आचार्य जी, चरण स्पर्श सहित प्रणाम आपके द्वारा जो व्याख्यान दिया गया है वह ज्ञानवर्धक है लेकिन आज मनुष्य बाह्य आडंबर में अधिक विश्वास करता है l यदि कोई उन्हें सही मार्ग की ओर प्रशस्त करता है तो वे उसे ढोंगी कहते हैं l आजकल व्यक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने की मनोवृति रखते हैं l आपके द्वारा व्याख्यान दिया जाता है, उसे में ध्यान से सुनता हूं और उस पर अमल भी करता हूं,जिस कारण से मेरा मन और बुद्धि स्वस्थ रहते हैं l आपको पुन:करबद्ध प्रणाम l
प्रसिद्धि की चाह पाप कराती है और इसे में पाश्चात्य जगत निरंतर लगे हुए हैं और भारत आदि सभी देशों को भी ले डूबा। चौथे सातवे आसमान वाले ही हिंसक, विलासिता आदि अशांति सम्पूर्ण संसार में फैलाए हुए हैं और आपने ठीक कहा की पश्चिम के विकास में ईश्वर और आत्मा आदि अस्तित्व का कोई स्थान नहीं। इन सबको महर्षि दयानन्द देख लिया था और अब आप भी देख रहे हो। तभी महर्षि न कहा था की जब भी सुधार होगा वह वेद प्रचार से ही होगा सो इस कार्य मैं आप निरंतर लगे हुए हो कि किस प्रकार लोगों को वेद की और लौटाया जा सके। ऋषि अग्निव्रत श्री आपने बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर कहा और यथार्थ सत्य से सभी को अवगत कराया, भुरिशह धन्यवाद।
Pranam respected Acharya Ji. Your lecture is very interesting and full of truth. Unfortunately nowadays people are all into materialism and have forgotten Ishvar . He created this universe for the wellbeing of all souls and He resides in every bit of it. Due to lack of vedic knowledge people are involved in every kind of sinful activities to satisfy their sensual pleasures and are destroying the world. Our ancestors also were doing agricolture, eating food , making progress but that was according to Vedas and they were progressing both materially and spiritually. But today people have forgotten Ishvar and they are going against Him . The result of it is that the world is sitting on explosives.
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता। तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः॥ कालो न यातो वयमेव याता। तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः॥ हम भोग नहीं भोग रहे बल्कि भोग हमें भोग रहे हैं। हम तपस्या से नहीं तप रहे परन्तु दु:खों के ताप से संतप्त हो गए हैं। समय नहीं जा रहा है परंतु हम ही इस जीवन छोड़ कर जा रहा है। हमारी तृष्णाएँ किञ्चित भी बूढ़ी नहीं हुई हैं अपितु हम ही तृष्णा के वशीभूत होकर वृद्ध होते जा रहे हैं।
स्वामी जी आपकी सब बातों से सभी सहमत हैं। प्रश्न यह है कि इन सब समस्याओं को सुलझाया कैसे जाये। परिवर्तन केवल राजनीति से आ सकता है। जिसके हाथ में सत्ता है वही कर सकता है। आपको करना ये चाहिये कि अपने गुरुकुल से अच्छे राजनीतिज्ञ तैयार करें। 🙏🏼
@vaidicphysics आदरणीय आचार्यजी, संभव हो तो प्रदूषण पर एक पुस्तक भी प्रकाशित कीजिए। भगवान शिव की दृष्टि में धर्म , ईश्वर का प्रथम उपदेश यही क्यों ऐसी पुस्तके आप के प्रवचनों से प्रकाशित हुई है तो प्रदूषण पर भी हो सकती है।
ऋषिवर मेरा आपसे एक प्रश्न है गर्भ धारण करने की शक्ति महिलाओं में है महिला नया जीवन उत्पन्न कर सकती है हर मंदिर में गर्भ ग्रह होता है उसके अंदर पुरुष ईश्वर की प्रतिमा या शिवलिंग होता है.. कहते भी है की ये की शक्ति के बिना शिव भी शव है शक्ति मूल है सब किया का मूल शक्ति है तो इस ब्रह्माण्ड को जिसने बनाया जिसने जन्म दिया वो पुरुष कैसे हो सकता है हम क्यों परमपिता परमात्मा कहते है लेकिन वास्तव में परममाता परमात्मा होना चाहिए ईश्वर पुरुष कैसे हो सकता है क्युकी रचना और उत्त्पति गर्भ धारण सब कुछ महिला ही करती है जब मूल शक्ति है तो ईश्वर पुरुष क्यों ईश्वर महिला क्यों नही परमपिता या परममाता 🙏🙏🙏
नमस्ते आचार्य जी मैं मुंबई के फार्मा कंपनि मे काम करता हूं , जो की एनिमल प्रोटीन जो सुअर, गाय,भैंस और अन्य जानवरों का खून से टेस्टिंग मटेरियल बनता हैं। जो फार्मा और हॉस्पिटल में काम आता है। मुझे क्या करना चाहिए आप मार्ग दर्शन करें।
गुरुदेव चरण स्पर्श - जब तक व्यक्ति, ईश्वर को ज्यों का त्यों नही जानेगा, तब तक उसके अंदर से लोभ , मोह , क्रोध अहंकार समाप्त नहीं हो सकता ।
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आचार्य जी, चरण स्पर्श सहित प्रणाम
आपके द्वारा जो व्याख्यान दिया गया है वह ज्ञानवर्धक है लेकिन आज मनुष्य बाह्य आडंबर में अधिक विश्वास करता है l यदि कोई उन्हें सही मार्ग की ओर प्रशस्त करता है तो वे उसे ढोंगी कहते हैं l
आजकल व्यक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने की मनोवृति रखते हैं l आपके द्वारा व्याख्यान दिया जाता है, उसे में ध्यान से सुनता हूं और उस पर अमल भी करता हूं,जिस कारण से मेरा मन और बुद्धि स्वस्थ रहते हैं l आपको पुन:करबद्ध प्रणाम l
प्रसिद्धि की चाह पाप कराती है और इसे में पाश्चात्य जगत निरंतर लगे हुए हैं और भारत आदि सभी देशों को भी ले डूबा। चौथे सातवे आसमान वाले ही हिंसक, विलासिता आदि अशांति सम्पूर्ण संसार में फैलाए हुए हैं और आपने ठीक कहा की पश्चिम के विकास में ईश्वर और आत्मा आदि अस्तित्व का कोई स्थान नहीं। इन सबको महर्षि दयानन्द देख लिया था और अब आप भी देख रहे हो। तभी महर्षि न कहा था की जब भी सुधार होगा वह वेद प्रचार से ही होगा सो इस कार्य मैं आप निरंतर लगे हुए हो कि किस प्रकार लोगों को वेद की और लौटाया जा सके।
ऋषि अग्निव्रत श्री आपने बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर कहा और यथार्थ सत्य से सभी को अवगत कराया, भुरिशह धन्यवाद।
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर,
ऐसे ही हम लोगों का ज्ञान वर्धन और मार्ग दर्शन करते रहिए
आपके चरणों में प्रणाम
❤ ॐ सादर नमस्ते महऋषि जी जय मां वेद भारती 🎉
सादर प्रणाम आचार्य जी। जीवन हम लोगों का सुधर रहा है । ईश्वर हमें और सामर्थ्य प्रदान करें धन्यवाद
ओ३म् सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Pranam respected Acharya Ji. Your lecture is very interesting and full of truth. Unfortunately nowadays people are all into materialism and have forgotten Ishvar . He created this universe for the wellbeing of all souls and He resides in every bit of it. Due to lack of vedic knowledge people are involved in every kind of sinful activities to satisfy their sensual pleasures and are destroying the world. Our ancestors also were doing agricolture, eating food , making progress but that was according to Vedas and they were progressing both materially and spiritually. But today people have forgotten Ishvar and they are going against Him . The result of it is that the world is sitting on explosives.
5:10 सबसे बड़ा प्रदूषण मनसतत्व प्रदूषण। मन का दूषित होना। कोई किसी का भला नही सोचता।
प्रमाण आर्य भाई बहनों ❤❤
सादर नमस्ते जी 🙏🏼🌺🙏🏻🚩💥☀️🔥
Pranam Acharya Ji ❤
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता।
तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः॥
कालो न यातो वयमेव याता।
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः॥
हम भोग नहीं भोग रहे बल्कि भोग हमें भोग रहे हैं। हम तपस्या से नहीं तप रहे परन्तु दु:खों के ताप से संतप्त हो गए हैं। समय नहीं जा रहा है परंतु हम ही इस जीवन छोड़ कर जा रहा है। हमारी तृष्णाएँ किञ्चित भी बूढ़ी नहीं हुई हैं अपितु हम ही तृष्णा के वशीभूत होकर वृद्ध होते जा रहे हैं।
सनातन वैदिक धर्म की जय। ❤
Acharya Ji ko Saadar Pranaam 🙏
Acharya ji ko sadar Charan vandan . Aaj hi main soch Raha tha ki achara ji ki video bahut dino sa nhi AA Rahi hai. Aap mahan aatma hain .
जय मा वेद भारती।
❤🕉🚩
स्वामी जी आपकी सब बातों से सभी सहमत हैं। प्रश्न यह है कि इन सब समस्याओं को सुलझाया कैसे जाये। परिवर्तन केवल राजनीति से आ सकता है। जिसके हाथ में सत्ता है वही कर सकता है। आपको करना ये चाहिये कि अपने गुरुकुल से अच्छे राजनीतिज्ञ तैयार करें। 🙏🏼
नमस्ते गुरूजी
Namaste acharya jee 🙏🏻🙏🏻
Ji acharya ji 🙏
आचार्य जी आपसे मिलने की बोहुत इच्छा है पता नहीं कभी मिल पाऊंगा की नही
AUM..... Acharya ji
Har har mahadev
Naman guruvar NAMAM
Om namah Shivay
सर्वनाश तय है। नही सुधरने वाले आज के राछस
Ram Ram ji
🙏🙏🙏🙏
🙏🏼
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
It very imp topics
Every one should
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अतिउत्तम
सत्य वचन गुरु जी 🙏💐
🎧🎉🎉
सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
नमस्ते आचार्य जी। कल राजकोट ( गुजरात) में बारीस हुई ओर कई फसल बर्बादी हो रहीं हैं । बारीस ओर हवा के गति के कारण सारी फ़सल जमीन पर ठहल गय।
नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा
Acharya ji gai ka taaza gobar seedhe fasal me daal sakte hai kya
,🙏🙏🙏
@vaidicphysics आदरणीय आचार्यजी, संभव हो तो प्रदूषण पर एक पुस्तक भी प्रकाशित कीजिए। भगवान शिव की दृष्टि में धर्म , ईश्वर का प्रथम उपदेश यही क्यों ऐसी पुस्तके आप के प्रवचनों से प्रकाशित हुई है तो प्रदूषण पर भी हो सकती है।
Sir may to pollution kaa karan badhti human population ko maanta hu shirf
ऋषिवर मेरा आपसे एक प्रश्न है
गर्भ धारण करने की शक्ति महिलाओं में है महिला नया जीवन उत्पन्न कर सकती है
हर मंदिर में गर्भ ग्रह होता है उसके अंदर पुरुष ईश्वर की प्रतिमा या शिवलिंग होता है..
कहते भी है की ये की शक्ति के बिना शिव भी शव है शक्ति मूल है सब किया का मूल शक्ति है
तो इस ब्रह्माण्ड को जिसने बनाया जिसने जन्म दिया वो पुरुष कैसे हो सकता है
हम क्यों परमपिता परमात्मा कहते है लेकिन वास्तव में परममाता परमात्मा होना चाहिए
ईश्वर पुरुष कैसे हो सकता है क्युकी रचना और उत्त्पति गर्भ धारण सब कुछ महिला ही करती है
जब मूल शक्ति है तो ईश्वर पुरुष क्यों
ईश्वर महिला क्यों नही
परमपिता या परममाता
🙏🙏🙏
पहले सृष्टि मानसिक थी
लोगो में जागरूकता नहीं है
नमस्ते आचार्य जी
मैं मुंबई के फार्मा कंपनि मे काम करता हूं , जो की एनिमल प्रोटीन जो सुअर, गाय,भैंस और अन्य जानवरों का खून से टेस्टिंग मटेरियल बनता हैं। जो फार्मा और हॉस्पिटल में काम आता है।
मुझे क्या करना चाहिए आप मार्ग दर्शन करें।
नमस्ते भ्राता जी। आप इसे छोड़कर कोई धर्म संगत आजीविका चुन लीजिए अतिउत्तम होगा । धन्यवाद ।
वीर जी धर्म संगत कार्य आज दिखाना संभव नहीं हो पा रहा है। जिससे आजीविका चलाने में सहायक हो। सब में तामसिक विकार भरा पड़ा है
अति उपभोग और अनावश्यक उपभोग|मुनाफे का अंतहीन लोभ|
१३ ब्यक्ति प्रदुषण का मूल कारण हैं
Is vishay ko uthane ke liye dhanyawaad! Acharyaji Pranaam
Is samasya ka samadhan ek bahut badi muhim chalane se hi hoga ya fir aap rajniti m utrein
Boycott Urbanization, save villages.
Human ko kisi ke baare me jaankari nahi hai or agar jaankari milti bhe hai to wo leta hai😢
मोदीजी योगीजी लोभी नही फिर भी जैसा राजा वैसी प्रजा क्यों नहीं?
Islam
🙏🙏🙏
🙏🙏