💐💐सातूं-आठू लोकपर्व गीत।।💐💐 गमरा का गीत।। बहुत सुंदर भजन👌🏻

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  • Опубликовано: 9 окт 2024
  • गौरा-महेश की पूजा का लोक पर्व सातूं -आठू करीब है। भाद्रपद यानी भादो मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी व अष्टमी को इसे मनाया जाता है। इस बार 29 अगस्त को सातूं व 30 अगस्त को आठू पर्व मनाया जाएगा। कहा जाता है कि सप्तमी को मां गौरा ससुराल से रूठकर अपने मायके आ जाती हैं, उन्हें लेने के लिए अष्टमी को भगवान महेश यानी शिव आते हैं।
    सातूं-आठू में सप्तमी के दिन मां गौरा व अष्टमी को भगवान शिव की मूर्ति बनाई जाती है। मूर्ति बनाने के लिए मक्का, तिल, बाजार आदि के पौधे का प्रयोग होता है। जिन्हें सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं। विधि अनुसार पूजन किया जाता है। झोड़ा-चाचरी गाते हुए गौरा-महेश के प्रतीकों को खूब नचाया जाता है। महिलाएं दोनों दिन उपवास रखती हैं। अष्टमी की सुबह गौरा-महेश को बिरुड़ चढ़ाए जाते हैं। प्रसाद स्वरूप इसे सभी में बांटा जाता है और गीत गाते हुए मां गौरा को ससुराल के लिए बिना किया जाता है। मूर्तियों को स्थानीय मंदिर या नौले (प्राकृतिक जल स्रोत) के पास विसर्जित किया जाता है। कुछ जगहों पर दो से तीन दिन बाद भी इसे विसर्जित किया जाता है।

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