उद्धव ने गोपियों के दिल को तोड़ा था सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ ने सनातन के दिल को तोड़ा है। पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की ब्रज लीला 11 वर्ष 52 दिन को काल्पनिक बता दिया। पूर्ण ब्रह्म की लीला को सृष्टि केरचयिता ब्रह्मा जी नहीं समझ सके तो महर्षि कैसे समझ सकते हैं।इसे सनातन कभी माफ नहीं करेगा।🎉🎉
@@businessmotivation4692 सनातन हमारे चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण है औरसृष्टि है जो सनातन कहलाती है। जो सृष्टि की आदि से चला आ रहा है उसे सनातन कहते हैं हिंदू धर्म सृष्टि की आदि से चला आ रहा है इसलिए इसे वैदिक सनातन धर्मकहते हैं।
@@AdvocateRamBahadurSingh वेद में निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। तो परमात्मा क्या है उसके लिए भी वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। संसार से भिन्न क्या है उसका वेदों को पता नहीं रेड केबल सृष्टि का ज्ञान रखते हैं। सृष्टि से भिन्न का ज्ञान वेदों में नहीं है। वेदों को भी पढ़ लिया वेदों का कर भी ले लिया वेदों में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का नाम धाम लीला नहीं है।
बहिन जी बहुत सुन्दर भजन आप के चरणो मे कोटि कोटि नमन
बहुत अच्छा ज्ञानवर्धक जानकारी, अगर ऐसा करोगे तो संस्कार अपने आप मिल जाते है. अति सुन्दर आपको नमन 🎉
Super awesome
बहुत सुंदर ❤
Bhut Sundar namaste bahan ji
Very nice 👌 👍 👏 😀 ☺️ 😊 👌 👍 👏 😀 ☺️ 😊 👌 👍 👏 😀 ☺️ 😊 👌 👍 👏 😀 ☺️ 😊 👌 👍 👏 😀
उद्धव ने गोपियों के दिल को तोड़ा था सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ ने सनातन के दिल को तोड़ा है। पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की ब्रज लीला 11 वर्ष 52 दिन को काल्पनिक बता दिया। पूर्ण ब्रह्म की लीला को सृष्टि केरचयिता ब्रह्मा जी नहीं समझ सके तो महर्षि कैसे समझ सकते हैं।इसे सनातन कभी माफ नहीं करेगा।🎉🎉
आप जानते हो सनातन क्या है
@@businessmotivation4692 सनातन हमारे चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण है औरसृष्टि है जो सनातन कहलाती है। जो सृष्टि की आदि से चला आ रहा है उसे सनातन कहते हैं हिंदू धर्म सृष्टि की आदि से चला आ रहा है इसलिए इसे वैदिक सनातन धर्मकहते हैं।
वेद को पढ़ा नहीं बस बोलने लगे इधर उधर की बात पहले वेद काअध्ययन करिए तब पता चलेगा की सृष्टि का चनाकार कौन है
@@AdvocateRamBahadurSingh वेद में निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
तो परमात्मा क्या है उसके लिए भी वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
संसार से भिन्न क्या है उसका वेदों को पता नहीं रेड केबल सृष्टि का ज्ञान रखते हैं। सृष्टि से भिन्न का ज्ञान वेदों में नहीं है।
वेदों को भी पढ़ लिया वेदों का कर भी ले लिया वेदों में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का नाम धाम लीला नहीं है।