नर्मदा घाटी के इन गांवों का क्या कसूर? Narmada project | Tribal Village | loksabhaelection2024
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- Опубликовано: 5 фев 2022
- नर्मदा घाटी में क्या अब भी लोग रहते हैं?
किस तरह की जिंदगी जीते हैं यहां के आदिवासी ?
मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के बार्डर के एक गांव की कहानी जो आपको सोचने पर विवश करती है?
ये वीडियो अपने ही देश का है, लेकिन जिस इलाके में मैं आपको लेकर चल रही हूं लगता ही नहीं ये हमारे देश का ही कोई हिस्सा होगा। नर्मदा घाटी के इस हिस्से में पहुंच कर आपको लगेगा किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं। जहां न सड़कें बनती हैं और ना ही मोबाइल का अविष्कार हुआ है।
ये मध्य प्रदेश में अलीराजपुर, जिले का डूब इलाका है। यहां नर्मदा घाटी के दूसरी तरफ 15 गांव हैं, जिनमें ज्यादातर भलाला आदिवासी रहते हैं। मैं आज उन्हीं में एक गांव जा रही हूं। 24 घंटे बिजली, हाईस्पीड इंटर्नेट, एक कॉल पर पका पकाया खाने घर पहुंचने वाले युग में ये आदिवासी बिना किसी सुविधा के रहते कैसे हैं।
हमें जिस गांव जाना है उसका नाम अंजनबाड़ा है। जो अलीराजपुर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर है। लेकिन रास्ते में करीब 15 किलोमीटर का सफर ऐसा है जहां कोई साधन नहीं है। सकरजा से अंजनबाड़ा तक सफर दो नावों के जरिए पूरा होता है। पहले एक लकड़ी वाली नाव कुछ दूर ले जाती है फिर वहां से इंजन से चलने वाली बड़ी नाव... सकरजा से अंजनबाड़ा का सफर और इनके बीच बसे 15 गांवों की कहानी बताती है, देश में एक आबादी अभी किस हाल में जीने को मजबूर है।
यहां की जिंदगी नाव के सहारे हैं। पढ़ाई से लेकर दवाई तक, राशन से लेकर खेती तक सब नाव के सहारे होती है। नाव एक बार अपने ठीहे से छूटी तो किनारे तक पहुंचने में कम से कम 1 घंटा नर्मदा की घाटी में रहती है। उसके बादप पानी, कीचड़ और सैकड़ों फीट ऊंची चढ़ाई के बाद गांव आता है। अंजनवाड़ा गांव में करीब 70 घर हैं। घर क्या लकड़ी और घास की मड्यैया है। गृहगस्थी के नाम पर कुछ बर्तन और जीने भर का राशऩ।
यहां का जीवन कितना मुश्किल, दुश्कर और कठनाइयों भरा है, आपको अंदाजा लगाना मुश्किल होगा। बिजली, सड़क और इंटरनेट तो छोड़िए यहां पीने का साफ पानी तक नहीं है। इमरजेंसी में किसी को फोन करना पड़ जाए तो कई किलोमीटर ऊपर पहाड़ की एक चोटी पर जाना होता है। गांवों के लोग बताते हैं वैसे तो सरकार ने एक नाव एबुंलेंस चला रखी है लेकिन कई बार लोग, उसके गांव तक पहुंचने, मरीज के अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता है।
सालों पहले सरदार सरोवर बाँध बनने के बाद मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के इस इलाके में सैकड़ों गांव डूब गए, विस्थापित हुए, लोगों के घर, मकान, खेत सब चले गए। लेकिन कुछ लोगों को विस्थापन भी नहीं हो सका। इस इलाके के लोगो को मुताबिक उन्हें जहां बसाया जा रहा थो वो बंजर जमीने थें, वहां जाकर बिना कमाई मरने से अच्छा था, अपनी देहरी पर, नर्मदा के साथ रहकर जूझते हुए जिंदगी जी जाए। भलाला आदिवासी बाहुल इस इलाके के 15 गांवों ने विस्थापन से मनाकर दिया और जैसे तैसे अपने जिंदगी काट रहे। लेकिन विस्थापित न होने की जैसे इन्हें सजा मिली है। यहां न स्कूल है न अस्पताल।
यहां कमाई के नाम पर कुछ जमीने हैं जो दूर पहाड़ में गांव से खेत तक पहुंचने में ही 2-3 घंटे लगते हैं। इतने ही वापस आने में। इन्हें बाजार से अगर कोई सामान लाना होता है तो पूरा एक दिन लगता है। इसलिए ये कोशिश करते हैं कि 10-15 दिन में ही नीचे उतरकर बाजार जाया जाए। गर्मी-सर्दी के दिन-रात जैसे तैसे कट जाते हैं लेकिन बरसात में घाटी में पानी बढ़ने पर ये लोग 3-4 महीने लगभग कैद होकर रह जाते हैं।
डूब इलाके में रहने वाले सभी लोग एक तरह की जैसे सजा काट रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किलें इन महिलाओं की है। ये दुनिया से कटी हैं। अंजनवाड़ा गांव में मात्र 4 लड़के स्कूल जाते हैं, लड़कियां आज तक स्कूल नहीं गईं। पढ़ाई, नौकरी, आत्मनिर्भरता इसके लिए चांद पर पहुंचने जैसा है।
इलाके के बुजुर्ग लोग कहते हैं, हमारा जिंदगी तो जैसे तैसे कट गई लेकिन चाहते हैं बच्चे पढ़लिख जाएं, गांवों में बिजली पानी जैसी सुविधाएं मिल जाए। ऐसा न हो कि हमारी तरह ये भी दुनिया देख ही न पाएं।
शेड्स ऑफ इंडिया के लिए अंजनबाड़ा से नीतू सिंह की रिपोर्ट
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हमें ऐसे ही गांव चाहिए जहां केवल पानी कि सूबीधा हो शहर में केवल परदूषण है
यही भारत है जो इंडिया से बहुत अलग है, मौक़ा मिलते ही इंडिया बाले इन भारत के लोगो को लूटने मे कोई कसर नही छोड़ते है l
😂😂😂
गाव की sachhai सामने लाने का बहुत अच्छा प्रयास good job Nice work
बहुत ही जबरदस्त रिपोर्ट, नर्मदा घाटी में आंजनबारा के साथ साथ लगभग 15 गाव ऐसे है जहाँ पर सरकारी योजनाए और मूलभूत सुविधाएं शून्य है। आज भी यहां के लोगो के लिए सड़क, बिजली, शिक्षा, पेयजल, रहने के लिए पक्का घर, मोबाइल नेटवर्क एक असंभव सा सपना है। आप ने इस रिपोर्ट के माध्यम से ग्राम आंजनबारा के दर्द को पूरी दुनिया के सामने रखा इसके लिए पूरे गाँव की तरफ से धन्यवाद।
यहां पर एक तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा कि डुबक्षेत्र के इन गांवों ने सरकार द्वारा पुनर्वास सुविधा लेने से इनकार नही किया बल्कि सरकार द्वारा ही पुनर्वास की सुविधा गाव के बहुत कम लोगो को दी गई।
अभी आंजनबारा में जो लोग रह रहे है ये वो लोग है जिन्हें गाँव मे उनका सब कुछ डूब जाने के बावजूद सरकार ने पुनर्वास के लिए अपात्र माना है। सरकार द्वारा बांध बनाने से पहले जमीनी स्तर का सर्वे कभी नही किया गया जिसके चलते बहुत से लोगो जमीन और पुर्नवास से रह गए। आंजनबारा से केवल 54 लोगो को पुनर्वास का पात्र माना और केवल उन्हीं को जमीन दी गई और उनके परिवार गुजरात के बसाहट में रहते है। शेष जो अभी भी डुबक्षेत्र में में रह रहे उन्हें लंबे संघर्ष और आवेदन निवेदन के बावजूद सरकार ने पुनर्वास हेतु पात्रता नही दी जिसके चलते उन्हें पहाड़ो ने कष्टमयी जीवन बिताना पड़ रहा है। आज भी 100 से ज्यादा परिवार जमीन और पुनर्वास सुविधा न मिलने के कारण आंजनबारा में ही रह रहे है।
इन दुर्गम इलाके जहाँ सरकार और जनप्रतिनिधि आजादी के बाद भी नही पहुंच पाए है ऐसी जगह पर पहुँचकर शानदार रिपोर्टिंग के लिए Shades of Rural India का बहुत बहुत आभार व बधाई।
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
@@buddha2845 महोदय कौनसी खैरात आदिवासियों को बाटी जा रही है जरा स्पष्ट करे, सच्चाई तो यह है कि इस देश के विकास में सबसे बड़ा योगदान आदिवासियों का है बांध, रेलवे, खदान, हाई वे आदि के निर्माण के लिए आदिवासियों से जबरन उनकी जमीने छीनी गई, आंकड़े उठाकर देख लो बड़े बड़े विकास प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा बेघर आदिवासी हुए है। आदिवासी जल जंगल जमीन व खनिज से संम्पन्न क्षेत्र में बसे हुए है सरकार औऱ उद्योगपतियों को यही बात खटक रही है और हमेशा किसी न किसी तरीके से उन्हें अपनी जगह से बेदखल करने की साजिश की जाती है । हर प्रकार के आधुनिक विकास कार्यों के लिए केवल आदिवासी समुदाय ऐसा है जिसने अपने संसाधनों की कुर्बानी दी है। बांध या खदान के लिए आपकी जमीन औऱ संसाधन छीन कर आपको बिना विस्थापन के भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता तो समझ पाते कि असल मे कुर्बानी क्या होती है।
यह तर्क कहाँ तक उचित है कि आदिवासी क्षेत्र में विकास के कार्य तभी किये जाए जब उनकी जमीन गैर आदिवासी को खरीदने की इजाजत दी जाए। सच तो यह है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी को खरीदने की इजाजत मिल जाती है तो संसाधन सम्पन्न इलाको से आदिवासियों को खदेड़ना औऱ भी आसान है।
आदिवासी समुदाय ने कभी सरकार से खैरात नही मांगी केवल वही सुविधाए मांगी जो देश के अन्य नागरिक को दी जा रही है। बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वाथ्य देश के सभी नागरिकों के लिए शासन की जिम्मेदारी है न कि खैरात।
@@rohitpadiyar9992 सीधी बात यह है कि आदिवासियों जैसे दोमुंहे और कोई नही,,उन्हें सरकारी खैरात तो चाहिए, पर जमीन का कब्जा भी छोड़ना नही है,, इतनी सारी मुफ्तखोरी की योजनाओं ने आदिवासियों को सरकारी जमाई बाबू बना दिया है,,
कविकास के कामो में क्या सिर्फ आदिवासियों की जमीनें जाती हैं?जी नही,सभी वर्गों की जमीनों को सरकार और उद्योगों को देना पड़ता है,, बड़े हाई वे हो या फेक्ट्री,,गैर आदिवासी की जमीनें तो कई गुना ज्यादा ली जाती हैं,,
पर ये एक विक्टिम कार्ड की तरह रोना रोने की आदत पड़ गई है क्योकि इंदिरा गांधी ने ऐसा वाहियात कानून बनाया था कि आज बहुत से आदिवासी खुद की जमीन चाहते हुए भी बेच नही पा रहे,
मैं आदिवासी समुदाय के बीच रह चुका हूँ और उनकी मानसिकता को परख लिया है, उन्हें हर आधुनिक सुविधा तो चाहिए, पर बिना कुछ गंवाए,,ऐसा नही चल सकता महाशय,,कुछ पाना है तो कुछ त्यागना पड़ता है
अगर आदिवासी समाज ये सोचते हैं कि उनके इलाके में गैर आदिवासी समुदाय का दखलंदाजी न हो तो फिर शहरों में आकर मजदूरी करने का, घर खरीदने का हक भी छोड़ देना चाहिए,, गैर आदिवासी क्षेत्रों में तो सभी वर्गों को बसने का,घर मकान खरीदने का हक है तो फिर आदिवासी क्षेत्रों में उल्टा कानून क्यों?
एक आदिवासी किसी गैर आदिवासी की खेती की जमीन तो खरीद सकता है, पर अगर वही जमीन दुबारा से कोई गैर आदिवासी खरीद करना चाहे तो वो नही कर सकता,, ऐसा दोगला कानून कितना उचित है महाशय?
बहुत ही सुन्दर मनमोहक शांत अनुपम नजारा है ऐ तो, सरकार को इन लोगों के जीवन स्तर के अच्छे के लिए योजना बद्ध विकास करना चाहिऐ, इसकी विहंगम सुन्दरता को ब्यक्त करने के लिए शब्द ही नहीं है। अनुपम, अतुलनीय। धरोहर।
बहुत शानदार कवरेज नीतू जी, शेड्स ऑफ रूरल इंडिया को बहुत बधाई।
इसे जिम्मेदारों तक पहुंचा सकना श्रेयस्कर होगा
PMO में अवश्य भेजें
धन्यवाद जिजीविषा सोयासटी, कोशिश जारी है
बहुत अच्छा जीवन है सुकून का जीवन है हर चीज से बेखबर कोई राजनीतिक नहीं कोई कुछ नहीं अपनी मर्जी से जीवन जीना यह लोग बहुत अच्छा जीवन जी रहे हैं
🙏🙏 सर हमारी पहली उम्मीद तो यह बनती है कि इन हमारे आदिवासी लोगों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था हो फिर बाद में इनका रास्ता अपने आप खुल जाएगा👍👍
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
Sarkare is area ka vikash hi nahi chahati ha.
@@GopalMeena-or4go ĺ
Vo ye kabhi nahi karenge
गांवों की अवहेलना दुर्भाग्य पूर्ण है,🚩👍
नेटावो की बोल ,मोदी की स्पीच ,और अनाप सनाप बकने वाले वे निजी मीडिया , कहा चले जाते है।जो बात का बतंगड़ बनकर महीनों तक भौंकते है ।क्या इन्हे इनकी जानकारी नहीं मिलती होगी।और शिवराज सिंह को पता नहीं चला 20 साल राज करने के बाद भी।वाह री राम राज्य की सपने दिखाने वाले। शर्म से डूब मरो।
ऐसे बहुत गांव है जो दुर्गम भाग से पुनर्वास के विरोधी है . इस लिए उन गावों तक सहायता नही पहूच पाई . उन भाईयोंको जहाँ भी उनका सरकारने पुर्नवास किया है वहाँ जाना चाहीये ताकी एह भी सभी सरकारी योजनाओका फायदा उठा सके और अपना जिवन सुखमय और सुंदर बना सके
यहां पर एक तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा कि डुबक्षेत्र के इन गांवों ने सरकार द्वारा पुनर्वास सुविधा लेने से इनकार नही किया बल्कि सरकार द्वारा ही पुनर्वास की सुविधा गाव के बहुत कम लोगो को दी गई।
अभी आंजनबारा में जो लोग रह रहे है ये वो लोग है जिन्हें गाँव मे उनका सब कुछ डूब जाने के बावजूद सरकार ने पुनर्वास के लिए अपात्र माना है। सरकार द्वारा बांध बनाने से पहले जमीनी स्तर का सर्वे कभी नही किया गया जिसके चलते बहुत से लोगो जमीन और पुर्नवास से रह गए। आंजनबारा से केवल 54 लोगो को पुनर्वास का पात्र माना और केवल उन्हीं को जमीन दी गई और उनके परिवार गुजरात के बसाहट में रहते है। शेष जो अभी भी डुबक्षेत्र में में रह रहे उन्हें लंबे संघर्ष और आवेदन निवेदन के बावजूद सरकार ने पुनर्वास हेतु पात्रता नही दी जिसके चलते उन्हें पहाड़ो ने कष्टमयी जीवन बिताना पड़ रहा है। आज भी 100 से ज्यादा परिवार जमीन और पुनर्वास सुविधा न मिलने के कारण आंजनबारा में ही रह रहे है।
इन दुर्गम इलाके जहाँ सरकार और जनप्रतिनिधि आजादी के बाद भी नही पहुंच पाए है ऐसी जगह पर पहुँचकर शानदार रिपोर्टिंग के लिए Shades of Rural India का बहुत बहुत आभार व बधाई।
भारत के लुटेरे राजनेताओं की देन है कि आज भी भारत का आम नागरिक मूल भूत सुविधाओं से वंचित है
एक ज़रूरी रिपोर्ट , जो देखी जानी चाहिए👏
🙏🏿🙏🏿🙏🏿
मैं उन लोगों के लिए कुछ कर सकूं कुछ सिखा सकता प्लीज मेरा तो बहुत सपना है ऐसे लोगों से मिलने
Aa जाओ 👍 ऐसे लोगों की जरूरत है
मे भी अलीराजपुर जिले से बिलोंग करता हु हम चाहते हे की अलीराजपुर को महाराष्ट्र से जोड़ा जाये जिसे की यहा की आवक भी अच्छी हो ओर महाराष्ट्र से ट्रांसपोटेशन भी हो जिसे ओर गाव शहर मे उन्नति हो भी सभी गाव वासियो शहर वासियो को मांग करनी चाहिए की हमारे अलीराजपुर जिले को महाराष्ट्र से जोड़ा जाये
आपके प्रयासों को नमन
हम भी ऐसे क्यों नहीं रहते थे और जीवन बहुत खुश था लेकिन शहर में आकर पूरी तरह जीवन पूरी तरह निराश हो गया मुझे तो गांव का ही जीवन पसंद है जहां ना लाइट हो ना मोबाइल हो कुएं से पानी लेकर आना था गाय भैंस तालाब में पानी पिला कर लाते थे और चूल्हे की रोटी कितनी अच्छी लगती थी वह मेरा गांव मुझे याद आ गया मेरी आंखों में आंसू आ गए
हमारा जीवन दर्शन कराने के लिए आपका बहोत बहोत धन्यवाद.
बेहतरीन काम 🙏
धन्यवाद
इनका पुनर्वसन करना चाहिए
आजाद भारत यह बहुत बड़ी विडंबना है जहां इंसान को इंसान नहीं समझा जाता। ।।। जय मेवाड़ नाथ जय श्री राधे
Great work ❣️🙏
जिंदगी ज़ीने का आंनद तो मां नर्मदा के सवर्णों में आता है ऐसा नसीब कहा है हमारा
शिवराज चौहान तो गला फाड़ फाड़कर कहते हैं हमने इतने लोगों को घर दिया इतने लोगों को पट्टा दिया। जमीन दिया।विकास किया। यहां तो देखकर लगता की हमारे एमपी।में अभी भी 18वी सतावदी में हैं
Juthha hai rajput.
Bhut Sundar kam kr rhin aap
सुविधाएं देना चाहिए जल्दी ही प्रधानमंत्री जी को मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि सभी ग्राम वासियों को होस्पीटल की सुविधा ओर स्कुल की सुविधा ओर रोड़ लाईट की जरुरत पुरी करे 🙏🏻🇮🇳🙏🏻🇮🇳🙏🏻
thanks for bring this to public view. government should do more for this community.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्यार ❤️कि आपने ऐसा कवरेज किया है।
काश मैं मध्यप्रदेश के ऊंचे स्तर का अधिकारी होता तो शायद इस क्षेत्र के विकास के लिए सोचता 🤔🤔
बहुत सराहनीय कदम 🙏
बेहतरीन प्रयास..!
Narmada, the sacred land of austerity if remains neglected progress for India is a mirage, nothing will succeed. Everything will be annihilated....Kaliyug drama goes on.
Thanks a lot.🕉🙏🕉
Mere ko is video ko dekh kar bahut Dukhi Laga mam Aisa Jagah jakar bahut acche video kiye ho
यहां के लोगों की जिंदगी बहुत मुश्किल है, वीडियो देखने और शेयर करने के धन्यवाद
@@shadesofruralindia आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
नीतू सिंह जी को तहे दिल से धन्यवाद। नर्मदा घाटी मे निवास करने वालो की समस्या से अवगत कराया।शासन कब सुध लेगा,पता नहीं।दुनिया मंगल पर जा रही है ये बेचारे जंगल मे भटक रहे हैं।
Outstanding effort ...❣️👌
बहुत खूब आपको हार्दिक हार्दिक बधाई।🙏🙏🌺🌺💐💐
Bahut Achcha Gaon hai
बहुत बहुत धन्यवाद मेम जी
देशकी आजादी के ईतनि साल हो गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है ।कितनी नरम जनक बात है।हरेक पोलीटिकल पार्टी को यह अख्तर बाबत है।
Great work
रविन्द्र भई साब से प्राप्त लिंक द्वारा सब्सक्राइब किया हूँ बाकी अद्भुत क़ाबिले तारीफ़👌👌👌
Very knowledgeable video
वीडियो अच्छा है , लेकिन संतुलित विकास जरूरी है । उन लोगों को सोलर लाइट, battery देनी चाहिए ।
अगर यह इलाक़ा विकसित हो जाता है तो अमीर लोगों के भेट चढ़ जाएगा ।
आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी जमीन नही खरीद सकते,, तो फिर विकास कैसे संभव है?आदिवासी समुदाय केवल सरकारी खैरात लेने के आदी बन चुके हैं,, वो सोचते हैं कि सरकार उन्हें लगातार मदद देती रहे,पर बदले में उनके इलाकों में कोई निवेश न आने पाए,,1985 में इंदिरा जी द्वारा आदिवासियों को भलाई के लिए बनाया गया कम्यून ही आज उनके गले की हड्डी बन गया है अब समय आ गया है कि उस कानून में बदलाव किया जाए,
Bahoot shandar kaam
Bahoot shandar story
बहुत खूब मैडम
बहुत भाग्यशाली हो ईश्वर ने इतना
ऐश्वर्या दिया है!
Waaa kiti Sundar aahe ❤
Excellent work🤘🤘
कितने अच्छे हैं ये लोग शहर के आदमी तरसते हैं से जीवन के लिए और घूमने के लिए ऐसे गांव को खोजते हैं मोबाइल नहीं है तो कितना अच्छा है इस मोबाइल में शहर के लोगों का जीवन ही बर्बाद कर दिया एक छत के नीचे रहकर 5 आदमी एक दूसरे से बात नहीं करती मोबाइल पर ही एक दूसरे को बुलाते हैं कितने शर्म की बात है इस जीवन को आप कह रही हैं अच्छा नहीं है मैं रही हूं गांव में
Good job
नर्मदे धाम में किसी आश्रम में रहना चाहता हूं, हमारा बुडापा आ गया, हम चाहता हूं नर्मदे मां, के कोई आश्रम में जीवन बीतना साधु संग, के साथ - ज्योतिषी श्री शंकर शास्त्री
जय मां नर्मदा हनुमान मंदिर में पदाएरे
बहुत सुंदर जगह है कास में भी जासकता लेकीन जो लोग रहते हैं बहुत कठिन होता है बहुत सरल स्वभाव वाले हैं उनकी दिनचर्या बहुत सरल है कास मैं भी जासकता
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏धन्यवाद व आभार जीवन का वास्तविक धरातल का सत्य,हृदय झकझोर देने वाला सत्य,प्रभुकृपा हो यह प्रार्थना है,शासन की जानकारी में है तो,वंचित क्यों🙏🙏
Very naturally beautiful village
सरकार से निवेदन है कि सभी ग्राम वासियों को विकास की गति को जल्दी से जल्दी लागु करे जल्दी से जल्दी सभी को अपनी कठिनाई को आसान बनाने में मदद करे जय श्री राम 🚩🙏🏻🙏🏻 सभी तिनो राज्ये की सरकार
Good job 😊😊👍
Great girl of india.. Great work 💕dear.. Humanity remember you
Apka dhanyawad
good work 🤗🤗✌️✌️✌️✌️🙏🙏🙏🙏
बहुत मार्मिक 🤕 नर्मदा विस्थपित ग्रामीण आदिवासि लोग ,,, भीलाला आदिवादी समुदाय क लोग
bahut dhanyawad Aap ka aap kawarej kiya
आज भी बहुत सारे गाँव है जो मुख्य धारा से कटे हुए हैं, शिक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, मूलभूत सुविधाएं न के बराबर है, सरकार बस आजादी का अमृत महोत्सव. मना रही है🙏
ये ही जीवन सबसे बड़ा अनमोल सुंदर है
Jai..............SARNA ,
Jai............... ADIWASI
JHARKHAND love.........
Nitu shingi apney bahot bada net Kam kiya apko dilsy thanyvad
Verry good
Mai Tu anil bhai ke link se dekhane aya ho 😀. But, content is very good 👍
mast ✌️✌️✌️✌️✌️🙏🙏🤗
सरकार को चाहिए इन गांवों बालों को किसी सुरक्षित और विकासशील जगह पर रहने की जगह दे 🙏
They are happier than us.....They sleep without sleeping dose.....No BP .....No sugar cmplaint.....No court case....let them live happily...
Bahut Achcha Gaon
Very good and very nice report thanks
Ancare aap ko naman hi.
धन्नवाद
नर्मदे धाम में किसी आश्रम में रहना चाहता हूं, हमारा बुडापा आ गया, हम चाहता हूं नर्मदे मां, के कोई गाओ में भी रहना चाहता हूं, गरीब जाना जाति के साथ जीवन बीताना चाहता हू, ज्योतिषी श्री शंकर शास्त्री
Jay hind madam jee
wow didi ❤
beautiful didi 👌👌👌👌👌👌👌👌👌
बहुत अच्छा लगा मैडम मैं तो ऐसे आपके साथ जुड़ना चाहती हूं चलना भी
Mai bhi
Jai Hind Jai Bharat Jai
Very very good
सुपर स्टार सकरजा
va kya bath hai
Thanks for highlighting this region on the bank of Holy Narmada. Most neglected since independence....
Bikash is like daydream. Many more such places must be there....not coming to limelight.
India is dreaming of online banking, Internet 5G installation n Bullet train n what not! Anyway, Almighty rules over Creation not 5G, industry, nuclear power. 🙏🕉🙏Hara Narmade
DHANYAWAD AAP KA PARYAS BAHOT HE ACHA HA GOVERNMENT KO KUCH KARNA CHAHIYE HA MA NARMADAY HAR 🙏🙏
Thanks you
Ise anekon gaon honge hamare Desh men .lekin bahari duniyako is se koye matab nahi .जिम्मेवार लोग,नेतागण अपने में मस्त है।देश और गांव के विकास के बारे में बड़ी बड़ी बातें करते है।हकीकत से कोसों दूर है
Good video 🤷🤷🤷
খুব ভালো লাগলো ভিডিওটা। এই রকম অনেক ভিডিও দেখতে চাই।
ধন্যবাদ, বাটানগর, পশ্চিমবঙ্গ ।
Village nice
Nice
Jai shree Ram ji waheguru ji waheguru ji
Such a beautiful village 😍🤩
गलती सरकारों की है सरकार को चाहिए एक पुल बनवा कर दें इन लोगों के लिए
Good👍👍🙋♀️🙋♀️🙋♀️🙋♀️🙋♀️
ये लोग सोये हैं या उत्पिड़ित हैं ? मेरा मानना है कि इन्हें जागना होगा तभी इनका उत्पीड़न समाप्त हो सकता है। आजादी का सुख इन तक नहीं पहुंचा है।
Mam ji jo bhi hai so hai but view bahut hi aachha hai ji
Sachai Dikhai aapne sallut h aapko
हम भी नर्मदा धाट रहवासी थे अब तापी जिल्ले में रहने लगे है
Thanks
इनको रोज़गार देकर पुनर्वास किया जाना चाहिए।इनकी स्थिति अत्यन्त दुःखद है।
बाध बनाके सब आदिवासी भाईयो कों बेघर बना दीया आदिवासी लोगोकी जमीन खत्म कर दीया और आज बाध के निचे रहने वाले बिगर आदिवासी को पानी. देकर ऊन्हे माला माल कर दीया और जीनोने जमीन दीया ऊन आदिवासी भाईयोका ए हालहैं ?
Tapi ka aisa hi use kiya he
गुजरात मे भरुच् जिल्ले डेम बनेगा तो आदिवासी समाज की हालात खराब हो जाएगी