जानिए यजुर्वेद के अर्थ और महत्व के बारे में || By आचार्य अनुज शास्त्री जी || +91 70782 81762
HTML-код
- Опубликовано: 27 авг 2024
- आचार्य अनुज शास्त्री जी
............................................................................................
अगर वीडियो पसंद आए तो लाइक और शेयर कर प्रोत्साहित
................................................................................................................
भजन व उपदेश के कार्यक्रम की कवरेज के लिए व अन्य वीडियो हमारे पास भेजने के लिए सम्पर्क करें। Arya Samaj Gharaunda | 94162-21119 Whatsapp | Telegram
........................................................................................................................
प्रतिदिन अन्य वैदिक प्रचार के कार्य्रकम देखने के लिए हमारे Arya Samaj Gharaunda के RUclips चैनल से जुड़े।
..............................................................................................................................
..............................................................................................................................
Thankyou For Visit
"Arya Samaj Gharaunda" Channel
अति उत्तम प्रवचनहै
आर्यसमाज घरोंडा के समस्त पदाधिकारियों को बहुत बहुत शुभकामनायें 🌹 आपके इस पुरुषार्थ को नमन 💐💐💐
Acharya Ji and sabhi Arya samaj ke members ko namaste
आर्य समाज की पुस्तकालय अधिक से अधिक खोलावाए आप को नमन,,🙏
Bharat mata ki jai
namaste g very nice
ॐ ॐ
शुभ कामनाएं स्वामी जी🙏
Shubhkamnaen guruji
Om
Aacharya ji namste❤
Namaste g❤❤❤❤
अंडा मीट मांस खाने वालों को गर्म तेल में ❤❤❤❤❤❤❤very very nice
आचार्य जी नमस्ते
Dwapr ke bad Bamanthiyo ne purano ko banaya.
चारों वेदों का कोई महत्व नहीं है आर्य समाजी इतना वेद वेद करते आए है, किंतु वेद से आर्य समाजियों का खुद का क्या भला हुआ कभी किसी को नहीं बताते, क्योंकी उनके पास बताने को कुछ है ही नहीं सिवाय इस गपोड़ के वेद की और लौटो...वेद को मानों...वेद ईश्वर की वाणी है
मूर्खों को कैसेसमझाया जाए
तुम क्या मानते हो
ऐसा लगता है कि तुम सुअर के औलाद हो; तुमने कभी वेदों को देखा तक नहीं।
@@brahmarshipranav.7 हम जानते है की चतुर्वेद प्राचीन ऋषियों के द्वारा अपने इष्ट की स्तुति ,उपासना और महिमा का बखान करने के लिए रचे गए ऋचाओं का संग्रह मात्र है जिसे एक कश्मीरी पंडित के द्वारा संग्रहित किया गया था आने वाले पीढ़यों के लिए किन्तु बाद में इसमें काफी मिलावट किया गया है और काफी कुछ हटा दिया गया है और काफी कुछ नया मिला दिया गया है | वैसे चतुर्वेद का कोई पुरातात्विक प्रमाण नहीं है किन्तु कोई ये भी नहीं बताता की चतुर्वेद पहली बार कब छपा था क्योंकि इसका भी कोई प्रमाण नहीं है | हिन्द हिन्दू और हिंदी का इतिहास मिटाने वाले अपना वर्तमान और भविष्य दोनों बिगाड़ चुके है 😇
तुम तो बहुत ही निर बुद्ध आदमी हो
Om