तीसरी कसम(1966) चलत मुसाफिर मिह लिया रे .....

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • नारी इतनी आकर्षक होती है और पुरुष अनादि से उसके रूप और यौवन का इतना रसिया होता है कि यह 'मुनिया' उसे आसानी से ढेर कर देती है। 'पिंजरे वाली मुनिया' गुदगुदाने वाला नहीं, असल में आंख की कोरों को भिगो देने वाला गीत है।

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