POWERFUL MANTRA-महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - Mahishasura Mardini Stotram
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- Опубликовано: 21 янв 2025
- महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् (Mahishasuramardini Stotram) देवी दुर्गा की स्तुति में रचित एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है। इसे आदि शंकराचार्य ने रचा था। यह स्तोत्र महिषासुर का वध करने वाली माँ दुर्गा की वीरता, करुणा और महिमा का वर्णन करता है। इसका पाठ न केवल शक्ति का आह्वान करता है, बल्कि मन और आत्मा को शांति भी प्रदान करता है।
यहाँ इसका प्रारंभिक भाग प्रस्तुत है:
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥
अर्थ:
अयि गिरिनन्दिनि: हे पर्वतराज की पुत्री!
नन्दितमेदिनि: आप पृथ्वी को आनंदित करती हैं।
विश्वविनोदिनि: आप पूरे संसार का मनोरंजन करती हैं।
नन्दिनुते: नंदी द्वारा पूजित हैं।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि: आप पर्वतों के राजा विंध्य के शिखर पर निवास करती हैं।
विष्णुविलासिनि: आप विष्णु के विलास का कारण हैं।
जिष्णुनुते: आप विजेता देवताओं द्वारा वंदित हैं।
यह स्तोत्र माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके साहस, करुणा और शक्ति का वर्णन करता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार की शक्ति प्राप्त होती है।