(गीता-25) तीन धर्म जिन पर कभी नहीं चलना (स्वधर्म पहचानिए) || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2023)
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- Опубликовано: 12 ноя 2024
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वीडियो जानकारी: 26.10.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ स्वधर्म क्या है?
~ परधर्म क्या है?
~ स्वभाव क्या है हमारा?
~ आज तक हम किन तीन ताकतों के प्रभाव में निर्णय लेते आ रहे हैं?
~ कर्म क्या है?
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥
सुंदर रूप से अनुष्ठित परधर्म की अपेक्षा गुणरहित होने पर भी निजधर्म श्रेष्ठतर है। अपने धर्म के पालन में मृत्यु भी कल्याणकारी है, दूसरों का धर्म भययुक्त या हानिकारक है।
श्रीमद भगवद्गीता (अध्याय ३ श्लोक ३५ )
संगीत: मिलिंद दाते
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भीड़ का चयन करना मतलब अपनी निजता का सौदा करना आचार्य प्रशांत ❤
परधर्म माने शरीर, समाज, सयोंग पर चलना.. दूसरे के धर्म को परधर्म नहीं बोलते ❤
सत्य को कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai shree Ram
Dhanyawad Acharya ji..
प्रणाम आचार्य जी ❤❤
हर हाल में सत्य को चुनना है
Thanks
❤❤
Suprabhat Jay Shri Ram 🙏
Koti koti parnam guru ji 🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🚩।। ॐ नमः शिवाय।।🚩🙏
❤ ❤ ❤
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏🕉️🕉️🙏🙏
🙏 🙏 🙏, 💞 💞 💞
hm sochte he hm nhi dusre sochege disre bhi yhi sochte he hm bhi kyu soche aur is trah koi nhi sochta jo jaisa he vaise hi chalta he kuch nye ka khatra koi nhi utata jivan hmesha nye uttar mangta he kyuki jivan har pal naya he
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
🙏
जय श्री राम ❤️❤️❤️
Parnam Acharya ji ❤❤❤
❤💐🌺👍👍👍
Pr dharm pr nhi chalna❤❤❤🙏🙏
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