शुक्राचार्य ने तंत्र मंत्र शक्ति से राजा चित्रागत को नागलोक क्यों भेजा ! Episode 275 !

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  • Опубликовано: 26 авг 2024
  • शुक्राचार्य ने तंत्र मंत्र शक्ति से राजा चित्रागत को नागलोक क्यों भेजा ! Episode 275 ! #ShreeGanesh
    Director: Dheeraj Kumar
    Producer: Zuby Kochhar
    Production: Creative Eye
    Dialogue Writer : Vikas Kapoor
    Screenplay Writer : Darshan Laad
    Music: Shaarang Dev
    Digital Partner: vianet media pvt ltd
    Mail ID:- info@vianetmedia.com
    जानिए क्या है श्रीगणेश पुराण !
    गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं।
    उनका वाहन डिंक नामक मूषक है।
    गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है।
    ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं।
    हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं।
    गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें प्रथमपूज्य भी कहते है।
    गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपत्य कहलाता है।
    गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। उपरोक्त द्वादश नाम नारद पुराण में पहली बार गणेश के द्वादश नामवलि में आया है।[1] विद्यारम्भ तथ विवाह के पूजन के प्रथम में इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है।
    गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है।
    शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है।
    इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है।
    चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं।
    वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
    उनकी लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है।
    प्राचीन समय में सुमेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था। उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था।
    एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई। उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहाँ आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया।
    कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया।
    रोती और काँपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख माँगने लगी।
    उसी समय सौभरि ऋषि आ गए।
    उन्होंने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी सहधर्मिणी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा।
    काँपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की-'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था।
    मुझे क्षमा कर दें।
    ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे (हर युग में गणेशजी ने अलग-अलग अवतार लिए) तब तू उनका डिंक नामक वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे। सारे विश्व तब तुझें श्रीडिंकजी कहकर वंदन करेंगे।
    गणेश को जन्म न देते हुए माता पार्वती ने उनके शरीर की रचना की।
    उस समय उनका मुख सामान्य था।
    माता पार्वती के स्नानागार में गणेश की रचना के बाद माता ने उनको घर की पहरेदारी करने का आदेश दिया।
    माता ने कहा कि जब तक वह स्नान कर रही हैं तब तक के लिये गणेश किसी को भी घर में प्रवेश न करने दे।
    तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और बोले "पुत्र यह मेरा घर है मुझे प्रवेश करने दो।"
    गणेश के रोकने पर प्रभु ने गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया।
    गणेश को भूमि में निर्जीव पड़ा देख माता पार्वती व्याकुल हो उठीं।
    तब शिव को उनकी त्रुटि का बोध हुआ और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज का सर लगा दिया।
    उनको प्रथम पूज्य का वरदान मिला इसीलिए सर्वप्रथम गणेश की पूजा होती है।
    गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। उपरोक्त द्वादश नाम नारद पुराण में पहली बार गणेश के द्वादश नामवलि में आया है।[1] विद्यारम्भ तथ विवाह के पूजन के प्रथम में इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है।
    पिता- भगवान शंकर
    माता- भगवती पार्वती
    भाई- श्री कार्तिकेय (बड़े भाई)
    बहन- -अशोकसुन्दरी
    पत्नी- दो (१) ऋद्धि (२) सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)
    पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
    प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
    प्रिय पुष्प- लाल रंग के
    प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
    अधिपति- जल तत्व के
    प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश
    वाहन - मूषक

Комментарии • 36

  • @kavitashah3702
    @kavitashah3702 2 года назад +1

    JAY SHREE GANESHAY NAMAH 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐🌼🌼🌼🌼🌼🌹🌹🌹🌹🌹🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🪔🪔🪔🪔🪔👣👣👣👣👣👣👣👣👣 JAY SHREE RADHE KRISHNA 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐🌼🌼🌼🌼🌼🌹🌹🌹🌹🌹🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🪔🪔🪔🪔🪔👣👣👣👣👣👣👣👣👣

  • @kcsharma9171
    @kcsharma9171 3 года назад +2

    Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram

  • @surajchakraborty1967
    @surajchakraborty1967 2 года назад +1

    Om Shree Ganeshiya namo

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 2 года назад +1

    Jai Ganga Maiya

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 2 года назад +1

    Jai shidi vinayak ji ki

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 2 года назад +1

    Jaii Mata Di

  • @healthcaretips.
    @healthcaretips. 2 года назад +1

    Jai Shree Ganesh

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 2 года назад +1

    Har Har Mahadev

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 2 года назад +1

    Jai shree Ganesh

  • @RajuKumar-ee2lg
    @RajuKumar-ee2lg 3 года назад +5

    Jay shiree ganesh kee

  • @phuldas3295
    @phuldas3295 3 года назад +4

    Sri gonesh

  • @ankurkhanikar3178
    @ankurkhanikar3178 2 года назад +1

    Awesome

  • @kcsharma9171
    @kcsharma9171 3 года назад +2

    Jay ganga maiya

  • @kcsharma9171
    @kcsharma9171 3 года назад +2

    Har har mahadev

  • @raghunatharana5747
    @raghunatharana5747 11 месяцев назад

    Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Jai ma parvati ki

  • @indianvillagersdelhitokera9612
    @indianvillagersdelhitokera9612 3 года назад +4

    Om maha ganpathey shri param dev maha ganesh ki jai ho 🙏🙏

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Har Har Gange

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Jai mata di

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Jai shidi vinayak ki

  • @Rohitrah7488
    @Rohitrah7488 2 года назад

    Jay Shree Ganesh🙏🙏

  • @deepjyotideka1578
    @deepjyotideka1578 3 года назад +6

    Shree Ganesh🙏

  • @deepakkumar-rx2tu
    @deepakkumar-rx2tu 3 года назад +1

    Om Ganeshaay Namaha.. 🙏

  • @SoniKumari-ku7qt
    @SoniKumari-ku7qt 3 года назад +2

    Om shree ganesaye namh 🙏🙏🙏🌹👌🌻

  • @wanabud7372
    @wanabud7372 3 года назад +3

    এটা আমার গল্প

  • @molhuyadav2459
    @molhuyadav2459 3 года назад +3

    276 jaldi do

  • @dayaramraut1671
    @dayaramraut1671 3 года назад +2

    Om 🙏om 🙏om 🙏

  • @imteyajansari2703
    @imteyajansari2703 3 года назад +3

    Next part

  • @schbolo8401
    @schbolo8401 2 года назад +1

    Agar shiv ji ka koi serial hai to naradmuni har har mahadev karte hai agar vishnu ka ho to narayan narayan karte hai ab ganesh ka hai to jai shri ganesh karte chakar kya hmari history ka sach hai kya yar

  • @princeagrawal6267
    @princeagrawal6267 3 года назад +3

    276

  • @DeepakKumar-nz7gc
    @DeepakKumar-nz7gc 3 года назад +3

    शुक्राचार्य का दस्यु असुर अरबों से कोई संबंध नहीं नहीं⛔🚫❌❌❌❌ बल्कि आर्यों की जाति राक्षस हब्शी से संबंध था राक्षसों के वे गुरु थे ; देवता समाज आर्यों की एक जाति थी जो स्वभाव से मधुर थी. पामीर मेरु पर्वत जिस पर वैवस्वत मनू और महाभारत काल में ऋषि व्यास का निवास था उसके चारों और के प्रदेश को इलावृत कहते थे. तारिम सीता नदी के एक और ऋषिक दूसरी तरफ तुषार वंश थे दोनों ऋषिक तुषार यूची वंश प्रथम सर्वप्रसिद्ध देवराज इन्द्र के वंश थे , देवराज इन्द्र त्रिविष्टप तिब्बत यानि स्वरृग के देवताओं और आर्यों का सर्वोच्च पद था, देवराज इन्द्र की सभा में 1000 ऋषि थे इसलिए देवराज इन्द्र के 2000 नेत्र थे जो उन्हें राजनीति आदि की सभी समस्याओं का निवार्ण करते थे , इन्हीं प्रदेशों में यम वरुण अग्नि ब्रह्म विष्णु शिव कुबेर आदि की सभाएं भी थी जो महाभारत में वर्णित हैं कुबेर अलकापुरी में रहते थे . नीचे आर्यव्रत और जम्बूद्वीप एशिया में मनुष्य जाति के आर्य थे.
    देवताओं के साथ गंधर्व अफगानिस्तान में, और साथ में किसी जगह यक्ष थे यक्षों के अनेक वंश पापी प्रवृत्ति के थे उन्हें अलग करके राक्षस जाति बनाई गई देवताओं द्वारा राक्षस अफ्रीका में खदेडे ग ए अफ्रीका में इजिप्ट में भगवान विष्णु की मूर्तियां भी पाई जाति हैं हो सकता है इनको अफ्रीका में भगवान विष्णु ने ही खदेडा हो, इस प्रकार राक्षस आर्यों की ही एक जाति थी जिसका पेशा पशपालन पशुओं की रक्षा खेती बाडी था , स्वामी दयानंद सत्यार्थ प्रकाश प्रथम संस्करण के अनुसार आज के हब्शी ही प्राचीन राक्षस जाति है. सिंहल को श्रीलंका स्वीकार करना कठिन है क्योंकि ये भारत से 20-25 किलोमीटर दूर है बस , जबकि सुमाली राक्षस के देश सोमालिया के पास कहीं प्राचीन लंका थी ये सही जचता है और 100 योजन भी फिट बैठता है, राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य थे , देवताओं और राक्षसों में आपस में वैर हो गया था, राक्षस और देवताओं के युद्ध को देवासुर संग्राम कहा जाता है. अब बात असुरों अरबों की, हरामखोर मादरचोद अनपढ विद्याद्वेषी असुर अरब आरृय नहीं बल्कि दस्यु दुष्ट वर्ग के थे . शुक्राचार्य से अरबों असुरों का कोई संबंध नहीं.🚫❌❌⛔ .

  • @route8656
    @route8656 3 года назад +3

    Vkekv

  • @kcsharma9171
    @kcsharma9171 3 года назад +2

    Jay shree ganesh

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Har Har Mahadev

  • @rajeshdhall2366
    @rajeshdhall2366 Год назад

    Jai shree ganesh

  • @arunbarikarunbarik1875
    @arunbarikarunbarik1875 3 года назад +2

    Jay shree ganesh