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अहंकार के वश होकर जो भी कर्म किया जाता है वो और गहरी बेहोशी का कारण बनता है,कृष्ण बता रहे है ज्ञान अग्नि के द्वारा अहंकार को जलाकर जो कर्म होता है वो है निष्काम कर्म।हम ऐसे अहंकारी है जिसको कर्म के बारे में कुछ भी पता नहीं लेकिन कर्म का ढिंढोरा बहुत पीटते है।
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ना कर्म में प्रवृत्ति से,
ना कर्म के परित्याग से,
आत्मज्ञान मिलता नही है,
अंधे कर्म की राह से।
🪔 श्रीमद्भगवद्गीता 3.4 🪔
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Pranam acharya ji ❤️🙏💐💖
Aacharya ji parnam
अहंकार के वश होकर जो भी कर्म किया जाता है वो और गहरी बेहोशी का कारण बनता है,कृष्ण बता रहे है ज्ञान अग्नि के द्वारा अहंकार को जलाकर जो कर्म होता है वो है निष्काम कर्म।हम ऐसे अहंकारी है जिसको कर्म के बारे में कुछ भी पता नहीं लेकिन कर्म का ढिंढोरा बहुत पीटते है।
Good morning
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Pranam achariyaji 🙏🏼 ♥️ ❤️ 💖 🎉🎉🎉
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