घात का असर होगा! हनुमान जी ग्यारहवां रूद्र है जिस रूप में पूजा स्वीकार नहीं किया था !
आप अनुसंधान कर जो व्याख्या की है, सराहनीय है
सादर प्रणाम।सुना है बजरंग बाण में सुवन पाठ है।
बहुत सुंदर 🎉🎉🎉
Shriman ji bajrang baan me bhi Shankar suvan likha hai yadi aap iske upar bhi thoda bataen
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
Atisundar.
नित्यानंद जी मेरा भी अभिवादन स्वीकार करें।किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोलना एक अभ्यास हो सकता है परंतु बोलने की कला के साथ-साथ जिससे या जिनसे कथन किया जा रहा है उसे / उन्हें विषय के साथ आत्मसात् कर लेना अभ्यास का परिणाम नहीं है अपितु यह एक कठिन परिश्रम है जो शोध व भगवदकृपा से ही संभव है ।🙏💐
Very very thanks Bhaiya jee
आपका धन्यवाद 🙏🚩
THIS IS A HUGE HUGE HUGE PROBLEM FOR THOSE WHO DO SADHANA OF HANUMAN JI USING HC, BECAUSE NOW A LOT ARE CONFUSED BUT PERSONALLY I THINK THE OLDER VERSION WHICH WE GREW UP LISTENING TO IS THE CORRECT ONE BECAUSE I HAVE SEEN MANY PEOPLE GETTING RESULTS BY DOING SADHANA OF THAT ONE
Regarding Hanuman Chalisa (ruclips.net/video/g403DYs9c2A/видео.html). Nigrahacharya Shri Bhagavatananda Guru has made several videos (ruclips.net/p/PL_UOyP4N1Lteu1oUDuHf91pBBCQDmkZ1L) regarding Anti Shastras statements of Swami Rambhadracharya
@@rupamraj9066 Who gave him the title of Nigrahacharya. He used ad hominem toward Swami Rambhadracharya instead of disagreeing respectfully. He supports untouchability practices toward the Dalit communities. He doesn't know how much humiliation, prejudice, untouchability, and discrimination the 35 Crores Dalits and Tribals face. He means to say that if Brahmins decided to live in poverty, so Dalits should accept their position in Society. He doesn't ever talk about the Dignity of Labor of Dalits, except for yelling about how Brahmins left 90% of the occupations for Dalits, UNTOUCHABILITY is the problem not occupation. Either he should provide scientific evidence for his untouchability claims or he should conveniently shut the f*ck up. Thousands of Dalits are leaving Hindu Dharma just because of untouchability and your Nigrahacharya is endorsing it and ironically, these kinds of people conveniently blame discontent among Dalits onto Politicians, Missionaries, etc, except themselves. Hypothetically, even if Ravidas and Kabirdas ever came to meet him, he would definitely never let them in their house as they would pollute their homes.
He even abused Swami Vivekananda. Swami Rambhadracharya is an intellectual who values academic thinking and almost all academicians have come to the conclusion that Uttarakanda Ramayana is an interpolation, from Prof. Camil Bulke to Prof. Rajni Raman Jha. Their evidence is based on logic and facts and you and your so-called Nigrahacharya could use only Logical Fallacies. And regarding the Sanyasa of Swami Rambhadracharya, Swamiji has not taken non-Shastric sannyasa, those disability rules concerning sannyasa can be only applicable to those who are born with disabilities not who became disabled after normal birth like Swami Rambhadracharya. He was made Vaishnavacharya by Saints who are well-versed in shastras. Do you think that he would dismantle the prestige of Swamiji, if you are thinking, then it can never be possible.
His Advaita Sampradaya and perhaps yours have not been able to produce one saint from a Sudra background. And they claim to be well-wishers of Dalits ironically. Smarta Advaita Sampradaya is for the Brahmins, by the Brahmins, and of the Brahmins. They should stay away from Dalits and live their own life.
I am not Swami Rambhadracharya Shisya, I am a Skeptic Hindu who values both Science and Hindu Philosophy, who only believes in facts and reason not logical fallacies.
किसी भी महात्मा के संशोधन और किसी भी पुराने अभिलेख को हनुमान चालीसा प्रेमी न मानें। प्रेमभाव से पाठ जारी रखें जो कंठस्थ कर
लिया है। हनुमानजी सर्वव्यापक हैं वो व्याकरण
और तुकबंदी नहीं देखते।आज के ज्यादातर साधु-संत अपना मंतव्य थोप रहे हैं जिनको सुनने
पर भावभंग होता है।भाषा पीछे भाव आगे है।हर हर महादेव।
प्रणाम, प्राथना है कि महिषासुर मर्दिनी strotam का भावानुवाद प्रस्तुत करें बहुत कृपा होगी।
आपका विवेचन विचार करने को प्रोत्साहित करता है. हम १२ वर्ष की आयु से नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मेरे मन मे ये प्रश्न है "जो सत बार पाठ कर कोई" मे आने वाला शब्द सत का अर्थ ७ है या १०० बार है? कृपया इसे बताये . धन्यवाद!!!
Thank you so much for the detailed explanation.🙏
तुलसी दास सदा हरी चेरा. इसमे तुलसीदास कि जगहा अपना नाम लेना सही हे क्या?
How to purchase hanuman chalisa,
Ramcharit manas and
Sunderland
Please guide 🙏
हमारे लिए वही सही है जो हम आज तक सुनते आए क्योंकि इसमें हमारे भगवान भी प्रसन्न है क्यू कि भगवान भाव देखते है शन्द नही फिर तो जो सुंदर काण्ड मे ढोल गवार वाली है उसके बारे में भ भी एसा कुछ है क्या
आपके द्वारा बताई गई पुस्तके मिल सकती है यदि हां तो कहां पर
मिश्रा जी सादर नमस्कार । यहाँ एक सूक्ष्म बात आप मिस कर गए । आपने सिद्ध तो कर दिया कि सारे पाठभेद किसी न किसी "शाखा" में समर्थित हैं, किन्तु सभी भिन्न भिन्न शाखाएँ भी तो हैं । अतः प्रचलित पाठ अपने आप में एक शाखा बनाता है, जिसका संशोधन सम्भव नहीं । ठीक वैसे ही जैसे एक शब्द आधा पाणिनि के व्याकरण से और आधा कात्यायन (कच्चायन) के व्याकरण से सिद्ध हो जाने पर किसी भी भाषा का शब्द सिद्ध नहीं होता, न संस्कृत का न पालि का । दूसरी बात ये है कि जिसके द्वारा पत्थर पर उकेरवाया गया है वो गोरखपुर के एक महाशय प्रतीत होते हैं, जाहिर है उन्होंने अपनी परम्परा ("शाखा") का निर्वहन किया । और ताज शब्द उर्दू का है, मूलपाठ में होना अयुक्त बैठता है, भले ही कुछ उर्दू शब्द संतप्रवर की रचनाओं में मिलते हैं । क्योंकि दो शाखाएँ क्रमशः उर्दू और संस्कृत पाठ वाली उपलब्ध हैं तो निर्णय संस्कृत के पक्ष में ही जाएगा ।
अथ धृतावकाशोऽस्मीति ।
धृतः ।
अवकाशः ।
रक्षति बुक्कनकारिभ्यः ।
Excellent explanation
Jai Shri krishna from raghav Verma KARNAL
इस किताब का क्या कोई ऑनलाइन लिंक दे सकता है
देवाधिदेव आदि देव महादेव केसरी नंदन कैसे हो सकते जो शंकर स्वयं केसरी नंदन से अभिप्राय दृष्टिगत भ्रमगति है।
Vo swyam hi h jaise unka anshavataar usko bhi swyam hi maana jaata h varna shiv ji Hanumanji ke pita kaise ho sakte h Hanumanji Pawan Putra h isliye Shankar swyam h
Vai, gita press ka hanuman aank book aapka pass hya?
श्रीमान, मैं बड़ौदा से हूं।महावीर टीका हनुमान चालीसा का पुस्तक कहा से प्राप्त किया जा सकता हैं।
I want to write that kalidas shlok with meaning. And i will stick that for my students , in my class room
Kal ka jogi kaha se aise mudh vidharami gayan batane
मुझे एक original श्री रामायण जी की प्रति चाहिए। आपसे आग्रह है प्रत्युत्तर करें श्रीमान 🙏🙏🙏
बजरंग बाणमें शंकर सुवन आयाहे इसको क्या करें
Sir read your book mahavira ..really loved reading it
Aapka prabhu shri Ram kaise dikhte the varnan suna aur mai vaisi painting bana raha hu..kya mujhe aur details milenge..baal,kapde,braselet,chappal etc...
Sir, great job. Thanks. I wanted to know the meaning remains the same, or does it differ a lot? 🙏
श्रीमान नित्यानंद जी, श्रीमान नीलेश ओक द्वारा रामायण तथा महाभारत किए गए शोध के विषय में आपकी क्या प्रतिक्रिया है.