"आत्मसम्मान हेतु स्वंय के प्रति ईमानदारी आवश्यक " जीवन चलने का नाम, सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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  • Опубликовано: 26 июн 2024
  • पयस्विनी!
    खोलनेआये आज,अपने मन की गाँठ,
    कुछ दीपक जो,लाये हम अपने साथ।
    चाहूँ वो बहें तुम्हारी ,लहरों के साथ,
    प्रेम मंजिल तक पहुँचे,है बस यही आस!!
    प्रेम के मार्ग की बस , मन्नतें यहीं,
    अर्थ यह कि स्वप्न बन झर रहे हैं यहीं ।
    पयस्विनी !
    स्वप्न और याद के घरौंदे न तोड़ना,
    मन्द गति जाना,पुरानी आदतें छोड़ना!!
    सुधा सक्सेना (पाक रूह)

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