@@omkarparadkar आत्मा अल्पज्ञ है इसलिए साध्य को पाने के लिए उसे शरीर रूपी साधन की जरूरत है जबकि ईश्वर सर्वज्ञ है उसे अपने कार्य करने के लिए किसी की जरूरत ही नहीं है तो यदि उसे पापियों को दंड देने के लिए अवतार लेना पड़े तो वो सर्व शक्तिमान कहां रहा ???प्रश्न तो पोराणिको पर उठता है उल्टे आर्य समाज पर उठा रहे है ????????😂😄😄
@@JagJitSingh-ty2pdसही बात है और क्या ईश्वर अनंत है वह तो और कई ईश्वर भी बना सकता है, शैतान बना सकता है और जो चाहे हर सकता है। और अगर चमत्कार न करे तो कैसा ईश्वर??😅😅😅😅😅😅😅 क्या तर्क है बुद्धि हीन पौराणिको का।
आर्य समाज के प्रति पंडित मदन मोहन मालवीय जी के विचार। आर्यसमाज दौड़ता रहेगा तो हिन्दू समाज चलता रहेगा। आर्यसमाज चलता रहेगा, तो हिन्दू समाज बैठ जायेगा। आर्य समाज बैठ जायेगा तो हिन्दू समाज सो जायेगा। यदि आर्यसमाज सो गया तो हिन्दू समाज मर जायेगा। - पंडित मदन मोहन मालवीय #dayanand200 #दयानंद200 #maharshidayanand #aryasamaj #dayanandsaraswati #आर्यसमाज
जब आर्यसमाज जितने भी है उनका गर्भ में प्रवेश भी नहीं हुआ था ............उससे पहले कौन हिन्दूँ समाज को जगाएँ रखा .........लाखो वर्षो तक ? वेसे तो हिन्दू शब्द को तुम गालि मानते हो .........अपने फायदे के लिये उसका उपयोग करते हो गजब हो
आपको बुरा नहीं लगना चाहिए परन्तु एक बात अटल सत्य है जो कि आपको भी समझनी और माननी पड़ेगी और वो यह कि "आर्य समाज" हिंदू मान्यता और सभ्यता या यूँ कहे कि सनातन धर्म का सबसे छोटा बच्चा है। जैसे पहले बौद्ध, जैन उसके बाद यहूदी, इसाई, इस्लाम, सिख आदि 👍🏻 इस बात पर न क्रोधित होइये न ही विचलित पर विचारशील अवश्य होना। 🙏🏻 ऊपर लिखे हुए समुदायों के नाम को देखकर शंकित मत होइये ये बात एकदम सत्य है कि ये सब सनातन के पुत्र ही है, परन्तु अब वो सनातन की बुराई करते हैं ये बात यह संकेत देती है कि इनका अंत निश्चित ही शीघ्र ही होगा। आपको राम राम 🙏🏻🚩🙏🏻
श्रीमान जी, जय श्री राम जी, संकोच मत करें, मैं आर्य समाज का अनुयायी हूँ, और क्योंकि आर्य समाज के सिद्धांत अच्छी प्रकार समझ चुका हूँ इसलिए एक महा पुरुष पं० मदनमोहन मालवीय जी के विचार प्रेषित कर दिये, इससे आपको ईर्ष्या का भाव न होना चाहिए। 'सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है। आर्य समाज कोई जाति, धर्म या सम्प्रदाय नहीं है, आर्य समाज के अनुयायी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी व योगी राज श्री कृष्ण जी को अपना पूर्वज मानते हैं वैसे ही जो आर्य समाज के अनुयायी नहीं भी है। मैं तो कहता हूँ कि भाई आप भी आर्य समाज के सिद्धांत और नियमों को जानेगे और चिंतन करोगे तो आप भी महॠषि देव दयानंद सरस्वती जी के प्रशंसक हो जाओगे, कृपया आर्य समाज का इतिहास अच्छे से जानें फिर आर्य समाज के अनुयायीयों के संदेशों पर टिप्पणी करें । हम सब सनातन वैदिक धर्म को ही मानने वाले हैं, हम सब भाई हैं, हम सबको अपने ज्ञान का विस्तार तो करना चाहिए पर विरोध की भावना नहीं । कहीं विधर्मी हमारे विचारों को विवाद में बदल कर हमें दुशमन न बना दें, जैसा की भारत के इतिहास में दिखाई देता है । स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें ।
श्री कर पटरी घोर जाति वादी था, इस पौराणिक महापुरुष ने दलितों के काशी मंदिर ने प्रवेश का विरोध किया और मंदिर के बाहर एक स्थान निर्माण से ही उन्हें दर्शन का प्रस्ताव दिया। यह उनके सभी तथाकथित सत्कर्म और चिंतन का मूल इनकी शंकर परंपरा से ही आता है तो मूलत जाति को पोषित और पोषित करती है। कदाचित इसे कार पत्री महाराज का न पता था की वर्तमान में स्थित काशी मंदिर जा निर्माण माता अहिल्या बाई होलकर ने कराया था जो इन पौराणिक के अनुसार शूद्र थी और स्वर्ण दान एक सिख महाराजा रणजीत सिंह ने किया था वे भी इनके अनुसार चंडाल थे। पौराणिक हिंदू धर्म का कुष्ठ हैं वैदिक बने।
प्रकाश आर्य जी ने सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत सही दिए हैं, प्रश्नकर्ता अनावश्यक रूप से कुतर्क कर रहा है. एक ही बात को बार बार कहे जा रहा, किसी भी तरह आर्य समाज को गलत ठहराना है। 😅
😂😂😂 आर्य समाज और मोक्ष ये दो शब्द कभी साथ नही आते । इसलिए उन्होंने मोक्ष का अर्थ ही बदल दिया स्वर्ग को मोक्ष कह दिया कि कुछ हजार वर्षो बाद पुन जन्म लेना होगा 😂😂😂😂😂😂
प्रकाश आर्य सही कह रहे है यह तिलकधारी घनचक्कर आर्य समाज का निदंक है आत्मा शब्द के साथ परम शब्द जोड़ा जाता है तो यह 2अक्षरौ की सन्धि है परम हटा दें तो विच्छेद है और जीव जोड़ दे तो सन्धि जीवात्मा जीव हटा दे तो आत्मा तो परम और जीव शब्द विशेषण है।जीव एक देशीय अल्पज्ञ है परमात्मा सर्व व्यापक जो सर्व ब्यापक है वो उसका आना और जाना कैसे होगा।
यह तिलकधारी घंटा बजाने वाला लोगों को उल्लू बनाने के लिए यह आर्य समाज में आता है और कुतर्क की बातें करता है और इसकी जो बेवकूफ सब्सक्राइबर हैं वह उसे देखकर बड़ा ही खुश इन लोगों को कुछ नहीं मालूम है यह बेवजह गलियां बनते हैं यह लोगों ने परमात्मा को एक देश यह मान लिया है इन लोगों ने कभी वेद का एक मंत्र नहीं पड़ा है और जब जो आर्य समाज वेद के मंत्र पढ़ते हैं और वह परमात्मा के बारे में वर्णन करते हैं तो यह क्योंकि वेद के बारे में एक अक्षर नहीं जानते हैं तो यह उसका उपवास करते हैं क्योंकि इन्होंने टीवी नाटको में जो किरदार अच्छी हैं उन्हें किरदारों के अनुसार यह भगवान को वैसे ही मानते हैं उनके अनुसार भगवान अगर यह तिलकधारी बोल रहा है तो श्री कृष्ण भगवान इस जमीन इस धरती पर उन्होंने परमात्मा के रूप में जन्म लिया था तो वह क्या रासलीला रचाने की आए थे वह क्या चूड़ी बेचने के लिए आए थे वह क्या माखन चोरी करने के लिए आए थे वह क्या जो हैअपने आए थे वह यदि श्री कृष्ण भगवान थे तो महाभारत का जब युद्ध हुआ था तो श्री कृष्ण भगवान होते हैं वह 1 सेकंड में महाभारत का युद्ध को खत्म कर देते लेकिन इस तिलकधारी लोगों की जब यह पूछा जाएगा तो यह तिलकधारी लंगोटा धारी अपने सब्सक्राइबर को मूर्ख को खुश करने के लिए बोल देगा कि भगवान भी एक नियम से बंद कर आए थे तो यह नियम उतना बाद में कहा गया जब वह पटना बड़ी सी राक्षसी आई और श्री कृष्ण भगवान की है तो उसके स्तनों को अपने मुंह से काट लिया था तब वह श्री कृष्णा अलग थी और यह श्री कृष्णा अलग से श्री कृष्ण ज्ञान नहीं देने पहुंचे श्री कृष्णा उसने जो लीला दिखाई थी वही लीला वह महाभारत के युद्ध में भी दिखा सकते थे इस लीला के आधार पर श्री कृष्णा चाहते तो अपने चक्र से संपूर्ण कौरवों का सर्वनाश कर देते उनको क्या जरूरत पड़ी थी गीता का ज्ञान देने की वह चाहते तो अर्जुन को जो है वह 1 सेकंड में अर्जुन का डिप्रेशन दूर कर देते
शिवांशु जी! बातों को जानना समझना आपका प्रयोजन बिल्कुल भी प्रकट नहीं हो रहा...केवल अपने कुतर्कों द्वारा अपनी पूर्वधारणाओं को सिद्ध करने का असफल प्रयास आप कर रहे हैं...सत्य को ग्रहण करने व असत्य को त्यागने के लिए हमेशा उद्यत रहें और अपने मानव-जीवन को सफल करें।...एक बात और... श्री प्रकाश आर्य जी ने बङे ही धैर्य और विनम्रता से आपको सभी शंकाओं का समाधान किया है। आप उसका कितना लाभ उठा पाए, नहीं पता परन्तु हमें बहुत लाभ मिला है। धन्यवाद श्री प्रकाश आर्य जी🙏
शिवांश भाई मुझे एक बात ये समझ नहीं आती ये लोग प्रश्न को समझना नहीं चाहते हैं या ये लोग सिर्फ अपने सिद्धांतों को थोपना चाहते हैं लोगों पर वेद के माध्यम से 🤔🤔🤔
इनको सब समझ में आता हैं किन्तु सच-झूठ समझने के पश्चात् भी सच को सच और झूठ को झूठ स्वीकार नहीं करना हैं ।। यह अनार्य नमाज़ी महाकपटी , महादुष्ट और महाधूर्त हैं ।।
जिस प्रकार भारतीय संविधान में कई बार संशोधन हो चुका हैं और आगे भी होगा या होता रहता हैं , ठीक उसी प्रकार सत्यार्थ प्रकाश यानी असत्यार्थ अन्धकार में भी कई बार संशोधन हो चुका हैं ।। इसी से स्पष्टरूप से सिद्ध हो जाता हैं कि इनका कोई सिद्धान्त नहीं हैं ।।
34:00 आर्यसमाज के विद्वान --------शंकराचार्य जी ने(परा पूजा) ये लिखा है🙂 सनातनी-----------शंकराचार्य जी ने तो भज गोविंदम भी लिखा है और उनके अन्य ग्रंथ भी है😊 आर्यसमाजी -----------आपका ये तर्क गलत है मैं नहीं मानूंगा 🤫
🙏 ❤️❤️🙏🏻🙏🌺 नमन शंकराचार्य जी को।🙏 यति महाराज जी को नमन। 🙏🏽 निग्रहाचार्य जी को नमन। 🙏🏽 #रामागौ #राष्ट्रमाता_गौमाता #गौ_गठबंधन #Save_Gaumata #FreeTemples #SeeUnderCar शिवमयी शुभदिवस #RudrTheShiv ओम हर हर महादेव जय माँ 🙏🏽🔱🚩💐
@@yogeshdesai5999 jab goloka Jake muzra hi karna hai abrahmic kutte to yaha kya kar iskcondi chandiya tu to goloka jaega na bhadwe ticket le lar choloka 🎟 🤡🤡
आर्य समाज के विद्वान से जाकर बात करनी चाहिए ऐसे ऐसे साधारण सज्जनों के पास ना जाइये इससे ज्ञात होता है आपको subscriber चाहिए साथ ही आप समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं
शिवांश जी दुनिया के अंतिम आर्यसमाजी या इस्कान से भी चर्चा कर लेगें तब भी ऐसे मैसेज आते रहेगें ............. कोई कुछ बोल रहा तो कोई कुछ आर्यसमाज के सैकड़ो चैंनल है क्या वे लोग किसी विद्वान के पास जाते है क्या @patrioticpoet21june97 क्या उनको भी subscriber चाहिए क्या
@@RaviTiwari-777 तुम पहले बोलना सिखो। लगता है कि तुम्हारे मां -बाप घसकट्टे हैं। रही बात आर्य समाज की । मैं आर्य समाज का सदस्य नहीं हूं लेकिन इतना जानता हूं कि ऋषि दयानन्द सूर्य हैं और आज कल के शंकराचार्य टिमटिमाते हुए तारे।
अगर आप सच मे आर्य समाज से शास्त्रार्थ करना chahte है तो किसी विद्वान से तर्क करिये धूल चटा देंगे तुम्हे, लेकिन तुम ऐसा नही करोगे क्योंकि तुम डरपोक हो इसीलिए समान्य कार्यकर्ता से बहस करते हो,
I respect all organization that are working for Hindus to teach Dharma. If ISKCON, Arya samaj like organizations doesn't works for Hindus then millions of Hindus became a Christian, Muslim etc.. Thank you Arya samaj, ISKCON
औकात नहीं है इनकी, नवीन वेदांती है, आर्य समाज के कार्यकर्ताओ से भी उलझ जाते है, विद्वानों से शास्त्रार्थ तो दूर की बात है, इन्हें केवल सोशल मिडिया पर अपना गुरुडम और चेनल ग्रो करना है, केवल तर्कहीन, मिथ्या प्रमाणरहित बातों को करके आर्य समाज के प्रति विष घोल रहे है, हिन्दुओ में
ईश्वर सर्वशक्तिमान है इसका अर्थ यह नहीं है कि वो मूर्ख बन सकता है और अपने जैसा ईश्वर नही बना सकता है। सर्वशक्तिमान का अर्थ इतना ही है की वो अपने कार्य में किसी अन्य की सहायता नही लेता है।
Accha wahi chutiya jo brahman ko vispot krdega apni bhramcharya ki shakti se jo janam se jati maanta hai uske liye murga massa har krne vaala brahman bhi brahman rahega😂😂😂😂
1.जब आप आर्यसमाजी थे तब दिन में कितनी गालियाँ बकते थे आप 2. आपका तर्क गलत मेरा तर्क सही है 3. आपके ग्रंथ मिलावटी हमारे सभी शुद्द है .... ऐसा कितनी बार करते थे भाई आप
तुम कभी आर्य थे ही नहीं, अन्यथा कम से कम आर्य शब्द को तो जान ही जाते ! सनातन वेदों में तुम्हें आर्य ही मिलेगा, इसलिये आर्य समाज ही वास्तविक सनातन धर्म है
@@devendrashastri9221 आपने सही कहा हैं ।। वह कभी आर्य ही नहीं था अर्थात् कभी आर्य समाजी नहीं था अपितु अनार्य नमाज़ी था ।। आर्य अवश्य सनातनी होते हैं किन्तु आर्य समाजी यानी अनार्य नमाज़ी कभी सनातनी नहीं होते हैं ।।
श्रीमान आचार्य महोदय जी ईश्वर धर्म द्वैत अद्वैत त्रैतवाद विषय पर चर्चा करने के लिए हम आपको वानप्रस्थ साधक आश्रम दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात में आमंत्रित करते हैं।
इस तिलकधारी भाई को आचार्य अंकित प्रभाकर जी को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती देना चाहिए। भ्राता जी हम आपका बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन आप एक ही बात को घुमा फिरा कर कह रहे हैं। उनसे अगर आप शास्त्रार्थ नहीं कर सकते हैं। तो गौतम खट्टर जी से शास्त्रार्थ कर लीजिए। आपका सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। नमस्ते भ्राता जी।
जरुरत में ये भी लिखा था दो किलो धी से यज करना आपको शूद्र के धर जन्म नहीं दिया जाएँगा..............और 1.मिलावट पकडने की मशीन मिलेगी (नोट ये मशीन एक दिन दयानंद जी के ग्रंथो को मिलावट धोषित कर सकती है ) 2. हमारे तर्क तर्क होते है आपके तर्क कुतर्क होते है कहने का अधिकार दिया जाएँगा
@@Anadi_Anant_Narayan आप गलत हो .....ये...अधिकार केवल ....2024 में उन विदुषि जी को दिया जाता है जो गार्गी जी धोषित हुई है कुछ देर बाद ये अधिकार . इनको भी मिलेगा आज की ताजा खबर--गुप्त सूत्रों से पता चला है----आर्यसमाज अब- प्रकाश आर्य जी को अब ........अंगिरा ऋषि धोषित किया जाएँगा.
जब किसी व्यक्ति को यह लगने लगता है कि उसे सम्पूर्ण ज्ञान हो गया है, तो यही अहंकार उसके सर्वनाश का कारण बन जाता है। वह तर्क करने लगता है, ओर जिस मान्यता प्रणाली को वह मानता है उसको ही श्रेष्ठ समझता है। यदि वह तर्कवादी अहंकार को छोड़ दे, तो वह मुक्ति मार्ग पर चल सकता है। "जय श्री राम " 🙏🙏
मुस्लिम एक समय पर हिंदू थे ब्राह्मणों से विमुख होकर एक अलग पंथ बनलिये मूर्ति पूजा का खंडन करते हैं वैसे ही आर्य समाज भी मूर्ति पूजा का खंडन करते हैं🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
मुस्लिम हिन्दू से भी बड़ी मूर्ति की पूजा करता है | वह तो पत्थर को चूमता भी है और पत्थर को शैतान समझ कर मारता भी है | मूर्ति पूजा ( पाषाण पूजा) ने ही हिन्दूओं को गुलाम बनाया |
शैली दारुमयी लौही लोव्या लेख्या च सैकती । मनोमयी मणिमयी प्रतिमाष्टविधा स्मृता ।। (भागवत पुराण 11:27:12) हिंदी व्याख्या :- पत्थर की बनी , काष्ठ की बनी , धातु की बनी , मिट्टी चंदनादि की बनी , चित्रित , रेत की बनी , मन मे विचार की गई , मणियों (रत्नादि) से बनी प्रतिमा का अर्चाविग्रह आठ प्रकारों में प्रकट होना बताया गया है ।।
ये धर्म के ठेकेदार पहले परमात्मा का जन्म कराएंगे फिर कई तरह से उस पर विवेचना कर करके अपना ज्ञान दिखाकर धन कमाने का धंधा बनाएंगे। आज तक यही किया है और इन सबकी पोल आर्य समाज ने खोलने का काम किया है।
Arya namazi musalmano ki nazyaz aulaad hai........Apne mangadhant ishwar ko anant samarthwan kehna band karo.......vo apne icchaanusar avtar nahi le Sakta......... ishwar vo hota jiske liye kuchh bhi impossible nahi jo jo tum kalpana kar sakte ho vo ishwar kar sakta hai isiliye vo anant samarthyawan hai.......jisper sakta hai ya sakti hai ka sawal hi nahi uth sakta.......aur agar tumhara pratipadit ishwar sarvavyapi hote huwe bhi prakat nahi ho sakta to vo ishwar ke naam kalank hai.......aur accept Karo ki tumhara Ishwar ki shaktiya simit hai vo sarvashaktiman nahi hai 😂😂😂
*‘सर्वतन्त्र सिद्धान्त’* अर्थात् *‘साम्राज्य-सार्वजनिक धर्म’* जिसको सदा से सब मानते आये, मानते हैं और मानेंगे भी। इसीलिये *इसको ‘सनातन’=नित्यधर्म कहते हैं कि जिसका विरोधी कोई भी न हो सके।* यदि अविद्यायुक्त जन अथवा किसी मत-वाले के भरमाये हुये उसको अन्यथा जानें वा मानें, उसका स्वीकार कोई भी बुद्धिमान् नहीं करते, किन्तु *जिसको आप्त अर्थात् सत्यमानी, सत्यवादी, सत्यकारी, परोपकारक, पक्षपातरहित विद्वान् मानते हैं, वही सबको मन्तव्य और जिसको नहीं मानते, वह अमन्तव्य होने से प्रमाण के योग्य नहीं होता।* अब जो *वेदादि सत्यशास्त्र* और ब्रह्मा से लेकर जैमिनि मुनि पर्यन्तों के माने हुए ईश्वरादि पदार्थ, जिनको कि मैं मानता हूँ, सब सज्जन महाशयों के सामने प्रकाशित करता हूँ। *‘सर्वतन्त्र सिद्धान्त’* chat.whatsapp.com/Hk1VY1PiTowKpmASLrRUG7 youtube.com/@sarvatantrasiddhanta जीवन में यदि एक पुस्तक पढ़कर सारी जानकारी प्राप्त करना चाहें तो निश्चित रूप से इस पुस्तक का स्वाध्याय करें- संसार की अद्भुत पुस्तक *सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ* satyarthprakashgranth.blogspot.com
बांग्लादेशी हिन्दू भाई तुम अकेले नहीं हो #StopViolenceAgainstHindus #AllEyesOnBangladeshiHindus ruclips.net/video/tlAHPe2SyPM/видео.htmlsi=MuH7UeLafq9JSjQ-
क्या दलित हिंदू है आपकी पौराणिक परंपरा में अछूत कौन ह? बांग्लादेश में अधिसंख्य हिंदी दलित है क्या पौरामिको किदृष्टि में अछूत का कुछ अधिकार है, कितने शंकर,रामानुज परंपरा के आचार्य दलित हुए?
पौराणिक मत जन्म से एक वर्ण और जाति के संरक्षण और उसके ही संवर्धन की बात करता है।पौरानिको के वर्ण ने समाज को दूषित कर दिया और प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर दिया। परिणाम भारत पराधीन हुआ।इतनी अधिक जन होने के उपरांत भी अन्य समाज ने संघर्ष को अपना धर्म समझा क्योंकि जाति तो ईश्वर प्रधान थी।
दलित पौराणो के अनुसार क्या है?अगर जाति ईश्वर ने कर्मानुसार बनाई होती तो शूद्रों (छत्रपति एवम महाराजा रणजीत सिंह इत्यादि) में वीर कैसे हो गए? पौराणिक परंपरा अवैज्ञानिक है और इसका नाश हो जायेगा। एक पौराणिक कथावाचव क्यू बोध पढ़िए, लील्यो ताहि मधुर फल जानू क्या अद्भुत रचना इस तथाकथित श्री राम भक्त की।
वेद में अलंकार नहीं वेदानुकुल ऋषि परिणत ग्रंथों में अलंकार देकर समझानें की बात की है जैसे अहिल्या जारः अहिल्या का जार कौन इसी को पुराणकारों नें गौतम अहिल्या पर कलंक लगाया। जबकि अहिल्या नाम रात्री की है,गौतम नाम चंद्रमा का है ,इन्द्र नाम सुर्य का है।
मोक्ष से श्रेष्ठ आत्माओं के उद्भव होता हुआ पुर्ण ज्ञान ग्रहण करनें की धारणा शक्ति होती है,उस ईश्वर नें वेद सृष्टि ज्ञान है जिसे ऋषियों को हृदय में आधान किया।
इसके पास एक दो प्रश्न होते हैं जिनको सब आर्य समाज मंदिर में जाकर पूछता रहता है, इसको जिज्ञासा नहीं है बल्कि आर्य समाज को अपमानित करना चाहता है, धूर्त व्यक्ति,
अच्छा अपमान ये होता है क्या चर्चा करना अपमान होता है गजब हो अपमान होता जब आर्यसमाज के लोगो के द्वारा भगवानो का अपमानजनक शब्दो का उपोयग करना जैसे शिवंलिंग, राधा जी आदि आदि अपमान वो होता है जो आप लोगो के द्वारा सनातनीयों के पूजा-पाठ का मजाक उडा़ना अपमान वो होता है साधु संतो और आचार्ययों का अपमान करना ये होता है
@@NaveenSharma-gq9qj आर्य समाज कभी भी सनातन वैदिक धर्म का अपमान नहीं करता, बल्कि मैं तो कहता हूं हम आपस मैं एक दूसरे के साथ मिलकर क्यों नहीं चलते, महर्षि दयानंद सरस्वती ने कभी भी नहीं सोचा की सनातन वैदिक धर्म खण्ड खण्ड में बटा हुआ रहे, उन्होंने गलत क्या कहा बताओ, वेदों की ओर लोटो, अपने मूल को जानो और सत्य अर्थों को समझ कर धर्म का पालन करते हुए मोक्ष को प्राप्त करो, उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के सभी मत पंत संप्रदायों और इस्लाम, ईसाइयत के अंदर जो जो पाखंड अंधविश्वास था उसको उजागर किया, मैं आर्य समाजी नहीं हूं और मेरे परिवार में भी कोई आर्य समाजी नहीं है लेकिन जब मैंने अपने धर्म और ईश्वर से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर ढूंढने का प्रयास किया तब वेदों उपनिषदों, भगवदगीता और दर्शनों को आधार बनाकर लिखी पुस्तक को पढ़ा और अन्य ग्रन्थ भी पढ़े तब वेदों उपनिषदों आदि में मौजूद ज्ञान से मेरा परिचय हो गया और मेरे लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो गए। आप भी एक बार सत्यार्थ प्रकाश अवश्य पढ़ें। मुझे अपना सनातनी भाई ही समझें मैं आपका शत्रु नहीं हुं। धन्यवाद
@@themukesh.k 1. राधा जी क्या सनातन में नहीं है क्या शिव भगवान सनातन में नहीं है क्या अब ये मत कहना ये नहीं आर्यसमाज हि सही और सब गलत ये नहीं होता है 2. सनतान वैदिक धर्म खण्ड में बँटा है तो इसका मतलब ये नहीं कि कुछ कमी हुई है तो ..............आर्यसमाजीयो की हि बात सत्य है उनको मानो बस आर्यसमाज भी खंड खंड में बँटा है (कोई वेद भाष्य ठिक बोलता है तो कोई गलत ,,,,,,,,,कोई बोलता है हनुमान जी उड़े थे कोई नहीं ...........कोई बोलता है सत्यार्थप्रकाश ठिक है कोई बोलता है मिलवाट हो गई ...............अग्निवेश आर्यसमाजी गुट अलग तो अन्य वाले अलग ) क्या आर्यसमाजी ही वेद की जानकारी किसी के पास ये ठपा लगता है क्या ? आपको किसने कह दिया हम वैदिक नहीं है ? सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है 1. अपने वर्ण में शादी करों उत्तम है ..... 2. बाह्मण क्षत्रिय वैश्य सुंदर लड़कि से शादी करों 3. आपातकाल में शूद्र के हाथ का भोजन करों उसका मुख ठक दो 4. भंगी के साथ भोजन ना करो 5.फलाने फलाने नाम की लड़कि से शादी ना करो 6. शूद्र मूर्ख होते है 7. शूद्र अनार्य होते है आर्यसमाजीयों के भाष्य में लिखा है ......... 1. ईश्वर हमें शूद्र के धर जन्म ना दो 2. शूद्र को पैरो से संज्ञा दि गई है और भी बहुत है इसको पचा लो पहले सत्यार्थप्रकाश को बहुत बार पढ़ा है 6 साल हो गएँ इस कार्य में जितनी बार सत्यार्थप्रकाश को बदला उससे ज्यादा पढ़ा है भाई जी
@@vijayKumar-bn8ho यदि प्रकृतितत्त्व में पुरुषतत्त्व ना होता , तो तुम ही ना होते यानी प्रकृतितत्त्व ही ना होती ।। इसी से पता लग जाता हैं कि तुम लोगों के पास कितनी समझ हैं ।।
क्या भाई सवाल पूछना है तो आर्य समाज के सिद्धांतो पर सवाल कीजिए। आप तो निखट्टू मालूम होते हो, आपके इन कुतर्क से किसका भला हो जायेगा। केवल सिद्धांत पर बात कीजिए, चाहे वो किसी गुरु से आए या काले कुत्ते से,हम मनुष्यो को इससे मतलब नही है। आपके पास इनसे कोई अच्छा सिद्धांत है तो आप उसे चुनौती से रखिए। चर्चा करनी और देखनी अच्छी बात है,मत भेद खत्म होता है,सत्य उजागर होता है, उत्तम सिद्धांत हमारे समक्ष उपस्थित होते है। लेकिन आपका ये कुतर्क वाला तरीका ठीक नही है,आपकी मूर्खता झलकती है इससे, कृपया सुधार कीजिए।
ये ज्ञान जब याद नहीं आता जब आप सब कुछ मिलावट है मिलावट है बोलते हो मतलब आपका पिछे के कुछ गुरुओं के नाम क्या पुछ लियें ............ये सवाल ही गलत हो गया और आप लोग सब को मिलावटी बोलते हो वो सही है गजब हो भाई
आर्यसमाज के वेद भाष्य में लिखा है ईश्वर हमें बाह्मण क्षत्रिय वैश्य के धर जन्म दे शूद्र के धर ना दे आर्यसमाज के भाष्य में लिखा है पाँच वर्ण होते है और भी बहुत कुछ है
@@NaveenSharma-gq9qj गुरुओ के नाम जानने से आपका क्या भला होने वाला है, तुम्हे शंकराचार्य के नाम ज्ञात है, तुमने क्या कर लिया, उल्टा कुतर्क ही तो कर रहे हो, आव्हान के कई विडिओ है, इसमें उन्होंने कब कहा कि मैं शास्त्रार्थ कर रहा हूँ, भीगी बिल्ली बनकर जाते है और मोबाइल कैमरा ऑन करके आर्य समाज के कार्यकर्ताओ से पूछते है मुझे आपका इंटरव्यू लेना है, न कि शास्त्रार्थ करना है
में जो बोलूँ वही सत्य है ये कैसे हो सकता पूर्ण तत्व ज्ञान के बिना हर कोई अपने मत को सिद्ध करना चाहता है वेद मेरे प्राण है और पुराण मेरा शरीर में ना तो शरीर के बिना जीवित रह सकता हूँ ना प्राण के बिना मेरे दौनों मत ज़रूरी है
बिलकुल ठीक कहे रहे हो। व्यक्ति को अपना सिद्धान्त रखकर पर पक्ष की मान्यता को प्रमाण और तर्क से समझना चाहिए। व्यक्ति बातचीत करने में 54 प्रकार से गलतियां कर सकता है।
शिवांश जी भाई आप कृपया करके देख लीजिए श्रीमद् देवी भागवत पुराण जो गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित है उसके छठे स्कंध में दिया हुआ आपके बारे में विस्तार से है उसमें दिया हुआ है कि सतयुग त्रेता द्वापर के जो राक्ष्स समझे जाते थे वह कलयुग के ब्राह्मण है
ईश्वर अवतार नहीं लेता इस विषय पर कुछ वेद के प्रमाण प्रस्तुत हैं - वेदों में ईश्वर के अवतार न लेने के बारे में निम्नलिखित मंत्र प्रमाण हैं: - ऋग्वेद 6.46.9: "न तद्द्वेष्टि कंश्चनेनम्" अर्थात् ईश्वर किसी के द्वारा द्वेष नहीं किया जा सकता और न ही वह किसी के द्वारा अवतार लेता है। - यजुर्वेद 32.3: "नमस्ते रुद्र मन्यवे" अर्थात् रुद्र (ईश्वर) को नमस्कार है, जो क्रोधी नहीं है और न ही अवतार लेता है। - सामवेद 646: "अजायते शाश्वतो ह्यनन्तः" अर्थात् ईश्वर अजन्मा, शाश्वत और अनंत है, और वह अवतार नहीं लेता। - अथर्ववेद 10.8.25: "एको देवः सर्वभूतेषु गूढः" अर्थात् एक ईश्वर ही सभी जीवों में गूढ़ (अदृश्य) है, और वह अवतार नहीं लेता। वेदों में ईश्वर के अवतार न लेने के बारे में निम्नलिखित मंत्र प्रमाण हैं: - ऋग्वेद 6.46.9: "न तद्द्वेष्टि कंश्चनेनम्" अर्थात् ईश्वर किसी के द्वारा द्वेष नहीं किया जा सकता और न ही वह किसी के द्वारा अवतार लेता है। - यजुर्वेद 32.3: "नमस्ते रुद्र मन्यवे" अर्थात् रुद्र (ईश्वर) को नमस्कार है, जो क्रोधी नहीं है और न ही अवतार लेता है। - सामवेद 646: "अजायते शाश्वतो ह्यनन्तः" अर्थात् ईश्वर अजन्मा, शाश्वत और अनंत है, और वह अवतार नहीं लेता। - अथर्ववेद 10.8.25: "एको देवः सर्वभूतेषु गूढः" अर्थात् एक ईश्वर ही सभी जीवों में गूढ़ (अदृश्य) है, और वह अवतार नहीं लेता। इन मंत्रों से यह स्पष्ट होता है कि वेदों में ईश्वर के अवतार लेने की अवधारणा नहीं है।
कहां से कॉपी किया है ये,? सच बताना । तुम्हारे मंत्र ही गलत है जैसे = ऋग्वेद 6.46.9 -इन्द्र॑ त्रि॒धातु॑ शर॒णं त्रि॒वरू॑थं स्वस्ति॒मत्। छ॒र्दिर्य॑च्छ म॒घव॑द्भ्यश्च॒ मह्यं॑ च या॒वया॑ दि॒द्युमे॑भ्यः ॥९॥ अर्थ = मनुष्यों को चाहिये कि जो सब ऋतुओं में सुखकारक, धन धान्य से युक्त, वृक्ष, पुष्प, फल, शुद्ध वायु जल तथा धार्मिक और धनाढ्यों से युक्त गृह उसको बनाकर वहाँ निवास करें, जिससे सर्वदा आरोग्य से सुख बढ़े ॥९॥
तुम्हारे इन वेद के संस्कृत मंत्र में अवतार ना लेने वाला शब्द है ही नही तुम अपने मन से अवतार ना लेने वाला शब्द जोड़ रहे हो 😂😂😂। तुम आर्य समाज के लोग इतने हद तक अपने बातों को जबर्दस्ती सिद्ध करने का निष्फल प्रयास करते हो 😂😂😂
आप उसी तुफैल दोगले की बात कर रहे हो क्या 1. जो हनुमान चालिसा को बजारु बोलता है ............ग्रंथो में पोर्न देखता है फिर माफि माँगता है (या तो पहले गलत था या फिर बाद में गलत) उसी तुफैल को क्या जो माँ शेरेवाली का फोटो अपने पिछे लगा रखा है ............उसी को क्या उसी तुफैल को क्या जो एक मुस्लिम लड़के को अपना बेटा बोलता है और हिन्दूँ लड़की के साथ जब वो नियोग करता है तो वो बोलता है .............कि किसी को फर्क नहीं पड़ना चाहिएँ वो उनकी बहन है क्या उसी तुफैल को जो अपने धर में बियर रखता है मुस्लिम वहाँ पिता है
Arey bhai tumhara jati purv janam ke karm se tumne khudi prapt kiya.. To uske adhar par vivha sradh upasana hai... To tum sab kuch karne me saksham ho sirf vivha, sradh, upasana ek janam me badal nhi sakte sadachar ka palan karte hue agle janm me badal sakte ho.. To badal rha hai.. Tum short cut lekar badalta chahate ho.. lekin faal sabhi ke liye ek.. Yeh to bhogna aur sina jori karna hua.. Kya nishwarth prem hai dharm ke prati.. Ase to dheere dheere mann marzi badata jaiega.. Insan biplab karenge.. Dharm ka Nash ho jaiega. Kyun ki maryada ka Cross karna wo sanskar aapko narak tak le jaiega. Aab jo sastra puja path karne ko bolta wohi sastra ke kiye niyam kon bidhi nished deta hai kon kis karya me adhikari hai usme bhi mahila virodh dekhna.. Wo bhi sastra nirdharit rituals me.. Yeh bahubaal dikhna hua. Mera taqaut mera marzi..😢😢
@@SukhvinderSingh-ld8cc galat ush shoka yeh matalb nhi ki karm se tum ek hi janm me aapne purv janm se jarm se prapt adhikar ko u hi short lekar ignore kar sakte ho.. Dharm sare smriti sastra me praman hai. Bramhan kon hai un bramhan me se ral bramhn kon hai,patit bramhan kon. Bramhan me se kuch hi bramhan hai jo bramhan prapt dhharm ka palan karta hai.. Baki patit bramhan hai.. Jaise mein patit bramhan hu. Mare shurti sastra padne ka dhikar nhi hai..muje wo swikar hai.. Mere bas agle janm ke karm ke faal swaroop vivha, sradh bramhan jaisa hoga lekin upasana paddthi shudra jaisa hoga ye mera adhikar khunn hua. Aab mein ase paristhiti mein usko change nhi kar sakta lekin mere bacche ko mauka milega use bhi nhi palan nhi kiya to uska bhi patan ho jaiega. Mein aapni bramhan dharm palan nhi kar paya to yeh dushparinam sahen karna hoga. Wo muje swikar hai hai. Agle janm me mera patan ho jaiega..
आर्य समाज वेद के ईश्वर को अवतार की आवश्यकता नहीं क्योंकि सर्वव्यापी है किन्तु संसार माया से संचालित है माया संचालन हेतु अवतरित होना ही होगा जैसे - सर्वशक्तिमान ईश्वर साकार नहीं है किन्तु संसार संचालन हेतु पंच तत्व की साकार गठित करनी पड़ी ईश्वर सून्य में शक्तिमान है पुराण माया में।
मान्यवर वेद मन्त्रों को मापने का पैमाना है जब जब कोई भी वेद मंत्रों को मिलावट करेगा उसको पैमाना से मापा जा सकता है इसलिए मंत्र किसी से भी प्राप्त किया सकता है इसलिए वेद मंत्रों को बदला नहीं जा सकता हां मंत्रों के अर्थ बेक्तियो के द्वारा अलग अलग हो सकता है और ये में नहीं रखता बृजानंद जी को वेद कौन से गुरु से प्राप्त हुआ? इसलिए वेद मंत्र किसी इस लिए वेद मंत्र किसी से भी लिया जा सकता है इस लिए अर्थ बदला जा सकता है वेद मंत्र नहीं!!
Ahvaah ji के सवाल का जवाब इसमें है:- ईश्वर सर्वशक्तिमान है, फिर भी उस ने इस ब्रह्मांड को बनाने में अरबों साल क्यों लगा दिये..चाहेतो एक पल में बना देता क्यों?? Analysis kare..
Arbo saal laga diye? Kab? Brahmand jab bana toh ek baar mein hi bana! Aur agar ishwar ne arbo saal bhi laga diye toh vo uski marzi hai! Prakriti kaise kaam karegi! Ismein sawal ka jawab kaise hua? Ye toh wahi baat hogayi ki ishwar sarvashaktiman ho ke bhi avatar leta hai! Arya samaj ke according sarvashaktiman ishwar ne fir ek baar mein brahmand kyu nhi banaya? Aise hi ishwar ajanma ho ke bhi avatar leta hai! Aur jab manushya roop mein avatar leta hai toh manushya jaisi leela karta hai! Aur ishwar sarvashaktiman hone ke bawajood bhi usne brahmand banane mein itna time kyu lagaya iska jawab toh tumhe Dena chahiye! Kyuki fir matlab vo ye ek pal mein brahmand banane ke capable nhi hai? Toh sarvashaktiman kaise hai?
दयानंद जी के पिताजी शिवभक्त थे, परन्तु अपने पुत्र मूलशंकर (दयानंद जी) को बचपन से वेद संहिताएं परंपरा अंतर्गत कंठस्थ करा रहे थे। इसलिए गृहत्यागी होने से पहले दयानंद जी ने संपूर्ण यजुर्वेद संहिता तथा अन्य वेदों के कुछ अंश कंठस्थ कर लिए थे। उस समय देश में कहीं कहीं वेद संहिताएं उपलब्ध थीं। गुरु विरजानंद जी से अध्ययन करने के पश्चात् भी दयानंद जी ने आगरा, धौलपुर, ग्वालियर, करौली, आदि की यात्राएं की तब भी वे वेद संहिताओं का अन्वेषण आदि करते रहे। विदेशियों ने जो वेद उस समय प्रकाशित किए थे, उनमें से कुछ उनके पास थे। वेदार्थ को लेकर वे सायण, महीधर, उव्वट तथा पाश्चात्य वेद व्याख्यानकारों से असहमत थे। उन्होंने यास्क आदि पुरातन वैदिक ऋषियों के ग्रन्थों के आधार पर वेदार्थ किया। वे उपलब्ध वेद संहिताओं को मान्य करते थे। केवल मन्त्र संहिताओं को ही "वेद" संज्ञा से अभिहित करते थे, ब्राह्मणग्रन्थों आदि को "वेद" नहीं, बल्कि वेदों के व्याख्यान रूप मानते थे।
इन समाजियों ने कभी भी धोती नहीं पहनी होती,शर्ट पैंट,कुर्ता पजामा में ही इनके सारे कर्मकाण्ड होते हैं। अधिकतर की तो शिखा तक नहीं है। इतने मात्र से ही ज्ञात हो जाता है कि सामान्य कर्मोपयोगी वैदिक शिष्टाचार भी जिनमें नहीं है वे अधिकारविहीन क्या वेद पढ़ेंगे,क्या ही उनका अर्थ करेंगे।
जब बात ईश्वर ओर उस परम्ब्रह्म के वखान करने की आती है तो वहां महापुरुष मौन हो जाते है, यहा दो विद्वान लोग चर्चा कर रहे कि तुम ईश्वर को कम जानते है, , जीवात्मा और आत्मा दोनो को एक मान रहे है ।🙏🏻
और तुमने भी ये बात किसी गुरू शिष्य परम्परा के ग्रंथ से चुराई होगी जा तुम्हे आत्म ज्ञान हो गया है और जहा से तुमने ये बात चुराई होगी वहा और भी बहुत कुछ लिखा होगा लेकीन वो सब तुम मानोगे नही मतलब गजब टोपीबाज कलयुगी प्राणी हो
@@420msclub किसी ग्रंथ क्या होता है, हिन्दु स्क्रिप्चर ही सिखाता है जब बात आत्मा या ब्रह्म की आती है तो मौन हो जाते है ,अगर वखान कर रहे हो तो अहंकार बोल रहा है ,उपनिषद नेति नेति का कांसेप्ट लाये है, मै तो न पहुंचा आत्मज्ञान तक तेरा गुरु पहुंचा क्या ? ,
Jai Shree Raam! Har Har Mahadev! I Great work, Shivansh Bhaiyya! Selective/Biased Approach by Arya Samaj, many times self-contradictory.
Ye kaisa sawal hai sarir banakar atma prawesh Kara sakta hai our janm nahi le sakta
Samarth me Kami kaha hai parmatma Satya swarup me samarth hai jhuth swarup me samarth nahi hai,par janm leta nahi janm deta hai
गुंडे आर्य समाज की स्थापना टू मैक्स मूलर ने की थी अंग्रेजों ने की थी उनसे चुटिया कौन होगा देशद्रोही गुंडे कितने हैं साले
@@omkarparadkar आत्मा अल्पज्ञ है इसलिए साध्य को पाने के लिए उसे शरीर रूपी साधन की जरूरत है जबकि ईश्वर सर्वज्ञ है उसे अपने कार्य करने के लिए किसी की जरूरत ही नहीं है तो यदि उसे पापियों को दंड देने के लिए अवतार लेना पड़े तो वो सर्व शक्तिमान कहां रहा ???प्रश्न तो पोराणिको पर उठता है उल्टे आर्य समाज पर उठा रहे है ????????😂😄😄
@@JagJitSingh-ty2pdसही बात है और क्या ईश्वर अनंत है वह तो और कई ईश्वर भी बना सकता है, शैतान बना सकता है और जो चाहे हर सकता है। और अगर चमत्कार न करे तो कैसा ईश्वर??😅😅😅😅😅😅😅
क्या तर्क है बुद्धि हीन पौराणिको का।
आर्य समाज के प्रति पंडित मदन मोहन मालवीय जी के विचार।
आर्यसमाज दौड़ता रहेगा तो हिन्दू समाज चलता रहेगा। आर्यसमाज चलता रहेगा, तो हिन्दू समाज बैठ जायेगा। आर्य समाज बैठ जायेगा तो हिन्दू समाज सो जायेगा। यदि आर्यसमाज सो गया तो हिन्दू समाज मर जायेगा। - पंडित मदन मोहन मालवीय #dayanand200 #दयानंद200 #maharshidayanand #aryasamaj #dayanandsaraswati #आर्यसमाज
जब आर्यसमाज जितने भी है उनका गर्भ में प्रवेश भी नहीं हुआ था ............उससे पहले कौन हिन्दूँ समाज को जगाएँ रखा .........लाखो वर्षो तक ?
वेसे तो हिन्दू शब्द को तुम गालि मानते हो .........अपने फायदे के लिये उसका उपयोग करते हो गजब हो
150 साल ही हुए हैं, दयानंद ज्यादा उछल कूद कर रहे हो😆
आपको बुरा नहीं लगना चाहिए परन्तु एक बात अटल सत्य है जो कि आपको भी समझनी और माननी पड़ेगी और वो यह कि "आर्य समाज" हिंदू मान्यता और सभ्यता या यूँ कहे कि सनातन धर्म का सबसे छोटा बच्चा है। जैसे पहले बौद्ध, जैन उसके बाद यहूदी, इसाई, इस्लाम, सिख आदि 👍🏻
इस बात पर न क्रोधित होइये न ही विचलित पर विचारशील अवश्य होना। 🙏🏻
ऊपर लिखे हुए समुदायों के नाम को देखकर शंकित मत होइये ये बात एकदम सत्य है कि ये सब सनातन के पुत्र ही है, परन्तु अब वो सनातन की बुराई करते हैं ये बात यह संकेत देती है कि इनका अंत निश्चित ही शीघ्र ही होगा।
आपको राम राम 🙏🏻🚩🙏🏻
श्रीमान जी,
जय श्री राम जी,
संकोच मत करें, मैं आर्य समाज का अनुयायी हूँ, और क्योंकि आर्य समाज के सिद्धांत अच्छी प्रकार समझ चुका हूँ इसलिए एक महा पुरुष पं० मदनमोहन मालवीय जी के विचार प्रेषित कर दिये, इससे आपको ईर्ष्या का भाव न होना चाहिए।
'सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है।
आर्य समाज कोई जाति, धर्म या सम्प्रदाय नहीं है, आर्य समाज के अनुयायी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी व योगी राज श्री कृष्ण जी को अपना पूर्वज मानते हैं वैसे ही जो आर्य समाज के अनुयायी नहीं भी है।
मैं तो कहता हूँ कि भाई आप भी आर्य समाज के सिद्धांत और नियमों को जानेगे और चिंतन करोगे तो आप भी महॠषि देव दयानंद सरस्वती जी के प्रशंसक हो जाओगे, कृपया आर्य समाज का इतिहास अच्छे से जानें फिर आर्य समाज के अनुयायीयों के संदेशों पर टिप्पणी करें ।
हम सब सनातन वैदिक धर्म को ही मानने वाले हैं, हम सब भाई हैं, हम सबको अपने ज्ञान का विस्तार तो करना चाहिए पर विरोध की भावना नहीं ।
कहीं विधर्मी हमारे विचारों को विवाद में बदल कर हमें दुशमन न बना दें, जैसा की भारत के इतिहास में दिखाई देता है ।
स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें ।
@@vikashtiwari4388 जी आपने बिल्कुल सही कहा 😅
बहुत साधुवाद, सर्वभूतहृदय अनंतश्री विभूषित धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की जय।
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
श्री कर पटरी घोर जाति वादी था, इस पौराणिक महापुरुष ने दलितों के काशी मंदिर ने प्रवेश का विरोध किया और मंदिर के बाहर एक स्थान निर्माण से ही उन्हें दर्शन का प्रस्ताव दिया।
यह उनके सभी तथाकथित सत्कर्म और चिंतन का मूल इनकी शंकर परंपरा से ही आता है तो मूलत जाति को पोषित और पोषित करती है।
कदाचित इसे कार पत्री महाराज का न पता था की वर्तमान में स्थित काशी मंदिर जा निर्माण माता अहिल्या बाई होलकर ने कराया था जो इन पौराणिक के अनुसार शूद्र थी और स्वर्ण दान एक सिख महाराजा रणजीत सिंह ने किया था वे भी इनके अनुसार चंडाल थे।
पौराणिक हिंदू धर्म का कुष्ठ हैं वैदिक बने।
आर्य समाज के तर्क ला जाबाब हैं। श्री प्रकाश आर्य जी ने बहुत सुन्दर प्रश्नों के जवाब दिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद।
Esa kya jawab de diya jo lajawaab ho gaya
प्रकाश आर्य जी ने सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत सही दिए हैं, प्रश्नकर्ता अनावश्यक रूप से कुतर्क कर रहा है. एक ही बात को बार बार कहे जा रहा, किसी भी तरह आर्य समाज को गलत ठहराना है। 😅
प्रकाश आर्य जी,प्रणाम।
बहुत ही सुन्दर उत्तरोत्तर। आर्य समाज अमर रहे।
Sabhi Arya samaji Bhai se kahuga pauranik andhbhkto se argument kare ye apni dukandari ke liye kuch bhi karenge
Bade se bada nastik bhi Arya samaj astik hua he hindu samaj to pauranik he jhoot kapat inko galat bhnhi lagta or Arya samaj ko badnaam karte he
Tabhi ro rha hai tumhara aarya😂
@@LinecurveAaja debate par
@@Tech_burner-c8g kyon Dr gya kya
बहुत सुंदर प्रकाश आर्य जी। कोई पौराणिक होता तो उसे यह तुरंत गुमराह कर देता।यह किसी विद्वान के सामने आता तो धूल फांकता हुआ दिखाई देता
Jab inko prashan samajh hi nahi a raha to gumrah kaise hote prashan kuch kiya ja raha hai answer kuch or aa raha hai
Inka ishwar kuch nahi kar sakta
आर्य समाज ने मुझे कभी ठगा नहीं../लेकिन, दिया बहुत कुछ, मोक्ष के इच्छुक लोगों को आर्यसमाज को समझना चाहिए.. . . .
😂😂😂 आर्य समाज और मोक्ष ये दो शब्द कभी साथ नही आते ।
इसलिए उन्होंने मोक्ष का अर्थ ही बदल दिया स्वर्ग को मोक्ष कह दिया कि कुछ हजार वर्षो बाद पुन जन्म लेना होगा 😂😂😂😂😂😂
@@PuriShankaracharyaSoldier wrong.. 😲
@@varinderkumar5088 rushi uvach ne khood kaha hai 🤣🤣🤣 vo aapka param prman hai na
@@PuriShankaracharyaSoldier Bhai ye log kuch nhi padhte anarya samaj mein moksha ki avdharnaa hi nhi h😂
Wah 200 saal pahle moksha naam hi nahi tha Arya samaj ne ho diya h Jay ho Arya smaji andh bhakt
प्रकाश जी आर्य नमस्ते जी आपने बहुत सुंदर जवाब दिए बिल्कुल सही प्रमाण के साथ 👏👏👏 ये तिलकधारी आर्यसमाज का निंदक है
देखिए आर्य समाज में विद्वान तर्क करते हैं देखिए आर्य समाज के विद्वान शास्त्रार्थ करने को बार फिर चुनौती देते हैं तो यह बहुत तर्कपूर्ण बात करते हैं।
Thanks!
प्रकाश आर्य सही कह रहे है यह तिलकधारी घनचक्कर आर्य समाज का निदंक है आत्मा शब्द के साथ परम शब्द जोड़ा जाता है तो यह 2अक्षरौ की सन्धि है परम हटा दें तो विच्छेद है और जीव जोड़ दे तो सन्धि जीवात्मा जीव हटा दे तो आत्मा तो परम और जीव शब्द विशेषण है।जीव एक देशीय अल्पज्ञ है परमात्मा सर्व व्यापक जो सर्व ब्यापक है वो उसका आना और जाना कैसे होगा।
यह तिलकधारी घंटा बजाने वाला लोगों को उल्लू बनाने के लिए यह आर्य समाज में आता है और कुतर्क की बातें करता है और इसकी जो बेवकूफ सब्सक्राइबर हैं वह उसे देखकर बड़ा ही खुश इन लोगों को कुछ नहीं मालूम है यह बेवजह गलियां बनते हैं यह लोगों ने परमात्मा को एक देश यह मान लिया है इन लोगों ने कभी वेद का एक मंत्र नहीं पड़ा है और जब जो आर्य समाज वेद के मंत्र पढ़ते हैं और वह परमात्मा के बारे में वर्णन करते हैं तो यह क्योंकि वेद के बारे में एक अक्षर नहीं जानते हैं तो यह उसका उपवास करते हैं क्योंकि इन्होंने टीवी नाटको में जो किरदार अच्छी हैं उन्हें किरदारों के अनुसार यह भगवान को वैसे ही मानते हैं उनके अनुसार भगवान अगर यह तिलकधारी बोल रहा है तो श्री कृष्ण भगवान इस जमीन इस धरती पर उन्होंने परमात्मा के रूप में जन्म लिया था तो वह क्या रासलीला रचाने की आए थे वह क्या चूड़ी बेचने के लिए आए थे वह क्या माखन चोरी करने के लिए आए थे वह क्या जो हैअपने आए थे वह यदि श्री कृष्ण भगवान थे तो महाभारत का जब युद्ध हुआ था तो श्री कृष्ण भगवान होते हैं वह 1 सेकंड में महाभारत का युद्ध को खत्म कर देते लेकिन इस तिलकधारी लोगों की जब यह पूछा जाएगा तो यह तिलकधारी लंगोटा धारी अपने सब्सक्राइबर को मूर्ख को खुश करने के लिए बोल देगा कि भगवान भी एक नियम से बंद कर आए थे तो यह नियम उतना बाद में कहा गया जब वह पटना बड़ी सी राक्षसी आई और श्री कृष्ण भगवान की है तो उसके स्तनों को अपने मुंह से काट लिया था तब वह श्री कृष्णा अलग थी और यह श्री कृष्णा अलग से श्री कृष्ण ज्ञान नहीं देने पहुंचे श्री कृष्णा उसने जो लीला दिखाई थी वही लीला वह महाभारत के युद्ध में भी दिखा सकते थे इस लीला के आधार पर श्री कृष्णा चाहते तो अपने चक्र से संपूर्ण कौरवों का सर्वनाश कर देते उनको क्या जरूरत पड़ी थी गीता का ज्ञान देने की वह चाहते तो अर्जुन को जो है वह 1 सेकंड में अर्जुन का डिप्रेशन दूर कर देते
सत्य कहा
सर्वव्यापक है उनका आना जाना .............क्या आना जाना ........कहाँ से बुला रहे हो आप
ये बाल से खाल निकालता है और आर्य समाज को बदनाम करना है अहंकारी है हम ये कामना करते है हे ईश्वर इस जड़ बुद्धि को सद्बुद्धि दे
@@atharvarya1809वाल का खाल आप लोग निकालने की कोशिश कीये होंगे 😂😂 मुर्ख जो टहरे
Arya smaj hi satya hai🎉
Kyoki satya ko छोड़ने aur asstya ko छोड़ने sarbad udyat rahna chahiye yeh samaj ka niyam hai aur Har ĥar bhakt karo ja mejabab na deeje inka hai
Tabhi tumhara aarya ro rha hai😂
arya samaj satya ki sanatan satya?
जब अंधविश्वास, पाखंड, किसी भी व्यक्ति का उदर पूर्ति का साधन बन जाता है। तो वह सत्य से मुख मोड़ लेता है।
श्री प्रकाश आर्य जी ने बड़े विद्वानता से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दिया।
प्रकाश आर्य जी ने बहुत अच्छे तर्क रखें 🌸
@@AB-yp7nc समाधान को समझने वाला भी चाहिए ।
@@AB-yp7nc मुद्दा बताइए आपका ?
केवल दयानंद जी की पीढ़ियां गिना दो , शिवांश जी के पास दूसरा मुद्दा ही नहीं है
कोई सही चीज रखिए , जानिए और समझिए ।
शिवांशु जी!
बातों को जानना समझना आपका प्रयोजन बिल्कुल भी प्रकट नहीं हो रहा...केवल अपने कुतर्कों द्वारा अपनी पूर्वधारणाओं को सिद्ध करने का असफल प्रयास आप कर रहे हैं...सत्य को ग्रहण करने व असत्य को त्यागने के लिए हमेशा उद्यत रहें और अपने मानव-जीवन को सफल करें।...एक बात और... श्री प्रकाश आर्य जी ने बङे ही धैर्य और विनम्रता से आपको सभी शंकाओं का समाधान किया है। आप उसका कितना लाभ उठा पाए, नहीं पता परन्तु हमें बहुत लाभ मिला है। धन्यवाद श्री प्रकाश आर्य जी🙏
Mai bhi bahut khus hu andhbhkti se hr mulla aalla k gun gata hi h jai shreeram
Bhai sidha sa prashan bhi samajh nahi aa raha
Shivansh ki to dur ki bat hai mujhey bhi samajh nahi a raha answer
आर्य समाज है तो सत्य सनातन वैदिक धर्म का स्वरुप स्पष्ट होता है।
ओउम
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
Bahut Achcha debate Shivansh bhai Aisi lage raho❤ Jay Shri Ram❤🎉❤🎉
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
Ye debate hai 😂😂😂😂😂 debate se to ye bhag jata hai abhi tak isne rishi uvach ji se debate nahi ki 😂
@@Sanatan_rakshak410 gaali galoch karne walo se koi debate nhi krta, uske jaise hi usse debate karenge..........
Bhai ji shivanshu ki to kutark krne ki aadat hai kya kre lag kar kutark ke alawa kuchh aata nhi
@@Srajan.Dubey.17 oo ye arya samaji ko alankar samaji bolta hai ye sahi hai ??pehle khud ko dekho fir bolna
शिवांश भाई मुझे एक बात ये समझ नहीं आती ये लोग प्रश्न को समझना नहीं चाहते हैं या ये लोग सिर्फ अपने सिद्धांतों को थोपना चाहते हैं लोगों पर वेद के माध्यम से 🤔🤔🤔
Apne siddhanto ko thopna chahate hain obviously! Inke paas koi tark nhi hota
इनको सब समझ में आता हैं किन्तु सच-झूठ समझने के पश्चात् भी सच को सच और झूठ को झूठ स्वीकार नहीं करना हैं ।। यह अनार्य नमाज़ी महाकपटी , महादुष्ट और महाधूर्त हैं ।।
जिस प्रकार भारतीय संविधान में कई बार संशोधन हो चुका हैं और आगे भी होगा या होता रहता हैं , ठीक उसी प्रकार सत्यार्थ प्रकाश यानी असत्यार्थ अन्धकार में भी कई बार संशोधन हो चुका हैं ।। इसी से स्पष्टरूप से सिद्ध हो जाता हैं कि इनका कोई सिद्धान्त नहीं हैं ।।
@@धर्म-अधर्मoye namazi
@@piyushdevnath293 बिल्कुल सही कहा हैं ।। 😂👍
34:00
आर्यसमाज के विद्वान --------शंकराचार्य जी ने(परा पूजा) ये लिखा है🙂
सनातनी-----------शंकराचार्य जी ने तो भज गोविंदम भी लिखा है और उनके अन्य ग्रंथ भी है😊
आर्यसमाजी -----------आपका ये तर्क गलत है मैं नहीं मानूंगा 🤫
Yeh siddh Karo ki woh adi Shankaracharya ji ne likha hai
@@Himanshu_kldpahle tu sabit kar eshwar netujhe kab kha ved mai hu
🙏 ❤️❤️🙏🏻🙏🌺
नमन शंकराचार्य जी को।🙏
यति महाराज जी को नमन। 🙏🏽
निग्रहाचार्य जी को नमन। 🙏🏽
#रामागौ #राष्ट्रमाता_गौमाता #गौ_गठबंधन
#Save_Gaumata #FreeTemples
#SeeUnderCar
शिवमयी शुभदिवस
#RudrTheShiv
ओम हर हर महादेव जय माँ 🙏🏽🔱🚩💐
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
@@प्रिया-न1धतेरे फूफा चला रहें
अद्वैतवादीयों का निराकार ब्रह्म बाधीत है क्योंकि कार्य करने के लिए उसे सगुण साकार रुपों मे आने कि ईच्छा करनी पडती है. 😂
Is tarah tera iskcondi God bhi badhit hai chaman jab advait na pata, to har jagah haga mat kar😂
@@rishabhyadav6705 sabkuch moh Maya hai na to tu yaha kya kar raha hai? 🤣 mayawadi
@@yogeshdesai5999 jab goloka Jake muzra hi karna hai abrahmic kutte to yaha kya kar iskcondi chandiya tu to goloka jaega na bhadwe ticket le lar choloka 🎟 🤡🤡
@@yogeshdesai5999 goloka me ja kehag na gadhe kyuki tere hagupad ne tere ko ticket de di hogi yaha kya kar rha
@@yogeshdesai5999 kyu be thasik. Chaudiye jab goloka hi jana tto yaha kya kar rha ticket 🎟 le aur nikal🤡
29:28 हम मानबे नही करेंगे क्युकी हमारे ईश्वर दयानंद ने मानने की आज्ञा नही दी 😂😂
सैलरी का सवाल है भाई 😂😂😂
महर्षि जी ने अपने आपको हमेशा एक आम इंसान कहा , ना कि ईश्वर ।
Aagya Swami dayanamdki nhen vaid ki aadaish aur Siddhant hi Dayanand vichar dhara samprn bramhand ke liy hai
एह्यश्मानमा तिष्ठाश्मा भवतु ते तनूः। कृण्वन्तु विश्वे देवा आयुष्टे शरदः शतम् ॥
2:13:4 Atharvaved 🌸
आर्य समाज और उनसे जुड़े लोग ,विद्वान बहुत बुद्धिमान, तार्किक होते है जिनका कोई उत्तर नही दे सकता है
😂😂😂😂😂😂😂
Bhai ye ahvan ko puche gaye sawaal ke utr abhi talk nhi aaye jabki uske uttr de diye gaye he @@abhirupSinha
Tarkik ni andha tarkik h Ary wale
यह कार्यकर्ता है।
किसी विद्वान के साथ बैठो; धूल चटा देगा।
सही कहा
आर्य समाज के विद्वान से जाकर बात करनी चाहिए ऐसे ऐसे साधारण सज्जनों के पास ना जाइये इससे ज्ञात होता है आपको subscriber चाहिए साथ ही आप समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं
शिवांश जी दुनिया के अंतिम आर्यसमाजी या इस्कान से भी चर्चा कर लेगें तब भी ऐसे मैसेज आते रहेगें .............
कोई कुछ बोल रहा तो कोई कुछ आर्यसमाज के सैकड़ो चैंनल है क्या वे लोग किसी विद्वान के पास जाते है क्या
@patrioticpoet21june97
क्या उनको भी subscriber चाहिए क्या
@@RaviTiwari-777tum lok murkhta bat karte ho fir v idhar udhar bolte ho.
Sabhi purano me paraspar birodhi bate hai
@@RaviTiwari-777 तुम पहले बोलना सिखो। लगता है कि तुम्हारे मां -बाप घसकट्टे हैं।
रही बात आर्य समाज की । मैं आर्य समाज का सदस्य नहीं हूं लेकिन इतना जानता हूं कि ऋषि दयानन्द सूर्य हैं और आज कल के शंकराचार्य टिमटिमाते हुए तारे।
जब इन्होंने अंत में ये ही कह दिया। हमें हर बार आवश्यकता नहीं है कि प्रमाण की जरूरत पड़े
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
@@प्रिया-न1ध सब अलग हैं। सनातन धर्म का भी ईश्वर एक ही है। जो कुछ भी कर सकता हैं। उसके ऊपर कोई भी नियम लागू नहीं होता है
अगर आप सच मे आर्य समाज से शास्त्रार्थ करना chahte है तो किसी विद्वान से तर्क करिये धूल चटा देंगे तुम्हे, लेकिन तुम ऐसा नही करोगे क्योंकि तुम डरपोक हो इसीलिए समान्य कार्यकर्ता से बहस करते हो,
I respect all organization that are working for Hindus to teach Dharma. If ISKCON, Arya samaj like organizations doesn't works for Hindus then millions of Hindus became a Christian, Muslim etc..
Thank you Arya samaj, ISKCON
अत्यन्त पुरुषार्थ के लिए प्रकाश जी का धन्यवाद
Arya ji very good 👍 🎉
1:03:14 कितना control करना पड़ता है, welcome movie का scene याद आ जाता है ' control Uday control'.
शिवांशु को शब्दों का अर्थ नही आता है अथवा जानबूझ कर गुमराह कर रहा है।
ऐसी चर्चाएं धर्म के जानकार लोगों के बीच होनी चाहिए जिससे आम जन को लाभ हो......इसमें कोई अपने आप को छोटा या बड़ा न समझे
Bhai ruk hi nahi rahi discussion. Maja a raha hai par keep going
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
शंकराचार्य भगवान के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।
आपको आर्य समाज के विद्वानों से
बातचीत करना चाहिए, ये आर्य समाज के एक कार्यकर्ता हैं।
औकात नहीं है इनकी, नवीन वेदांती है, आर्य समाज के कार्यकर्ताओ से भी उलझ जाते है, विद्वानों से शास्त्रार्थ तो दूर की बात है, इन्हें केवल सोशल मिडिया पर अपना गुरुडम और चेनल ग्रो करना है, केवल तर्कहीन, मिथ्या प्रमाणरहित बातों को करके आर्य समाज के प्रति विष घोल रहे है, हिन्दुओ में
ईश्वर सर्वशक्तिमान है इसका अर्थ यह नहीं है कि वो मूर्ख बन सकता है और अपने जैसा ईश्वर नही बना सकता है।
सर्वशक्तिमान का अर्थ इतना ही है की वो अपने कार्य में किसी अन्य की सहायता नही लेता है।
बहुत ही सटीक वा सुंदर जवाब प्रभू जी को यही सत्य सनातनी ज्ञान है
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
Your last video with iskon is mind boggling. Wow
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
🙏🙏🚩 पुरी पीठाधिपति शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
ruclips.net/video/VdDiyiPELhw/видео.htmlsi=NtcKhrMK5-5GW_kp
पूरी शंकराचार्य के अंधविश्वासी और पाखण्ड को बढ़ावा देते है हिन्दुओ पर भारत मे हिंसा ,बलात्कार हो रहे है कौन सी आवाज उठाई कौन सा धरने प्रदर्शन किए
Accha wahi chutiya jo brahman ko vispot krdega apni bhramcharya ki shakti se jo janam se jati maanta hai uske liye murga massa har krne vaala brahman bhi brahman rahega😂😂😂😂
@@प्रिया-न1ध क्या तुम नास्तिक मनुष्य हो ? ( हाँ ? या नहीं ? )
यह व्यक्ति अपने सिद्धान्तों को थोपना चाहता है न की समझने के लिए तैयार है
आदरणीय प्रकाश जी आप बालक बुद्धि से उलझे हैं।
Kya baat kahi apne gjb👌👌
सत्य वचन
Shivansh Bhai! Aap bejati bhi bohot tameez se karte hei 😊 👌
एक समय में भी आर्य समाजी था पर गुरु की कृपा से सनातनी हुआ l
1.जब आप आर्यसमाजी थे तब दिन में कितनी गालियाँ बकते थे आप
2. आपका तर्क गलत मेरा तर्क सही है
3. आपके ग्रंथ मिलावटी हमारे सभी शुद्द है ....
ऐसा कितनी बार करते थे भाई आप
तुम कभी आर्य थे ही नहीं, अन्यथा कम से कम आर्य शब्द को तो जान ही जाते ! सनातन वेदों में तुम्हें आर्य ही मिलेगा, इसलिये आर्य समाज ही वास्तविक सनातन धर्म है
@@devendrashastri9221 Arya samaj Dayanand ji ne staphit Kiya hai, ved me jo Arya hai woh sabhi tapsavi the abhi koi bhi bas Arya tag le leta hai
@@devendrashastri9221 आपने सही कहा हैं ।। वह कभी आर्य ही नहीं था अर्थात् कभी आर्य समाजी नहीं था अपितु अनार्य नमाज़ी था ।। आर्य अवश्य सनातनी होते हैं किन्तु आर्य समाजी यानी अनार्य नमाज़ी कभी सनातनी नहीं होते हैं ।।
@@devendrashastri9221 अनार्य कौन ,......... ये भी तो है
अरचत प्रार्चत प्रियमेधासो अरचत। अर्चन्तु पुत्रका उत पुरं न धृष्ण्वर्चत् Rigveda 8.69.8 🌸
ईश्वर एक ही होता है सबका, ओउम
ruclips.net/video/-pkObTg4i3o/видео.htmlsi=Rp0GergWY1bu2jGs
क्या कोई ईश्वर अल्लाह गॉड है जो इस संसार को चला रहा है
श्रीमान आचार्य महोदय जी
ईश्वर धर्म द्वैत अद्वैत त्रैतवाद विषय पर चर्चा करने के लिए हम आपको वानप्रस्थ साधक आश्रम दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात में आमंत्रित करते हैं।
आपको जब चर्चा करनी हो तो लखनऊ आ। जाइएगा अगर लखनऊ आने में कोई परेशानी हो तो लाइव स्ट्रीम पर आ जाइएगा
क्यों डर गए क्या अब तो आपने आमंत्रण भी मिल गया अब जाइए
@@a.p.optical8904to wo lakhnow chale jao
इस तिलकधारी भाई को आचार्य अंकित प्रभाकर जी को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती देना चाहिए। भ्राता जी हम आपका बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन आप एक ही बात को घुमा फिरा कर कह रहे हैं। उनसे अगर आप शास्त्रार्थ नहीं कर सकते हैं। तो गौतम खट्टर जी से शास्त्रार्थ कर लीजिए। आपका सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। नमस्ते भ्राता जी।
Bhai ji ap parmatma ko vivash kar denge ki janam nahi lena? Parmatma ka man hai janam lena hoga to lega hi ya apke niyam manega
Filhal abhi m kisi ki bhi follower nahi hai
ऐतु प्राण ऐतु मन ऐतु चक्षुरथो बलम्। शरीरमस्य सम्विदां तत्पद्भ्यां प्रति तिष्ठतु ॥ Atharvaved 5/30/13
Ishwar ki zarooratein bhi bhi arya samaj decide karta hai😂ishwar ne apni zaroorato ki list di thi inko!
जरुरत में ये भी लिखा था दो किलो धी से यज करना आपको शूद्र के धर जन्म नहीं दिया जाएँगा..............और
1.मिलावट पकडने की मशीन मिलेगी (नोट ये मशीन एक दिन दयानंद जी के ग्रंथो को मिलावट धोषित कर सकती है )
2. हमारे तर्क तर्क होते है आपके तर्क कुतर्क होते है कहने का अधिकार दिया जाएँगा
@@NaveenSharma-gq9qj aur ye toh koi prashn hi nhi hua ye toh Baal ki khaal nikaalna hua ye bhi bolne ka adhikaar diya jaata hai!
@@Anadi_Anant_Narayan आप गलत हो .....ये...अधिकार केवल ....2024 में उन विदुषि जी को दिया जाता है जो गार्गी जी धोषित हुई है
कुछ देर बाद ये अधिकार . इनको भी मिलेगा
आज की ताजा खबर--गुप्त सूत्रों से पता चला है----आर्यसमाज अब- प्रकाश आर्य जी को अब ........अंगिरा ऋषि धोषित किया जाएँगा.
जब किसी व्यक्ति को यह लगने लगता है कि उसे सम्पूर्ण ज्ञान हो गया है, तो यही अहंकार उसके सर्वनाश का कारण बन जाता है। वह तर्क करने लगता है, ओर जिस मान्यता प्रणाली को वह मानता है उसको ही श्रेष्ठ समझता है। यदि वह तर्कवादी अहंकार को छोड़ दे, तो वह मुक्ति मार्ग पर चल सकता है। "जय श्री राम " 🙏🙏
मुस्लिम एक समय पर हिंदू थे ब्राह्मणों से विमुख होकर एक अलग पंथ बनलिये मूर्ति पूजा का खंडन करते हैं वैसे ही आर्य समाज भी मूर्ति पूजा का खंडन करते हैं🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Kyonki tum ling or yoni ki puja karte ho
मूर्तिपूजा का तो वेद, उपनिषद, भागवत पुराण, चाणक्य नीति आदि भी खण्डन करते हैं तो भागवत पुराण बनाने वाले को क्या कहोगे
मुस्लिम हिन्दू से भी बड़ी मूर्ति की पूजा करता है | वह तो पत्थर को चूमता भी है और पत्थर को शैतान समझ कर मारता भी है | मूर्ति पूजा ( पाषाण पूजा) ने ही हिन्दूओं को गुलाम बनाया |
शैली दारुमयी लौही लोव्या लेख्या च सैकती ।
मनोमयी मणिमयी प्रतिमाष्टविधा स्मृता ।।
(भागवत पुराण 11:27:12)
हिंदी व्याख्या :- पत्थर की बनी , काष्ठ की बनी , धातु की बनी , मिट्टी चंदनादि की बनी , चित्रित , रेत की बनी , मन मे विचार की गई , मणियों (रत्नादि) से बनी प्रतिमा का अर्चाविग्रह आठ प्रकारों में प्रकट होना बताया गया है ।।
@@devendrashastri9221 गर्भहत्यारा भागवत का बनाने वाला बोप देव ।
ये धर्म के ठेकेदार पहले परमात्मा का जन्म कराएंगे फिर कई तरह से उस पर विवेचना कर करके अपना ज्ञान दिखाकर धन कमाने का धंधा बनाएंगे। आज तक यही किया है और इन सबकी पोल आर्य समाज ने खोलने का काम किया है।
Arya namazi musalmano ki nazyaz aulaad hai........Apne mangadhant ishwar ko anant samarthwan kehna band karo.......vo apne icchaanusar avtar nahi le Sakta......... ishwar vo hota jiske liye kuchh bhi impossible nahi jo jo tum kalpana kar sakte ho vo ishwar kar sakta hai isiliye vo anant samarthyawan hai.......jisper sakta hai ya sakti hai ka sawal hi nahi uth sakta.......aur agar tumhara pratipadit ishwar sarvavyapi hote huwe bhi prakat nahi ho sakta to vo ishwar ke naam kalank hai.......aur accept Karo ki tumhara Ishwar ki shaktiya simit hai vo sarvashaktiman nahi hai 😂😂😂
श्री प्रकाश आर्य ने बड़े सुंदर सुंदर ढंग से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं।
*‘सर्वतन्त्र सिद्धान्त’* अर्थात् *‘साम्राज्य-सार्वजनिक धर्म’* जिसको सदा से सब मानते आये, मानते हैं और मानेंगे भी। इसीलिये *इसको ‘सनातन’=नित्यधर्म कहते हैं कि जिसका विरोधी कोई भी न हो सके।* यदि अविद्यायुक्त जन अथवा किसी मत-वाले के भरमाये हुये उसको अन्यथा जानें वा मानें, उसका स्वीकार कोई भी बुद्धिमान् नहीं करते, किन्तु *जिसको आप्त अर्थात् सत्यमानी, सत्यवादी, सत्यकारी, परोपकारक, पक्षपातरहित विद्वान् मानते हैं, वही सबको मन्तव्य और जिसको नहीं मानते, वह अमन्तव्य होने से प्रमाण के योग्य नहीं होता।*
अब जो *वेदादि सत्यशास्त्र* और ब्रह्मा से लेकर जैमिनि मुनि पर्यन्तों के माने हुए ईश्वरादि पदार्थ, जिनको कि मैं मानता हूँ, सब सज्जन महाशयों के सामने प्रकाशित करता हूँ।
*‘सर्वतन्त्र सिद्धान्त’*
chat.whatsapp.com/Hk1VY1PiTowKpmASLrRUG7
youtube.com/@sarvatantrasiddhanta
जीवन में यदि एक पुस्तक पढ़कर सारी जानकारी प्राप्त करना चाहें तो निश्चित रूप से इस पुस्तक का स्वाध्याय करें-
संसार की अद्भुत पुस्तक
*सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ*
satyarthprakashgranth.blogspot.com
आप कुतर्क के साथ आर्य जी की बात को काटने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आर्य समाजी नही हूं, मगर आप अगर मुझ से भी पूछोगे तो मेरे भी जवाब यही होंगे।
आर्य समाजियों का कुतर्क तो यह है कि आप इतने भी तर्क दे दो कितने भी शास्त्रीय प्रमाण दे दो मैं मानूंगा ही नहीं.....
@@Mohitgurukulये सवाल ही कुतर्कपूर्ण है। बेवकूफी भरे सवाल का जवाब वैसे तो क्या ही दिया जाए। मूर्खों से बहस करना भी मूर्खता की श्रेणी में ही आ जाती है।
Best guest so far. Calm and didn't get disturb
बांग्लादेशी हिन्दू भाई तुम अकेले नहीं हो #StopViolenceAgainstHindus #AllEyesOnBangladeshiHindus
ruclips.net/video/tlAHPe2SyPM/видео.htmlsi=MuH7UeLafq9JSjQ-
Is baar to bhiya muskil ho gayi aapko
Ache vidwan thai is baar
क्या दलित हिंदू है आपकी पौराणिक परंपरा में अछूत कौन ह?
बांग्लादेश में अधिसंख्य हिंदी दलित है क्या पौरामिको किदृष्टि में अछूत का कुछ अधिकार है,
कितने शंकर,रामानुज परंपरा के आचार्य दलित हुए?
पौराणिक मत जन्म से एक वर्ण और जाति के संरक्षण और उसके ही संवर्धन की बात करता है।पौरानिको के वर्ण ने समाज को दूषित कर दिया और प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर दिया।
परिणाम भारत पराधीन हुआ।इतनी अधिक जन होने के उपरांत भी अन्य समाज ने संघर्ष को अपना धर्म समझा क्योंकि जाति तो ईश्वर प्रधान थी।
दलित पौराणो के अनुसार क्या है?अगर जाति ईश्वर ने कर्मानुसार बनाई होती तो शूद्रों (छत्रपति एवम महाराजा रणजीत सिंह इत्यादि) में वीर कैसे हो गए?
पौराणिक परंपरा अवैज्ञानिक है और इसका नाश हो जायेगा।
एक पौराणिक कथावाचव क्यू बोध पढ़िए,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
क्या अद्भुत रचना इस तथाकथित श्री राम भक्त की।
वेद में अलंकार नहीं वेदानुकुल ऋषि परिणत ग्रंथों में अलंकार देकर समझानें की बात की है जैसे
अहिल्या जारः अहिल्या का जार कौन इसी को पुराणकारों नें गौतम अहिल्या पर कलंक लगाया। जबकि अहिल्या नाम रात्री की है,गौतम नाम चंद्रमा का है ,इन्द्र नाम सुर्य का है।
यही सनातन परंपरा जिसमें शांतिपूर्ण ढंग से विपरीत विचार विमर्श ये सनातन संस्कृति में ही संभव है बाकी देखना काफी मुश्किल है
जीव कर्मो के आधार से जन्म लेता है,इसलिए वेद.ज्ञान ऋषि आत्मा के हृदय में दिया।
नहीं दिया
बहुत सुंदर जवाब प्रकाश आर्य जी
मोक्ष से श्रेष्ठ आत्माओं के उद्भव होता हुआ पुर्ण ज्ञान ग्रहण करनें की धारणा शक्ति होती है,उस ईश्वर नें वेद सृष्टि ज्ञान है जिसे ऋषियों को हृदय में आधान किया।
आपको दर्शन योग महाविद्यालय सुन्दरपुर ,दर्शन योग महाविद्यालय रोहतक, वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़, वैदिक पन्था न्यास भींड अजमेर राजस्थान जाये
प्रकाश जी का तर्क वेद सम्मत है बाकी पाखण्डी कुतर्क पर कुतर्क किये जा रहा है
इसके पास एक दो प्रश्न होते हैं जिनको सब आर्य समाज मंदिर में जाकर पूछता रहता है, इसको जिज्ञासा नहीं है बल्कि आर्य समाज को अपमानित करना चाहता है, धूर्त व्यक्ति,
अच्छा अपमान ये होता है क्या चर्चा करना अपमान होता है गजब हो
अपमान होता जब आर्यसमाज के लोगो के द्वारा भगवानो का अपमानजनक शब्दो का उपोयग करना जैसे शिवंलिंग, राधा जी आदि आदि
अपमान वो होता है जो आप लोगो के द्वारा सनातनीयों के पूजा-पाठ का मजाक उडा़ना
अपमान वो होता है साधु संतो और आचार्ययों का अपमान करना
ये होता है
@@NaveenSharma-gq9qj आर्य समाज कभी भी सनातन वैदिक धर्म का अपमान नहीं करता, बल्कि मैं तो कहता हूं हम आपस मैं एक दूसरे के साथ मिलकर क्यों नहीं चलते, महर्षि दयानंद सरस्वती ने कभी भी नहीं सोचा की सनातन वैदिक धर्म खण्ड खण्ड में बटा हुआ रहे, उन्होंने गलत क्या कहा बताओ, वेदों की ओर लोटो, अपने मूल को जानो और सत्य अर्थों को समझ कर धर्म का पालन करते हुए मोक्ष को प्राप्त करो, उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के सभी मत पंत संप्रदायों और इस्लाम, ईसाइयत के अंदर जो जो पाखंड अंधविश्वास था उसको उजागर किया, मैं आर्य समाजी नहीं हूं और मेरे परिवार में भी कोई आर्य समाजी नहीं है लेकिन जब मैंने अपने धर्म और ईश्वर से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर ढूंढने का प्रयास किया तब वेदों उपनिषदों, भगवदगीता और दर्शनों को आधार बनाकर लिखी पुस्तक को पढ़ा और अन्य ग्रन्थ भी पढ़े तब वेदों उपनिषदों आदि में मौजूद ज्ञान से मेरा परिचय हो गया और मेरे लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो गए। आप भी एक बार सत्यार्थ प्रकाश अवश्य पढ़ें। मुझे अपना सनातनी भाई ही समझें मैं आपका शत्रु नहीं हुं। धन्यवाद
@@themukesh.k
1. राधा जी क्या सनातन में नहीं है क्या शिव भगवान सनातन में नहीं है क्या
अब ये मत कहना ये नहीं आर्यसमाज हि सही और सब गलत ये नहीं होता है
2. सनतान वैदिक धर्म खण्ड में बँटा है तो इसका मतलब ये नहीं कि कुछ कमी हुई है तो ..............आर्यसमाजीयो की हि बात सत्य है उनको मानो बस
आर्यसमाज भी खंड खंड में बँटा है (कोई वेद भाष्य ठिक बोलता है तो कोई गलत ,,,,,,,,,कोई बोलता है हनुमान जी उड़े थे कोई नहीं ...........कोई बोलता है सत्यार्थप्रकाश ठिक है कोई बोलता है मिलवाट हो गई ...............अग्निवेश आर्यसमाजी गुट अलग तो अन्य वाले अलग )
क्या आर्यसमाजी ही वेद की जानकारी किसी के पास ये ठपा लगता है क्या ?
आपको किसने कह दिया हम वैदिक नहीं है ?
सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है
1. अपने वर्ण में शादी करों उत्तम है .....
2. बाह्मण क्षत्रिय वैश्य सुंदर लड़कि से शादी करों
3. आपातकाल में शूद्र के हाथ का भोजन करों उसका मुख ठक दो
4. भंगी के साथ भोजन ना करो
5.फलाने फलाने नाम की लड़कि से शादी ना करो
6. शूद्र मूर्ख होते है
7. शूद्र अनार्य होते है
आर्यसमाजीयों के भाष्य में लिखा है .........
1. ईश्वर हमें शूद्र के धर जन्म ना दो
2. शूद्र को पैरो से संज्ञा दि गई है
और भी बहुत है इसको पचा लो पहले
सत्यार्थप्रकाश को बहुत बार पढ़ा है 6 साल हो गएँ इस कार्य में
जितनी बार सत्यार्थप्रकाश को बदला उससे ज्यादा पढ़ा है भाई जी
भाई शिवांश आपने बहुत से कुतर्क किए , लेकिन एक चीज अच्छी है
जो नए नए सीखने वाले और भटके हुए लोग है उनको बहुत कुछ जानने का मौका मिला ।
भाईसाहब के अनुसार ईश्वर को भी सृष्टि करने के लिए प्रकृति की आवश्यकता होती है। इसलिए ईश्वर डिपेंडेंट है प्रकृति पर
पुरुषतत्त्व ही प्रकृतितत्त्व के रूप में विद्यमान् हैं ।।
ईश्वर केवल चेतन है | चेतन में जड़ता के गुण नहीं होते है | प्रकृति जड़ है उसमें चेतनता नहीं होती है |
@@vijayKumar-bn8ho यदि प्रकृतितत्त्व में पुरुषतत्त्व ना होता , तो तुम ही ना होते यानी प्रकृतितत्त्व ही ना होती ।। इसी से पता लग जाता हैं कि तुम लोगों के पास कितनी समझ हैं ।।
Ye log murkha hai@@धर्म-अधर्म
इस डिबेट में जो उत्तर दे रहे हैं वह बहुत ही आर्य सज्जन व्यक्ति हैं
प्रश्न पूछने वालेथोड़ा चालाकी से पूछ रहे है
@@diwanchand2570 अच्छा जी आप दे दो उत्तर लाईव में आ कर
क्या भाई सवाल पूछना है तो आर्य समाज के सिद्धांतो पर सवाल कीजिए।
आप तो निखट्टू मालूम होते हो, आपके इन कुतर्क से किसका भला हो जायेगा।
केवल सिद्धांत पर बात कीजिए, चाहे वो किसी गुरु से आए या काले कुत्ते से,हम मनुष्यो को इससे मतलब नही है।
आपके पास इनसे कोई अच्छा सिद्धांत है तो आप उसे चुनौती से रखिए।
चर्चा करनी और देखनी अच्छी बात है,मत भेद खत्म होता है,सत्य उजागर होता है, उत्तम सिद्धांत हमारे समक्ष उपस्थित होते है।
लेकिन आपका ये कुतर्क वाला तरीका ठीक नही है,आपकी मूर्खता झलकती है इससे, कृपया सुधार कीजिए।
ये ज्ञान जब याद नहीं आता जब आप सब कुछ मिलावट है मिलावट है बोलते हो
मतलब आपका पिछे के कुछ गुरुओं के नाम क्या पुछ लियें ............ये सवाल ही गलत हो गया और आप लोग सब को मिलावटी बोलते हो वो सही है
गजब हो भाई
आर्यसमाज के वेद भाष्य में लिखा है ईश्वर हमें बाह्मण क्षत्रिय वैश्य के धर जन्म दे शूद्र के धर ना दे
आर्यसमाज के भाष्य में लिखा है पाँच वर्ण होते है
और भी बहुत कुछ है
Hn toh siddhant pe hi sawaal kiye hain! Aur tumhara siddhanth galat hai aur usko sahi sabit tum nhi kar paate toh kutark , milawat karke rote ho
@@NaveenSharma-gq9qj गुरुओ के नाम जानने से आपका क्या भला होने वाला है, तुम्हे शंकराचार्य के नाम ज्ञात है, तुमने क्या कर लिया, उल्टा कुतर्क ही तो कर रहे हो, आव्हान के कई विडिओ है, इसमें उन्होंने कब कहा कि मैं शास्त्रार्थ कर रहा हूँ, भीगी बिल्ली बनकर जाते है और मोबाइल कैमरा ऑन करके आर्य समाज के कार्यकर्ताओ से पूछते है मुझे आपका इंटरव्यू लेना है, न कि शास्त्रार्थ करना है
@@netaramarya कहाँ पर है की इन्होने कहाँ ये शास्त्रार्थ कर रहे है उनसे ...........दिखाना जरुर अब भागना मत
आपके patience को साष्टांग, ऐसे लोगों को कैसे झेल लेते हैं, जय श्री राम
शिवांशु जिससे पूरा उत्तर मिला और चुप होगया। उस विडिओ को अपलोड नही करता है।
कौन सा वीडियों बोलो क्या आपसे बात हुई क्या
इन्हें सत्य उत्तर से कोई मतलब नहीं है केवल कुतर्क करते है, अपने चेनल को ग्रो करने में
में जो बोलूँ वही सत्य है ये कैसे हो सकता पूर्ण तत्व ज्ञान के बिना हर कोई अपने मत को सिद्ध करना चाहता है वेद मेरे प्राण है और पुराण मेरा शरीर में ना तो शरीर के बिना जीवित रह सकता हूँ ना प्राण के बिना मेरे दौनों मत ज़रूरी है
आदरणीय प्रकाश जी सादर नमस्ते, ये महाशय वितंडा करते हैं,अपना पक्ष नहीं रखते।
बिलकुल ठीक कहे रहे हो। व्यक्ति को अपना सिद्धान्त रखकर पर पक्ष की मान्यता को प्रमाण और तर्क से समझना चाहिए। व्यक्ति बातचीत करने में 54 प्रकार से गलतियां कर सकता है।
Pahle ek siddhant banaon fir dharm sastra se uska praman dikhaon.
Agr dharm sastra uska khandan kare to milavat milavat kahe kar chupa do.
शिवांश जी भाई आप कृपया करके देख लीजिए श्रीमद् देवी भागवत पुराण जो गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित है उसके छठे स्कंध में दिया हुआ आपके बारे में विस्तार से है उसमें दिया हुआ है कि सतयुग त्रेता द्वापर के जो राक्ष्स समझे जाते थे वह कलयुग के ब्राह्मण है
ये भाई साहब जान बूझ कर बात को घुमा रहे हैं। इनको समझना नहीं है वास्तव में ये पौराणिक हैं।
इस तिलकधारी से मेरा अनुरोध है आगर इतना सामर्थ्य है तो आचार्य अंकित प्रभाकर को शास्त्रार्थ की चुनौती दे
Sahi bole
Sahi bole
ईश्वर अवतार नहीं लेता इस विषय पर कुछ वेद के प्रमाण प्रस्तुत हैं -
वेदों में ईश्वर के अवतार न लेने के बारे में निम्नलिखित मंत्र प्रमाण हैं:
- ऋग्वेद 6.46.9: "न तद्द्वेष्टि कंश्चनेनम्" अर्थात् ईश्वर किसी के द्वारा द्वेष नहीं किया जा सकता और न ही वह किसी के द्वारा अवतार लेता है।
- यजुर्वेद 32.3: "नमस्ते रुद्र मन्यवे" अर्थात् रुद्र (ईश्वर) को नमस्कार है, जो क्रोधी नहीं है और न ही अवतार लेता है।
- सामवेद 646: "अजायते शाश्वतो ह्यनन्तः" अर्थात् ईश्वर अजन्मा, शाश्वत और अनंत है, और वह अवतार नहीं लेता।
- अथर्ववेद 10.8.25: "एको देवः सर्वभूतेषु गूढः" अर्थात् एक ईश्वर ही सभी जीवों में गूढ़ (अदृश्य) है, और वह अवतार नहीं लेता।
वेदों में ईश्वर के अवतार न लेने के बारे में निम्नलिखित मंत्र प्रमाण हैं:
- ऋग्वेद 6.46.9: "न तद्द्वेष्टि कंश्चनेनम्" अर्थात् ईश्वर किसी के द्वारा द्वेष नहीं किया जा सकता और न ही वह किसी के द्वारा अवतार लेता है।
- यजुर्वेद 32.3: "नमस्ते रुद्र मन्यवे" अर्थात् रुद्र (ईश्वर) को नमस्कार है, जो क्रोधी नहीं है और न ही अवतार लेता है।
- सामवेद 646: "अजायते शाश्वतो ह्यनन्तः" अर्थात् ईश्वर अजन्मा, शाश्वत और अनंत है, और वह अवतार नहीं लेता।
- अथर्ववेद 10.8.25: "एको देवः सर्वभूतेषु गूढः" अर्थात् एक ईश्वर ही सभी जीवों में गूढ़ (अदृश्य) है, और वह अवतार नहीं लेता।
इन मंत्रों से यह स्पष्ट होता है कि वेदों में ईश्वर के अवतार लेने की अवधारणा नहीं है।
कहां से कॉपी किया है ये,? सच बताना । तुम्हारे मंत्र ही गलत है जैसे = ऋग्वेद 6.46.9 -इन्द्र॑ त्रि॒धातु॑ शर॒णं त्रि॒वरू॑थं स्वस्ति॒मत्। छ॒र्दिर्य॑च्छ म॒घव॑द्भ्यश्च॒ मह्यं॑ च या॒वया॑ दि॒द्युमे॑भ्यः ॥९॥
अर्थ =
मनुष्यों को चाहिये कि जो सब ऋतुओं में सुखकारक, धन धान्य से युक्त, वृक्ष, पुष्प, फल, शुद्ध वायु जल तथा धार्मिक और धनाढ्यों से युक्त गृह उसको बनाकर वहाँ निवास करें, जिससे सर्वदा आरोग्य से सुख बढ़े ॥९॥
गलत अनुवाद हे
तुम्हारे इन वेद के संस्कृत मंत्र में अवतार ना लेने वाला शब्द है ही नही तुम अपने मन से अवतार ना लेने वाला शब्द जोड़ रहे हो 😂😂😂। तुम आर्य समाज के लोग इतने हद तक अपने बातों को जबर्दस्ती सिद्ध करने का निष्फल प्रयास करते हो 😂😂😂
मैंने बाज़ार में आम का व्यापारी देखा, क्योंकि मुझे आम नहीं खाना, मुझें आवश्यकता नहीं हैं, इसका अर्थ यह हैं कि मेरे पास आम खरीदने का धन नहीं हैं।
आर्य ने सही जवाब दिया
arya samaj hai to sanatan hai...
😂
Kyu arya ke pahle sanatan nhtha ved kyu us eshwar ki stuti kar rahe hai unhe to pta hoga
@@PriyankaJankar-dc3yn tha par sare ishwar ko kaddu de rahe the...
@@jumbolochan kaddu de rahe the to gir ye budhiman kaise huye
@@jumbolochan jinhe apna kal sabit nh kar sakte
ईश्वर पाप नहीं कर सकता, ईश्वर क्रोध नहीं करता, तो आह्वान भाई तुम यह कहोगे कि ईश्वर का सामर्थ्य नहीं है पाप करने का, गजब की मूर्खता है यह तो
@Presidentputin7 दोनों का एक ही उत्तर है
में पौराणिक था तुफैल चतुर्वेदी की कृपा से में आर्य समाजी हुआ।
ढोंग,जातिवाद से मुक्ति मिली,यह पौराणिक घोर जाति वादी ओर महिला हित दमनकारी है।
आप उसी तुफैल दोगले की बात कर रहे हो क्या
1. जो हनुमान चालिसा को बजारु बोलता है ............ग्रंथो में पोर्न देखता है
फिर माफि माँगता है (या तो पहले गलत था या फिर बाद में गलत)
उसी तुफैल को क्या जो माँ शेरेवाली का फोटो अपने पिछे लगा रखा है ............उसी को क्या
उसी तुफैल को क्या जो एक मुस्लिम लड़के को अपना बेटा बोलता है और हिन्दूँ लड़की के साथ जब वो नियोग करता है तो वो बोलता है .............कि किसी को फर्क नहीं पड़ना चाहिएँ वो उनकी बहन है क्या
उसी तुफैल को जो अपने धर में बियर रखता है मुस्लिम वहाँ पिता है
Ha ab karlo mahilao ka hitt mahilao ko tumne tool bana liya h apne matt ka prachar karne ke liye
Arey bhai tumhara jati purv janam ke karm se tumne khudi prapt kiya..
To uske adhar par vivha sradh upasana hai...
To tum sab kuch karne me saksham ho sirf vivha, sradh, upasana ek janam me badal nhi sakte sadachar ka palan karte hue agle janm me badal sakte ho..
To badal rha hai..
Tum short cut lekar badalta chahate ho.. lekin faal sabhi ke liye ek..
Yeh to bhogna aur sina jori karna hua..
Kya nishwarth prem hai dharm ke prati..
Ase to dheere dheere mann marzi badata jaiega..
Insan biplab karenge..
Dharm ka Nash ho jaiega.
Kyun ki maryada ka Cross karna wo sanskar aapko narak tak le jaiega.
Aab jo sastra puja path karne ko bolta wohi sastra ke kiye niyam kon bidhi nished deta hai kon kis karya me adhikari hai usme bhi mahila virodh dekhna..
Wo bhi sastra nirdharit rituals me..
Yeh bahubaal dikhna hua.
Mera taqaut mera marzi..😢😢
जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते।
@@SukhvinderSingh-ld8cc galat ush shoka yeh matalb nhi ki karm se tum ek hi janm me aapne purv janm se jarm se prapt adhikar ko u hi short lekar ignore kar sakte ho..
Dharm sare smriti sastra me praman hai. Bramhan kon hai un bramhan me se ral bramhn kon hai,patit bramhan kon.
Bramhan me se kuch hi bramhan hai jo bramhan prapt dhharm ka palan karta hai..
Baki patit bramhan hai..
Jaise mein patit bramhan hu.
Mare shurti sastra padne ka dhikar nhi hai..muje wo swikar hai.. Mere bas agle janm ke karm ke faal swaroop vivha, sradh bramhan jaisa hoga lekin upasana paddthi shudra jaisa hoga ye mera adhikar khunn hua.
Aab mein ase paristhiti mein usko change nhi kar sakta lekin mere bacche ko mauka milega use bhi nhi palan nhi kiya to uska bhi patan ho jaiega.
Mein aapni bramhan dharm palan nhi kar paya to yeh dushparinam sahen karna hoga.
Wo muje swikar hai hai.
Agle janm me mera patan ho jaiega..
आर्य समाज
वेद के ईश्वर को अवतार की आवश्यकता नहीं
क्योंकि सर्वव्यापी है
किन्तु
संसार माया से संचालित है
माया संचालन हेतु अवतरित होना ही होगा
जैसे -
सर्वशक्तिमान ईश्वर साकार नहीं है
किन्तु
संसार संचालन हेतु पंच तत्व की साकार गठित करनी पड़ी
ईश्वर सून्य में शक्तिमान है
पुराण
माया में।
शिवांश भैया की जय हो 🔱🙏🏻🫡 भैया आर्या समाज के सिद्धांतो पर बैन कराकर ही मानेंगे
Kya ben bhai sare prashno ka uttar diya is baar.
😂😂😂😂😂😂😂
Sach to ye hai ki Teri pop lila nhi chal rahi hai
आर्य समाज ऋषियों के सिद्धांतो पर चलता है , जिन पर बैन लगाना किसी अल्प बुद्धि वाले के बस की नहीं है 🔥🕉️🔥
@@vaibhavmaheshwari6287 bhai ji sach btau to enki pop lila ab chal nhi rhi hai to soch rhe hai burai kr k channel se do roti kha lu
हर हर महादेव ❤ सार्थक चर्चा
यह सब पूर्व नियोजित सैटिंग है
मान्यवर वेद मन्त्रों को मापने का पैमाना है जब जब कोई भी वेद मंत्रों को मिलावट करेगा उसको पैमाना से मापा जा सकता है इसलिए मंत्र किसी से भी प्राप्त किया सकता है इसलिए वेद मंत्रों को बदला नहीं जा सकता हां मंत्रों के अर्थ बेक्तियो के द्वारा अलग अलग हो सकता है और ये में नहीं रखता बृजानंद जी को वेद कौन से गुरु से प्राप्त हुआ? इसलिए वेद मंत्र किसी इस लिए वेद मंत्र किसी से भी लिया जा सकता है इस लिए अर्थ बदला जा सकता है वेद मंत्र नहीं!!
Ahvaah ji के सवाल का जवाब इसमें है:-
ईश्वर सर्वशक्तिमान है, फिर भी उस ने इस ब्रह्मांड को बनाने में अरबों साल क्यों लगा दिये..चाहेतो एक पल में बना देता क्यों??
Analysis kare..
Arbo saal laga diye? Kab? Brahmand jab bana toh ek baar mein hi bana! Aur agar ishwar ne arbo saal bhi laga diye toh vo uski marzi hai! Prakriti kaise kaam karegi! Ismein sawal ka jawab kaise hua? Ye toh wahi baat hogayi ki ishwar sarvashaktiman ho ke bhi avatar leta hai! Arya samaj ke according sarvashaktiman ishwar ne fir ek baar mein brahmand kyu nhi banaya? Aise hi ishwar ajanma ho ke bhi avatar leta hai! Aur jab manushya roop mein avatar leta hai toh manushya jaisi leela karta hai! Aur ishwar sarvashaktiman hone ke bawajood bhi usne brahmand banane mein itna time kyu lagaya iska jawab toh tumhe Dena chahiye! Kyuki fir matlab vo ye ek pal mein brahmand banane ke capable nhi hai? Toh sarvashaktiman kaise hai?
जो सर्व व्यापक और सनातन का अंतर ही नहीं जानता उससे कैसी बहस।
आज की ताजा खबर--गुप्त सूत्रों से पता चला है----आर्यसमाज अब- प्रकाश आर्य जी को अब ........अंगिरा ऋषि धोषित किया जाएँगा........... 🙂
😂
दयानंद जी के पिताजी शिवभक्त थे, परन्तु अपने पुत्र मूलशंकर (दयानंद जी) को बचपन से वेद संहिताएं परंपरा अंतर्गत कंठस्थ करा रहे थे। इसलिए गृहत्यागी होने से पहले दयानंद जी ने संपूर्ण यजुर्वेद संहिता तथा अन्य वेदों के कुछ अंश कंठस्थ कर लिए थे। उस समय देश में कहीं कहीं वेद संहिताएं उपलब्ध थीं। गुरु विरजानंद जी से अध्ययन करने के पश्चात् भी दयानंद जी ने आगरा, धौलपुर, ग्वालियर, करौली, आदि की यात्राएं की तब भी वे वेद संहिताओं का अन्वेषण आदि करते रहे। विदेशियों ने जो वेद उस समय प्रकाशित किए थे, उनमें से कुछ उनके पास थे। वेदार्थ को लेकर वे सायण, महीधर, उव्वट तथा पाश्चात्य वेद व्याख्यानकारों से असहमत थे। उन्होंने यास्क आदि पुरातन वैदिक ऋषियों के ग्रन्थों के आधार पर वेदार्थ किया। वे उपलब्ध वेद संहिताओं को मान्य करते थे। केवल मन्त्र संहिताओं को ही "वेद" संज्ञा से अभिहित करते थे, ब्राह्मणग्रन्थों आदि को "वेद" नहीं, बल्कि वेदों के व्याख्यान रूप मानते थे।
आप क्यूँ रोक रहे है, जिस दिन आवश्यकता होगी क्या उस दिन वह अवतार ले सकता है?
Na
@@freefireroorkeeha
@@freefireroorkeenh le sakta aur eshwar ko samjh liya hai tu apna kal aur pal sabit karo kal tum logo ke pas
@@freefireroorkeevedo ka gyan dhang se lo eshwar ne apna chinha om sakar kyu kiya
@@PriyankaJankar-dc3yn wao kya tark hai mene haar maan li
मोक्ष से आये आत्मा के हृदय मे वेदो का दिया है।
अब समय आ गया है कि आर्य समाज के पुरोधा आगे आएं और सवालों के जवाब दें.. स्वघोषित विद्वान ना साबित करें..
एक ऋषि दयानंद अकेला सब पर भारी था, काशी के विद्वानो के छल, कपट और गद्दारी ने उन्हें हराया था
@@RaviTiwari-777 नहीं मै उनके सम्मान में कोई अपशब्द का प्रयोग नहीं करूंगा। लेकिन सत्य क्या है अब सबके सामने आ रहा है।..
Ha , ye arya smaaji khud ko adhik buddhiman sabit krne k liye dusro ko murkh man lete h 😂
HAR HAR MAHADEV
इन समाजियों ने कभी भी धोती नहीं पहनी होती,शर्ट पैंट,कुर्ता पजामा में ही इनके सारे कर्मकाण्ड होते हैं। अधिकतर की तो शिखा तक नहीं है। इतने मात्र से ही ज्ञात हो जाता है कि सामान्य कर्मोपयोगी वैदिक शिष्टाचार भी जिनमें नहीं है वे अधिकारविहीन क्या वेद पढ़ेंगे,क्या ही उनका अर्थ करेंगे।
Ye toh mahilao ka yagyopavit karwate hain toh unse kya umeed karoge ? Ye dayanand ke ved follow karte hain ishwar ke nhi
@@Anadi_Anant_Narayan mahila manushya nahi hoti kya jo yagyopavit na karwaye
@@Himanshu_kld shastro mein nished hai! Lekin tumhare apne banaye huye vedo mein allowed hoga!
@@Anadi_Anant_Narayan ved mantra hi bata diye hote Kam se kam
@@Anadi_Anant_Narayanjaha par niched hai
जब बात ईश्वर ओर उस परम्ब्रह्म के वखान करने की आती है तो वहां महापुरुष मौन हो जाते है, यहा दो विद्वान लोग चर्चा कर रहे कि तुम ईश्वर को कम जानते है, , जीवात्मा और आत्मा दोनो को एक मान रहे है ।🙏🏻
और तुमने भी ये बात किसी गुरू शिष्य परम्परा के ग्रंथ से चुराई होगी जा तुम्हे आत्म ज्ञान हो गया है और जहा से तुमने ये बात चुराई होगी वहा और भी बहुत कुछ लिखा होगा लेकीन वो सब तुम मानोगे नही मतलब गजब टोपीबाज कलयुगी प्राणी हो
@@420msclub किसी ग्रंथ क्या होता है, हिन्दु स्क्रिप्चर ही सिखाता है जब बात आत्मा या ब्रह्म की आती है तो मौन हो जाते है ,अगर वखान कर रहे हो तो अहंकार बोल रहा है ,उपनिषद नेति नेति का कांसेप्ट लाये है, मै तो न पहुंचा आत्मज्ञान तक तेरा गुरु पहुंचा क्या ? ,