समय कितना भी बुरा हो ये 2 बातें याद रखना

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  • Опубликовано: 11 июн 2024
  • समय कितना भी बुरा हो ये 2 बातें याद रखना
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    एक बार एक बहुत ही दुखी व्यक्ति एक महात्मा के पास आकर कहता है, मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ। मैं अपनी बीवी, बच्चों और अपने परिवार को भी खुश नहीं रख सकता। मैं अपने लिए भी कुछ नहीं कर पा रहा, कभी कभी तो मुझे अपनी जिंदगी को खत्म कर देने के भी ख्याल आते हैं। आप इतनी साधनाएं करते हैं, इतनी तपस्या करते हैं। क्या आप मुझे कोई ऐसा मार्ग बता सकते हैं?जिससे मैं अपने बुरे वक्त से बाहर आ सकूँ। मेरा बहुत बुरा समय चल रहा है। दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया है। अब आप ही बताएं कि मैं ऐसे वक्त में मैं जिंदा रहूं तो कैसे रहूँ? कैसे अपने परिवार को खुश रखूँ? कृपया करके कोई साधारण सा तरीका बताने की कृपा करे ताकि मैं आसानी से समझ सकूँ क्योंकि मैं बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूँ। अगर आप बड़ी से बड़ी ज्ञान की बातें करेंगे।तो शायद मैं कभी समझ भी नहीं पाऊंगा। ये सुनकर महात्मा ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम एक काम कर सकते हो। फिर महात्मा ने सामने की ओर इशारा करते हुए कहा कि उस ऊंची पहाड़ी पर एक मंदिर है और उस मंदिर के पास चीटियों का एक घर है, जहाँ पर हजारों चीटियां रहती है। तुम्हें सुनने में बड़ा अजीब लगेगा लेकिन वो चीटियां उस मंदिर की जमीन को खराब कर देती है। उस मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को खत्म कर देती है जिसके कारण वहाँ पर कोई भी पेड़ या कोई भी घास पनप नहीं पाती है। तुम मेरा एक काम करो उसके बाद मैं तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब दूंगा। तुम 7 दिन तक रोज़ उस पहाड़ी पर जाओ और उस चीटियों के घर को तहस नहस कर दो, उसको तोड़ दो। जब भी तुम्हें कोई चीटियों का घर दिखे, मंदिर के आसपास तो उसे वही पर तहस नहस कर देना। लेकिन याद रहे घर को तोड़ने में कोई भी चींटी मरनी नहीं चाहिए। इस बात को समझने का प्रयास करते हुए वो युवक वहाँ से चला गया। शायद उसको कुछ समझ में नहीं आया था कि महात्मा जी ऐसा क्यों करवा रहे हैं तो वो उन चीटियों पर अन्याय कर रहे हैं, उनका घर तुड़वा रहे हैं, उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। आखिर कौन महात्मा ऐसा करेगा? लेकिन फिर भी उस महात्मा की बात मानते हुए दिन
    से ही पहाड़ी पर जाना शुरू कर देता है। जब वो पहले दिन पहाड़ी पर पहुंचता है तो देखता है कि बहुत सारी चीटियां अपना खाना जुटाने में लगी हुई है। सारी चीटियां कतार से चल रही है और अनाज के छोटे छोटे कण उठाकर अपने घर में जमा करती जा रही है। ये देखकर पहले तो उस युवक का मन कमजोर पड़ गया। उसने सोचा कि ये इतनी मेहनत करके अपना घर भर रही है और मैं इनके घर को तबाह कर दूंगा।तो इनको कितना बुरा लगेगा? लेकिन फिर उसने उस महात्मा की बात याद करते हुए उस घर को तोड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही चीटियों में हाहाकार मच गया। वो इधर उधर दौड़ने लगी। अभी तक जो कतार से चल रही थी, अब वो बिखर गई और इधर उधर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगी। थोड़ी देर में घर
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